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लखनऊ में मॉब लिंचिंग के विरोध जुलूस को पुलिस ने रोका

योगी शासन में अब शायद मॉब लिंचिंग का विरोध करने का अधिकार भी जनता को नहीं है! उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में तबरेज़ अंसारी की लिंचिंग के विरोध में निकल रहे जुलूस को प्रशासन ने रोक दिया।
लखनऊ में विरोध जुलूस को पुलिस ने रोका

देश में बढ़ती लिंचिंग की घटनाओं के ख़िलाफ़, लखनऊ के नागरिकों द्वारा शनिवार की शाम गोमती नगर स्थित अम्बेडकर पार्क से एक कैंडल मार्च (विरोध जुलूस) निकाला जाना था। लेकिन बड़ी संख्या में पुलिस कार्यक्रम स्थल, जहाँ जुलूस से पहले सभा होना थी, तैनात कर दी गई। 

जुलूस निकालने के लिए जब प्रदर्शनकरी जमा हुए, तो वहाँ स्थानीय पुलिस ने उन्हें रोक दिया। कुछ ही समय में प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने घेर लिया। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच कहासुनी भी हुई।

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पुलिस का कहना था की प्रशासन को कार्यक्रम या जुलूस की सूचना नहीं दी गई, इसलिए जुलूस नहीं निकाला जा सकता है। जबकि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस से कहा की ज़िलाधिकारी कार्यालय को कार्यक्रम और जुलूस की सूचना पहले ही दी जा चुकी थी। पुलिस को प्रशासन द्वारा सूचना प्राप्त होने के दस्तावेज़ दिखाने के बाद भी जुलूस निकालने नहीं दिया गया। 

प्रदर्शनकारियों में प्रदर्शन पर रोक लगने से भारी नाराज़गी थी। प्रदर्शन के आयोजन में मुख्य रूप से मौजूद रुबीना मुर्तुज़ा का कहना था कि प्रशासन को विरोध प्रदर्शन की सूचना दी गई थी और पुलिस ने अचानक आकर प्रदर्शन रुकवा दिया। 

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रुबीना मुर्तुज़ा का कहना है की अत्याचार के विरुद्ध प्रदर्शन करना हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार हैं। जिस तरह लिंचिंग की घटनाए बढ़ रही हैं, उस से लगता है सरकार मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए गंभीर नहीं है।

वरिष्ठ पत्रकार फैज़ान मुस्सना ने कहा की तबरेज़ अंसारी की मौत के लिए भीड़ के साथ झारखंड प्रशासन भी ज़िम्मेदार है। उन्होंने कहा अगर तबरेज़ को प्राथमिक चिकित्सा दी जाती तो उसकी जान बच भी सकती थी।

लेख़क एस एन लाल ने कहा की यह घटनायें देश के संविधान  पर हमला हैं।

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कांग्रेस नेता अमीर हैदर ने लखनऊ प्रशासन की निंदा की और कहा की लोकतंत्र में नागरिकों को प्रदर्शन से नहीं रोका जा सकता है। उन्होंने कहा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक तरफ सब के विश्वास की बात करते हैं और दूसरी तरफ मॉब लिंचिंग के ख़िलाफ़ कोई ठोस कदम नहीं उठाते हैं।

समाजवादी पार्टी के नेता अब्दुल हाफिज गाँधी ने मॉब लिंचिंग की निंदा करते हुए कहा की किसी की धर्म के नाम पर हत्या करना सविंधान के खिलाफ है। गाँधी का कहना है बीजेपी सरकार में देश के संविधान को ख़तरा है।

प्रदर्शनकारी हाथ में प्लेकार्ड लिए थे जिन पर लिखा था राम का नाम बदनाम न करो”-“देश में क़ानून का राज हो। प्रदर्शनकारियों ने हस्ताक्षर कर के प्रशासन द्वारा एक ज्ञापन भी राष्ट्रपति को भेजा है। ज्ञापन में देश में ख़राब होती कानून और व्यवस्था पर चिंता जताई गई है।

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