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अस्पतालों में भर्ती में बढ़ोतरी, लेकिन ओमिक्रॉन वेरिएंट से मृत्यु की संभावना कम : के श्रीनाथ रेड्डी

प्रख्यात चिकित्सा विशेषज्ञ के श्रीनाथ रेड्डी का कहना है कि सब-यूनिट प्रोटीन टीके, किसी भी प्रकार के प्रतिकूल प्रभाव से नहीं जुड़े हैं। उन्हें यह भी लगता है कि चीन में कोविड से होने वाली मौतों की जो संख्या पश्चिमी मीडिया बता रहा है, उसकी कोई संभावना नहीं है।
Omicron

कोविड महामारी के चौथे वर्ष में, सार्स-कॉवी-2 वायरस का ओमिक्रॉन वेरिएंट, जो कोविड-19 रोग का कारण बनता है, अभी भी दुनिया भर में अस्थिर स्वास्थ्य प्रणालियों के सामने चुनौतियां पेश कर रहा है। रश्मि सहगल ने इन चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रतिष्ठित प्रोफेसर डॉ॰ के श्रीनाथ रेड्डी के साथ बात की, और जानना चाहा कि क्या हमारे पास मौजूद टीके अभी भी संक्रमण की चपेट में आने वाले लोगों में गंभीर बीमारी को रोक सकते हैं। पेश हैं संपादित अंश :

रश्मि : सब-यूनिट प्रोटीन वैक्सीन क्या है और क्या यह कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली वैक्सीन तकनीक की सफलता है? क्‍या आप सबयूनिट वैक्‍सीन कोवोवेक्स और कॉर्बेवैक्स के विकास के बारे में बता सकते हैं?

रेड्डी : सबयूनिट प्रोटीन टीके कोविड-19 के खिलाफ इस लड़ाई में बाद में सामने आए हैं, हालांकि इस किस्म के टीके वर्षों से जानकारी में हैं। उदाहरण के लिए, हेपेटाइटिस बी और ई के खिलाफ इस्तेमाल किए जाने वाले टीके इस प्रकार के होते हैं। कोविड-19 में, एमआरएनए (mRNA) के टीके नए हैं। वे, वायरस वेक्टर टीकों के साथ, वर्तमान महामारी में बड़े पैमाने पर काम कर रहे हैं।

कॉर्बेवैक्स का उत्पादन हैदराबाद स्थित वैक्सीन निर्माता बायोलॉजिकल ई. और संयुक्त राज्य अमेरिका में बेयलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन से जुड़े ह्यूस्टन स्थित वैज्ञानिकों के बीच साझेदारी के माध्यम से किया जा रहा है। कोवोवैक्स (Covovax) का उत्पादन सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा किया जा रहा है, जो नोवावैक्स (Novavax) कंपनी द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका में विकसित एक वैक्सीन के भारतीय संस्करण के रूप में है। ये दोनों टीके 2021 में ईजाद किए गए हैं।

रश्मि : इन सब-यूनिट टीकों का परीक्षण कितने बड़े पैमाने पर किया गया है, ये कैसे काम करते हैं और इनके दुष्प्रभावों के बारे में क्या स्थिति है?

रेड्डी : संयुक्त राज्य अमेरिका में नोवावैक्स वैक्सीन का प्लेसबो नियंत्रित क्लिनिकल परीक्षण हुआ और सार्स-सीओवी-2 वायरस के पुराने संस्करणों के खिलाफ वयस्कों में 90 प्रतिशत और किशोरों में 80 प्रतिशत प्रभावशीलता की सूचना मिली थी। यह कोविड-19 के लक्षणों के खिलाफ था। कॉर्बेवैक्स ने वायरस के वुहान, डेल्टा और बीटा स्ट्रेन के खिलाफ विकसित तटस्थ एंटीबॉडी के प्रभाव को प्रदर्शित करने के लिए प्रतिरक्षात्मक प्रतिक्रिया का अध्ययन किया था। इनके आधार पर, वैक्सीन की 90 प्रतिशत प्रभावशीलता बताई गई थी।

सब-यूनिट प्रोटीन टीके मानव शरीर में संपूर्ण वायरस प्रस्तुत नहीं करते हैं। एमआरएनए टीकों के विपरीत, वे स्पाइक प्रोटीन का उत्पादन करने के लिए शरीर की आनुवंशिक मशीनरी का इस्तेमाल नहीं करते हैं। वे वायरस वेक्टर टीकों के विपरीत स्पाइक प्रोटीन देने के लिए वाहक वायरस का इस्तेमाल नहीं करते हैं। इसलिए, वे प्रतिकूल प्रतिक्रिया उत्पन्न करने की बहुत कम संभावना रखते हैं। एमआरएनए (mRNA) के टीके मायोकार्डिटिस (हृदय की मांसपेशियों की सूजन) के कुछ मामलों से जुड़े हुए हैं, विशेष रूप से उन पुरुषों में जिन्हें ये टीके मिले हैं। वायरस वेक्टर टीके नसों और धमनियों में थ्रोम्बोसिस (रक्त के थक्के बनने) की जटिलता से जुड़े हुए हैं। सब-यूनिट प्रोटीन टीके किसी भी प्रकार के प्रतिकूल प्रभाव से नहीं जुड़े हैं।

रश्मि : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की मंज़ूरी की तुलना में कॉर्बेवैक्स और कोवोवैक्स की क्या स्थिति है?

