पाकिस्तान में बलूच छात्रों पर बढ़ता उत्पीड़न, बार-बार जबरिया अपहरण के विरोध में हुआ प्रदर्शन
पाकिस्तान में, बलूच छात्रों के गायब होने और सुनियोजित तरीके से किए जा रहे उनके उत्पीड़न के खिलाफ छात्रों एवं उनके परिवार ने बुधवार, 4 मई को प्रदर्शन किया था। यह प्रदर्शन बलूच छात्र समूहों के आह्वान पर किया गया था।
इस्लामाबाद में, बलूच छात्र परिषद (बीएससी) ने बेबगर इमदाद और अन्य छात्रों के जबरन गायब किए जाने के खिलाफ प्रदर्शन किया। बलूच छात्र बेबगर इमदाद को राष्ट्रीय राजधानी इस्लामाबाद में स्थित पंजाब विश्वविद्यालय (पीयू) के परिसर से अप्रैल के अंत में उठा लिया गया था।
बेबगर इमदाद के अपहरण के बाद पंजाब विश्वविद्यालय के कुलपति कार्यालय के सामने बलूच छात्रों का धरना बुधवार को छठे दिन भी जारी रहा। बलूचिस्तान के तुरबत शहर में, विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के छात्रों ने जबरन गायब होने के बढ़ते मामलों का विरोध करने के लिए तख्तियां लेकर मार्च निकाला।
▪︎Statement on forced disappearance of Sociology lecturer in Karachi University and Mphil scholar Najeeb Rasheed▪︎
Baloch students are witnessing a severe crackdown after KU blast. Somedays ago A lecturer of Karachi University and Mphil Scholar Najeeb Rasheed has been picked pic.twitter.com/eadwHOYpIi
— PRSF - Karachi (@PrsfK) May 1, 2022
28 अप्रैल को, सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया जिसमें दिखाया गया था कि किस तरह विश्वविद्यालय के अधिकारियों समेत पुरुषों के एक समूह ने कथित तौर पर इमदाद नामक एक व्यक्ति को पीयू परिसर में एक वैन में पीट-पीटकर मार डाला। इमदाद नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ मॉडर्न लैंग्वेजेज (एनयूएमएल) में साहित्य और भाषा विज्ञान के छात्र हैं। वे घटना वाले दिन के वक्त अपने एक रिश्तेदार के घर जा रहे थे, जब उनका अपहरण कर लिया गया था।
खबर वायरल होने के कुछ ही समय बाद, विश्वविद्यालय के कई बलूच छात्रों ने उनकी रिहाई और उनके ठिकाने की जानकारी मांगने के लिए धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। इन प्रदर्शन कर रहे कुछ छात्रों पर पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन ने लाठीचार्ज भी किया।
Baloch students were harshly beaten by the security Guards of Punjab University right after their peaceful demonstration demanding #ReleaseBebagrImdad who was forcibly disappeared from PU hostel a day earlier by LEAs. Suppressing peacful protestors voice is comdemnable. pic.twitter.com/yABBsPjZla
— Baloch Students Council (Islamabad) (@BSCIslamabad) April 28, 2022
#EXCLUSIVE:Terrible visuals of Punjab university guards brutally thrashing Baloch students. First PU administration and security staff facilitated illegal abduction of #BebagrImdad and now attacking Baloch students. Vice chancellor and security chief of PU should be sacked 1/2 pic.twitter.com/nWy2chngjc
— Asad Ali Toor (@AsadAToor) April 28, 2022
इस प्रकरण के बाद इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) ने बलूच छात्रों की शिकायतों के समाधान के लिए एक आयोग का गठन किया। मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनाल्लाह ने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को विश्वविद्यालय परिसरों में बलूच छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और कोई नस्लीय घटना नहीं होने देने का निर्देश दिया। कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने नस्लीय प्रोफाइलिंग में उन भेदभावपूर्ण प्रथाओं को शामिल किया है, जो लोगों के उनकी नस्ल, जातीयता, धर्म या मूल राष्ट्रीयता के आधार पर उनके निशाना बनाए जाने का संदेह होता है।
