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शिक्षा को बचाना है: FYUP का विरोध तेज़, DU में छात्रों का प्रदर्शन, शिक्षक भी शामिल

छात्र संगठन SFI और AISA ने दिल्ली विवि में FYUP के विरोध समेत कई और मांगों के साथ रैली निकाली। इसके बाद पब्लिक मीटिंग भी हुई।
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''एक साल बढ़ने का मतलब क्या है? जो विद्यार्थी दिल्ली यूनिवर्सिटी में बाहर से आता है पढ़ने के लिए उसका एक महीने में कम से कम सात से आठ हज़ार ख़र्चा होता है ( ये न्यूनतम है) दिल्ली यूनिवर्सिटी में हॉस्टल की कमी है। तो बाहर रहने में एक साल में आप मान लीजिए एक लाख से ख़र्चा कम नहीं है, तो एक साल बढ़ रहा है तो इससे छात्रों पर आर्थिक दबाब बढ़ेगा और कौन लोग हैं जिससे इसको नुक़सान होगा ? वो होंगे दलित, महिलाएं, और उनका ड्रॉपआउट होगा''

ऐसा कहना है बिहार से दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ने आए छात्र अमन का, अमन भले ही MA के छात्र हैं लेकिन DU में अब ग्रेजुएशन के तीन की जगह चार साल होने पर बहुत से छात्रों को इसी तरह के आर्थिक दबाव को झेलना पड़ेगा।

देश में पिछले कुछ सालों में स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में सबसे ज़्यादा लापरवाही देखने को मिली है। बंद होती स्कॉलरशिप, क्लास में टीचर्स की कमी, रिसर्च करने वाले छात्रों को मिलने वाले फंड की कमी कहीं ना कहीं हमारे देश में पढ़ने वाले छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। परेशान छात्र ऐसे में क्या करें?

तभी तो कहा जाता था कि -

शिक्षा पर जो ख़र्चा हो

बजट का दसवां हिस्सा हो

बजट पेश ही होने वाला है और इस बार शिक्षा की झोली में क्या आएगा इसका अंदाज़ा पहले से ही लगा लिया जाए तो यक़ीनन ग़लत ना होगा। देश में उच्च शिक्षा का क्या हाल है ये फ़ाइलों से ज्यादा छात्रों के पोस्टर से समझा जा सकता है।

ऐसे ही तमाम नारों के साथ दिल्ली यूनिवर्सिटी का कैंपस गूंज उठा, छात्र संगठन SFI और AISA ने DU में Four year Undergraduate Program ( FYUP) के विरोध समेत कई और मांगों के साथ रैली निकाली। जिसमें पहले साल के छात्रों के साथ ही दूसरे छात्रों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

क्या है मामला ?

साल 2022 में दिल्ली विश्वविद्यालय में NEP के तहत FYUP को लागू कर दिया गया है। जिसके तहत अब ग्रेजुएशन 4 साल का होगा जो कि पहले 3 साल का हुआ करता था। साथ ही Multiple entry/ exit की भी बात कही गई है जिसमें छात्र 4 साल के ग्रेजुएशन के समय कभी भी पढ़ाई छोड़ सकते हैं और उसी के हिसाब से उन्हें डिप्लोमा, डिग्री मिलेगी। इसको कुछ यूं समझें कि अब छात्र बिना रिसर्च के तीन साल का 'ऑनर्स कोर्स' या रिसर्च के साथ चार साल का 'ऑनर्स कोर्स' कर सकेंगे।

जितने साल पढ़ेंगे, उसी के हिसाब से डिग्री मिलेगी

कोई भी छात्र अगर अपने कोर्स का एक साल पूरा करता है तो उसे सर्टिफिकेट मिलेगा । कोई भी छात्र दो साल पढ़ाई करता है तो डिप्लोमा लेकर पढ़ाई छोड़ सकता है। अगर तीन साल करता है तो उसे ग्रेजुएशन की डिग्री मिलेगी। चार साल में ग्रेजुएशन ऑनर्स की डिग्री मिलेगी।

हालांकि बीच में ही शिक्षा छोड़कर जाने वाले छात्रों के पास तय समय सीमा के भीतर वापस लौटकर पढ़ाई को फिर से जारी रखने का भी ऑप्शन होगा। लेकिन इसपर छात्रों का कहना है कि एक बार पढ़ाई छोड़कर काम पर लग गए छात्रों के लिए वापस लौटना बहुत मुश्किल होता है।

विरोध कर रहे एक छात्र के मुताबिक़ FYUP एक छात्र विरोधी नीति है जिसे पहले भी ( 2013-16) लागू करने की कोशिश की गई थी लेकिन विरोध के बाद इसे वापस लेना पड़ा था।

VAC और SEC जैसे कोर्स पर सवाल

इसके अलावा SFI ने VAC (Value Addition Courses ) और SEC (Skill Enhancement Courses ) जैसे पेपर पर भी सवाल उठाए- उन्होंने कहा कि एक तरफ कोर पेपर का महत्व घटाया गया है, वहीं दूसरी तरफ कुछ नए पेपर की शुरुआत की गई है। VAC जैसे कोर्स में 'स्वच्छ भारत' और 'आयुर्वेद' जैसे पेपर पढ़ाए जाएंगे। और SEC में भी कुछ इसी तरह के पेपर पढ़ाए जाएंगे। ऐसे में छात्रों का कहना है कि

