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"क्या ख़ता है मेरी?" उमर ख़ालिद का गिरफ़्तारी से ठीक पहले का वीडियो

रविवार को दिल्ली दंगों के मामले में गिरफ़्तार हुए जेएनयू के पूर्व छात्र उमर ख़ालिद का उनकी गिरफ़्तारी से ठीक पहले का एक वीडियो जारी किया गया है। इस वीडियो में उमर जनता से अपील कर रहे हैं कि 'डरिये मत, हर ज़ुल्म के ख़िलाफ़ बोलिये।'
उमर ख़ालिद

"अगर आप इस वीडियो को देख रहे हैं, इसका मतलब है कि मुझे गिरफ़्तार कर लिया गया है..."

फ़रवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के मामले में रविवार देर रात को गिरफ़्तार किये गए जेएनयू के पूर्व छात्र उमर ख़ालिद का गिरफ़्तारी से ठीक पहले का वीडियो जारी किया गया है। यह वीडियो बुधवार को दिल्ली में हुई एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में जारी किया गया जिसमें बहुत सारे सामाजिक कार्यकर्ता एवं शिक्षाविद मौजूद थे। उमर इस वीडियो में कह रहे हैं, "मैं इस वीडियो के ज़रिये आपको एक सन्देश देना चाहता हूँ।"

दिल्ली दंगों के मामले में दिल्ली पुलिस ने बुधवार को ही एक चार्जशीट दायर की है जिसमें विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों, शिक्षकों, राजनेताओं को नामज़द किया गया है। ग़ौर करने वाली बात यह है कि इसमें भारतीय जनता पार्टी के उन नेताओं, जैसे कपिल मिश्रा या अनुराग ठाकुर का नाम नहीं है, जिन्होंने दंगों से पहले और उसके दौरान टीवी पर भड़काऊ भाषण दिए थे।

दिल्ली पुलिस की इसी सवालिया भूमिका पर सवाल करते हुए वीडियो में उमर कह रहे हैं, "दिल्ली दंगों की इस कार्रवाई में दिल्ली पुलिस उन्हें नहीं गिरफ़्तार कर रही है जिन्होंने दंगा भड़काया, पुलिस के सामने भड़काया, टीवी कैमरा के सामने भड़काया और जिसे हम सबने देखा। उन पर एफ़आईआर तो दूर की बात, उनसे एक बार पूछताछ तक नहीं की गई।"

देखें वीडियो:

उमर आगे कहते हैं कि दिल्ली पुलिस उन लोगों को झूठे आरोपों में फँसा रही है जो मौजूदा सरकार ख़ास तौर पर सीएए क़ानून का विरोध कर रहे थे। उमर का कहना है कि पुलिस के पास उनके ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं हैं।

उमर का इशारा शायद डॉ कफ़ील ख़ान जैसे लोगों की तरफ़ है, जिन्हें पुलिस ने एक भाषण की वजह से 7 महीने से ज़्यादा जेल में रखा और अंत में उनकी रिहाई हो गई। कफ़ील ख़ान के भाषण के बारे में कोर्ट ने कहा कि इसमें दंगे भड़काने की बात नहीं, बल्कि एकता की बात की गई है।

उमर पर दंगे भड़काने का पहला इल्ज़ाम तब लगा था जब बीजेपी आईटी सेल के मुखिया अमित मालवीय ने उनके 17 मिनट के भाषण का 30 सेकंड का हिस्सा चला दिया था, और कहा था कि वो लोगों को सड़कों पर उतर के दंगा भड़काने के लिए उकसा रहे हैं। जबकि पूरे 17 मिनट के वीडियो में उमर ने कहीं भी दंगा भड़काने की बात नहीं की थी, बल्कि उन्होंने यह कहा था कि लोग सड़कों पर उतरें और शान्ति और प्यार से अपना विरोध दर्ज करवाएं।

जिस भाषण की वजह से उमर गिरफ़्तार हुए हैं, आप भी सुनें कि उसमें उनका क्या कहना है :

(यह वीडियो द प्रिंट की वेबसाइट से साभार लिया गया है।)

अंत में उमर यह सवाल करते हैं, "क्या ख़ता है मेरी? क्या यह ख़ता है मेरी जो मैं यह बोलता हूँ कि यह देश जितना आपका है उतना मेरा भी है?"

उमर ने अपने वीडियो में जो सवाल किये हैं उनके बारे में सोचे जाने की ज़रूरत है। और कहीं न कहीं अब यह ज़िम्मेदारी सरकार की और ख़ुद दिल्ली पुलिस की बन गई है, कि वह ख़ुद पर लग रहे इल्ज़ामात के जवाब दे और अपना रुख भी स्पष्ट करे।

वीडियो के अंत में उमर ने जनता से अपील की है कि वह ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाये।

उमर ने कहा है, "वह आपको डराना चाहते हैं। आप डरिये मत, नाइंसाफ़ी के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद कीजिये। जिन लोगों को झूठे मुक़दमों में फँसाया जा रहा है, उन लोगों की रिहाई की मांग कीजिये। हर ज़ुल्म के ख़िलाफ़ बोलिये।"

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