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नीट परीक्षा: महिला अभ्यर्थियों के साथ चेकिंग के नाम पर हुई बेहूदगी, पुलिस ने किया केस दर्ज

नीट परीक्षा के दौरान एक सेंटर पर कई लड़कियों से कथित तौर पर अंडरवियर उतारने के लिए कहा गया। ये मानवीय गरिमा का अपमान और एक तरह से मानसिक प्रताड़ना है, जो छात्राओं के दिलो-दिमाग पर लंबा गहरा असर छोड़ जाती है।
NEET
फ़ोटो साभार: ANI

नीट परीक्षा 2022 मेें एक ओर धांधली के बड़े आरोप लग रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर परीक्षा देने गई महिला अभ्यर्थियों के साथ चेकिंग के नाम पर बेहुदगी की खबर भी सामने आ रही है। खबरों के मुताबिक केरल के कोल्लम ज़िले में रविवार, 17 जुलाई को हुई नीट परीक्षा के दौरान एक सेंटर पर कई लड़कियों से अंडरवियर उतारने के लिए कहा गया। ये मानवीय गरिमा का अपमान है, एक तरह से मानसिक प्रताड़ना है, जो छात्राओं के दिलो दिमाग पर लंबा गहरा असर छोड़ जाती है।

बता दें कि नीट परीक्षा में इस तरह की घटना पहली बार नहीं हुई है। इससे पहले भी साल 2017 में केरल के ही कन्नूर ज़िले में ऐसा ही एक वाक़या हुआ था। तब एक लड़की ने शिकायत की थी कि उसे परीक्षा में शामिल होने से इसलिए रोका गया था क्योंकि उसने काले रंग की ट्राउज़र पहन रखी थी। ट्राउज़र के बाद मामला ब्रॉ में लगे मेटल हुक का सामने आया। यहां लड़की को अपनी ब्रॉ उतारकर अपनी मां को देनी पड़ी जिसके बाद ही वो परीक्षा में शामिल हो पाई।

ठीक ऐसी ही शर्मिंदगी भरी स्थिति साल 2018 में भी केरल के पालक्काड ज़िले में देखने को मिली थी। जब एक महिला अभ्यार्थी को ब्रॉ उतारने के लिए कहा गया और उस लड़की का अनुभव तब और ख़राब हो गया जब उसने देखा कि इनविजलेटर (परीक्षा निरीक्षक) उसे लगातार घूरते रहे थे।

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक यह घटना कोल्लम जिले के मार्थोमा इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी की है। यहां 17 जुलाई को नीट परीक्षा 2022 के दौरान आरोप है कि एग्जाम सेंटर में चेकिंग के नाम पर छात्राओं की ब्रा उतरवा दी गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लगभग 90 प्रतिशत छात्राओं के अंडरगारमेंट्स उतरवाए गए और उन सभी को एक कमरे में फेंक दे दिया गया। कई छात्राएं इस घटना के बाद रोने लगी थीं। कई छात्राएं मानसिक रूप से परेशान भी हुईं।

इस पूरे मामले को लेकर यहां पेपर देने आई एक लड़की के पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है। बेटी के साथ प्रताड़ना का आरोप लगाया है। उनके मुताबिक इस घटना का लड़की के दिलों-दिमाग पर काफी असर पड़ा। उसने जो कुछ भी पढ़ रखा था, वो सब भूल गई। परीक्षा केंद्र पर हुई इस ज़्यादती की वजह से उनकी बेटी का रो-रोकर बुरा हाल हो गया था। हालांकि, एग्जाम सेंटर ने इस घटना से इनकार किया है।

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक अपनी शिकायत में लड़की के पिता गोपाकुमार ने बताया, "मेरी बेटी को परीक्षा केंद्र पर अंडरवियर उतारने के लिए कहा गया जबकि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने जो ड्रेस कोड तय किया है, उसमें इस बात का कोई ज़िक्र नहीं था। मेरी बेटी ने जब ऐसा करने से मना कर दिया तो उसे परीक्षा देने से मना कर दिया गया।"

घटना के ख़िलाफ़ केस दर्ज

पुलिस में दर्ज शिकायत में गोपाकुमार ने लिखा है, "मेरी बेटी ने बताया कि एक कमरा अंडरवियर से भरा हुआ था। उनमें से बहुत से लोग रो रहे थे। नीट एक प्रमुख प्रवेश परीक्षा है, इस तरह के भद्दे बर्ताव से बच्चों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था। बहुत सी लड़कियां अपनी ब्रॉ का हुक खोल और बंद कर रही थीं।

समाचार एजेंसी पीटीआई भाषा के अनुसार केरल पुलिस ने आज मंगलवार, 19 जुलाई को इस कथित घटना के सिलसिले में केस दर्ज कर लिया है। पुलिस के मुताबिक अपमानजनक अनुभव का सामना करने वाली एक लड़की की शिकायत पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 और 509 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

रिपोर्ट में बीबीसी ने केरल की सामाजिक न्याय मामलों की मंत्री आर बिंदु के हवाले से लिखा है कि राज्य सरकार केंद्र सरकार के साथ-साथ नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को भी इस बारे में लिखेगी क्योंकि ये मानवीय गरिमा का अपमान है। आर बिंदु के अनुसार ऐसी घटनाओं का छात्र- छात्राओं के दिलोदिमाग पर गहरा असर पड़ता है और ऐसी निंदनीय घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए।

महिलाओं के कपड़े और चुनौतियां

गौरतलब है कि नकल रोकने के लिए नीट जैसी परीक्षाओं में कड़ी चेकिंग की जाती है। मेटल डिटेक्टर का भी इसतेमाल होता है, इसके अलावा ड्रेस कोड को लेकर पूर्व में एक एडवाइजरी भी जारी की जाती है, जो जरूरी भी है। लेकिन चेकिंग के नाम पर लड़कियों के साथ ऐसा दुर्व्यवहार कतई जायज़ नहीं है, जो उन्हें परीक्षा के पहले ही अंदर से मानसिक रूप से तोड़ दे। ये मानवीय गरिमा के साथ-साथ महिला की गरिमा के भी खिलाफ है।

मालूम हो कि महिलाओं को अक्सर उनके कपड़ों को लेकर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। कभी इज्जत के नाम पर तो कभी नियम-कानून के नाम पर। कभी पंचायत अजीबो-गरीब फरमान सुना देती है, तो कभी सड़क पर चलते लोग ताने कस जाते हैं। बहरहाल, पितृसत्ता की इन तमाम बेड़ियो को तोड़कर महिलाएं अपने हक़ के लिए अब आवाज़ उठा रही हैं। केरल के परीक्षा केंद्र के खिलाफ शिकायत भी इसी का एक नमूना है। उम्मीद है कि महिलाओं के संघर्ष से एक बेहतर कल का निर्माण होगा, उन्हें उनका सम्मान मिलेगा।

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