‘(अ)धर्म’ संसद को लेकर गुस्सा, प्रदर्शन, 76 वकीलों ने CJI को लिखी चिट्ठी
हरिद्वार की कथित ‘धर्म संसद’ में दिए गए विवादित बयानों को लेकर दिन-प्रतिदिन मामला गंभीर होता जा रहा है। रविवार, 26 दिसंबर को इस मामले के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के 76 वकीलों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एन.वी. रमना को एक चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में सुप्रीम कोर्ट से इन नफरती भाषणों पर स्वत: संज्ञान लेने का अनुरोध किया गया है। इसके साथ ही धार्मिक नेताओं द्वारा नरसंहार के आह्वान को देश के लिए 'गंभीर खतरा' बताया है।
बता दें कि 'धर्म संसद' में दिए गए विवादित भड़काऊ बयानों को लेकर दिल्ली के उत्तराखंड भवन पर आज सोमवार, 27 दिसंबर को नागरिक समाज समेत वाम दलों ने विरोध प्रदर्शन भी किया। इस प्रदर्शन में नरसंहार का आह्वान करने वाले तथाकथित संतों की तुरंत गिरफ्तारी और नफरत फैलाने वाले ऐसे सम्मेलनों के आयोजन पर रोक लगाने की मांग की गई। ये विरोध उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत पटना जैसे शहरों में भी दिखाई दिया।
CPIML, @AISA_tweets & @AICCTU_tweets joined the Citizens protest at Uttarakhand Bhavan (Delhi) demanding arrest of Yati Narsinghanad, Annapurna and all hate mongers of 'Dharm Sansad'!
Rise against hate speech and calls for genocide of Muslims in Haridwar! #HaridwarHateAssembly pic.twitter.com/tF4CmmK7fS
— CPIML Liberation (@cpimlliberation) December 27, 2021
क्या है पूरा मामला?
उत्तराखंड के हरिद्वार में इस महीने की 17 तारीख से लेकर 19 तारीख तक एक 'धर्म संसद' का आयोजन किया गया था। अब वहाँ मौजूद लोगों के 'विवादित भाषणों' के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। जिसमें वक्ता धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाने, 2029 तक मुस्लिम प्रधानमंत्री न बनने देने, मुस्लिम आबादी न बढ़ने देने और हिंदू समाज को शस्त्र उठाने का आह्वान करने जैसी बातें करते नज़र आ रहे हैं।
वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश को लिखी अपनी चिट्ठी में कहा है कि धर्म संसद में न केवल नफरती भाषण दिए गए बल्कि एक समुदाय के खिलाफ खुलकर नरसंहार का आह्वान किया गया। इस तरह के बयान भारत की एकता और अखंडता के लिए तो खतरा हैं ही साथ ही मुस्लिमों की जिंदगी को भी खतरे में डालने वाले हैं।
लाइव लॉ के मुताबिक, वकीलों ने अपने पत्र में कहा है कि इन कार्यक्रमों में जिस तहत के भाषण दिए गए हैं, वे न सिर्फ हेट स्पीच थे, बल्कि उन्होंने एक पूरे समुदाय का नरसंहार करने का आह्वान किया है। इसलिए इस तरह के भाषण न सिर्फ देश की एकता एवं अखंडता के लिए खतरा हैं, बल्कि करोड़ों मुसलमान नागरिकों को भय के साये में धकेल दिया है।
Read the letter written by Supreme Court lawyers seeking suo motu action against hate speeches made against Muslims. pic.twitter.com/1PSNaz9fOr
— Live Law (@LiveLawIndia) December 26, 2021
सुप्रीम कोर्ट के वकीलों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इस दिशा में अभी तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई है इसलिए न्यायालय को इस दिशा में पुलिस को कठोरतम कदम उठाने के लिए निर्देश देने की जरूरत है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को चिट्ठी लिखने वालों में दुष्यंत दवे, प्रशांत भूषण, वृंदा ग्रोवर, सलमान खुर्शीद और पटना हाईकोर्ट की पूर्व जज अंजना प्रकाश जैसे नामचीन वकील शामिल हैं। उन्होंने पूरे मामले पर चिंता जताते हुए कोर्ट से कहा है कि पुलिस कार्रवाई नहीं होने के कारण तुरंत न्यायिक हस्तक्षेप जरूरी हो जाता है।
