क्या है यूक्रेन से नाता: रफ़ाल मामले में आया नया मोड़
10 मई को यूक्रेन का एक मालवाहक विमान एंतोंव An-12 कच्छ की रण के रास्ते भारतीय वायुसीमा में अंदर घुस आया था। यहां से भारतीय वायुसेना का हवाई अड्डा महज 70 किलोमीटर दूर है। यह पाकिस्तानी सीमा से भारत में उस वक्त घुसा, जब दोनों देशों ने फरवरी में हुए बालाकोट हमले के चलते नागरिक विमानों के लिए अपनी वायुसीमा बंद कर रखी थी। उस वक्त भारत में आम चुनाव हो रहे थे। उस दिन शाम 5 बजकर 42 मिनट पर रक्षा मंत्रालय ने एक स्टेटमेंट जारी किया। पूरा स्टेटमेंट कुछ इस तरह था।
‘एक अज्ञात विमान, जिसके IFF (पहचान, दोस्त और दुश्मन) रडार सिस्टम चालू थे, उसने उत्तरी गुजरात क्षेत्र से 15:15 बजे भारतीय वायुसीमा में प्रवेश किया। विमान अधिकारिक एयर ट्रेफिक सर्विस (एटीएस) का पालन नहीं कर रहा था और न ही भारतीय नियंत्रण एजेंसियों के रेडियो काल का जवाब दे रहा था। चूंकि उस वक्त भूराजनीतिक स्थितियों के चलते इलाके में एटीएस रूट बंद थे और विमान ने एक असूचित जगह से भारतीय वायुसीमा में प्रवेश किया था, इसलिए एयर डिफेंस इंटरसेप्टर ने तुरंत जांच के लिए अज्ञात विमान की ओर उड़ान भरी। पर विमान ने न तो इंटरनेशनल डिस्ट्रेस फ्रिक्वेंसी पर और न ही कोई विजुअल सिग्नल दिया। लेकिन जब विमान को चुनौती दी गई तो जवाब आया और बताया गया कि अघोषित यात्रा पर निकला विमान AN-12 है, जिसने तिब्लिसी (जॉर्जिया) से कराची के रास्ते दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी। विमान का पीछा किया गया और उसे जयपुर में जरूरी जांच के लिए उतरवाया गया।’
यह AN-12 विमान यूक्रेन में बना था, जो जॉर्जिया के तिब्लिसी में पंजीकृत था।
न्यूज एजेंसी एएनआई ने भारतीय वायुसेना के प्रवक्ता के हवाले से बताया कि भारी मालवाहक विमान ‘कल-पुर्जे (स्पेयर्स)’ ले जा रहा था और इसे ‘यूक्रेन की इंजन बनाने वाली कंपनी मोटर सिच ने लीज पर दिया था।’
एनडीटीवी ने रिपोर्ट में बताया, कराची से उड़ान भरने के बाद विमान को भारतीय वायुसीमा में देखा गया, जिसके बाद दो सुखोई Su-30 लड़ाकू विमानों ने इसे जयपुर में उतरने के लिए मजबूर किया।
उसी रात 11 बजकर 30 मिनट पर इंडिया टुडे ने एक आर्टिकल लिखा, जिसमें बताया गया: ‘भारतीय वायुसीमा का उल्लंघन करने वाले यूक्रेन के विमान को छोड़ दिया गया है।’
इसमें जयपुर के एक असिस्टेंट कमिश्नर के हवाले से बताया गया, ‘यह एक छोटा सा रास्ते का उल्लंघन था, विमान को सुरक्षा कारणों से जयपुर में उतरवाया गया। यह गंभीर उल्लंघन नहीं था। इसे छोड़ दिया गया है।’
फ्लाइट ट्रेकिंग वेबसाइट फ्लाइटेरा के मुताबिक, मोटर सिच AN-12 विमान ने पूर्वी बुल्गारिया के बॉउर्गस से उड़ान भरकर जॉर्जिया के तिब्लिसी में लैंडिंग की। एक घंटे बाद इसने तिब्लिसी से दिल्ली के लिए उड़ान भरी और बीच में कराची में रुका। इसके बाद उड़ान की जानकारी वेबसाइट पर नहीं है, इसमें कहा गया है, ‘फ्लाइट अनियमित तौर पर उड़ान भर रही थी।’
कम शब्दों में कहा जाए तो एक विदेशी मालवाहक विमान पाकिस्तान से एक अनाधिकृत रास्ते से भारतीय वायुसीमा का उल्लंघन करता है। उसे उतरने पर मजबूर किया जाता है। सिर्फ 5 घंटे से भी कम वक्त में जांच पूरी कर विमान को छोड़ दिया जाता है। इस घटना की तारीख अहम है। देश चुनावों के बीच में था, 12 मई को छठवें चरण के चुनाव सिर्फ 48 घंटे दूर थे। घटना पर मीडिया ने बहुत कम ध्यान दिया।
क्यों फ्रांस नाराज है?
