सांप्रदायिक सद्भाव पर हमला : बरसों से घरों में बने मज़ारों की तोड़फोड़
योगनगरी ऋषिकेश में एक अलग तरह का तोड़-फोड़ अभियान चल रहा है जो है 'मज़ार तोड़ो अभियान’। ऋषिकेश में चल रहा मज़ार तोड़ो अभियान इस मायने में भी विशिष्ट है कि इसमें न कहीं, किसी तरह का विरोध हो रहा है और न ही कोई बवाल। पुलिस ने इस मामले में तो केस भी दर्ज किया है लेकिन मज़ार तोड़ने वालों पर नहीं।
दरअसल ऋषिकेश में हिंदुओं के घरों के अंदर बनी मज़ारों को तोड़ा जा रहा है और वह उनकी सहमति के साथ। यह ख़बर लिखे जाने तक ऋषिकेश में 9 मज़ारें तोड़ी जा चुकी थीं और करीब 300 निशाने पर हैं। आइए समझते हैं कि यह मामला है क्या?
मज़ार मुक्त हिंदू अभियान
कई हिंदू संगठनों के जंगल में या सड़क किनारे बनी मज़ारों को तोड़े जाने के वीडियो उत्तराखंड से पहले भी वायरल हुए हैं और एक न्यूज़ चैनल द्वारा गढ़े गए नाम 'मज़ार जिहाद' को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मान्यता देते हुए यह तक कह दिया था कि उत्तराखंड में मज़ार जिहाद नहीं होने दिया जाएगा।
दरअसल उत्तराखंड में वन भूमि और अन्य सरकारी ज़़मीनों पर अतिक्रमण कर बनाई गई सैकड़ों मज़ारें तोड़ी गई हैं लेकिन अतिक्रमण कर बनाए गए अन्य धार्मिक स्थल पर तोड़े जा रहे हैं, भले ही उनकी चर्चा न हो रही हो लेकिन सिर्फ़ मज़ारों को तोड़े जाने का ही हल्ला हो रहा है।
वैसे कई जगह धार्मिक स्थल हटाने पर अतिक्रमण हटाने वाली टीम को विरोध का सामना भी करना पड़ा है लेकिन ऋषिकेश में चल रहे मज़ार तोड़ो अभियान में कहीं कोई विरोध नहीं हो रहा।
ऋषिकेश के रहने वाले चंद्रभूषण शर्मा इस अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं जिसे वह 'मज़़ार-मुक्त हिंदू' अभियान कहते हैं। वह कहते हैं कि हिंदू वही है जो शास्त्रों को मानता है और उनके अनुसार आचरण करता है। कोई अगर यह कहता है कि वह हिंदू है और मज़ार भी बनाएगा तो वह हिंदू है ही नहीं।
चंद्रभूषण शर्मा उन घरों में जा रहे हैं, जहां लोगों ने घरों में मज़ार बना रखी हैं। वह लोगों से बात कर रहे हैं और उन्हें अपने घरों से मज़ारें हटाने के लिए मना रहे हैं। इसके बाद वह बाकायदा एक सहमति पत्र पर लोगों के हस्ताक्षर ले रहे हैं और फिर मज़ारों को तोड़ा जा रहा है। उनके साथ करीब 20 युवक हैं, जो मज़ार तोड़ने के इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।
वह कहते हैं कि ऋषिकेश में करीब 9 किलोमीटर के व्यास में 300 के करीब मज़ार हैं। जिनके घरों में मज़ार हैं, उन्हें समझा-बुझाकर इन्हें तोड़ा जाएगा। लेकिन जिस ऋषिकेश में एक भी मस्जिद नहीं हैं, वहां इतनी मज़ारें कैसे बन गईं?
