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बिहारः ड्रग इंस्पेक्टर के पास मिली करोड़ों की संपत्ति

एक तरफ नीतीश सरकार भ्रष्टाचार को लेकर जहां जीरो टौलेरेंस की बात करती रही है वहीं दूसरी तरफ अधिकारियों के यहां से आय से अधिक संपत्ति होने का मामला रूक नहीं रहा है।
बिहारः ड्रग इंस्पेक्टर के पास मिली करोड़ों की संपत्ति
हिंदुस्तान

बिहार में अधिकारियों के यहां छापेमारी में आय से अधिक संपत्ति मिलने का सिलसिला थम नहीं रहा है। एक तरफ नीतीश सरकार भ्रष्टाचार को लेकर जहां जीरो टौलेरेंस की बात करती रही है वहीं दूसरी तरफ अधिकारियों के यहां से आय से अधिक संपत्ति होने का मामला रुक नहीं रहा है। कई बार उनके जनता दरबार में आम लोगों की तरफ से अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा टालमटोल करने और काम के लिए घूस मांगने की शिकायत हो चुकी है। बावजूद इसके सरकारी अधिकारी व कर्मचारी घूस खाने से बाज नहीं आ रहे हैं।

राजधानी पटना के ड्रग इंस्पेक्टर जितेंद्र कुमार के यहां हुई छापेमारी में करोड़ों की संपत्ति अर्जित करने का मामला सामने आया है। जांच में सामने आया है कि उनके पास 8 करोड़ से अधिक की प्रॉपर्टी है। ये प्रोपर्टी उनके खुद के नाम के साथ साथ पत्नी, मां, भाई और साला के नाम से लिया गया है। सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी ड्रग इंस्पेक्टर के नाम पर ही पाई गई है। सभी प्रॉपर्टी के कागजात जितेंद्र कुमार के घर से ही बरामद हुए हैं। इस बात का खुलासा निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की अब तक की जांच में हुआ है।

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति के मामले में निगरानी की टीम ने 25 जून को पटना में सुल्तानगंज स्थित ड्रग इंस्पेक्टर के घर पर छापेमारी की थी। उस दौरान कुल 27 प्रॉपर्टी के पेपर निगरानी के हाथ लगे। इसमें 8 फ्लैट हैं, बाकी जमीन। निगरानी ने एक-एक करके सारे पेपर को खंगाला जिसमें चौंकाने वाली बात सामने आए। 27 में से 21 प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री हो चुकी है।

इसमें तीन राज्य, बिहार, यूपी और दिल्ली के 7 शहरों में कुल 11 प्रॉपर्टी अकेले ड्रग इंस्पेक्टर जितेंद्र कुमार के नाम पर मिली। जो पटना में दानापुर, सुल्तानगंज, जहानाबाद में मखदुमपुर, गया, बोध गया, उत्तर प्रदेश में गौतम बुद्ध नगर और दिल्ली में है।

जितेंद्र कुमार ने अपनी पत्नी निभा देवी के नाम पर भी दो प्रॉपर्टी खरीद रखी है। इसमें एक पटना के दानापुर में तो दूसरी झारखंड की राजधानी रांची में है। इसी तरह इन्होंने अपनी मां संपूर्णा देवी के नाम पर पटना और गया में प्रॉपर्टी खरीद रखा है।

निगरानी मुख्यालय के हवाले से प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार 27 में से 12 प्रॉपर्टी भाई, साला और अन्य रिश्तेदारों के नाम खरीद रखा है। इनमें कई प्रोपर्टी की रजिस्ट्री हो चुकी है जबकि, कुछ प्रॉपर्टी का एग्रीमेंट पेपर बना हुआ है। निगरानी टीम यह जांच कर रही है कि इंस्पेक्टर ने रिश्तेदारों के नाम खरीदी गई प्रोपर्टी का पेपर अपने पास क्यों रखा था।

ड्रग इंस्पेक्टर जितेंद्र कुमार के काली कमाई की जांंच लगातार जारी है। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की टीम ने उनके बैंक खाते की पड़ताल की है जिसमें कुल 16 लाख रुपया कैश जमा मिला है।

इसी तरह एलआईसी समेत दूसरी कंपनियों में कराए गए बीमा पॉलिसी की भी जांच की गई है जिसमें करीब 19 लाख रुपये के निवेश का पता चला है। दरअसल, छापेमारी के दौरान जितेंद्र कुमार के घर से अलग-अलग बैंकों के आठ खातों और बीमा कंपनियों के दस पॉलिसियों के कागजात मिले थे। जिन्हें छापेमारी के बाद खंगाला गया।

बिहार सरकार की नौकरी में जितेंद्र कुमार की ज्वाइनिंग साल 2012 में हुई थी। इनकी नौकरी को करीब 10 साल पूरे हो चुके हैं। इस तरह सैलरी के तौर पर इन्हें 60 लाख रुपए मिले लेकिन जब निगरानी के छापेमारी में कुल 160 प्रतिशत आय से अधिक संपत्ति का खुलासा हुआ है।

छापेमारी के दौरान ही निगरानी टीम ने इनके घर से करीब 4 करोड़ रुपये कैश बरामद किया था। इसके अलावा 36.48 लाख रुपए से अधिक के कीमत की करीब पौन किलो सोना, 1.66 लाख रुपए से अधिक के कीमत की तीन किलो चांदी बरामद हुई थी।

ज्ञात हो कि सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को हर साल अपनी संपत्ति का ब्यौरा राज्य सरकार को देना पड़ता है। जब इनके काले कारनामों को खंगाला गया तो सरकार से किए गए फर्जीवाड़े का भी खुलासा हुआ है। इससे जाहिर होता है कि इन्होंने राज्य सरकार को झांसे में रखा और करोड़ों की संपत्तियों की जानकारी सरकार को नहीं दी।

रिपोर्ट की मानें तो बिहार कॉलेज ऑफ फार्मेसी में जितेंद्र कुमार बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में मेंबर हैं। ऐसा दावा है कि वो कॉलेज उनका अपना है। इस कॉलेज के जरिए उन्होंने बड़े स्तर पर अवैध कमाई की है।ऐसी बातें सामने आई है कि जो लोग फार्मासिस्ट बनने के पैमाने को पूरा नहीं कर पा रहे थे उन्हें भी मोटी रकम लेकर उसकी डिग्री दी गई है। हर एक डिग्री के लिए पांच लाख या इससे अधिक रकम ली जाती थी। इसके अलावा पटना-5 के तहत पटना स्टेशन से लेकर अगमकुआं तक के मेडिकल शॉप आते हैं। इनमें से कई ऐसे मेडिकल शॉप हैं, जहां कई प्रकार के खेल चलते हैं। सब कुछ जानने के बाद भी ड्रग इंस्पेक्टर जितेंद्र कुमार इनके उपर मेहरबान रहे। इसके एवज में उन्हें हर महीने तय रकम मिल जाया करती थी

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