अर्जेंटीना में भूख से निपटने में मदद करते सामुदायिक संगठन, उनकी हमदर्दी और एकजुटता
जब हम इस महामारी से उबरेंगे, तब यह दुनिया कैसी होगी? क्या हमारे पास पहले से कहीं ज़्यादा साफ़-सुथरी और एक दूसरे का ख़्याल रखने वाली दुनिया होगी? ये कुछ ऐसे सवाल थे, जो विश्लेषकों, राजनेताओं, पत्रकारों और समाज ने इस वैश्विक महामारी की शुरुआत में ख़ुद से पूछे थे।
उम्मीद थी कि यह स्वास्थ्य संकट एक कहीं ज़्यादा न्यायसंगत दुनिया के लिए एक इंजन बन जायेगा और जैसे-जैसे महामारी बढ़ी ताक़त के साथ आगे बढ़ती गयी, वैसे-वैसे सबका ख़्याल रखने वाले ये सबक़ फ़ीके पड़ते चले गये। जैसे-जैसे महामारी तेज़ होती गयी, वैसे-वैसे दुनिया भर की ज़्यादतर सरकारों ने 'हम सब एक साथ इस संकट से बेहतर तरीक़े से बाहर निकल आयेंगे' के बजाय 'हर आदमी अपने ख़ुद का ख़्याल रखे' के दर्शन को अपना लिया। इन दोनों के बीच जो खाई पैदा हुई, उसे सामाजिक आंदोलनों को भरना पड़ा।
डेढ़ साल से ज़्यादा समय के अलगाव के बाद सबूत तो यही बताते हैं कि दुनिया नहीं बदली है। महामारी ने पहले से मौजूद सामाजिक ग़ैर-बराबरी को गहरा कर दिया है और फ़ायदा उठाने वाले भी वही रहे हैं, जो हमेशा से फ़ायदा उठाते रहे हैं।
2020 में अरबपतियों ने अपनी संपत्ति में 5 ट्रिलियन डॉलर और जोड़े और उनकी संख्या में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी हुई। OXFAM की ओर से जनवरी 2020 में प्रकाशित डेटा से पता चलता है कि सबसे अमीर 1% प्रतिशत (तक़रीबन 2,150 लोगों) के पास दुनिया की 60% आबादी (तक़रीबन 4 अरब 60 करोड़ लोगों) से ज़्यादा संपत्ति थी।
दुनिया और ख़ास तौर पर लैटिन अमेरिका में ग़ैर-बराबरी के साथ-साथ ग़रीबी में भी बढ़ोत्तरी हुई। जून, 2021 में प्रकाशित द वर्ल्ड के डेटा से संकेत मिलता है कि 2020 में अतिरिक्त 9 करोड़ 70 लाख लोगों को ग़रीबी के हवाले कर दिया गया।
अर्जेंटीना पीछे की ओर
अर्जेंटीना में मार्च 2021 के आख़िर में INDEC की तरफ़ से जारी किया गया डेटा तो इस लिहाज़ से निर्णायक है। 42% आबादी ग़रीबी रेखा (2019 की दूसरी छमाही के मुकाबले एक अंक ज़्यादा) से नीचे रह रही है और 10.5% आबादी बेहद ग़रीबी में है (इसी अवधि के लिहाज़ से दो अंक ज़्यादा)। बेहद ग़रीबी में रहने वालों के लिए एक गंभीर कारक, औसत पारिवारिक आय और बुनियादी खाद्य पदार्थ की क़ीमत के बीच का अंतर है। बेक़ाबू मुद्रास्फीति के चलते यह अंतर लगातार बढ़ता ही जा रहा है। दूसरे शब्दों में, जो लोग बेहद ग़रीबी रेखा से नीचे हैं, वे ग़रीब से ग़रीबतर होते जा रहे हैं। इससे यह पता चलता है कि महामारी ने उन लोगों को बुनियादी तौर पर प्रभावित किया है, जिनके पास सबसे कम संसाधन है और जिन्होंने इस सामाजिक ग़ैर-बराबरी को और गहरा किया है।