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पुलिस की भूमिका पर सवाल
मालूम हो कि मामले के तूल पकड़ने के बाद कुछ ही दिनों पहले इस संबंध में भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए के तहत 'धर्म संसद' में दिए गए विवादित बयानों को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई है। हालांकि क़ानून के जानकारों का कहना है कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए गिरफ़्तारियां भी फ़ौरन ही होनी चाहिए थी। इसके साथ ही जिस तरह के हिंसक और भड़काऊ बयान दिये गए हैं, उनके आधार पर और दूसरी धाराएं भी जोड़ी जानी चाहिए थीं।
गौरतलब है कि इस आयोजन से संबंधित वीडियो के वायरल होने के कई घंटे बाद तक पुलिस प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई जिसके चलते ज़िला प्रशासन पर सवाल उठने लगे थे। इस धर्म संसद में बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय, जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर और ग़ाज़ियाबाद के साधु यति नरसिंहानंद सरस्वती, जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर और दक्षिणवादी संगठन हिंदू रक्षा सेना के स्वामी प्रबोधानंद, निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर मां अन्नपूर्णा समेत धर्म संसद के आयोजक पंडित अधीर कौशिक समेत हज़ार से अधिक महामंडलेश्वर, महंत, साधु-संत जुटे। जूना, निरंजनी, महानिर्वाणी समेत हरिद्वार के सभी प्रमुख अखाड़े इसमें शामिल रहे।
क्या- क्या कहा गया ‘धर्म संसद’ में?
इस धर्म संसद में कई विषयों पर विवादित चर्चा की गई। महामंडलेश्वर धर्मदास और महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती समेत कई लोगों ने अल्पसंख्यकों पर आपत्तिजनक भाषण दिए, नरसंहार के नारे लगाए गए, जिसके वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए हैं। हालांकि न्यूज़क्लिक इन वीडियो सामग्री की स्वतंत्र तौर पर पुष्टि नहीं करता है।
‘कॉपी-किताबों को रख दो, शस्त्र उठा लो’
वायरल वीडियो को मुताबिक, हिंदू महासभा की जनरल सेक्रेटरी और निरंजनी अखाड़ा महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा मां ने कहा, "अगर हमारे धर्म पर, हिंदुत्व पर खतरा मंडराएगा तो मैं कुछ भी नहीं सोचूंगी। भले ही मुझे गोडसे की तरह कलंकित क्यों ना कर दो। मगर मैं शस्त्र उठाऊंगी और मैं हिंदुत्व को बचाऊंगी।"
वो यहीं नहीं रुकीं उन्होंने आगे कहा, "हमारे (मातृशक्ति) हाथ ही शेर के पंजे की तरह हैं। अगर शस्त्र नहीं भी रहेगा तो मेरे पंजे ही शेरनी की तरह हैं, फाड़ कर रख देंगे। उन्होंने कहा कि यह धर्म संसद नहीं है, जागरूकता है। उन्होंने आगे कहा कि 2029 में आप लोग मुसलमान प्रधानमंत्री नहीं होने देंगे, ऐसा आप लोग वचन दें। उन्होंने कहा कि धर्म बचाना चाहते हो तो कॉपी-किताबों को रख दो और हाथ में शस्त्र उठा लो।"
‘आर्थिक बहिष्कार से काम नहीं चलेगा’
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में यति नरसिंहानंद यह कहते नज़र आ रहे हैं कि आर्थिक बहिष्कार से काम नहीं चलेगा। हिंदू समूहों को खुद को अपडेट करने की जरूरत है। तलवारों की बात भूल जाओ, तलवारें मंच पर ही अच्छी लगती हैं। ये लड़ाई बेहतर हथियार वाले लोग ही जीतेंगे। झूठी बातों में मत रहना। ज्यादा से ज्यादा बच्चे और अच्छे हथियार ही तुम्हें बचाने वाले हैं। सबको अपने घर परिवार खुद बचाने होंगे।
