Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

भाकपा माले का महाधिवेशन: फ़ासीवाद के ख़िलाफ़ निर्णायक एकजुट संघर्ष खड़ा करने का आह्वान

बिहार की राजधानी पटना में ‘फ़ासीवाद मिटाओ लोकतंत्र बचाओ, शहीदों के सपनों का भारत बनाओ’ की केन्द्रीय संकल्पना के साथ भाकपा माले का 11 वां राष्ट्रीय माहाधिवेशन हो रहा है। इस मौके पर पटना के गांधी मैदान में एक रैली भी की गई।
CPIML

“बिहार की धरती हमेशा से असहमति, अनीश्वरवाद और नयी राह बनानेवाली प्रतिरोध की धरती रही है। जिसने आदिकाल में भी आर्यों की “ईश्वर की सत्ता, आत्मा-परमात्मा और मोक्ष-वर्णाश्रम” के वर्चस्व का सदैव प्रतिकार किया है। कल तक जिस फ़ासीवाद को हमलोग किताबों में पढ़ते थे, आज उसे साक्षात झेल रहे हैं। जो हर दिन तरह तरह के चेहरों और जुमलों के साथ नए सिरे से अधिनायकवाद थोपने पर आमादा है। आज इसके ख़िलाफ़ भी इसी बिहार की धरती से विद्रोह का शंख नाद होगा”- उक्त बातें भाकपा माले के 11 वें महाधिवेशन के उद्घाटन सत्र में स्वागताध्यक्ष वरिष्ठ इतिहासकार प्रो. ओपी जायसवाल ने कही।

बिहार की राजधानी पटना में ‘फ़ासीवाद मिटाओ लोकतंत्र बचाओ, शहीदों के सपनों का भारत बनाओ’ की केन्द्रीय संकल्पना के साथ भाकपा माले ने अपना 11 वां राष्ट्रीय माहाधिवेशन आयोजित किया है।

कॉ. विनोद मिश्र नगर (पटना) और कॉ. रामनरेश राम सभागार (एस के मेमोरियल हॉल) के कॉ. बीबी पाण्डेय-कॉ. डीपी बक्शी-कॉ. एन के नटराजन मंच पर आयोजित इस महाधिवेशन में देश के 17 राज्यों तथा कई केंद्र शासित राज्यों से आये 1700 से भी अधिक प्रतिनिधि, पर्यवेक्षक व अतिथि भाग ले रहें हैं। इसमें देश की सभी प्रमुख वामपंथी पार्टियों के अलावे नेपाल, बांग्लादेश, ऑस्ट्रेलिया व वेनेजुएला समेत कई मित्र राष्ट्रों के वामपंथी नेता भी शामिल हो रहे हैं।

16 फ़रवरी को महाधिवेशन का विधिवत उद्घाटन करते हुए पार्टी के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने आह्वान किया कि देश में मोदी सरकार का फ़ासीवादी स्वरूप खुलकर सामने आ गया है। इसलिए देश के लोकतंत्र और संविधान पर बढ़ते हमलों के खिलाफ निर्णायक संघर्ष के लिए मजबूत वामपंथी एकता और व्यापक विपक्षी एकता को प्रभावी बनाना समय की पुकार है।

अपने उद्घाटन संबोधन में उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया के सामने जबरदस्त संकट खड़ा हो गया है। ढहते हुए पूंजीवाद को बचाने के लिए फ़ासीवाद फिर से अपना सर उठा रहा है। ऐसे में देश से लेकर वैश्विक स्तर पर तमाम संकटों से निपटने के लिए लोकतंत्र कि रक्षा के साथ साथ आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सभी प्रगतिशील राष्ट्रों के सशक्त आपसी समन्वय और एकजुटता भी अत्यंत ज़रूरी कार्यभार बन गया है।

उन्होंने आगे कहा कि कॉर्पोरेटी सत्ता ने विकास के नाम पर जिस विनाशकारी गुजरात-मॉडल को बहुप्रचारित करते हुए मोदी सरकार को शासन में काबिज़ किया था, आज उसका सारा सच सामने आ गया है। जिसे उजागर करनेवाली बीबीसी की डाक्यूमेंट्री फिल्म पर भी मोदी सरकार बैन लगाने के साथ साथ अब उनके सभी दफ्तरों पर छापेमारी करवा रही है। यह हमला दिखलाता है कि अंतर्राष्ट्रीय मीडिया जो सच सामने ला रही है, मोदी सरकार को बर्दाश्त नहीं हो रहा है। साथ ही यह भी सच खुलकर सामने आ गया है कि कैसे दुनिया भर में अडानी द्वारा किये गए अरबों के घोटाला काण्ड की कोई जांच कराने से वह भाग रही है। इस कांड पर देश में जब लोग सवाल उठा रहे हैं तो जवाब में जनता को मुफ्त राशन और गैस देने का हवाला दिया जा रहा है।