इस संकट से सबसे ज़्यादा प्रभावित लोगों में नौजवान हैं, तक़रीबन 80 लाख 30 हज़ार लड़कियां और लड़के पैसों के अभाव की वजह से होने वाली ग़रीरी में जी रहे हैं, ये बच्चों और किशोरों की कुल आबादी का 62.9% हैं। और 20 लाख 40 हज़ार बेहद ग़रीबी में हैं।
लुजान स्थित विला डेल पार्के में जनसंगठनों की ओर से आयोजित बाल दिवस। फ़ोटो: विक्टोरिया नॉर्देनस्ताहली
इस सिलसिले में राष्ट्रीय सरकार ने सामाजिक विकास मंत्रालय के ज़रिये समाज के सबसे संकटग्रस्त इलाक़ों में रहने वालों का समर्थन करने के लिए "अर्जेंटीना अगेंस्ट हंगर" कार्यक्रम शुरू किया। 2020 में तक़रीबन 1,33,234 मिलियन पेसो का निवेश किया गया, जो पिछले साल के मुक़ाबले 451% ज़्यादा है।
काउंसिल एगेंस्ट हंगर का पहला क़दम एलिमेंटर कार्ड था, जिसके ज़रिये पूरे देश में तक़रीबन 95 मिलियन पेसो का निवेश किया गया था। 20 अगस्त तक कुल 38,85,067 लोगों को इस कार्ड के ज़रिये फ़ायदा पहुंचाया गया, जिसमें 14 साल से कम उम्र के बच्चों वाले 37,64,278 परिवार शामिल थे, विकलांग बच्चों वाले 48,820 परिवार और 71,969 महिलायें शामिल थीं, जो गर्भवती हैं।
इस कार्यक्रम से फ़ायदा उठाने वालों को निम्नलिखित राशियां मिलती हैं- 6,000 पेसो प्रति माह उन लोगों को मिलते हैं, जिनके पास एक बच्चा है, 9,000 पेसो दो बच्चों वाले लोगों को मिलते हैं, और 12,000 पेसो उन लोगों को मिलते हैं, जिनके तीन या इससे ज़्यादा बच्चे हैं। इस कार्यक्रम के हिस्से के रूप में उन कैंटीन और सामुदायिक रसोई के लिए भी धन आवंटित किया गया था, जो कमज़ोर परिवारों और समुदायों को भोजन मुहैया कराते हैं।
अर्जेंटीना सरकार की एक और पहल बड़ी-बड़ी संपत्तियों पर ग़ैर-मामूली कर लगाना था। इस कार्यक्रम के निशाने पर वे करदाता थे, जिनके पास 200 मिलियन पेसो से ज़्यादा की घोषित आय थी। अप्रैल के अंत तक इस तबके के क़रीब 80% लोगों ने पहले ही इस कर का भुगतान कर दिया था और सरकार ने चिकित्सा उपकरण, एसएमई के लिए सब्सिडी, छात्र छात्रवृत्ति और अभाव ग्रस्त इलाक़ों में आवास कार्यक्रमों के लिए 223 बिलियन पेसो एकत्र कर लिये थे। 2,000 या उससे ज़्यादा जिन लोगों ने भुगतान नहीं किया था, उनमें से कुछ लोगों ने इस क़दम को अवैध और असंवैधानिक बताते हुए मुकदमा दायर कर दिया था।
एकजुटता और संगठन: खाद्य सहायता कार्यक्रम के स्तंभ
चार साल की नवउदारवादी नीतियों और महामारी के कारण लगे प्रतिबंध के असर ने कई लोगों को अनौपचारिक काम करने से रोक दिया। ज़्यादातर लोग अपने पेट भरने में असमर्थ हो गये और इस वजह से खाद्य असुरक्षा से पीड़ित जनसंख्या में वृद्धि हुई। इस मुद्दे पर एकजुटता की भावना से प्रेरित सामाजिक और सामुदायिक संगठन लोगों के सामने आने वाली इन समस्याओं को दुरुस्त करने को लेकर सरकार के साथ समन्वय करने की दिशा में आगे आये।
