अंकिता भंडारी हत्याकांड : क्या सरकारी वकील की आरोपियों से है मिलीभगत?, जानें परिवार ने क्या कहा
उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले में शासन-प्रशासन की भूमिका शुरू से ही सवालों के घेरे में रही है। अब एक बार फिर अंकिता के पिता वीरेंद्र भंडारी ने सरकार की ओर से पैरवी कर रहे विशेष लोक अभियोजक (public prosecutor) पर केस को कमजोर करने का आरोप लगाया है। अंकिता के पिता ने सरकारी वकील जितेंद्र रावत की मंशा पर सवाल उठाते हुए उन्हें केस से हटाने की मांग की है। साथ ही डीएम को पत्र लिखकर बुधवार 7 जून तक का अल्टीमेटम भी दिया है। अगर इसके बाद भी वकील के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती तो वो ग्रामीणों के साथ गुरुवार, 8 जून को डीएम ऑफिस पर धरना देंगे।
अंकिता की मां सोनी देवी और पिता वीरेंद्र भंडारी ने न्यूज़क्लिक से फोन पर खास बातचीत में अपना दर्द और बेटी के लिए न्याय के संघर्ष को लेकर कई बातें कहीं। ये बातें गम में डूबे उस परिवार की हैं, जिसने अपनी बेटी को खोने के साथ ही अपना सबकुछ खो दिया। भंडारी दंपति इस वक्त मानसिक और आर्थिक परेशानी से दो-चार हो रहे हैं। इस न्याय की लड़ाई में हर दिन वो टूट कर भी दोबारा अपनी लाडली के लिए खड़े हो रहे हैं।
सोनी देवी लगभग रोते हुए कहती हैं, “हमारी बेटी ही हमारे लिए सब कुछ थी, उसके जाने के बाद वैसे भी घर में कुछ नहीं बचा। लेकिन अभी उसके लिए न्याय की उम्मीद जरूर है हमारे पास, जो हम किसी भी हालात में टूटने नहीं देंगे। हम लोग बहुत छोटे लोग हैं और अपराधी बहुत बड़े। फिर भी हम पीछे नहीं हटेंगे इस लड़ाई में, फिर चाहें हमें कितना ही संघर्ष क्यों न करना पड़े। क्योंकि हम नहीं चाहते जो हमारे साथ हुआ, वो किसी भी और मां-बाप के साथ हो।"
परिवार को गुमराह और गवाहों को भटकाने का प्रयास कर रहा है सरकारी वकील
सरकारी वकील के संबंध में अंकिता की मां बताती हैं कि वो हमें शुरू से ही गुमराह करता रहा है। केस से जुड़ी किसी भी जानकारी को सही से नहीं बताना, कोर्ट में जज के हाज़िर न होने के बावजूद गांव से कई किलोमीटर दूर हमें कोर्ट बुलाना जैसी बातें तो शुरुआत से ही थी। लेकिन अब कई गवाहों की बातों को भी गोलमोल घुमाया जा रहा है, जो साफ तौर से अपराधियों को बचाने का तरीका नज़र आता है।
अंकिता के पिता वीरेंद्र सरकारी वकील पर अपराधियों से मिलीभगत होने का आरोप लगाते हुए कहते हैं, “सरकारी वकील बयानों को तोड़ मरोड़ कर पेश कर रहे हैं। गवाह सीधे-सीधे अंकिता के साथ लगातार हो रहे दुर्व्यवहार की बात कह रहे हैं लेकिन सरकारी वकील इन तथ्यों को कोर्ट के समक्ष नहीं रख रहे। उनका कहना है कि वो आगे अपने हिसाब से इन बातों को उज़ागर करेंगे, लेकिन गवाहों की आधी-अधूरी बातों से केस कमज़ोर हो रहा है। इसके अलावा वकील का परिवार अंकिता हत्याकांड से संबंधित आपत्तिजनक वीडियो यू-ट्यूब पर प्रसारित कर रहा है, जो बच्ची की गरिमा को ठेस पहुंचाने जैसा है।"
मानसिक और आर्थिक दिक्कतों से जूझ रहा है परिवार
