कोविड-19 और वायु प्रदूषण: दो त्रासदियों के बीच 'हांफती' दिल्ली सरकार!
देश की राजधानी दिल्ली में हवा की गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार शुक्रवार सुबह दिल्ली में स्थिति खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। आज यानी शुक्रवार को दिल्ली के आनंद विहार इलाके में वायु गुणवत्ता स्तर 422, आरके पुरम 407, द्वारका में 421 और बवाना में 430 है। मौसम विज्ञानियों ने कहा कि अगर हालात यह रहें तो आने वाले दिनों में दिल्ली-एनसीआर में गैस चैंबर जैसी स्थिति हो जाएगी।
इतना ही नहीं दिल्ली में कोरोना का कहर एक बार फिर तेज हो गया है। शुक्रवार को दिल्ली में लगातार चौथे दिन कोरोना के छह हजार से ज्यादा नए केस सामने आए जिससे राजधानी में संक्रमण की दर बढ़कर करीब 13 फीसदी हो गई। दिल्ली में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 6,715 नए मामले सामने आए हैं। वहीं, पिछले 24 घंटे में 66 मरीजों की मौत हो गई। 27 जून के बाद पहली बार एक दिन में इतनी मौत हुई है। यहां अब तक कुल 6769 लोगों की मौत कोरोना के चलते हो चुकी है।
गुरुवार को इसे लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने भी केजरीवाल सरकार की आलोचना की। दिल्ली हाई कोर्ट ने राजधानी में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को लेकर नाराजगी जताते हुए कहा कि दिल्ली जल्द ही देश की कोरोना राजधानी बन जाएगी। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार महामारी के मामले में पूरी तरह से 'गलत' रास्ते पर चली गई है। अदालत ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार नागरिकों के स्वास्थ्य को हल्के में ले रही है और इस मामले को अलग से देखा जाएगा।
गौरतलब है कि अदालत ने यह टिप्पणी उत्तरी दिल्ली नगर निगम के डॉक्टरों, पैरा मेडिकल स्टाफ, सफाई कर्मचारियों, शिक्षकों, सेवानिवृत्त इंजीनियरों एवं अन्य कर्मचारियों के बकाया वेतन का भुगतान नहीं करने को लेकर दायर की गईं कई याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान की।
वहीं, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘दिल्ली में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि हुई है। मुझे लगता है कि हम इसे महामारी की 'तीसरी लहर' कह सकते हैं।’ मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली इस समय कोविड-19 और बढ़ते वायु प्रदूषण का सामना कर रही है। दिल्ली में पटाखों पर पूरी तरह से बैन लगाते हुए उन्होंने कहा, ‘बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण दिल्ली में कोविड-19 की स्थिति बदतर होती जा रही है।’ बता दें कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) पटाखे जलाने से होने वाले प्रदूषण के मामलों को लेकर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर चुकी है।
अब इसे देखकर एक बात साफ कही जा सकती है कि इस बार दिल्ली में सिर्फ प्रदूषण ही नहीं बढ़ रहा, कोरोना संक्रमण के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। इसे लेकर जानकार लंबे समय से चेतावनी भी दे रहे थे। कुछेक का दावा है कि वैज्ञानिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई है कि वायु प्रदूषण बढ़ने से कोरोना संक्रमितों की संख्या में इजाफा हो जाएगा, लेकिन दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और विशेषज्ञों ने इसकी आशंका पहले ही जाहिर की थी।
लेकिन हर बार की तरह इस बार भी सरकार वायु प्रदूषण से लड़ने में नाकाम साबित हो रही है। दुखद यह है कि किसी भी संकट के समय हमारी सरकार झोलाछाप डॉक्टरों की तरह मर्ज का इलाज करती नजर आती है।
जैसे कि अभी वायु प्रदूषण खतरनाक रूप ले चुका है, तब पटाखों की बिक्री पर पाबंदी लगाकर इसका समाधान खोजा जा रहा है। यह बात सबको पता है कि तमाम प्रयासों और कोर्ट के आदेश के बाद भी पराली यानी फसलों के अवशेष जलाने के सिलसिले को नहीं रोका जा सका। इसी प्रकार वायु प्रदूषण को बढ़ाने वाले अन्य कारणों, जैसे सड़कों एवं निर्माण स्थलों से उड़ने वाली धूल और ट्रैफिक जाम के चलते वाहनों के खतरनाक उत्सर्जन को नियंत्रित करने के भी कोई प्रभावी उपाय नहीं किए जा सके हैं।
दरअसल हर साल तमाम तरह की योजनाएं बनाई जाती हैं, हालांकि इसमें भी अनेक पुरानी योजनाएं ही दोहराई जाती हैं। उन सबका जो भी होता हो, लेकिन हर साल दिल्ली के लोगों को धुंध में जीना और जहरीली हवा में सांस लेना पड़ता है।
ऐसे में दुर्भाग्य यह है कि इस साल दिल्ली के रहने वाले एक साथ दो त्रासदियों का शिकार बनने के लिए अभिशप्त हैं। उससे भी बुरी बात यह है कि हमारी संस्थाओं, हमारी सरकारों, हमारे नागरिक समाज और शोध संस्थानों के पास इसका हल नहीं है।
फिलहाल आज और अभी की परेशानी बस इतनी है कि कोरोना और जहरीली हवा से उतना डर नहीं लगता है जितना इस एहसास से लगता है कि इसके सामने दिल्ली की पूरी व्यवस्था असहाय नजर आ रही है। दिल्ली की सरकार दो त्रासदियों कोविड-19 और वायु प्रदूषण के बीच 'हांफती' दिख रही है।
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