रिपोर्ट के मुताबिक इमदाद के लापता होने का संबंध पिछले सप्ताह 26 अप्रैल को कराची विश्वविद्यालय (केयू) में हुए आत्मघाती बम हमले से है जिसमें तीन चीनी नागरिक मारे गए थे। कहा जाता है कि इसी मामले में, बलूच के अन्य दो छात्रों दिलदार और नजीब रशीद को कराची से उठाया गया था।
उन दोनों का कोई अता-पता नहीं है।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स को दिए एक ईमेल में बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के मजीद ब्रिगेड ने केयू बम विस्फोट की जिम्मेदारी ली थी। बीएलए एक सशस्त्र समूह है, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान से बलूचिस्तान की राजनीतिक स्वतंत्रता हासिल करना है।
बलूचिस्तान दशकों से अपने प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के खिलाफ विद्रोह का गवाह रहा है। इसकी सीमा पश्चिम में अफगानिस्तान और ईरान से मिलती है और इसके पास खनिजों और प्राकृतिक गैस का बड़ा विशाल भंडार है। इसके बावजूद, बलूचिस्तान पाकिस्तान में अंतर-क्षेत्रीय विकास के पैमाने पर निचले पायदान पर है। हालत यह है कि बलूचिस्तान की कम से कम 52 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर कर रही है।
मार्च में, बलूच छात्रों ने इस्लामाबाद में प्रेस क्लब के बाहर एक अन्य अपहृत छात्र, हफीज बलूच की सुरक्षित रिहाई की मांग को लेकर 11 दिनों तक धरना-प्रदर्शन किया था। हफीज बलूचिस्तान में कायद-ए-आज़म विश्वविद्यालय में रिसर्च स्कालर हैं, जिन्हें 8 फरवरी को कथित तौर पर सुरक्षा बलों द्वारा उठाया गया था।
वॉयस फॉर बलूच मिसिंग पर्सन जैसे अधिकार समूहों का अनुमान है कि पिछले 20 वर्षों में बलूचिस्तान में कम से कम 5,000 लोगों को जबरन गायब किया गया है। सुरक्षा बल अक्सर मानते हैं कि लापता व्यक्तियों को बलूच सेनानी होने के संदेह पर हिरासत में लिया गया है।
बलात एवं स्वेच्छा से गायब होने वाले व्यक्तियों को लेकर संयुक्त राष्ट्र के गठित कार्य समूह का कहना है कि 1980 और 2019 के बीच पाकिस्तान में बलात के गायब होने के आरोपों के 1,144 मामले थे, जिनमें 731 लोग अभी भी गायब हैं।
बलूच लोगों के लगातार अपहरण की रिपोर्टों को लेकर सावधान करने वाली एक प्रेस विज्ञप्ति में पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) की अध्यक्ष हिना जिलानी ने कहा, “देश को यह समझना चाहिए कि बलूच लोगों की वैध शिकायतों का निबटारा नहीं कर सकता, अगर वे बलूचियों के खिलाफ होने वाली ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तैयार नहीं है।”
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि पाकिस्तान में शहबाज शरीफ की नई सरकार का रुख इस मुद्दे पर अपने पूर्ववर्तियों से अलग होगा या नहीं।
इस्लामाबाद से प्रगतिशील छात्र संघ (पीआरएसएफ) के एक कार्यकर्ता ने पीपुल्स डिस्पैच को बताया कि- दरअसल इनमें से प्रत्येक राजनीतिक दल जबरन अपहरण के बारे में तब राजनीतिक नारेबाजी करता है, जब वे सरकार में नहीं होते हैं। लेकिन एक बार जब वे सरकार में आ जाते हैं तो इस बारे में अपनी प्रतिबद्धता को भूल जाते हैं और फिर तो पहचान की राजनीति पर आधारित सत्ता-प्रतिष्ठान के नैरेटिव का ही सचेत रूप से पालन करने लगते हैं,"
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