वीरेंद्र के मुताबिक सरकारी वकील न तो उन्हें सुनवाई-कार्यवाही के संबंध में कुछ बताते हैं न ही उनका फोन उठाते हैं। उनकी इस केस से जुड़ी कुछ बातचीत हुई थी, जिस पर वकील ने बड़े कड़े शब्दों में कहा कि 'क्या सारा ठेका मैंने ही ले रखा है।' वीरेंद्र को ये भी शिकायत है कि उनकी बच्ची अंकिता अपने स्वाभिमान के लिए आखिर तक लड़ी थी, लेकिन सरकारी वकील उसके लिए अनुचित बातों से भी परहेज नहीं कर रहे। अदालत में गवाहों को उनकी बातों से भटकाया जा रहा है। मेन मुद्दे की बातें न रखते हुए आरोपियों को बचाने की कोशिश की जा रही है।
अंकिता की मां घर की आर्थिक स्थिति को लेकर कहती हैं कि उन्हें कोई सहारा नहीं है, न ही उन्हें कोई सरकारी मदद मिल पा रही है। केस और सुनवाई के चक्कर में अंकिता के पिता कमाने तक नहीं जा पा रहे हैं। एक बेटा है वो भी इन्हीं सब मामलों में उलझ गया है। फिलहाल घर में बेरोज़गारी है और दाल-रोटी की भी मुसीबत है।
वो आगे भरे गले के साथ कहती हैं अंकिता के सपने बहुत बड़े थे, वो अपने साथ ही अपने परिवार को भी संभालना चाहती थी, कुछ करना चाहती थी लेकिन कभी झुकना नहीं चाहती थी, इसलिए उसे मार दिया गया। वो चाहती हैं कि अंकिता के अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले और बाकी लड़कियां जो काम पर जाती हैं, उनके लिए सुरक्षा सुनिश्चित हो।
परिवार को बदनाम करने और मामले की गंभीरता को दबाने का आरोप
अंकिता के परिजन शासन-प्रशासन पर जानबूझकर मामले की गंभीरता को दबाने का आरोप भी लगाते हैं। उनके अनुसार क्योंकि इस मामले में बड़े लोग इसमें शामिल हैं इसलिए उनके परिवार के खिलाफ गलत अफवाह उड़ाई जा रही है। कई लोग कह रहे हैं कि उन्हें सरकार की ओर से बड़ी धनराशि और उनके लड़के को सरकारी नौकरी मिल गई है और ये लोग लालच में मामले को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन सच्चाई बिल्कुल इसके उलट है। अंकिता के परिवार की मौजूदा स्थिति विचलित करने वाली है। उनके पिता का हाल ही में ऑपरेशन हुआ है और भाई की पढ़ाई छूट गई है। किसी के पास फिलहाल कोई रोज़गार नहीं है और न ही कोई जमापूंजी। वो इसके बावजूद अपनी हिम्मत को अपना सबसे बड़ा सहारा बताते हुए अंकिता के लिए लड़ने का हौसला दिखा रहे हैं। लेकिन जैसे-जैसे समय बीत रहा है अंकिता के परिवार का धीरज भी टूट रहा है।
गौरतलब है कि 19 साल की अंकिता लक्ष्मण झूला इलाक़े में वनंतारा रिसॉर्ट की रिसेप्शनिस्ट थीं। अंकिता को आखिरी बार पुलकित आर्य के साथ रिसॉर्ट में 18 सितंबर 2022 को देखा गया था, जबकि उनका शव छह दिन बाद 24 सितंबर को चिल्ला पावर हाउस के पास शक्ति नहर से पुलिस ने बरामद किया था। इस दौरान मुख्य आरोपी पुलकित ने खुद को पाक-साफ दिखाने के लिए रेवेन्यू विभाग में अंकिता के गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज करवाई थी। अंकिता के परिवार वालों का आरोप था कि इस मामले में राजस्व पुलिस पहले हाथ पर हाथ धरे बैठी रही और फिर बाद में 22 सितंबर को इस मामले को नियमित पुलिस के हवाले किया गया था। फिलहाल इस मामले में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है और केस कोर्ट में है।
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