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आज तो मूल्यांकन का दिन था, लेकिन तमाशे में बीत गया...

आज का दिन मूल्यांकन का दिन था कि हमने इन 40 दिनों की देशबंदी में क्या पाया, क्या खोया। कोरोना और भूख दोनों मोर्चों पर कितनी विजय पाई। कितना काम हो गया है, और कितना बाक़ी है।
कोरोना वायरस

आज तीन मई है, यानी दूसरे लॉकडाउन का आख़िरी दिन। आज का दिन भी तमाशे में गया, जबकि आज का दिन मूल्यांकन का दिन था कि हमने इन 40 दिनों की देशबंदी (पहले 21 और फिर 19 दिन का लॉकडाउन) में क्या पाया, क्या खोया। कोरोना और भूख दोनों मोर्चों पर कितनी विजय पाई। कितना काम हो गया है, और कितना बाक़ी है। या चुनौती वहीं की वहीं खड़ी है। और इन 40 दिनों में कौन सा राज्य इस चुनौती से कितने बेहतर ढंग से निपट पाया। इससे अंदाज़ा लगता कि आगे कितनी लंबी लड़ाई है और हम इस बीमारी या तालाबंदी से कितने दिनों में किस रास्ते से बाहर निकल पाएंगे।

मगर अफ़सोस आज भी हम फूल बरसाने और बैंड बजाने के दिखावटी सम्मान में उलझे हैं, जबकि कल चार मई से तालाबंदी का एक तीसरा दौर शुरू हो रहा है, जबकि डॉक्टरों से लेकर सभी स्वास्थ्य और आपदाकर्मी आज भी ज़रूरी सामान और सुविधाओं को तरस रहे हैं। जबिक आज भी पीपीई किट, एन-95 मास्क और वैंटिलेटर का सवाल वहीं खड़ा है, जहां पहले था। आज भी अच्छी और सस्ती टेस्ट किट की लाखों की संख्या में दरकार है। आज भी टेस्टिंग बढ़ाने की और ज़रूरत है, ताकि हम जान सकें कि संक्रमण की वास्तविक स्थिति क्या है और केवल संक्रमित व्यक्तियों को क्वारंटीन, आइसोलेशन या अस्पताल में भर्ती करने उचित उपचार की ज़रूरत हो, न कि पूरे देश को ताले में रखने की।

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सम्मान भी एक ज़रूरी चीज़ है, लेकिन इलाज और भोजन इससे भी बड़ी और पहली ज़रूरत है। सम्मान तभी अच्छा और सच्चा लगता है,  जब हम अपने लोगों की बुनियादी ज़रूरतों पर ध्यान देते हों। देश के तमाम हिस्सों से भूखे मज़दूरों के पैदल पलायन के मार्मिक दृश्य हम अभी भूले नहीं हैं। हम अभी भी देख रहे हैं कि राज्य अपने सभी नागरिकों को भोजन खिलाने में सक्षम नहीं हो पा रहा है। आज भी एक-एक राहत गाड़ी के आगे हज़ारों की भीड़ भोजन या राशन के इंतज़ार में खड़ी है।

यही नहीं आज जिन डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्टाफ का सम्मान किया जा रहा है वो भी सुरक्षा उपकरण न मिलने पर इस्तीफ़े तक देने को मजबूर हो रहे हैं। आशा कर्मी और सफ़ाईकर्मी भी जो कोरोना के योद्धा हैं वे भी सामान्य सुरक्षा उपकरण के अलावा आज भी न्यूनतम वेतन और नौकरी की सुरक्षा से महरूम हैं। और जो सेना आज सम्मान कर रही है उसके जवान भी बहुत सुरक्षित ज़ोन में नहीं हैं।

सेना का सम्मान करना और सेना से सम्मान पाना हमारे लिए दोहरे गर्व की बात होती है, लेकिन सेना और अर्द्धसैनिक बलों के जवान किन परिस्थितियों में देश की सेवा और रक्षा कर रहे हैं वो किसी से छिपा नहीं है। जवान स्तर पर उनके लिए अच्छे जूते और वर्दी तक उपलब्ध नहीं है। और इस कोरोना काल में भी उनके रहने की बेहतर सुविधा न होने की वजह से उनके कोरोना से संक्रमित होने की आशंकाएं हैं। आज ही ख़बर है कि दिल्ली में अर्द्धसैनिक बल सीआरपीएफ का मुख्यालय सील कर दिया गया है। यहां सीआरपीएफ के एक शीर्ष अधिकारी के निजी सचिव कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। यही नहीं सीआरपीएफ की 31वीं बटालियन के 134 जवान कोरोना संक्रमित मिले हैं। इसी तरह बीएसएफ के 17 जवान कोरोना संक्रमित पाए गए हैं।

यही वजह है कि आज का दिन इस मूल्यांकन का था कि हम कोरोना से जंग में किस जगह खड़े हैं।

