बाल दिवस: ये बच्चा क्या कुछ पूछता है...
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की जयंती बाल दिवस के तौर पर मनाई जाती है। इसलिए आज नेहरू के साथ बच्चों की बात किया जाना ज़रूरी है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 के अनुसार भारत के बच्चों में कुपोषण की स्थिति गंभीर है। जीएचआई जिन चार पैमानों पर मापा जाता है उसमें से एक बच्चों में गंभीर कुपोषण की स्थिति भी है, जो भारत में इस बार 19.3 फ़ीसदी पाया गया है जबकि 2014 में यह 15.1 फ़ीसदी था। इसका अर्थ है कि भारत इस पैमाने में और पिछड़ा है।
अन्य पैमानों की बात करें तो, बच्चों के विकास में रुकावट से संबंधित पैमाने में भारत 2022 में 35.5 फ़ीसदी है जबकि 2014 में यह 38.7 फ़ीसदी था। वहीं बाल मृत्यु दर 4.6 फ़ीसदी से कम होकर 3.3 फ़ीसदी हो गई है। हालांकि जीएचआई के कुल स्कोर में भारत की स्थिति और ख़राब हुई है। 2014 में जहाँ ये स्कोर 28.2 था वहीं 2022 में यह 29.1 हो गया है।
बच्चों की यह स्थिति क्यों है, जबकि भारत के विश्व गुरू बनने और बनाने के रोज़ दावे किए जाते हैं। इसी बात को शायर इब्ने इंशा अपने अंदाज़ में बच्चोें की तरफ़ से पूछते हैं- इस बच्चे की कहीं भूक मिटे (क्या मुश्किल है हो सकता है)/ इस बच्चे को कहीं दूध मिले (हाँ दूध यहाँ बहतेरा है)/ इस बच्चे का कोई तन ढाँके (क्या कपड़ों का यहाँ तोड़ा है)/ इस बच्चे को कोई गोद में ले (इंसान जो अब तक ज़िंदा है)। आइए पढ़ते हैं यह पूरी नज़्म
1
ये बच्चा कैसा बच्चा है
ये बच्चा काला काला सा
ये काला सा मटियाला सा
ये बच्चा भूका भूका सा
ये बच्चा सूखा सूखा सा
ये बच्चा किस का बच्चा है
ये बच्चा कैसा बच्चा है
जो रेत पे तन्हा बैठा है
ना इस के पेट में रोटी है
ना इस के तन पर कपड़ा है
ना इस के सर पर टोपी है
ना इस के पैर में जूता है
ना इस के पास खिलौनों में
कोई भालू है, कोई घोड़ा है
ना इस का जी बहलाने को
कोई लोरी है, कोई झूला है
ना इस की जेब में धेला है
ना इस के हाथ में पैसा है
ना इस के अम्मी अब्बू हैं
ना इस की आपा ख़ाला है
ये सारे जग में तन्हा है
ये बच्चा कैसा बच्चा है
2
ये सहरा कैसा सहरा है
ना इस सहरा में बादल है
ना इस सहरा में बरखा है
ना इस सहरा में बाली है
ना इस सहरा में ख़ोशा है
ना इस सहरा में सब्ज़ा है
ना इस सहरा में साया है
ये सहरा भूक का सहरा है
ये सहरा मौत का सहरा है
3
ये बच्चा कैसे बैठा है
ये बच्चा कब से बैठा है
ये बच्चा क्या कुछ पूछता है
ये बच्चा क्या कुछ कहता है
ये दुनिया कैसी दुनिया है
ये दुनिया किस की दुनिया है
4
इस दुनिया के कुछ टुकड़ों में
कहीं फूल खिले कहीं सब्ज़ा है
कहीं बादल घिर घिर आते हैं
कहीं चश्मा है कहीं दरिया है
कहीं ऊँचे महल अटारीयाँ हैं
कहीं महफ़िल है कहीं मेला है
कहीं कपड़ों के बाज़ार सजे
ये रेशम है ये दीबा है
कहीं ग़ल्ले के अम्बार लगे
सब गेहूँ धान मुहय्या है
कहीं दौलत के संदूक़ भरे
हाँ ताँबा सोना रूपा है
तुम जो माँगो सो हाज़िर है
तुम जो चाहो सो मिलता है
इस भूक के दुख की दुनिया में
ये कैसा सुख का सपना है
वो किस धरती के टुकड़े हैं
ये किस दुनिया का हिस्सा है
5
हम जिस आदम के बेटे हैं
ये उस आदम का बेटा है
ये आदम एक ही आदम है
ये गोरा है या काला है
ये धरती एक ही धरती है
ये दुनिया एक ही दुनिया है
सब इक दाता के बंदे हैं
सब बंदों का इक दाता है
कुछ पूरब पच्छम फ़र्क़ नहीं
इस धरती पर हक़ सब का है
6
ये तन्हा बच्चा बे-चारा
ये बच्चा जो यहाँ बैठा है
इस बच्चे की कहीं भूक मिटे
(क्या मुश्किल है हो सकता है)
इस बच्चे को कहीं दूध मिले
(हाँ दूध यहाँ बहतेरा है)
इस बच्चे का कोई तन ढाँके
(क्या कपड़ों का यहाँ तोड़ा है)
इस बच्चे को कोई गोद में ले
(इंसान जो अब तक ज़िंदा है)
फिर देखे कैसा बच्चा है
ये कितना प्यारा बच्चा है
7
इस जग में सब कुछ रब का है
जो रब का है वो सब का है
सब अपने हैं कोई ग़ैर नहीं
हर चीज़ में सब का साझा है
जो बढ़ता है जो उगता है
वो दाना है या मेवा है
जो कपड़ा है जो कम्बल है
जो चाँदी है जो सोना है
वो सारा है इस बच्चे का
जो तेरा है जो मेरा है
ये बच्चा किस का बच्चा है
ये बच्चा सब का बच्चा है!
- इब्न-ए-इंशा
(साभार: रेख़्ता)
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