बिहार: मरीज़ों के लिए वाहनों का हाहाकार, भाजपा सांसद के यहां रखे एम्बुलेंस हो रहे कबाड़, सवाल पूछने पर मुकदमा!
अब कोई विवाद का विषय नहीं रह गया है कि कोविड महामारी संक्रमण की इस ‘दूसरी लहर’ के कहर से शायद ही कोई राज्य – जिला अथवा इलाका बचा हुआ है। आलम तो ऐसा हो गया है कि अब इन त्रासद स्थितियों की चर्चा भी कई बार बेमानी सी लग रहीं हैं। ख़बरें बता रहीं हैं कि हर दिन संक्रमण से अकाल मौत का शिकार होने वालों में एक बड़ी तादाद उन अभागों की है जिन्हें समय पर कोई एम्बुलेंस-वाहन नहीं मिलने के कारण अस्पताल पहुँचने में हुई देरी से ऑक्सीजन–बेड व इलाज़ के अभाव से उनकी जानें जा रहीं हैं। ऐसे असहाय संक्रमित मरीजों की मौतों की बढ़ती सूची, हर सरकार की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था के मुंह पर तमाचा जड़ रही है। अस्पतालों के गेट पर अपने स्वजनों का मृत शरीर लेकर आर्तनाद कर रहे परिजनों के मातम भरे दृश्य दिल को बेचैन कर दे रहे हैं।
सबसे बड़ी विडंबना है कि कल तक चुनावों में ‘डबल इंजन’ की सरकार बनाने का नारा लगाकर वोट मांगने वाले माननीय नेता – कार्यकर्त्ता इस विपदा में अपने मतदाताओं के लिए नॉट रिचेबुल से हो गए हैं। वहीं, ये बात भी अब छुपी नहीं रह गयी है कि कुछेक अपवाद राज्यों को छोड़कर बाकी जहाँ भी भाजपा सरकारें हैं, वहाँ के हालात सबसे भयावह हैं। जहाँ लोगों को समय पर ऑक्सिजन – बेड और इलाज के साथ साथ एक एम्बुलेंस– वाहन तक मयस्सर नहीं हो रहा है। मजबूरन संक्रमित मरीजों को मोटरसाइकिल – ठेले तक पर लादकर ले जाने और मृत मरीजों की लाशें साइकिल और कन्धों पर ढो कर ले जाने की तस्वीरें वायरल होती दीख रहीं हैं। बिहार में एम्बुलेंस समस्या समाधान में सरकारी सिस्टम की विफलता का एक और नमूना सामने आया कि 7 मई की शाम बिहार के सोशल मीडिया में उस समय खलबली सी मच गयी जब बिहार जन शक्ति पार्टी नेता व पूर्व सांसद पप्पू यादव द्वारा एक पोस्ट वायरल हुआ, जिसमें एक स्थानीय चैनल के माध्यम से वीडियो में दिखाया गया कि किस तरह से सारण के अमनौर स्थित भाजपा सांसद व पूर्व केन्द्रीय मंत्री के आवास से सटे सामुदायिक भवन के परिसर में 60 से भी अधिक एम्बुलेंस छुपा कर रखे हुए हैं। वीडियो में पप्पू यादव वहां मीडिया कर्मियों को हर एम्बुलेंस का प्लास्टिक हटवाकर उसकी जीर्ण शीर्ण स्थिति दिखला रहे हैं। मौके पर पहुंचे मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए जोर जोर से कह रहें हैं कि – हम जानना चाहेंगे डॉक्टर संबित पात्रा जी से कि जब एम्बुलेंस के लिए हाहाकार मचा हुआ है तो उनके भाजपा सांसद के यहाँ इतने सारे एम्बुलेंस क्यों कबाड़ हो रहें हैं? सरकार का सिस्टम इतना क्यों मरा हुआ है कि यहाँ रखे जिन एम्बुलेंसों को लोगों की जान बचाने में लगाना था, यहाँ छुपाकर कबाड़ किया जा रहा है। नीतीश सरकार जो एम्बुलेंस माफियाओं के साथ मिलकर मजबूर जनता से 7000 – 12000 रुपये एम्बुलेंस किराया ऐंठ रही है, इन एम्बुलेंसों से मुफ्त सहायता क्यों नहीं दे रही है? मैं इसकी पूरी जांच की मांग करता हूँ। साथ ही यहाँ के सिविल सर्जन पर अविलम्ब कारवाई और आपराधिक मुकदमा की भी मांग करता हूँ। ये कबाड़ हो रहे एम्बुलेंस नीतीश– भाजपा सरकार की महामारी से निपटने के दावों की असलियत दिखला रहें हैं।