दुनिया के स्तर पर देखें तो हम कई विकसित देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में हैं, लेकिन कई छोटे देशों की तुलना में ख़राब स्थिति में भी हैं।  world graph.png

देश के स्तर पर देखें तो कोई बहुत अच्छी ख़बर नहीं है। बल्कि चिंतित करने वाली ही ख़बर है कि 24 घंटों में कोरोना संक्रमण के अब तक के सबसे अधिक 2,644 नये मामले सामने आये और 83 लोगों की मौत हुई है। कल, 2 मई को हम 2,293 नये मामले सामने आने पर चिंतित थे कि ये सबसे ज़्यादा हैं। कल, 2 मई को 71 लोगों की मौत दर्ज की गई थी। पहली मई को भी यही स्थिति थी। पहली मई को 1,993 नये मामले हमारे सामने आए और 73 मौतें हुईं। इसी तरह अप्रैल में हम दिन ब दिन बढ़ते मामलों को लेकर चिंतित थे।

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आज स्वास्थ्य मंत्रालय ने आंकड़े जारी कर बताया कि कल, 2 मई सुबह 8 बजे से लेकर आज, 3 मई सुबह 8 बजे तक सबसे ज़्यादा कोरोना संक्रमण के 2,644 नये मामले सामने आये और 83 लोगों की मौत हुई है। साथ ही बीते दिन में कोरोना संक्रमण से पीड़ित 682 मरीज़ों को ठीक किया जा चुका है।

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इस तरह अब देश में कोरोना से संक्रमित मरीज़ों की कुल संख्या 39,980 हो गयी है, जिसमें से अभी तक 26.60 फ़ीसदी यानी 10,633 मरीज़ों को ठीक किया जा चुका है और कोरोना के संक्रमण से कुल 1,301 मरीज़ों की मौत हो चुकी है। इस तरह देश में अब कुल सक्रिय मामलो की संख्या बढ़ कर 28,046 हो गयी है।

हम कह सकते हैं कि नये केस की संख्या इसलिए बढ़ रही है क्योंकि टेस्ट भी बढ़ रहे हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा आज, 3 मई सुबह 9 बजे जारी आकड़ों के अनुसार अभी तक कुल 10,46,450 सैंपल की जांच की गयी है, जिनमें से 70,087 सैंपल की जांच बीते 24 घंटों में हुई है। इसी तरह 1 और 2 मई के बीच 24 घंटों में 73,709 सैंपल की जांच हुई थी।

लेकिन यही तो जानकारों का कहना है कि सही स्थिति जांचने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा टेस्ट की ज़रूरत है। कम टेस्ट करके हम अपने इलाके के ग्रीन ज़ोन में होने की खुशफहमी ज़्यादा समय तक नहीं पाल सकते। आंकड़े खुद बता रहे हैं कि जैसे-जैसे टेस्ट बढ़ रहे हैं, वैसे वैसे मरीज़ों की संख्या भी बढ़ रही है। सही स्थिति के लिए टेस्ट इसलिए भी ज़रूरी हैं क्योंकि आंकड़ों के मुताबिक इनमें से बड़ी संख्या में मरीज़ ‘ए सिंप्टोमेटिक’ हैं। ‘ए सिंप्टोमेटिक’ यानी ऐसे मरीज़ जिनमें बाहरी तौर पर रोग के लक्षण नहीं दिखते हैं। तो अब पहचान और आइसोलेशन का एक ही तरीका रह जाता है वो है टेस्ट।

इसी तरह आज का दिन ये जांचने का दिन है कि हमारे राज्य किस स्थिति में खड़े हैं। हर राज्य में कितने मरीज़ मिल रहे हैं, कितने ठीक हो रहे हैं और मृत्यु दर क्या है। इससे प्रत्येक राज्य के संकट और प्रयासों का पता चलता। अगर हम मोटे तौर पर मरीज़ों की संख्या के अनुपात में मौत की दर का आंकलन करें तो हमारे बड़े और विकसित कहे जाने वाले राज्यों की स्थिति गंभीर ही नज़र आती है।

आज 3 मई को कोरोना से मौत का राष्ट्रीय औसत 3.25 प्रतिशत है। हमारे चार बड़े राज्य इस औसत दर से भी आगे हैं। इनमें मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल हैं। अगर हम इस तरह टॉप-10 राज्यों को लिस्ट बनाएं तो काफी कुछ समझ में आता है। क्योंकि केवल मरीज़ों की संख्या से किसी राज्य के स्थिति नहीं पता चल सकती, बल्कि वहां की जनसंख्या के हिसाब से टेस्ट की संख्या, कुल मरीज़ों में से ठीक होने की दर यानी रिकवरी रेट और मृत्यु दर।