लेकिन फ्रांस में कई कारणों से इस खबर को बुरा माना गया। फ्रांस के प्रमुख अखबार ली मोंदे में 5 अक्टूबर में प्रकाशित हुए आर्टिकल में लिखा गया, ‘मार्च 2016 में रिलायंस डिफेंस (अनिल धीरूभाई ग्रुप की एक कंपनी) ने यूक्रेन की विमान बनाने वाली कंपनी एंतोंव, जो लंबे समय से भारतीय वायुसेना को उपकरण उपलब्ध करा रही है, के साथ ज्वाइंट वेंचर की घोषणा की थी। नई कंपनी नागपुर में स्थित है, जहां दसाल्ट एविएशन जल्द ही रिलायंस डिफेंस के अधिकारियों को उड्डयन (एविएशन) की मूलभूत चीजें समझाएगी। इस तरह राफेल बनाने वाली साझेदार भारतीय कंपनी, एंतोंव के साथ काम कर रही है, जिसका इंजन सप्लायर हमवतन मोटर सिच है।’
मोटर सिच, सोवियत संघ के जमाने की कंपनी है। फिलहाल यह यूक्रेन में आधारित है। यह अलग-अलग विमानों, हेलीकॉप्टर और मिसाइलों के लिए इंजन बनाती और इकट्ठा करती है। इसके इंजन Mi श्रेणी के चॉपर्स और एंतोंव मालवाहक विमानों में उपयोग होते हैं, जिन्हें बड़ी संख्या में कई देशों की वायुसेना ने तैनात किया हुआ है।
एंतोंव AN-12 एक चार इंजन टर्बोप्रॉप परिवहन विमान है, जिसे सोवियत संघ में बनाया गया था। इसका मिलिट्री वर्जन एंतोंव AN-10 है और इसके कई प्रकार हैं। तीन दशकों से ज्यादा वक्त तक AN-12 सोवियत संघ का मध्यम दूरी का मालवाहक और पैराट्रूप परिवहन विमान था।
2014 में क्रीमिया पर रूस के कथित कब्जे के बाद, जिसके चलते अमेरिका, यूरोपियन यूनियन और दूसरे देशों ने रूस पर व्यापार और आर्थिक प्रतिंबध लगाए थे, मोटर सिच की यूक्रेन सरकार से तनातनी चल रही है।
जब सोवियत संघ का बिखराव हुआ, तब व्याचेस्लाव अलेकसानड्रोविच बॉउग्सलायेव, जापोरिझिया स्थित मोटरबुडिवनिक के डॉयरेक्टर जनरल थे। जाफोरिझिया फिलहाल यूक्रेन में है। 90 के दशक की शुरूआत में, सोवियत संघ के बिखराव के बाद बॉउग्सलायेव ने मोटरबुडिवनिक में से ज्यादातर शेयर निकाल लिए। मोटर बुडिवनिक का ही नाम बाद में मोटर सिच रखा गया। बॉउग्सलायेव यूक्रेन के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘’हीरो ऑफ यूक्रेन’’ विजेता हैं, सांसद हैं, चार बार यूक्रेन की सुरक्षा और रक्षा परिषद के सदस्य रहे हैं और रूस समर्थक पार्टी के नेता हैं।
बॉउग्सलायेव यूक्रेन सरकार की रूस, भारत, चीन, यूएई, कजाकिस्तान और श्रीलंका से अंतर-संसदीय संबंधों वाले समूह का हिस्सा रहे हैं। रेडियो फ्री यूरोप/रेडियो लिबर्टी (RFF/RL) के मुताबिक, मोटर सिच को ‘अपने उत्पाद निर्यात करने के अधिकार मिले हैं, जो यूक्रेन की किसी भी रक्षा कंपनी के लिए खास विशेषाधिकार हैं और यह बॉउग्सलायेव की ताकत दिखाता है।’ आगे कहा गया, ‘मोटर सिच के कुछ शेयरधारक ऑनशोर और ऑफशोर (विदेशी) हैं, इसलिए यह बता पाना मुश्किल है कि इसमें बॉउग्सलायेव की कितनी हिस्सेदारी है।’