‘तो मैं गोडसे बन जाता’
एक अन्य वायरल वीडियो में बिहार के धर्मदास महाराज ने कहा, "अगर मैं उस वक्त संसद में मौजूद होता, जब पीएम मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश के राष्ट्रीय संसाधनों पर अल्पसंख्यकों का सबसे पहला हक है, तो मैं नाथूराम गोडसे का अनुसरण करता, मैं उनके सीने में छह बार रिवॉल्वर से गोली मार देता।"
‘1857 से भी भयानक युद्ध’
इसी सम्मेलन में हिंदू राष्ट्र की स्थापना की मांग करते हुए एक वीडियो में आनंद स्वरूप महाराज ने कहा, "अगर सरकारें हमारी मांग नहीं सुनती हैं (उनका मतलब अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के माध्यम से एक हिंदू राष्ट्र की स्थापना) है, तो हम 1857 के विद्रोह की तुलना में कहीं अधिक भयानक युद्ध छेड़ेंगे।"
दावा किया जा रहा है कि आनंद स्वरूप महाराज ने लोगों और होटलवालों को हरिद्वार में क्रिसमस न मनाने की भी धमकी दी है। वहीं प्रबोधानंद गिरि दावा करते हैं, "हिंदुओं पर हमले बढ़ रहे हैं और हरिद्वार में मुस्लिम आबादी का दबदबा बढ़ रहा है। अगर हिंदुओं पर कोई हमला होता है तो हम आत्मरक्षा के लिए शस्त्र उठा सकते हैं।"
धर्म संसद में बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय इस आयोजन में 'भगवा संविधान' लेकर आए और कहा, "हिंदुस्तान में, हिंदी भाषा में, भगवा रंग में, संविधान हमें विशेष रूप से बनवाना पड़ रहा है। ये शर्म की बात है।"
विपक्ष ने की कार्रवाई की मांग
धर्म संसद में हेट स्पीच को लेकर विपक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई है। कांग्रेस, एआईएमआईएम और तृणमूल कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने हरिद्वार में हुई धर्म संसद को ‘घृणा भाषण वाला सम्मेलन’ करार देते हुए इसकी निंदा की और इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
'एआईएमआईएम' के नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि जो लोग हरिद्वार के 'धर्म संसद' में शामिल थे या जिनके 'उत्तेजना और नफ़रत' फैलाने वाले बयान वायरल हो रहे हैं, उन्होंने ऐसा पहली बार नहीं किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसा करने वालों का मनोबल इसलिए भी बढ़ गया है क्योंकि इनके ख़िलाफ़ कभी कानूनी कार्रवाई नहीं की गई।
कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने ट्वीट करके इस सभा पर और यहां दिए गए बयानों पर आपत्ति जाहिर करते हुए ट्वीट किया- "मुनव्वर फ़ारूक़ी को उनके कथित चुटकुलों के लिए दंडित किया गया लेकिन 'धर्म संसद' के सदस्यों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं।"
उधर, मुस्लिम संगठन ‘जमीयत उलेमा ए हिंद’ ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर इस मामले का संज्ञान लेने और इसमें शामिल लोगों पर मुकदमा चलाने का अनुरोध किया है।
खबर लिखे जाने तक एक अन्य धर्म संसद रायपुर से भी विवाद की खबरें सामने आ रही हैं। यहां महात्मा गांधी को अपशब्द कहे जाने के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया है। हालांकि महात्मा गांधी को अपशब्द कहने वाले कालीचरण महाराज के ख़िलाफ़ इस 'धर्म संसद' के आयोजनकर्ताओं में से ही एक रायपुर नगर निगम के सभापति और कांग्रेस नेता प्रमोद दुबे की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज किया है। हालांकि ऐसे आयोजनों पर कब तक रोक लगेगी और कब ऐसे तथाकथित धर्मगुरुओं पर कार्रवाई होगी ये किसी को नहीं पता।
नफ़रती 'धर्म संसद' के विरोध में दिल्ली के उत्तराखंड भवन पर हुए प्रदर्शन की झलकियां-
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