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कुल मरीजों की संख्या के अनुपात में मृत्यु दर के मामले में टॉप-10 राज्यों में हमारा ‘अजब-गज़ब’ मध्यप्रदेश सबसे आगे है। यहां कोरोना मरीज़ों की मृत्यु दर 5.31% है। यानी हर सौ मरीज़ों में से 5 से ज़्यादा लोगों की मौत। यह वही प्रदेश है जहां कोरोना अलर्ट के दिनों में भी सरकार गिराने और बनाने का खेल चल रहा था। आरोप है कि कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिराकर भाजपा के शिवराज की फिर सरकार बनवाने के लिए ही राष्ट्रीय लॉकडाउन की घोषणा में देरी की गई। वरना 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दिन ही कई राज्यों ने अपने यहां लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी। 23 मार्च को आनन-फानन में शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। और 24 को राष्ट्रीय लॉकडाउन की घोषणा हुई। शिवराज सिंह चौथी बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं यानी आप समझ सकते हैं कि पिछले 15 सालों से मध्यप्रदेश की सत्ता में बीजेपी और ‘मामा’ शिवराज ही काबिज़ हैं। बीच के 15 महीने कमलनाथ का शासन छोड़कर।

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Note: MH-Maharashtra, GJ -Gujarat, DL  -Delhi, MP  -Madhya Pradesh, RJ  -Rajasthan, TN  -Tamil Nadu, UP  -Uttar Pradesh, AP  -Andhra Pradesh, TS  -Telengana, WB  -West Bengal, PB  -Punjab.
*124 cases are being assigned to states for contact tracing
*States wise distribution is subject to further verification and reconciliation
 Source: Ministry of Health and Family Welfare  

अब देख लेते हैं कि मृत्यु दर में दूसरे नंबर पर कौन सा राज्य चिंता में डाल रहा है। तो वो है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का गृहराज्य गुजरात। जिसे ‘वाइब्रेंट गुजरात’ और ‘गुजरात मॉडल’ के नाम से प्रचारित किया जाता है। तो इस ‘गुजरात मॉडल’ में मृत्यु दर है 5.18%.

अब इसके बाद तीसरे नंबर पर महाराष्ट्र है। जहां अभी 5 महीने पहले ही सरकार बदली है और जिसकी कुर्सी पर आज भी भाजपा की नज़र है। इस महाराष्ट्र में है मुंबई जिसे देश की आर्थिक राजधानी कहा जाता है। यहां ही सबसे ज़्यादा केस मिल रहे हैं। महाराष्ट्र में मृत्यु दर 4.24% है।

इसके बाद राष्ट्रीय औसत से ऊपर पश्चिम बंगाल है। जहां दीदी ममता का राज है। और जहां इस कोरोना काल में भी चुनावी राजनीति तेज़ है, क्योंकि वहां जल्दी ही चुनाव होने वाले हैं।

आप इस ग्राफिक्स के जरिये टॉप 11 प्रदेश देश सकते हैं कि वहां कोरोना से मरने वालों की दर क्या है। इससे एक मोटा अंदाज़ा लग सकता है कि कौन राज्य किस संज़ीदगी से कोरोना से लड़ रहा है, संक्रमित लोगों की पहचान कर उन्हें इलाज मुहैया करा पा रहा है।

इस लिस्ट के हिसाब से इसे अच्छा ही कहा जाएगा कि अभी देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश बेहतर स्थिति में है। यहां मृत्यु दर प्रति सौ लोगों पर 1.73 फीसदी है। और देश की राजधानी भी इसी तरह ठीक ही स्थिति में है। दिल्ली में मृत्यु दर 1.55 फीसदी है।

लेकिन कोरोना से जंग के मामले में जिस राज्य की तारीफ़ करनी होगी वो है केरल। इस मामले में केरल मॉडल की सभी चर्चा कर रहे हैं। कोरोना का सबसे पहला केस भी यहां ही आया था, लेकिन उसके बाद जिस तरह केरल ने कोरोना से लड़ाई लड़ी वो देखने लायक है। आज, 3 मई, सुबह के आंकड़ों के मुताबिक केरल में कुल कोरोना संक्रमण के मामले 499 हैं, जिनमें से 400 ठीक हो चुके है और अभी तक केवल 4 लोगों की मृत्यु हुई है। इस तरह केरल में कुल मृत्यु दर 0.80% है। और ये हासिल हुआ बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली, स्थानीय निकाय स्तर तक पुख़्ता व्यवस्था और आम लोगों की जागरूकता की वजह से। आपको मालूम होना चाहिए की केरल की साक्षरता दर देश में सबसे ज़्यादा 93.91 प्रतिशत है। और यह सब कोई एक दिन में भी नहीं हुआ ये जागरूकता और संवेदनशीलता और पुख़्ता सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली वहां बरसों-बरस की मेहनत और प्रैक्टिस का नतीजा है।

(सभी आंकड़े और ग्राफिक्स पीयूष शर्मा और पुलकित कुमार शर्मा के सहयोग से)

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