नए रूप में लौट आया है कोरोना... सुरक्षित रहें, घबराएं नहीं
भारत में साल 2020 से लेकर 2022 तक कोरोना की बदलती सूरत और देश के गंभीर हुए हालात को कौन भूल सकता है। जब किसी की मौत ऑक्सीजन न मिलने की वजह से हो रही थी, तो किसी की मौत अस्पताल में बेड की व्यवस्था नहीं हो पाने के कारण। मरने वालों की संख्या इतनी ज़्यादा हो गई थी, कि श्मशान घाटों पर कई-कई दिनों तक अंतिम संस्कार के लिए इंतज़ार करना पड़ रहा था। नदियों के किनारे लाशें जैसे कंकड़ के ढेर जैसी दिखाई पड़ रही थीं। मग़र थोड़ा देर से ही सही स्थिति संभली और लोगों का वैक्सीनेशन हुई, तब कहीं जाकर स्थिति कंट्रोल में आ सकी थी।
अब एक बार फिर कोरोना का नया वैरियंट बाहर आ गया है। हालांकि इसे पहले जितना ख़तरनाक तो नहीं कहा जा रहा है, मग़र ख़ुद को सुरक्षित रखने की सलाह ज़रूर दी जा रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक भारत में पिछले 7 दिनों यानी एक हफ्ते में कोरोना के 1761 मामले सामने आए हैं, जबकि 10 मौत हो चुकी हैं। जो नए वैरियंट COVID-19 New Jn.1 से संबंधित हो सकता है। हालांकि अभी सभी मामलों की पुख्ता पुष्टि नहीं की गई है।
कोरोना के नए वैरिएंट JN.1 के कई मामले देश के अलग-अलग राज्यों से सामने आए हैं, केरल, गोवा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली और मध्य प्रदेश में कोरोना के मामले सामने आने के बाद केंद्र और सभी राज्य सरकारों ने अलर्ट जारी किया है। डॉक्टर्स के अनुसार अगले 15 दिन बेहद अहम हैं, इस दौरान कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी देखने को मिल सकती है। डॉक्टरों ने नये वायरस से बुजुर्गों को सावधान रहने की नसीहत दी है। डॉक्टरों का कहना है कि नया वायरस पिछले वायरस से ज्यादा डेडली नहीं है, लेकिन फिर भी सावधानी जरूरी है।
इस वैरियंट के बारे में जानने के लिए हमने दिल्ली साइंस फोरम और ऑल इंडिया पीपुल्स साइंस नेटवर्क से जुड़े डी. रघुनंदन से संपर्क किया, तो उनका कहना था कि ये समझना कि कोरोना खत्म हो चुका है, ग़लत होगा। हर वायरस का एक स्वभाव होता है, इसका भी है, जो धीरे-धीरे बदलता रहता है, और बदलता रहेगा। हालांकि इसमें ऐसी कोई बात नहीं है जो पिछले जैसा खतरनाक हो। कोई घबराने वाली बात इसलिए भी नहीं है।
हम इस नए वैरियंट की दशा जानने के लिए उत्तर प्रदेश चलते हैं, तो पता चलता है, पिछले 7 महीने से सब कुछ ठीक था, मग़र पिछले 4 दिनों के अंदर 7 से ज़्यादा केस मिल चुके हैं।
पहले गाजियाबाद में एक मामला मिला, जहां शास्त्रीनगर से भाजपा पार्षद अमित त्यागी की आरटीपीसीआर रिपोर्ट पॉज़िटिव पाई गई। इसके बाद दो और मामले संक्रमित पाए गए। नोएडा में भी नेपाल से भारत पहुंचा एक शख्स संक्रमित पाया गया। फिर राजधानी लखनऊ में भी कोरोना का एक मरीज मिला। 75 साल की महिला कोविड पॉजिटिव पाई गई हैं, उनका सैंपल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए केजीएमयू भेजा गया है। जानकारी के मुताबिक बुजुर्ग महिला कुछ दिन पहले ही थाईलैंड से लौटी थीं।
डब्ल्यूएचओ की पूर्व साइंटिस्ट डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि 'मौसमी फ्लू जैसे इन्फ्लूएंजा ए(एचआईएन1 और एच3एन2), एडेनोवायरस, राइनोवायरस और रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस के कारण होने वाले श्वसन संक्रमण, मानसून से संबंधित बीमारियों का कारण बन सकते हैं क्योंकि इनके लक्षण भी कोविड-19 लक्षणों जैसे ही होते हैं। लक्षणों वाले हर व्यक्ति की टेस्टिंग करना संभव नहीं है इसलिए जिन्हें गंभीर लक्षण नजर आ रहे हैं, उनकी जांच करनी चाहिए। वहीं जो लोग हॉस्पिटल में एडमिट हैं और उन्हें गंभीर श्वसन संक्रमण या निमोनिया है, उनकी भी जांच करनी चाहिए।