''हर कोर सब्जेक्ट में जो हमें ‘क्रेडिट स्कोर’ मिल रहा था वो बहुत कम हो गया है बहुत सारे ऐसे सब्जेक्ट को जोड़ दिया गया है जिसका हमारी ऑनर्स डिग्री से कोई लेना-देना नहीं है, ऐसे सिस्टम स्कूल के दिनों में तो ठीक रहता है जहां जनरल नॉलेज, वैल्यू एजुकेशन, पेंटिंग जैसे सब्जेक्ट पढ़ाए जाते हैं लेकिन जब हम कॉलेज में स्पेशलाइज स्टडी के लिए ऑनर्स डिग्री ले रहे हैं ऐसे में ये सब पढ़ाने का कोई मतलब नहीं है।''

और तो और SFI की तरफ़ से करवाए गए एक सर्वे में 69 फीसदी छात्रों ने बताया कि उनकी SEC और VAC की क्लास हुई ही नहीं है, वो कहते हैं कि बिना तैयारी किए FYUP को ले आया गया है और किसी को पता ही नहीं है कि करना क्या है?

'क्रेडिट स्कोर' का फंडा

FYUP में कोर पेपर के क्रेडिट स्कोर के कम हो जाने का भी आरोप लग रहा है, SFI ने कहा कि महज़ साल बढ़ रहे हैं शिक्षा घटेगी। वे कहते हैं कि इस नीति के तहत कोर पेपर से क्रेडिट पॉइंट को कम कर दिया गया है ( क्रेडिट का मतलब है कि एक पेपर को पढ़ाने के लिए प्रति सप्ताह कितने घंटो की ज़रूरत है, 1 क्रेडिट का मतलब होता है 1 घंटा प्रति सप्ताह) पहले कोर पेपर के 6 क्रेडिट पॉइंट होते थे अब उन क्रेडिट पॉइंट को घटाकर 4 कर दिया गया है। पहले जहाँ 3 साल की डिग्री में कुल कोर पेपर के लिए 108/148 क्रेडिट पॉइंट हुआ करते थे अब वहीं 4 साल की डिग्री में कुल 178 में से मात्र 88 क्रेडिट पॉइंट कोर पेपर के होंगे। इसका मतलब यह हुआ कि अब आप अपने विशेष विषय से कम पढ़ेंगे और बाकी 'जिनकी ज़रूरत कम है या नहीं है' वो ज़्यादा ।

AECC के विकल्पों में इंग्लिश को शामिल करना

प्रदर्शन कर रहे SFI ने मांग की कि Ability Enhancement compulsory Course( AECC) में इंग्लिश को शामिल किया जाए। बताया जा रहा है कि हर साल हिंदी और इंग्लिश दोनों ही विकल्प होते थे पर इस बार कई कॉलेज में इंग्लिश का विकल्प ग़ायब था। एक छात्र ने बताया कि

'' मैं आपको हिंदू कॉलेज का उदाहरण देता हूं हिंदू में इंग्लिश का ऑप्शन नहीं दिया जा रहा, वहां एक छात्र ने कहा कि मैं हिंदी में तो लिख नहीं पाऊंगा मुझे उड़िया पढ़ना है, तो उसे जवाब दिया गया हिंदू कॉलेज में तो उड़िया नहीं है आपको 20 किलोमीटर दूर जाना होगा उड़िया की क्लास लेने के लिए, और मलयालम के एक टीचर को रखा गया है जो केरल से ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं, तो या तो आप हिंदी पढ़ें या फिर परेशान होते रहें''

छात्रों के इस प्रदर्शन के बाद हुई पब्लिक मीटिंग में श्याम लाल कॉलेज के प्रोफ़ेसर जितेंद्र मीणा ने भी हिस्सा लिया और उन्होंने NEP के तहत लागू किए गए FYUP को बग़ैर सोचे समझ लागू करने का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि सेशन शुरू हुए दो से ढाई महीने होने जा रहा है लेकिन VAC और SEC जैसे कोर्स की क्लास नहीं हुई है।

साथ ही उन्होंने कहा कि ''सेलेबस सबसे अहम है, और वो सिर्फ़ फर्स्ट सेमेस्टर का पास हुआ है दूसरे से लेकर आठवें तक क्या पढ़ाया जाएगा कोई तय नहीं है''

वो आगे कहते हैं कि ''तो NEP के नाम पर जो सुधार किए जा रहे हैं वो पब्लिक फंडेड एजुकेशन को बर्बाद कर रहे हैं। ''

हो सकता है NEP के तहत जिस FYUP को लागू किया गया है वो थ्योरी में बेहतरीन दिखती हो लेकिन प्रैक्टिकल ग्राउंड पर तो छात्र उससे जूझते हुए नज़र आ रहे हैं। इस नीति पर तमाम सवाल हैं और ये भी साफ है कि इसे बिना तैयारी के लागू कर दिया गया है जिसकी वजह से छात्रों को बेजा परेशान होना पड़ रहा है।

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