यूक्रेन के दक्षिण-पश्चिम में स्थित जापोरिझिया के हेडक्वार्टर में कंपनी ने कथित तौर पर 20 हजार लोगों को नौकरी पर रखा है। रेडिया लिबर्टी ने एक इंडस्ट्री एनालिस्ट के हवाले से कहा कि- हालांकि कंपनी यूक्रेन के रक्षा उद्योग के लिए अहम है, लेकिन बॉउग्सलायेव को अपनी हिस्सेदारी बेचने से कोई नहीं रोक सकता। क्योंकि यूक्रेन में इस तरह का कानून ही नहीं है।
इस साल जुलाई में, भ्रष्टाचार विरोधी प्लेटफॉर्म बायहस इंफो ने मोटर सिच की रूस के साथ हुए समझौतों पर एक आर्टिकल लिखा था। जांच में पता चला कि बॉउग्सालयेव की मोटर सिच के डॉयरेक्टर पेत्रो कोनोनेंको के साथ रूस में कई सारी कंपनियां हैं। इन्ही में से एक कंपनी है बोरिसफेन।
आर्टिकल में आगे लिखा गया, रूस सरकार के पब्लिक प्रोक्योरमेंट पोर्टल से मिली जानकारी के मुताबिक, बोरिसफेन को 2015 से 2017 के बीच रूस में उपयोग किए जाने वाले ऑक्सीलरी पॉवर यूनिट सिस्टम AI-9B के इंजन के रखरखाव और उसकी उम्र बढ़ाने के लिए लाखों डॉलर के कांट्रेक्ट मिले। इसके मुताबिक, ‘जेएससी बोरिसफेन (एक ज्वाइंट स्टॉक कंपनी), क्रीमिया की यूनिवर्सल-एविएशन कंपनी के लिए इंजन के रखरखाव का काम करती है। यूनिवर्सल एविएशन एक राज्य स्वामित्व वाली कंपनी है जो क्रीमिया में हवाई यातायात के क्षेत्र में काम करती है। क्रीमिया पर अधिकार के बाद रूस ने इस कंपनी का राष्ट्रीयकरण कर दिया। बदले में यूरोपियन यूनियन, अमेरिका और यूक्रेन ने इस पर प्रतिबंध लगा दिए। लेकिन बॉउग्सलायेव की कंपनी बोरिसफेन अभी भी यूनिवर्सल के साथ काम कर रही है।’
रूसी सरकार के मुताबिक, 2015 के बाद से यह कंपनी सरकार से 50 लाख रूबल ले चुकी है। मोटर सिच और बॉउग्सलायेव का कथित तौर पर कहना है कि कंपनी के उत्पादों का रूस निर्यात होता है, लेकिन इनका इस्तेमाल सिर्फ नागरिक क्षेत्र में होता है न कि सैन्य क्षेत्र में। 2018 में कंपनी ने रूस को निर्यात बंद कर दिया। लेकिन बायहस इंफो की मानें तो यह सिर्फ आंखों का धोखा है। उनकी रिपोर्ट के मुताबिक, ‘2018 से मोटर सिच बड़ी संख्या में इंजन के हिस्से बोस्निया और हर्जगोविना में बनाई गई नई कंपनी DOO इंजेनिरिंग BN को भेज रहा है। 2018 में मोटर सिच ने 600 से ज्यादा बार माल भेजा, इसमें क्लीमोव TV3-117 (नागरिक और सैन्य हेलीकॉप्टर) के इंजन भी भेजे गए। इम्पोर्ट जीनियस इंटरनेशनल कस्टम्स (दुनिया भर के आयात-निर्यात पर नजर रखने वाली वेबसाइट) के मुताबिक बोस्निया की इस कंपनी ने रूस की दो कंपनियों को ऐसे ही हेलीकॉप्टर भेजे। दोनों रूसी कंपनियां बॉग्सलायेव की हैं।’