बढ़ते आर्थिक संकटों से निजात दिलाने के नाम पर कॉर्पोरेट कंपनियों को करोड़ों की टैक्स छूट देकर आये दिन गरीब जनता पर टैक्सों का बोझ लादा जा रहा है है।

ऐसे में 2024 के चुनाव तक देश की जनता को मोदी सरकार के और भी ज़्यादा झूठ-नफ़रत और दमन का सामना करना पड़ेगा। साथ ही इस सरकार जनित बढ़ती आर्थिक विषमता और तबाही के खिलाफ जनता के विक्षोभ-आक्रोश को दबाने के लिए अंग्रेजों की “फूट डालो, राज करो” की दमनकारी नीति का मुकाबला एक गंभीर चुनौती है। यह भी सत्य सामने आ गया है कि कॉर्पोरेटपरस्त आरएसएस द्वारा फैलाए जा रहे फ़ासीवाद के जाल के खिलाफ एक व्यापक और मजबूत एकताबद्ध तैयारी करनी होगी। आज फ़ासीवाद सिर्फ एक सता नहीं बल्कि एक विचारधारा है जिसके खिलाफ एक लम्बी ज़मीनी लड़ाई लड़नी होगी। जनता को समझाना होगा कि मोदी साकार की नीतियाँ सिर्फ अमीरों के लिए हैं।

भारत में बढ़ते फ़ासीवाद के खिलाफ निर्णायक जंग व प्रतिरोध खड़ा करने के लिए एक मजबूत वामपंथी एकता के साथ साथ व्यापक विपक्षी एकता सबसे ज़रूरी है। जिसके लिए बदलाव का रास्ता बिहार से ही निकलेगा। जिसके लिए हमारी पार्टी ने अपने 11 वें महाधिवेशन का आयोजन किया है।

महाधिवेशन को संबोधित करते हुए नेपाल के पूर्व उपप्रधानमंत्री व वर्तमान सत्तारूढ़ सरकार के प्रमुख घटक सीपीएन (यूएमएल) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ईश्वर पोखरेल ने अपनी पार्टी व सरकार की ओर से महाधिवेशन की सफलता की बधाई दी। अपने संबोधन में भारत व नेपाल की एकता व भाईचारे की लम्बी परम्परा की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की स्वतंत्रता के संग्राम में नेपाल की भी अहम् भूमिका रही है। उसी परम्परा में उनकी पार्टी और भाकपा माले की बिरादराना एकता आज भी जारी है। उन्होंने भारत में बढ़ते लोकतंत्र के संकट के शीघ्र समाधान की आशा जताई।

उद्घाटन सत्र में देश की सभी प्रमुख वामपंथी पार्टियों के प्रतिनिधियों ने भी उत्साहजनक भागीदारी निभाते हुए देश में बढ़ते फ़ासीवाद के खिलाफ व्यापक वामपंथी एकता पर बल दिया।

सीपीएम पोलित ब्यूरो सदस्य मो. सलीम ने अपने संबोधन में मोदी सरकार द्वारा कॉर्पोरेट कम्पनियों के हित में राष्ट्रीय संपदा की जारी लूट को रेखांकित करते हुए देश के सभी सार्वजनिक संस्थाओं को ध्वस्त करने चर्चा की। देश के सभी पब्लिक सेक्टर का निजीकरण किये जाने, भीषण बेरोज़गारी, लव जेहाद के नाम पर सांप्रदायिक उन्माद व बुलडोज़र राज के खिलाफ इत्यादि मुद्दों को लेकर सशक्त व एकताबद्ध वाम आन्दोलन को अत्यावश्यक बताया।

सीपीआई राष्ट्रीय परिषद सचिव मंडल के पल्लव सेन गुप्ता ने अपने संबोधन में देश में बढ़ते फ़ासीवादी खतरे से मुकबले लिए वाम एकता को अत्यावश्यक बताते हुए कहा कि देश के न्यायतंत्र से लेकर जनता के सभी अधिकारों पर खुला हमला बोला जा रहा है। जिससे मुकाबले के लिए हमें भी व्यापक एकता को प्राथमिक कार्यभार बनाना होगा।