शर्मा कहते हैं कि कुछ मज़़ारें तो परेशान लोगों ने बनवाईं, जिन्हें दरगाह में जाकर परेशानी से कुछ राहत मिली, उनके घर में मज़ार बनवा दी गई। कुछ लोगों ने पैसे के लिए बनवाई कि इसमें लोग चढ़ावा देंगे और कुछ ने इसलिए बना दी कि उनके घर में मज़ार होगी तो लोग उनका अनिष्ट करने से बचेंगे।
एमबीए मज़ार विध्वंसक
चंद्रभूषण शर्मा हाल में तेज़ हुए हिंदूवाद के एक दिलचस्प किरदार हैं। उनका परिवार मूलतः बिहार के गया से है लेकिन पिछली तीन-चार पीढ़ी से वह ऋषिकेश में बसे हुए हैं। शर्मा खुद को ऋषिकेश का ही मानते हैं, उनकी पढ़ाई-लिखाई, दोस्ती-यारी सब यहीं की है।
वे बताते हैं कि उन्होंने एमबीए किया है और बिरला यामाहा, सोनालिका ट्रैक्टर, आइशर इंजिंस, पैनासोनिक कॉर्पोरेशन, फिनोलेक्स जैसी कंपनियों में अच्छे पद (नॉर्थ इंडिया हेड तक) पर काम कर चुके हैं। अक्टूबर, 2019 में उन्होंने नौकरी छोड़ अपना बिज़नेस शुरू करने के लिए ऋषिकेश में ज़मीन लीज़ पर लेकर तेल की मिल लगाई। जैसे ही मशीन इंस्टॉल कर काम शुरू करना था, कोविड आ गया।
शर्मा 2012 से स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट भी कर रहे थे। कोविड आने के बाद चूंकि किसी भी काम की संभावना नहीं दिख रही थी तो उन्होंने अपना बचा हुआ पैसा स्टॉक मार्केट में ही लगा दिया और अब इसी से उन्हें इतनी कमाई हो जाती है कि वह 'समाज-सेवा' के काम में समय दे पाते हैं।
शर्मा आरटीआई एक्टिविस्ट भी हैं और विभिन्न विभागों में आरटीआई डालते हैं ताकि 'उनकी कार्यप्रणालियों में सुधार हो सके'।
अगर आपको लगता है कि हिंदूवादी युवक, ख़ासतौर पर मज़ार तोड़ने जैसे कामों में संलग्न युवा कम पढ़े-लिखे, भटके हुए होते हैं तो चंद्रभूषण शर्मा से मिलकर आप चौंक सकते हैं।
श्रेय की लड़ाई
ऋषिकेश में मज़ारें तोड़ी जाने के वीडियो जब सोशल मीडिया से वायरल होने लगे तो इस मामले में पहला नाम सामने आया था देवभूमि रक्षा अभियान नाम के संगठन और इसके प्रमुख स्वामी दर्शन भारती का। यह वही संगठन है जिसने उत्तरकाशी के पुरोला में मुस्लिम व्यापारियों की दुकानों पर उन्हें खाली करने के पोस्टर चिपकाए थे। उस मामले में स्वामी दर्शन भारती भी नामजद हैं।
ऋषिकेश में मज़ार तोड़े जाने के वीडियो वायरल होने का बाद जब ख़बरें छपने लगीं तो विभिन्न मीडिया आउटलेट्स में कहा गया कि स्वामी दर्शन भारती का संगठन देवभूमि रक्षा अभियान ही यह काम कर रहा है। कई समाचार माध्यमों में स्वामी दर्शन भारती ने इसका श्रेय भी लिया। लेकिन न्यूज़़क्लिक से बातचीत के दौरान वह इससे बचे।
दरअसल चंद्रभूषण शर्मा ने इस पर आपत्ति जताई कि किसी संगठन को इसका श्रेय दिया जा रहा है। न्यूज़़क्लिक से बातचीत में उन्होंने कहा कि कोई भी संगठन इससे जुड़ा हुआ नहीं है, कोई ऐसा दावा कर रहा है तो वह झूठ कह रहा है। उन्होंने कहा कि देवभूमि रक्षा अभियान के लोग उनके साथ हैं लेकिन उनसे पहले ही कह दिया गया था कि संगठन की तरफ़ से न आएं, हिंदू के रूप में धर्म का काम करने के लिए आएं।
शर्मा ने तो यहां तक कहा कि इन धार्मिक संगठनों की वजह से ही हिंदू धर्म का बेड़ा गर्क हो रहा है। लोग सोचते हैं कि कानून की दिक्कत (अतिक्रमण) होगी तो प्रशासन देख लेगा और धर्म का मामला होगा तो ये धार्मिक संगठन, इसलिए सब चुप बैठ जाते हैं।
कई जगह छपी ख़बरों के विपरीत स्वामी दर्शन भारती ने न्यूज़़क्लिक से बातचीत में मज़ार तोड़े जाने का श्रेय नहीं लिया। संभवतः चंद्रभूषण शर्मा की आपत्ति उन तक पहुंच गई होगी। उन्होंने कहा कि किसी का नाम क्यों देना, सब लोग मिलकर कर रहे हैं, धर्म का काम है, सब हिंदू एकजुट हैं और सभी इसमें साथ हैं।
बंधे हैं पुलिस के हाथ
ऋषिकेश थाने में इस मामले में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का केस दर्ज किया गया है। पुलिस ने वीडियो वायरल होने के बाद खुद ही यह केस दर्ज किया। लेकिन ख़़ास बात यह है कि मामला अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ दर्ज किया गया है, चंद्रभूषण शर्मा या स्वामी दर्शन भारती के ख़िलाफ़ नहीं जो यह अभियान चलाने का दावा कर रहे हैं या कर चुके हैं।