पप्पू यादव ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें जानकारी मिली है कि यहाँ सौ से भी अधिक एम्बुलेंस थे जिन्हें सांसद ने अपनी पार्टी के चहेते मुखिया– नेताओं के यहाँ भेज दिए हैं।
उक्त वीडियो में एक स्थानीय ग्रामीण यह भी कहते हुए दिख रहा है कि पिछले 6 माह से ये गाड़ियां यहाँ ढंककर रखी हुई हैं। नेताजी के डर से तो यहाँ कोई आया ही नहीं, मैं आया हूँ तो मेरी फजीहत तय है।
पप्पू यादव द्वारा वायरल वीडियो पर त्वरित संज्ञान लेते हुए भाजपा सांसद राजीव प्रसाद रुड़ी ने भी पलटवार करते हुए सफाई दी कि ड्राइवर – खलासी नहीं मिलने के कारण ही इन एम्बुलेंसों को यहाँ रखा हुआ है। जवाब में पप्पू यादव ने सवाल उठाया कि अब तक उनकी बहाली क्यों नहीं की गयीं?
8 मई को माले विधायक संदीप सौरभ ने ट्वीट कर भाजपा सांसद के लोगों द्वारा इन एम्बुलेंसों से बालू ढोए जाने की तस्वीर लगाते हुए पूछा कि – जिन एम्बुलेंसों के लिए रुड़ी जी को ड्राइवर नहीं मिल रहा है, अब अपने लिए बालू ढुलवाने के ड्राइवर – खलासी कहाँ से मिल गए?
माले के ही युवा विधायक अजित कुशवाहा ने अपने ट्वीट में इस कृत्य के लिए भाजपा संसद राजीव प्रसाद रूडी पर देशद्रोह का मुकदमा करने की मांग की है।
पूर्व आईपीएस और वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्त्ता अमिताभ कुमार दास ने भी बिहार डीजीपी को पत्र लिखकर भाजपा सांसद रुड़ी के खिलाफ ‘ महामारी रोग अधिनियम’ के तहत मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।
सोशल मीडिया में जहां इस प्रकरण पर भाजपा सांसद राजीव प्रसाद रूडी की इस करतूत और नीतीश कुमार सरकार की चुप्पी की तीखी भर्त्सना हो रही है, वहीं, पूर्व संसद और जाप नेता पप्पू यादव पर पंचायत एम्बुलेंस संचालन समन्वयक के नाम से मुकदमा दर्ज कराये जाने का भी काफी विरोध हो रहा है। जिसमें ये आरोप लगाया गया है कि शुक्रवार को लॉकडाउन का उल्लंघन कर बिना अनुमति के उन्होंने वहां रखे सरकारी एम्बुलेंसों को क्षतिग्रस्त कर संचालक से फिरौती मांगी है। खबर है कि अमनौर (सारण) के सीओ की ओर से भी लॉकडाउन उल्लंघन करने का मुकदमा दर्ज किया गया है।
उधर बिहार मीडिया में तय कॉलम में हमेशा कि भांति इस प्रकरण पर भी प्रदेश जदयू प्रवक्ता और हर दिन घर से बैठे बयान जारी करनेवाले माननीय पूर्व मुख्यमंत्री नेता जी ने तीखे अंदाज़ में विपक्ष और पप्पू यादव की निंदा करते हुए अपने सांसद का बचाव कर उनके कार्यों की फेहरिस्त गिनाई है।
बहरहाल, पूरे मामले का फलाफल जो भी हो लेकिन बिहार की मीडिया लगातार अपनी ख़बरों में महामारी संक्रमण के हालात और अधिक बदतर होने की आशंका जाहिर कर रही है। ऐसे में यदि कोई विपक्ष का नेता सरकार की कमियों को सामने ला रहा है तो क्या यह उचित है कि कमियों को तत्काल ठीक कर पीड़ितों की आपदा राहत पहुंचाने की बजाय सवाल उठाने वाले पर ही मुकदमा करवा दिया जाय?
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