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क़तर में इंट्रा-अफ़ग़ान वार्ता शुरू होने की संभावना के बावजूद हिंसा ख़त्म नहीं

ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस ने अफ़ग़ान सरकार से कहा कि वह उनके नागरिकों की हत्या में शामिल तालिबान क़ैदियों को न छोड़े। इसको लेकर बातचीत में और देरी हो रही है।
क़तर में इंट्रा-अफ़ग़ान वार्ता शुरू होने की संभावना के बावजूद हिंसा ख़त्म नहीं

तालिबान वार्ताकारों द्वारा क़तर में लंबे समय से लंबित इंट्रा-अफ़ग़ान शांति वार्ता शुरू होने कुछ घंटे पहले ही 3 सितंबर को अफ़ग़ानिस्तान के नांगरहार प्रांत में एक अन्य सड़क विस्फोट में कम से कम तीन नागरिकों ने अपनी जान गंवा दी। पचेरागम ज़िले में ये घटना सुबह उस समय हुई जब ये लोग (पिता और पुत्र सहित) अपने निजी वाहन में जा रहे थें।

इससे पहले अशरफ ग़नी की अगुवाई वाली सरकार ने लंबित सूची में 120 तालिबान बंदियों को रिहा करने के बारे में अपनी अंतिम घोषणा की थी। अब तक अधिकारियों ने टोलो न्यूज़ को बताया कि पिछले दो दिनों में लगभग 200 तालिबान क़ैदियों को रिहा किया गया था जिनमें से सरकार द्वारा पकड़े गए 137 तालिबान बंदियों को कंधार की एक जेल और काबुल में पुल-ए-चरखी जेल से रिहा किया गया था।

ऑस्ट्रेलियाई और फ्रांस सहित कुछ पश्चिमी देशों ने तालिबान के छह हाई प्रोफाइल क़ैदियों की रिहाई पर नाराज़गी ज़ाहिर की थी जिसको लेकर उन्होंने कहा था कि उनके नागरिकों की जबरन हत्या में उनकी कथित संलिप्तता के लिए उन्हें ब्लैकलिस्ट में रखा गया था। अफ़ग़ान सरकार ने उक्त क़ैदियों को पूरी तरह रिहा करने के बजाय क़तर भेजने की पेशकश की है।

लंबित शांति वार्ता को फिर से शुरू करने से पहले हाई काउंसिल फॉर नेशनल रीकॉन्सिलिएशन के प्रवक्ता फ्रैदून ख्वाज़ून ने ट्वीट किया: “इंट्रा-अफ़ग़ान वार्ता के आगे की सभी बाधाएं हटा दी गई हैं। क़ैदी की वापसी की प्रक्रिया जल्द ही समाप्त हो जाएगी और इंट्रा-अफगान वार्ता शुरू होगी।”

साल 2020 के पहले तीन महीनों में जान गंवाने वाले कुल 1,293 नागरिकों में से एक तिहाई लोग बारूदी सुरंगों या इसी तरह के विस्फोटकों के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन ने अनुमान लगाया कि 11 मार्च से 23 मई के बीच स्वास्थ्य सुविधाओं को निशाना बनाते हुए लगभग 15 हमले किए गए थे।

पिछले एक साल में कई युद्धविराम की घोषणाओं के बावजूद तालिबान और अफ़ग़ान सरकार के बीच अब तक कोई सीधी बातचीत नहीं हुई है। फरवरी महीने में दोहा में अमेरिका के साथ हुए तालिबान के शांति समझौते के दौरान इसके 5,000 क़ैदियों की रिहाई इंट्रा-अफगान वार्ता की एक शर्त थी।

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