ऋषिकेश के थानाध्यक्ष केआर पांडे ने न्यूज़़क्लिक को बताया कि सोशल मीडिया पर मज़ार तोड़ने के भड़काऊ वीडियो जारी करने वाले अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया है। अभी तक कोई नाम सामने नहीं आया है और ऐसे ख़़ातों की पड़ताल की जा रही है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि चंद्रभूषण शर्मा जो वीडियो अपने अकाउंट से पोस्ट कर रहे हैं वह भड़काऊ वीडियो नहीं हैं। इनमें वह बता रहे हैं कि मकान मालिक की सहमति से उनके घर में बनी मज़ार तोड़ी जा रही है। कार्रवाई उन लोगों के ख़िलाफ़ की जानी है जो इन वीडियो को भड़काऊ बनाकर पेश कर रहे हैं।
वह यह भी कहते हैं क्योंकि लोग अपने घरों में बनी मज़ारों को तोड़ने के लिए सहमति दे रहे हैं इसलिए इस मामले में पुलिस कुछ नहीं कर सकती।
परेशान थे इसलिए बनाई घर में मज़ार
ऋषिकेश में पिछले 25 साल से रह रहे स्वयंवर सिंह भंडारी के घर में एक मज़ार थी, जिसे चंद्रभूषण शर्मा के नेतृत्व में तोड़ दिया गया है। स्वयंवर सिंह ने न्यूज़़क्लिक से बातचीत में बताया कि उनके घर में यह मज़ार बीते 15 साल से थी।
स्वयंवर सिंह सर्वे ऑफ़ इंडिया में नौकरी करते थे, अब वह रिटायर हो गए हैं। वह बताते हैं कि 15-16 साल पहले उनकी पत्नी की तबियत बहुत ख़राब हुई थी। उनके इलाज के लिए डॉक्टरों के भी चक्कर काटे और मंदिरों में माथा भी टेका लेकिन वह ठीक नहीं हुई। फिर किसी के कहने पर वह एक दरगाह में गए। वहां उन्हें बताया गया कि उनकी पत्नी पर जिन का साया है। वहां से आने के बाद पत्नी की सेहत में सुधार होने लगा। शुक्रिया अदा करने फिर दरगाह गए तो वहां के हाकिम ने कहा कि अभी तो जिन चला गया है लेकिन फिर आ जाएगा और अबकी बार ज़्यादा परेशान करेगा, इससे बचना है तो घर में मज़ार बना लो। इसके बाद स्वयंवर सिंह ने घर में मज़ार बनवा ली जिसके बाद उन्हें कोई परेशानी भी नहीं हुई। वह अपने देवताओं को भी पूजते रहे और मज़ार पर भी सिर झुकाते रहे।
हाल ही में किसी ने उन्हें मज़ार तोड़वाने को कहा। दबाव बना तो वह घर से मज़ार हटवाने को तैयार हो गए लेकिन उन्होंने यह भी कह दिया कि वह अपने हाथ से यह काम नहीं करेंगे। इसके बाद चंद्रभूषण शर्मा के नेतृत्व में युवकों ने इस मज़ार को ध्वस्त किया। हालांकि पहले उनसे सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करवाए गए।
हम तो सैद को पूजने वाले लोग हैं
सामाजिक संस्था धाद के संस्थापक और अध्यक्ष लोकेश नवानी कहते हैं कि पहाड़ी समाज आमतौर पर उदार है। अपने देवताओं को भी पूजेगा और दूसरों के भगवान के आगे भी सिर झुका देगा। यह जो कट्टरता नज़र आती है वह पहाड़ से नीचे उतरने के बाद ही दिखती है। आप देखें जो पहाड़ी आदमी पंजाब चला जाता है, वह पंजाबियों की तरह रहने लगता है। कड़े भी पहनेगा, गुरुद्वारे भी जाएगा और अपने देवताओं को भी पूजेगा।
अब अगर किसी ने अपने घर में मज़ार बना रखी है तो यह उसका व्यक्तिगत मामला है। रहने दो उसे। यह तो सांप्रदायिक सद्भाव का उदाहरण ही है कि घर में देवता भी हैं और मज़ार भी है। आप क्यों उसके घर में घुसे जा रहे हो हथौड़े लेकर...
नवानी कहते हैं कि पहाड़ में तो मुसलमानों को भी एक तरह से पूजा जाता रहा है। सैदवाली भी हमीं लोग तो गाते हैं।
बता दें कि पहाड़ के समाज में 'देवताओं को नचाने' की परंपरा है। माना जाता है कि देवता किसी मनुष्य के शरीर में प्रवेश करते हैं और उसके माध्यम से बात करते हैं। देवताओं को जगाने के लिए 'जागर' लगाई या गाई जाती है। इसी तरह गुज़र चुके किसी परिजन से बात करने के लिए उसकी आत्मा का आह्वान भी किया जाता है और सैय्यदों से भी बात की जाती है।
सैय्यद यानी पहाड़ों में रहने वाले मुस्लिमों की अतृप्त आत्माएं। ऐसा माना जाता है कि वह किसी मनुष्य पर सवार हो जाती हैं तो उसे परेशान करती हैं। इससे बचने के लिए सैदवाली गाई जाती है। इसमें सैद (या सैय्यद) की प्रशंसा कर उसे मनाया जाता है कि वह उस मनुष्य के शरीर को छोड़ दे, उसे मुक्त कर दे। ऐसा भी माना जाता है कि सैद अगर ख़़ुश हो जाता है तो वह जाते वक्त परेशान मनुष्य का घर धन-धान्य से भर देता है।
नवानी कहते हैं कि ऋषिकेश में घरों में बनी मज़ारें हिंदुत्व को ख़तरे में समझने वाले लोगों के लिए तो चिंता का विषय हो सकती हैं लेकिन आम पहाड़ी के लिए नहीं होंगी।
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