जुलाई में यूक्रेन की इंटरफैक्स न्यूज एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में बताया, ‘एसबीयू (स्टेट सिक्योरिटी सर्विस, जो यूक्रेन सरकार की कानून-व्यवस्था बनाए रखने, काउंटर इंटेलीजेंस और आतंकवाद से लड़ाई की मुख्य एजेंसी है) ने पब्लिक ज्वाइंट स्टॉक कंपनी PJAC मोटर सिच को रूस समर्थित अलगाववादी समूह दोंत्सक पीपल्स रिपब्लिक को मदद पहुंचाने की कोशिश करते हुए रोक दिया।’
आखिर चीन क्यों मोटर सिच में रुचि ले रहा है?
रेडियो फ्री यूरोप ने मोटर सिच की दिक्कतों पर 27 अगस्त को और जानकारी दी। इस रेडियो स्टेशन की वेबसाइट के मुताबिक बॉउग्सलायेव 2016 से चीन सरकार समर्थित चीनी निवेशकों को कंपनी बेचना चाह रहा है। इसके चलते अप्रैल, 2018 में यूक्रेन की एसबीयू ने कंपनी के हेडक्वार्टर पर छापा मारा और इसके शेयर जब्त कर लिए।
बताया जा रहा है कि इस छापे का आदेश उस वक्त के प्रेसिडेंट पेत्रो पोरोशेंको ने दिया था। छापे के दिन यूक्रेन के स्टॉक एक्सचेंज ने कंपनी के शेयर का व्यापार रोक दिया था। RFF/RL वेबसाइट में यूक्रेन की मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से बताया गया है कि चीन की दो कंपनियों ने राज्य स्वामित्व वाली रक्षा कंपनी यूक्रोबोरोनप्रोम के साथ साझा तौर पर मोटर सिच को खरीदने का समझौता कर लिया था। इसमें चीन की कंपनियों के पास मालिकाना अधिकार होता, वहीं यूक्रोबोरोनप्रोम की हिस्सेदारी सिर्फ 25 फीसदी होगी।
कीव स्थित सैन्य विशेषज्ञ रियूबेन जॉन्सन का कहना है कि अगर चीन की कंपनियों ने मोटर सिच को खरीद लिया तो चीन एडवांस फाइटर जेट पूरी तरह घरेलू तौर पर उत्पादित करने लगेगा और उसकी क्षमताओं में कई गुना बढ़ोत्तरी हो जाएगी। एसोसिएशन ऑफ यूक्रेनियन डिफेंस मैन्यूफैक्चरर के बोर्ड मेंबर देनिस कालाचोव के मुताबिक चीन की खास रुचि मोटर सिच की क्रूज मिसाइल इंजन को बनाने वाले कारखाने में है।
RFF/RL द्वारा सितंबर में प्रकाशित एक और रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन की एसबीयू ने पिछले साल खुलासा किया था कि ‘विदेशी लोगों के पास मोटर सिच में ज्यादातर हिस्सेदारी है जिसे 6 विदेशी कंपनियों और एक आदमी के हाथ में रखा गया है।’ रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि चीन की कंपनी बीजिंग स्काईरिजॉन एविएशन ने कंपनी में मालिकाना हक की कोशिश भी शुरू कर दी हैं।
