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महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना सत्ता बरकरार रखने की ओर अग्रसर, हरियाणा में तस्वीर साफ नहीं

बीजेपी दोनों ही राज्यों में उस जोरदार जीत की तरफ नहीं बढ़ती दिख रही है जिसकी उसने उम्मीद लगाई थी। महाराष्ट्र में कांग्रेस अपनी सहयोगी एनसीपी से पीछे चल रही है लेकिन हरियाणा में वह अपनी स्थिति बेहतर करती दिख रही है।
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Image courtesy: WION

नई दिल्ली: महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनावों के लिए डाले गए मतों की गणना बृहस्पतिवार को जारी है और महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन फिर से सत्ता में लौटने की ओर बढ़ता दिख रहा है जबकि हरियाणा में मुकाबला रोचक बना हुआ है जहां भाजपा या कांग्रेस में से किसी को भी अब तक बहुमत मिलता नहीं दिख रहा।

अब तक उपलब्ध रुझानों को देखें तो मई में लोकसभा चुनावों में भाजपा को मिली प्रचंड जीत के बाद से हुए पहले विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत की चमक फिलहाल कुछ मद्धम होती दिख रही है।

भाजपा दोनों ही राज्यों में उस जोरदार जीत की तरफ नहीं बढ़ती दिख रही है जिसकी उसने उम्मीद लगाई थी। महाराष्ट्र में कांग्रेस अपनी सहयोगी राकांपा से पीछे चल रही है लेकिन हरियाणा में वह अपनी स्थिति बेहतर करती दिख रही है।

निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध रुझानों के अनुसार, महाराष्ट्र की कुल 288 विधानसभा सीटों में से भाजपा 101 सीटों पर आगे चल रही है और उसकी सहयोगी शिवसेना 64 सीटों पर आगे है। कांग्रेस को 37 सीटों पर बढ़त मिलती दिख रही है वहीं उसकी सहयोगी पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी 54 सीटों पर आगे है।

भाजपा ने 2014 में इस राज्य में 122 सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि शिवसेना को 63, कांग्रेस को 42 और राकांपा को 41 सीटों पर जीत मिली थी।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस नागपुर दक्षिण पश्चिम सीट से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी एवं कांग्रेस उम्मीदवार आशीष देशमुख से आगे चल रहे हैं। राजनीतिक पारी की शुरुआत कर रहे शिवसेना के आदित्य ठाकरे भी वरली विधानसभा सीट पर बढ़त बनाए हुए हैं।

रुझानों में बढ़त मिलने और अक्सर तकरार में उलझे रहने वाले दो साझेदारों के विजेता के तौर पर भाजपा-शिवसेना के उभरने के साथ ही शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि दोनों पार्टियां पूर्व निर्धारित “50-50” सीटों के बंटवारे के फार्मूले पर अडिग रहेंगी। साथ ही उन्होंने सरकार बनाने के लिए विपक्षी पार्टियों के साथ शिवसेना के हाथ मिलाने की संभावना को भी खारिज किया।

वहीं, हरियाणा में किसी दल को स्पष्ट बहुमत मिलता नहीं दिख रहा। भाजपा 90 में 38 सीटों पर आगे है जबकि कांग्रेस 32 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है।

किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने पर दुष्यंत चौटाला सरकार बनाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं क्योंकि उनकी जननायक जनता पार्टी 11 सीटों पर आगे है। इनेलो दो, निर्दलीय प्रत्याशी छह और बसपा एक सीट पर आगे चल रही है।

भारतीय जनता पार्टी के ‘अभियान 75’ पर चुटकी लेते हुए चौटाला ने कहा कि भाजपा 75 सीटें जीतने के अपने लक्ष्य से बहुत पीछे रह जाएगी। यह घोषणा करते हुए कि उनकी पार्टी अगली सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाएगी चौटाला ने कहा, ‘हरियाणा के लोग बदलाव चाहते हैं।’

जजपा किस पार्टी का समर्थन करेगी, यह पूछने पर उन्होंने कहा, ‘अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। हम पहले अपने विधायकों की बैठक बुलाएंगे, फैसला करेंगे कि सदन में हमारा नेता कौन होगा और तब इसे आगे बढ़ाएंगे।’

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने कहा कि हरियाणा के लोगों ने सत्तारूढ़ भाजपा को खारिज किया है और वह “न्याय की नयी सुबह को अपनाने” के लिए तैयार हैं। उन्होंने ट्वीट किया, “हरियाणा ने फैसला दे दिया है - वह हरियाणा भाजपा के कुशासन को और बर्दाश्त नहीं करेगा। पिछले पांच साल में उसके लोगों के साथ हुए अन्याय को पीछे छोड़ कर , राज्य हरियाणा कांग्रेस के नेतृत्व में न्याय एवं बराबरी की नयी सुबह के लिए तैयार है।”

शुरुआती रुझान के अनुसार, भाजपा के मनोहर लाल खट्टर करनाल सीट पर और पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस उम्मीदवार भूपेंद्र सिंह हुड्डा गढ़ी सांपला किलोई सीट पर आगे चल रहे हैं। भाजपा के लिए यह एक झटका मालूम हो रहा है क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष और प्रदेश पार्टी प्रमुख समेत उसके सात मंत्री पीछे चल रहे हैं।

हरियाणा में 2014 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 47 सीटों, कांग्रेस ने 15 सीटों पर जीत प्राप्त की थी। हरियाणा जनहित कांग्रेस के दो विधायक बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इनेलो ने 19, बसपा और शिअद ने एक-एक सीट अपने नाम की थी। पांच सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों के पास गई थीं।

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