जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग करने का फ़ैसला ‘शर्मनाक’ : माकपा
माकपा ने केंद्र सरकार द्वारा 31 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को औपचारिक रूप से अलग घोषित किए जाने के फ़ैसले को "शर्मनाक" बताया है और कहा है कि राज्य का विभाजन यहां के लोगों की राय जाने बिना कर दिया गया।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के पोलित ब्यूरो ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा, "माकपा अनुच्छेद 370 को खत्म करने के साथ ही जम्मू-कश्मीर राज्य के विभाजन और उसके दर्जे को घटाने का पुरजोर विरोध करती है।"
बयान में कहा गया, "ये भारतीय लोकतंत्र के लिए एक शर्मनाक दिन है कि राज्य के लोगों या उसकी विधानसभा से राय लिए बिना एक राज्य को विभाजित किया गया और उससे पूर्ण राज्य का दर्जा छीना गया।"
केंद्र सरकार ने पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने की घोषणा की थी, जो राज्य को संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत मिला था।
इस संबंध में संसद द्वारा पारित और राष्ट्रपति की मंजूरी प्राप्त एक विधेयक के मुताबिक 31 अक्टूबर से जम्मू-कश्मीर का दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजन हो जाएगा।
बयान में कहा गया, "यह संविधान के अनुच्छेद तीन का खुला उल्लंघन है और देश के संघीय ढांचे सहित संवैधानिक मूल्यों को मानने वाले लोगों के लिए इस दिन खुशी मनाने जैसा कुछ नहीं है।"
आपको बता दें कि इससे पहले जब यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल को कश्मीर दौरे पर बुलाया गया था तब भी माकपा अध्यक्ष सीताराम येचूरी ने ट्वीट कर सरकार के इस क़दम की निंदा की थी।
It is an affront to the Indian Parliament and its sovereignty, that while Indian MPs and political leadership are denied the freedom of visit the valley, those in the state not allowed to even step out of their homes, reportedly some “private visit” by foreign MPs is facilitated. pic.twitter.com/GRNZewQflz
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) October 29, 2019
(भाषा से इनपुट के साथ)
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