23 अगस्त को द वाल स्ट्रीट जर्नल ने एक बेनाम अमेरिकी अधिकारी के हवाले से बताया कि- तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन यूक्रेन की एयरोस्पेस कंपनी के चीनी अधिग्रहण को इस आधार पर रोकने की कोशिश कर रहे थे कि इससे चीन को अहम रक्षा तकनीक मिल जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘मोटर सिच दुनिया की जानी-मानी हेलीकॉप्टर और एरोप्लेन बनाने वाली कंपनी है और इसने सालों तक रूस के सैन्य-हेलीकॉप्टर दस्ते को इंजन भेजे हैं। कंपनियों के एक समूह को इसकी बिक्री लंबित पड़ी है, कंपनियों के समूह में चीन के उद्योगपति वांग जिंग की बीजिंग स्काईरिजॉन एविएशन भी शामिल है।’
रशियन एकेडमी ऑफ साइंस में इंस्टीट्यूट ऑफ फार ईस्टर्न स्टडीज के सीनियर रिसर्च फैलो वासिली काशिन ने जर्नल को बताया- ‘चीन के लिए विमानों के इंजन उनकी वायुशक्ति को बढ़ाने में सबसे बड़ी दिक्कत हैं, यह एक कमजोर जगह है।’ बीजिंग स्काईरिजॉन ने चोंगक्यिंग में फैक्टी भी बना ली है। लेकिन इसमें उत्पादन चालू नहीं है और मोटर सिच की टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल की इजाजत का इंतजार किया जा रहा है।
इस साल अगस्त में कीव यात्रा के दौरान बोल्टन ने पत्रकारों से कहा, ‘यह एक ऐसा मुद्दा है जो यूक्रेन के लिए तो अहम है, साथ में अमेरिका, यूरोप, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और दूसरे देशों के लिए भी अहम है। एक संप्रभु सरकार को अपनी हदों में अपने रक्षा उद्योग को बचाने और यूक्रेन के लोगो के भले के लिए काम करने का अधिकार है। मुझे लगता है कि प्रेसिडेंट वोलोदिमिर जेलेंसकी की नई सरकार के लिए यह सबसे अहम मुद्दा है और वे कोई भी लेनदेन के पहले तय करेंगे कि इससे यूक्रेन के लोगों का भला हो।’
RFF/RL ने एक बेनाम अमेरिकी अधिकारी के हवाले से लिखा,‘अमेरिकी अधिकारी इस बिक्री से डरे हुए हैं।’
30 अगस्त को प्रकाशित एक और लेख में वेबसाइट ने लिखा- बोल्टन ने ‘साफ कर दिया है कि अमेरिका इस समझौते के पक्ष में नहीं हैं।’ उन्होनें पत्रकारों से कहा कि ‘हमने चीन के व्यापार के गलत तरीकों और अमेरिका में सामने आ रहे राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरों पर चिंता जताई है’
यूक्रेन आसानी से अमेरिका को नजरंदाज नहीं कर सकता। क्रीमिया पर रूस के अधिकार के बाद अमेरिका ने 1.5 बिलियन डॉलर की सैन्य मदद समेत कुल 3 बिलियन डॉलर यूक्रेन को दिए हैं। हाल ही में अगस्त तक ट्रंप सरकार कीव के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए बातचीत कर रही थी। इस साल यूक्रेन को अमेरिका से 250 मिलियन डॉलर की मदद मिल चुकी है।
एक साथ कई संयोग
ली मोंदे की रिपोर्ट पर वापस आते है। अखबार ने मोटर सिच के AN-12 विमान की जयपुर लैंडिंग पर कहा, ’10 मई को भारतीय प्रेस ने एक घटना के बारे में बताया, जिसमें एक ऐसी कंपनी का नाम सामने आया जो जल्द ही राफेल मामले में खलनायक बन सकती है।’