ये COVID-19 New Jn.1 क्या है, इसके बारे में डब्ल्यूएचओ की ओर से यही कहा जा रहा है कि समझने के लिए अभी और अध्ययन की ज़रूरत है, मग़र मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस सब-वैरिएंट की पहली बार पहचान इसी साल अगस्त में की गई थी। यह ओमिक्रॉन का सब-वैरिएंट BA.2.86 से बना है, 2022 की शुरुआत में BA.2.86 ही कोरोना के मामलों में वृद्धि का कारण था। BA.2.86 व्यापक रूप से नहीं फैला था, लेकिन इसने विशेषज्ञों को चिंतित कर दिया था क्योंकि BA.2.86 के स्पाइक प्रोटीन पर अतिरिक्त म्यूटेशन हुए थे और उसी तरह JN.1 के स्पाइक प्रोटीन में भी एक अतिरिक्त म्यूटेशन है।
वहीं विशेषज्ञों की माने तो विश्व स्तर पर मामलों में बढ़ोतरी से पता चलता है कि जेएन.1- एक ओमिक्रॉन का सब-वैरिएंट है जो मजबूत इम्यूनिटी वालों को भी आसानी से संक्रमित कर सकता है, यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल यानी सीडीसी ने इसे यूएस में सबसे तेजी से बढ़ने वाला वैरिएंट बताया है।
अगर इस वैरियंट के हो जाने की पहचान या लक्षण की बात करें तो वहीं पुरानी बीमारियां बताई जा रही हैं। जैसे बुखार, ठंड लगना, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, सांस लेने में कठिनाई, थकान, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, स्वाद या गंध की हानि, गले में खराश, नाक बहना, मतली, उल्टी और दस्त जैसी चीज़ें हो सकती हैं।
उधर उत्तर प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामले देख प्रोटोकॉल जारी कर दिया गया है।
सर्दी, खांसी, जुकाम और सांस के रोगियों की विशेष निगरानी की जाएगी। ऐसे मरीजों के कोरोना टेस्ट कराए जाएंगे। अगर उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो सैंपल्स जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा जाएगा।
लक्षण वाले मरीजों को टेस्ट रिपोर्ट आने तक आइसोलेशन में रखने का निर्देश दिया गया है।
भीड़-भाड़ वाले इलाकों के लिए प्रोटोकॉल के पालन जरूरी होगा।
भीड़ वाले स्थानों पर जाने वाले लोगों को सर्दी-जुकाम होने की स्थिति में कोरोना टेस्ट कराने के निर्देश दिए गए हैं।
सभी सरकारी एवं प्राइवेट हॉस्पिटल्स और जिलों के चीफ मेडिकल ऑफिसर्स को सर्दी-खांसी वाले मरीजों पर खास निगरानी के निर्देश दिए गए है।
ख़ैर... ये प्रशासन के प्रोटोकॉल हैं, मग़र भूलना नहीं चाहिए कि अभी कुछ दिनों पहले जब प्रदेश में शीतकालीन सत्र चल रहा था, तब नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ये आरोप लगाए थे कि स्वास्थ्य के लिए बजट का 65 फिसदी अब भी खर्च नहीं किया गया है।
इसके अलावा पिछले कुछ दिनों की उदाहरण लें तो लखनऊ के पीजीआई में आग लगने से 3 लोगों की मौत हो गई थी, एंबुलेंस की संख्या बढ़ाने का दावा करने वाली सरकार की राज्य में एंबुलेंस धक्का लगाकर स्टार्ट की जा ही है, जिसकी तस्वीर पिछले दिनों कानपुर से आई ही थी। फिर बची-खुची कसर राजनीतिक ईर्ष्या से पूरी हो जाती है। इसका उदाहरण आप अमेठी के संजय गांधी अस्पताल से ले सकते हैं। जिसे कई महीनों तक बंद रखने के बाद फिर चालू किया गया है।
ख़ैर... कोरोना के आंकड़ों पर लौटते हैं और आपको बताते हैं कि जबसे देश में कोविड-19 की एंट्री हुई है, डब्ल्यूएचओ के मुताबिक तब से अबतक 4 करोड़ 50 लाख, 4 हज़ार 816 लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं। जबकि 5 लाख 33 हज़ार 316 लोगों की मौत हो चुकी है।
भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा वक्त में देश में 3420 कोरोना के एक्टिव मामले हैं। जबकि अभी तक कोरोना से संक्रमित पाए गए 4 करोड़ 44 लाख 71 हज़ार 212 मरीज इलाज कराकर अस्पताल से डिस्चार्ज हो चुके हैं। वहीं कोरोना काल की शुरुआत से लेकर अभी तक कोरोना के कारण 5 लाख 33 हज़ार 332 लोगों की मौत हो चुकी है।
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