लुजान में सीटीडी-एनीबल वेरोन के साथ आयोजित पार्के लासा कम्युनिटी किचन में खाना बनाती एक महिला। फ़ोटो: फ़ैसुंडो फ़ेलिस
पार्क लासा, लुजान शहर का एक पड़ोसी इलाक़ा है, जो ब्यूनस आयर्स के आबादी वाले प्रांत के पश्चिम में स्थित 1,20,000 लोगों वाली एक नगर पालिका है। यह एक ऐसा इलाक़ा है, जिसे ऐतिहासिक रूप से सरकार ने भुला दिया है।
क्वारंटाइन के सबसे गंभीर चरण के दौरान आर्थिक संकट से सबसे ज़्यादा प्रभावित परिवारों की सहायता के लिए सोमवार से शुक्रवार तक इस इलाक़े के सोसिदाद डी फोमेंटो (एक गैर-लाभकारी, क्षेत्रीय संगठन, जो यहां के समुदाय की सहायता के लिए काम करता है) में 200 से ज़्यादा लोगों के भोजन तैयार किये जाते थे।
कॉर्डिनाडारो डी ट्राबाजाडोर्स, यानी सीटीडी एनिबल वेरॉन (बेरोज़गार श्रमिकों का आंदोलन-एनिबल वेरॉन) के जुआन एकोटो याद करते हैं कि जब क्वारंटाइन जैसे क़दम उठाने का ऐलान किया गया था, तो इस संगठन ने किस तरह नगरपालिका अधिकारियों की मदद करने की पेशकश की थी। "जहां प्राथमिक तौर पर क्वारंटाइन के उपायों का पालन करना था, वहीं हम जानते थे कि हर रोज़ कमाने-खाने वाले लोगों के वजूद वाली इस अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ने वाला था।"
लुजान के इस पूरे इलाक़े में संचालित विभिन्न खाद्य सहायता स्थानों में 9,000 से ज़्यादा परिवारों और 35,000 से ज़्यादा की अनुमानित आबादी को मासिक आधार पर सहायता मुहैया करायी गयी थी।
लुजान स्थित सामुदायिक रसोई में भोजन वितरण। फ़ोटो: विक्टोरिया नॉर्देनस्ताहली
नगरपालिका ने उन सामाजिक संगठनों के साथ तालमेल बैठाया, जो उन इलाक़ों में सूप रसोई को बढ़ावा देते थे। सूप किचन और स्नैक बार के ज़रिये 6,500 लोगों के बराबर वाले 1,600 परिवारों की मदद की गयी।
जुआन ने बताया कि ह्यूमन डेवलपमेंट एरिया और फ़ूड इमर्जेंसी कमेटी ने सहायता के इंतज़ाम को व्यवस्थित करने के लिए बैठक बुलायी। उन्होंने सामाजिक संगठनों के साथ काम करने के लिए उस इलाक़े में रहने वाले समूहों की एक श्रृंखला स्थापित की।
"यह संगठन पार्क लासा में सालों से सामुदायिक रसोई का संचालन करता रहा था।" उन्होंने आगे बताया, "हमने इस जगह को उपलब्ध कराया और फिर हमने सोसीदाद डी फोमेंटो और सेंट्रो डी एटेन्सियन प्रिमारिया डी सालुद (प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र) के साथ मिलकर काम करना शुरू कर दिया। इस तरह, पार्क लासा, अमेरिकानो, बैरियो यूनिवर्सिदाद और ईआई त्रेबोल की उप-कमांड का गठन किया गया था।"