विमान के भारतीय सीमा में प्रवेश और उसकी तुरंत रिहाई से फ्रांस में लोगों के कान खड़े हो गए हैं। अखबार ने वापस सवाल उठाया कि क्या नरेंद्र मोदी सरकार ने दसॉल्ट एविएशन को कंगाल हो चुकी अनिल अंबानी ग्रुप की रिलायंस डिफेंस लिमिटेड के साथ ज्वाइंट वेंचर बनाने के लिए ‘मजबूर’ किया। यह कंपनी पहले ही 2016 में रूस की एंतोंव, जो अब यूक्रेन आधारित है, के साथ निर्माण कारखाना बनाने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर कर चुकी है, साथ ही समूह (रिलायंस डिफेंस) दसॉल्ट एविऐशन (राफेल बनाने वाली कंपनी) के साथ नागपुर में कारखाना बना रहा है।
ली मोंदे के आर्टिकल में सवाल उठाया गया है कि आखिर मोटर सिच का प्लान क्या है? कोई नहीं जानता। लेकिन इंजन बनाने वाली इस यूक्रेन की कंपनी का भारत में हस्तक्षेप दिलचस्पी भरा है।
इसमें आगे लिखा गया, ‘’मोटर सिंच की वेबसाइट के मुताबिक इसका ‘संपर्क कार्यालय’ नई दिल्ली में 24 फिरोज शाह रोड पर स्थि है। लेकिन वहां कोई मोटर सिंच की नेमप्लेट नहीं है। ऊपर से यह पता भारत में रूसी दूतावास के सांस्कृतिक केंद्र के तौर पर दर्ज है। यह हैरानी भरा है क्योंकि जहां तक हम जानते हैं यूक्रेन की कंपनियां, क्रीमिया पर कब्जे के बाद रूस से व्यापार नहीं कर सकतीं।’
आर्टिकल में आगे लिखा है, ‘मोटर सिच के कुछ डॉक्यूमेंट जो ली मोंदे के हाथ लगे हैं, उनसे पता चला है कि कंपनी 2008 से एक दूसरे डाकपते, जमरूदपुर के सामुदायिक केंद्र का इस्तेमाल कर रही है। यह दिल्ली के बाहरी इलाके में स्थित गांव है। यह जर्जर बिल्डिंग एक प्रभावशाली एक्सपोर्ट हाउस की है, जिसके कर्ताधर्ता ग्लोबल हेल्थलाइन ग्रुप के गौतम थदानी हैं। कागजों के मुताबिक चौथे फ्लोर पर स्थित, मोटर सिच का नाम फिर नदारद है।’
‘लीज का कुछ अता-पता नहीं है। दूसरी तरफ एक दूसरी कंपनी ने 2011 से बिल्डिंग में लीज लेकर रखी है। यह कंपनी है टीवी प्रोडक्शन कंपनी बिग सिनर्जी मीडिया। इसका हेडक्वार्टर मुंबई में है। जानते हैं कौन इसका मालिक है? अनिल अंबानी के ग्रुप की कंपनी रिलायंस एंटरटेनमेंट। यह काफी परेशान करने वाला संयोग है, क्योंकि अरबपति का यूक्रेन से कुख्यात संबंध है।’
अधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, मोटर सिच का कहना है कि उसका ‘संपर्क कार्यालय’ भारत में नई दिल्ली की फिरोज शाह रोड पर उसी जगह है, जहां रूस का विज्ञान और सांस्कृतिक केंद्र है। भारत सरकार के उद्योग मंत्रालय की वेबसाइट भी संपर्क कार्यालय का यही पता दिखाती है। दिलचस्पी की बात है कि रिजर्व बैंक का एक डॉक्यूमेंट जिसका नाम ‘13 नवंबर, 2018 तक चालू संपर्क कार्यालयों की जानकारी’ है, वह मोटर सिच का पता ग्रेटर कैलाश-2 के एक स्कूल में बताता है। इसमें आगे ज्यादा जानकारी नहीं है!
