“कर्फ्यू टाइमिंग” के खिलाफ देशभर में छात्र लामबंद, तमिलनाडु में निष्कासन के खिलाफ आंदोलन तेज़
“कर्फ्यू टाइमिंग” के विरोध में छात्र-छात्राओं का आंदोलन अब पूरे देश में फ़ैल रहा है। दिल्ली यूनिवर्सिटी से लेकर
तमिलनाडु तक। तमिलनाडु में तो राजीव गाँधी राष्ट्रीय युवा विकास संस्थान में पांच छात्र-छात्राओं को वीसी के खिलाफ प्रदर्शन करने पर निष्कासित भी कर दिया गया है। कई दूसरी जगह चेतावनी जारी की गई हैं। लेकिन छात्र-छात्राएं अपनी आज़ादी की इस लड़ाई में अब पीछे हटने को तैयार नहीं है और उन्होंने इसके खिलाफ पूरी मजबूती से मोर्चा खोल लिया है।
पिंजरा तोड़ कहें या कर्फ्यू तोड़ना या जेल ब्रेक...ये शब्दावली अब छात्रों खासकर महिला छात्रों के बीच काफी लोकप्रिय है। इस माध्यम से वे विश्वविद्यालय या कॉलेज प्रशासन की ओर से उनके ऊपर लादी गईं कई पाबंदियों का विरोध कर रही हैं। इन छात्राओं के मुताबिक ये बराबरी और आज़ादी की लड़ाई है।
आपको बताएं कि दरअसल ज़्यादातर कैंपस में छात्रों के आने-जाने खासकर महिला छात्रों को लेकर बहुत तरह की पाबंदियां हैं। जैसे रात आठ बजे के बाद हॉस्टल में छात्राओं की एंट्री मना है। इस दौरान वे इमरजेंसी होने पर भी बाहर नहीं जा सकती हैं। उनसे मिलने आने-जाने वालों को लेकर भी कई तरह के सवाल और प्रतिबंध हैं। कई जगह लाइब्रेरी को लेकर भी बेहद सीमित समय है। उसमें भी लड़कियों के लिए तो और भी कम पढ़ाई का समय मिल पाता है। इसके अलावा भी कई मुश्किलें जिसे छात्र-छात्राएं हल करना चाहते हैं और इसके लिए उन्होंने कहीं “पिंजरा तोड़” तो कहीं “कर्फ्यू तोड़” आंदोलन शुरू किया है।
पंजाब, राजस्थान और देश के अन्य कोनों में यह आंदोलन बड़ी तेज़ी से जोर पकड़ रहा है। हाल ही में “पिंजरा तोड़” अभियान के तहत दिल्ली यूनिवर्सिटी में छात्राओं ने विरोध किया। इस प्रदर्शन में छात्राओं ने माल रोड (दिल्ली यूनिवर्सिटी नार्थ कैंपस ) को जाम करते हुए अपनी मांगो को उठाया। पुलिस ने उन्हें हटाने के लिए ज़ोर-ज़बरदस्ती की और इस दौरान कई छात्राओं को चोट भी आयीं।
राजस्थान यूनिवर्सिटी में भी छात्र-छात्राओं ने 9 सितम्बर को हॉस्टल में बॉयोमेट्रिक सिस्टम से रखी जा रही निगरानी के खिलाफ रात भर धरना दिया। इन छात्र - छात्राओं के मुताबिक महिला हॉस्टलों में छात्राओं को बाहर या अंदर जाने के लिए बॉयोमेट्रिक सिस्टम में पंच करना पड़ता है। जिसके बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन उनके माता पिता को उनकी बेटी के बाहर जाने या अंदर आने के समय की सूचना देता है। लेकिन पुरुष छात्रों के लिए इस तरह के कोई नियम नहीं हैं। पुरुष छात्रों के लिए जहाँ रात 12 बजे तक लाइब्रेरी खुली रहती है वहीं महिलाएं केवल 10 बजे तक पढ़ सकती हैं।
पंजाब यूनिवर्सिटी में भी इसी तरह छात्र छात्राओं ने हॉस्टल की कर्फ्यू टाइमिंग के खिलाफ पिछले दिनों प्रदर्शन किया। यहाँ पर छात्राओं को रात में 8 बजे के बाद घुसने नहीं दिया जाता है। प्रदर्शन में शामिल कई छात्राओं के घर पर यूनिवर्सिटी प्रसाशन ने फ़ोन करते हुए धमकाने की कोशिश की।
इसी कड़ी में राजीव गाँधी राष्ट्रीय युवा विकास संस्थान, श्रीपेरुम्बदूर , तमिलनाडु में छात्र-छात्राओं ने कर्फ्यू टाइमिंग व अन्य मांगो को लेकर वीसी के खिलाफ प्रदर्शन किया। जिस पर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने वहाँ 5 छात्र -छात्राओं को निष्कासित कर दिया। इसके खिलाफ अब वहाँ के छात्र -छात्राएं प्रदर्शन कर रहें। भारी संख्या में छात्र- छात्राएं वीसी ऑफिस के बाहर बैठ कर निष्कासित हुए छात्र -छात्राओं के निष्कासन को वापस लेने व कर्फ्यू टाइमिंग हटाने की माँग कर रहे हैं।
अब सवाल यह कि यूनिवर्सिटी एक ऐसी जगह जहाँ हम बराबरी को लेकर बात करते है तब ऐसी जगह में छात्राओं के साथ यूनिवर्सिटी प्रशासन का यह दोहरा रवैया उचित है? आज जब देश हर कोने में छात्र -छात्राएं कर्फ्यू टाइमिंग व अन्य माँगो को लेकर आवाज़ उठा रहे है तब उनकी मांगो को पूरा करने के बजाय यूनिवर्सिटी प्रशासन छात्र -छात्राओं पर उल्टा कार्रवाई कर रहे हैं।
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