सीटीडी के नेता-एनिबल वेरॉन ने जिन विचारों को रेखांकित किया, वे हैं- एकजुटता और संगठन। “जब इस स्थिति का सामना करना पड़ा, तो हमारे समुदाय में बहुत ज़्यादा एकजुटता थी और यह एकजुटता इस समय भी है। हम इन इलाक़ों के साथियों के बारे में जानते हैं, जो ऐसे ग़रीब इलाक़ों में पसरी भूख की चुनौती का सामना करने के लिए दिन-ब-दिन अपना सब कुछ दे देते हैं।”
इस भावना को आवाज़ देने वाले इसी समुदाय के साथ रहने वाले इलियास सोसा थे, जिन्होंने उस सोसिदाद डी फ़ोमेंटो से संपर्क किया, जिसकी दिलचस्पी सामुदायिक रसोई में स्वेच्छा से अपनी सेवा देने में थी। उन्होंने कहा, “ये हालात तब होते हैं, जब एकजुटता और सामाजिक प्रतिबद्धता दिखायी देती है।” उन्होंने आगे कहा कि समुदाय के लोग महामारी और आइसोलेशन के उपायों से सबसे ज़्यादा प्रभावित थे। उन्होंने बताया, "हालांकि, हम सभी इस समय भी अलग-अलग तरीक़ों से इससे दो-चार हैं, लेकिन, मुझे लगता है कि जिस चीज़ ने हमें एकजुट किया, वह हमदर्दी थी।"
लुजान में सीटीडी-एनिबल विरॉन के साथ आयोजित पार्क लासा सामुदायिक रसोई में परोसा जा रहा भोजन। फ़ोटो: फ़ैसुंडो फ़ेलिस
उन्होंने उम्मीद जतायी कि इस समय का इस्तेमाल सरकार और अलग-अलग सामाजिक, उग्रवादी और इलाक़ाई संगठनों की तरफ़ से एक साथ काम करने और लोगों की समस्याओं को दूर करने में प्रभावी रूप से योगदान करने के लिए किया जायेगा।
पूरे अर्जेंटीना में कई समुदायों ने यह महसूस किया कि उन्हें हालात के हवाले कर दिया गया है, इससे सरकार को लगा कि देश की संरचनात्मक समस्याओं का सामना करने के उपायों को लागू करने की तत्काल ज़रूरत है। सामाजिक संगठनों और इलाक़ाई समूहों की एकजुटता ही उन प्रेरक शक्तियों में से एक थी, जिसने अलग-थलग कर दिये गये लोगों के लिए ज़िंदा रहना मुमकिन बना दिया।
महामारी ख़त्म का होना अब भी दूर की कौड़ी ही है, टीकाकरण की रफ़्तार बेहद धीमी है और सत्ता के भूखे एक बेशर्म राजनीतिक विपक्ष का तेज़ी से कट्टरपंथी होते जाना भी दिखायी पड़ता है, इन तमाम बातों से साफ़ हो जाता है कि बहुत सारे लोगों को त्रस्त कर देने वाली इस भूख को मिटाना इस समय की मांग है। यह अकेली ऐसी चीज़ है, जो शिक्षा और विकास जैसे दूसरे दबाव वाले उन मसलों के हल किये जाने के रास्ते में आगे बढ़ बढ़ पाने को संभव बना देगी, जो आख़िरकार अर्जेंटीना के पुरुषों और महिलाओं को वह सम्मान वापस लौटा सकता है, जिसे सालों से लागू किये जा रहे प्रचंड नवउदारवाद ने उनसे छीन लिया है।
एआरजी मेडिओस, ब्रासील डे फ़ाटो, ब्रेकथ्रू न्यूज़, मदार, न्यू फ़्रेम, न्यूजक्लिक और पीपल्स डिस्पैच के आपसी सहयोग से “हंगर इन द वर्ल्ड” नाम से प्रस्तुत की जा रही एक श्रृंखला है।
अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें
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