14 मार्च 2008 के एक पुराने मोटर सिच के डॉक्यूमेंट में कंपनी का पोस्टल और कानूनी पता है 4, कैलाश कॉलोनी, सामुदायिक केंद्र, जमरूदपुर, नई दिल्ली-110048।
यह एंग्रो कंस्ट्रक्शन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड का भी एड्रेस है। उद्योग मंत्रालय के मुताबिक इसके डॉयरेक्टर हैं गौतम थदानी और उनके रिश्तेदार राजन मधु। 2012 अक्टूबर में उस वक्त के सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह (अब मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री) को रिश्वत देने की कोशिश के आरोप में सीबीआई ने थदानी, मधु के साथ-साथ जनरल तजिंदर सिंह, वेक्ट्रा ग्रुप चेयरमैन और यूके में आधारित कंपनी टाट्रा सिपोक्स के डॉयरेक्टर रवि रिषी से पूछताछ की थी।
उस वक्त जनरल वी के सिंह ने आरोप लगाया था कि भारी वाहन बनाने वाली कंपनी टाट्रा सिपोक्स ने भारतीय सेना को दोयम दर्जे के ट्रक दिए हैं औऱ लेफ्टिनेंट जनरल तंजिदर सिंह ने उन्हें रिषी की तरफ से 14 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की थी। उसी महीने सीबीआई ने थदानी और मधु के घरों पर छापा मारा था, जिसमें 98 लाख रुपये बरामद हुए थे। 2016 में एकाउंटिंग फर्म मोसेक फोंसेका के दफ्तर से जो बहामा पेपर्स लीक हुए थे, उनमें भी मधु का नाम आया था।
संयोग की यह लंबी कड़ियां यहीं खत्म नहीं होतीं। राजन मधु 17 फरवरी 2014 को बनाई गई प्राइवेट लिमिटेड कंपनी यूक्रेन चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के डॉयरेक्टर हैं। उद्योग मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक, कंपनी का पंजीकृत पता है, 5 जमरूदपुर सामुदायिक केंद्र, कैलाश कॉलोनी, नई दिल्ली।
इस आर्टिकल के लेखक ने मोटर सिच के भारतीय प्रतिनिधि एंड्रिय मिलयुकोव से संपर्क साधा। उन्होनें यह कहकर बात करने से इंकार कर दिया कि उन्हें पत्रकारों से बात करने की इजाजत नहीं है। टेलीफोन पर दो मिनट चली इस बातचीत में मिलयुकोव ने कहा कि कंपनी का ऑफिस ‘बहुत पहले’ जमरूदपुर से बाहर चला गया है, लेकिन उन्हें ‘वह साल’ याद नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि मोटर सिच का ऑफिस अब रूस के विज्ञान और सांस्कृतिक केंद्र से बाहर चला गया है और अब यह टॉलस्टॉय मार्ग पर है। लेकिन उन्होंने पता नहीं बताया। रूस के विज्ञान और सांस्कृतिक केंद्र में एक व्यक्ति ने बताया कि ‘दो-तीन महीने पहले’ मोटर सिच का ऑफिस वहां से चला गया।
ली मोंदे के आर्टिकल से कई सवाल खड़े हुए हैं। लेकिन इसकी कुछ जानकारी पुरानी लगती है। जैसे रिलायंस डिफेंस और एंतोंव के बीच साढ़े तीन साल पहले हुए एमओयू पर अभी भी काम शुरू नहीं हुआ। बिग सिनर्जी मीडिया लिमिटेड और एडीएजी ग्रुप कंपनी का ऑफिस भी जमरूदपुर सामुदायिक केद्र से तीन साल पहले ही कहीं और जा चुका है। कंपनी के मुंबई ऑफिस में फोन लगाने पर पता चला कि कंपनी का दिल्ली ऑफिस 2016 से बंद है।
लेकिन 10 मई को मोटर सिच An-12 विमान का पाकिस्तान के रास्ते भारत में आना, इसके पॉयलट का एयर ट्रेफिक कंट्रोल अधिकारियों को जवाब देने में आनाकानी करना, फिर बेहद तेजी से इसे वापस उड़ान की इजाजत मिलना और सबसे अहम कि इसमें अंदर माल कौन सा था, यह सब ऐसे मुद्दे हैं, जिनका समाधान होना बाकी है।
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