रेड्डी : नोवावैक्स को डब्ल्यूएचओ की मंज़ूरी मिल गई है। यह कोवोवैक्स पर भी लागू होता है। कॉर्बेवैक्स डेटा जमा करने के बाद डब्ल्यूएचओ की मंज़ूरी का इंतज़ार कर रहा है। चूंकि टीके के परीक्षण में रोग संबंधी परिणामों के बजाय टीके की प्रभावशीलता का आंकलन करने के लिए सुरक्षा के प्रतिरक्षात्मक सहसंबंधों का उपयोग किया गया था, इसलिए प्रभावशीलता के मूल्यांकन के मानदंड भी अलग होंगे।

रश्मि : क्या ये टीके बच्चों के लिए सुरक्षित हैं?

रेड्डी : उस प्लेटफॉर्म की सुरक्षा के पिछले रिकॉर्ड के आधार पर सब-यूनिट प्रोटीन टीके बच्चों के लिए सुरक्षित माने जाते हैं। भारत में किए गए अध्ययनों से भी चिंताजनक प्रतिकूल प्रभावों की कोई सूचना नही मिली है।

रश्मि : जो लोग पहले से ही बूस्टर शॉट ले चुके हैं, क्या उन्हें सब-यूनिट प्रोटीन वैक्सीन लेने के लिए तैयार रहना चाहिए?

रेड्डी : टीके की तीन खुराक लेने वाले लोगों के लिए चौथी खुराक लेना ज़रूरी नहीं है, खासतौर पर अगर उन्होंने प्राकृतिक संक्रमण और टीकों के पूरे कोर्स के ज़रिये 'हाइब्रिड इम्युनिटी' भी हासिल कर ली है। हालांकि, प्रतिरक्षा में कमी वाले या बहुत बुज़ुर्ग व्यक्तियों में इम्युनिटी बूस्टर की आवश्यकता हो सकती है, जिनकी पिछले टीकाकरण के बाद से कई महीनों के अंतराल के कारण इम्युनिटी कम हो रही है।

रश्मि : कर्नाटक और केरल में कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। क्या हम देश भर में समान रूप से उछाल देख सकते हैं?

रेड्डी : हालिया ओमिक्रॉन वेरिएंट बहुत ही ट्रांसमिसिबल हैं। अगर लोग देश भर में घूमते हैं, तो वायरस उनके साथ यात्रा करेगा। संक्रमण बढ़ सकता है। हालांकि, आबादी में व्यापक हाइब्रिड इम्युनिटी की पृष्ठभूमि को देखते हुए, गंभीर संक्रमणों, अस्पताल में भर्ती होने और मौतों की संभावना कम है, जब तक कि ओमिक्रॉन अधिक हानिकारक वेरियंट तैयार नहीं करता है।

रश्मि : चीन में कोविड-19 मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है और कुछ पश्चिमी एपीडिमियोलॉजिस्ट्स(महामारी विज्ञानियों) का कहना है कि मौतें दो मिलियन को पार कर सकती हैं। क्या वहां की स्थिति इतनी विकट है?

रेड्डी : पश्चिमी मीडिया के अनुमान कभी सही नहीं हो सकते हैं। वर्तमान लहर डेल्टा नहीं, ओमिक्रॉन के कारण हो रही है। चीनी टीकों ने कुछ इम्युनिटी ज़रूर प्रदान की है। सबसे कमज़ोर तबका बुजुर्ग हैं, जिन्हे कम टीके लगे हैं। उन्हें टीका लगाने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि चीन में निस्संदेह संक्रमण बढ़ेगा, लेकिन मौतों में भारी संख्या आने की संभावना नहीं है जिसकी पश्चिमी मीडिया द्वारा भविष्यवाणी की जा रही है। छोटे व सघन हांगकांग के अनुभव को पूरे चीन पर थोपा नहीं जा सकता है, जो बहुत बड़ा देश है और अपने प्रांतों में अधिक भिन्न है।

रश्मि : क्या यह धारणा सही है कि चीनी टीके इतने प्रभावी नहीं हैं?

रेड्डी : जब कोविड-19 का रोग, एक नए वायरस के माध्यम से आया, तो इसका कोई पूर्व अनुभव नहीं था कि इसके खिलाफ टीके कितने प्रभावी होंगे। इसलिए, प्लेसबो-नियंत्रित परीक्षणों में क्लिनिकली रूप से प्रकट होने वाले कोविड-19 रोग को रोकने में 50 प्रतिशत की प्रभावशीलता की दर तय की गई थी। उस निशान को पार करने वाले चीनी टीकों को मंजूरी मिल गई। अन्य टीकों ने 80 प्रतिशत या 90 प्रतिशत से अधिक की उच्च प्रभावशीलता दर दिखाई थी।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल खबर को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें :

Spike in Hospitalisation, Deaths Unlikely With Omicron Variants: K Srinath Reddy

 

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