कोविड-19 वैश्विक महामारी का किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ा:लांसेट
नयी दिल्ली: कोविड-19 वैश्विक महामारी का किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ा। हालांकि इस दौरान धुम्रपान और मदिरापान की आदत कम हुई, लेकिन अब यह फिर बढ़ती जा रही है। ‘द लांसेट चाइल्ड एंड एडोलसेंट हेल्थ’ पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में यह दावा किया गया।
अध्ययन में वैश्विक महामारी से पहले और उसके दौरान दो साल तक उत्तरी अमेरिकी और आइसलैंड के 13 से 18 वर्षीय 64,000 से अधिक किशोरों के नमूनों पर गौर किया गया।
अमेरिका में कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं और उनके सहकर्मियों ने पाया कि 2021 के अध्ययन में कोविड-19 वैश्विक महामारी के वैश्विक प्रसार के एक वर्ष के भीतर 13 से 18 वर्षीय किशोरों में अवसाद के लक्षण बढ़े और उनके मानसिक स्वास्थ्य पर इसका असर दिखा। हालांकि इस दौरान धूम्रपान और मदिरापान की आदत कम हुई।
इस अध्ययन के निष्कर्षों पर और गौर करते हुए नए अध्ययन में पता चला कि वैश्विक महामारी के दो साल तक के प्रकोप के दौरान किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर इसका नकारात्मक प्रभाव रहा।
आइसलैंड में रेकजेविक विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर एवं अध्ययन की वरिष्ठ लेखिक थोर्हिल्दुर हैल्डोरस्डोटिर ने कहा, ‘‘ वैश्विक महामारी के दो साल बाद भी किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के अधिक मामले देखना चिंताजनक है। यह आइसलैंड में सामाजिक पाबंदियों में ढील दिए जाने के बावजूद जारी है।’’
शोधकर्ताओं का कहना है कि वैश्विक महामारी के प्रकोप के शुरू होने के कुछ ही समय बाद धूम्रपान और ई-सिगरेट के इस्तेमाल में कमी आई, हालांकि अब यह वापस वैश्विक महामारी से पहले के स्तर पर पहुंच रही है।
आइसलैंड स्थित ‘प्लैनेट यूथ’ की मुख्य डेटा विश्लेषक एवं अध्ययन की मुख्य लेखिका इंगिबजॉर्ग ईवा थोरिसडॉटिर ने कहा, ‘‘ यह देखना निश्चित रूप से सकारात्मक है कि धूम्रपान और ‘वैपिंग’ (एक प्रकार की ई सिगरेट)में कमी आई। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘ हमें आने वाले वर्षों में किशोरों में शराब की लत पर नजर बनाए रखने की आवश्यकता होगी, खासकर जब मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं बढ़ रही हैं।’’
शोधकर्ताओं ने कहा कि समाज में घुलने-मिलने के लिए माता-पिता का समर्थन और हर रात औसतन आठ घंटे या उससे अधिक की नींद लेने से मानसिक स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है और धूम्रपान तथा मदिरापान की आदत में कमी आ सकती है।
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