लाल निशान पार्टी (महाराष्ट्र) के महासचिव भीमराव बनसोड ने भाकपा माले के साथ अपनी पार्टी की लम्बी एकताबद्ध परम्परा की चर्चा करते हुए कहा कि देश में फ़ासीवाद मंडरा नहीं रहा बल्कि पूरी तरह से आ चुका है। जिसके खिलाफ इसी बिहार की धरती से संघर्ष का रास्ता निकलेगा। क्योंकि ऐतिहासिक काल से सामाजिक परिवर्तन के संघर्ष की यह धरती रही है। जहाँ महात्मा बुद्ध जैसों ने मनुवादी-वर्णाश्रम विचारधारा के खिलाफ सामाजिक जंग छेड़ी थी।

मार्क्सवादी समन्वय समिति के कार्यकारी अध्यक्ष अरूप चटर्जी ने कहा कि देश का मौजूदा सत्ताधारी दल सबसे अधिक हमला वामपंथ और वामपंथी विचारधारा पर कर रहा है। जिससे मुकाबले के लिए तमाम वामपंथियों को सर्फ आन्दोलनों ही नहीं बल्कि चुनावों में भी अपनी मजबूत एकता प्रदर्शित करनी होगी।

पंजाब से आये आरएमपीआई के महासचिव मंगत राम पासला, आरएसपी के राष्ट्रीय नेता एवं मासस के हलधर महतो ने भी मौजूदा दौर में व्यापक वाम एकता पर बल दिया। वहीं फारवर्ड ब्लॉक नेता देवराजन ने देश में हमलावर हो रहे फ़ासीवाद से मुकाबले में वामपंथी पार्टियों से अपनी कमजोरियों पर गौर करने का सुझाव दिया।

सत्र की अध्यक्षता करते हुए माले के संस्थापकों में प्रमुख रहे पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य स्वदेश भट्टाचार्य ने महाधिवेशन के केन्द्रीय मुद्दों को रेखांकित करते हुए यह विश्वास प्रकट किया कि अगले पांच दिनों तक होनेवाले गहन विचार-विमर्श से यह महाधिवेशन देश में फासीवादी ताकतों के खिलाफ व्यापक विपक्षी एकता के निर्माण में एक अहम पड़ाव साबित होगा।

उद्घाटन सत्र के प्रारंभ में पार्टी की ओर से बिहार सचिव कुणाल ने स्वागत वक्तव्य दिया। सत्र का संचालन पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य शंकर व केंदीय कमिटी सदस्य मीना तिवारी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन पोलित ब्यूरो सदस्य व अखिल भारतीय किसान महासभा महासचिव राजाराम सिंह ने किया।

सत्र के दौरान सभी वामपंथी दलों के अतिथियों का महाधिवेशन प्रतीक चिह्न देकर समानित किया गया गया।

उद्घाटन सत्र के पूर्व पार्टी महासचिव द्वारा झंडोत्तोलन उपरांत शहीद वेदी पर सामूहिक माल्यार्पण किया गया। सभागार में शोक प्रस्ताव प्रस्तुत कर एक मिनट की मौन श्रद्धांजलि दी गयी। पश्चिम बंगाल व बिहार की जन संस्कृति मंडली द्वारा बंगला और हिंदी में शहीद गीत प्रस्तुत किए गए।

पटना के गांधी मैदान में ‘लोकतंत्र बचाओ देश बचाओ' रैली

11 वें पार्टी महाधिवेशन के अवसर पर 15 फ़रवरी को ऐतिहासिक गांधी मैदान में पार्टी द्वारा ‘लोकतंत्र बचाओ देश बचाओ रैली’ का भव्य आयोजन किया गया। जिसमें बिहार प्रदेश के सभी जिलों के अलावा झारखण्ड, यूपी व पश्चिम बंगाल से मजदूर-किसान, महिलायें और छात्र-युवाओं ने हजारों की संख्या में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई। कई हज़ार लोग तो 14 फ़रवरी की रात्रि में ही गांधी मैदान पहुंच गए थे। गांधी मैदान व सभी मुख्य सड़कों से लेकर पूरे शहर को लाल झंडों से पाट दिए जाने के कारण पूरा पटना सचमुच में लालमय दीख रहा था।

रैली के मुख्या वक्ता पार्टी महासचिव दीपंकर ने संबोधित करते हुए केंद्र की सरकार पर अंग्रेजों की “फूट डालो राज करो” की तर्ज पर देश में “हिन्दू-मुसलमान” बांटने की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि- वर्तमान सरकार सिर्फ अडानी-चंद अमीरों के लिए है, देश के गरीबों के लिए नहीं।

रैली को भाकपा माले पोलित ब्यूरो सदस्य व झारखण्ड विधायक विनोद सिंह, पार्टी केन्द्रीय कमिटी सदस्य एवं विधायक दल नेता महबूब आलम, माले सचेतक सत्यदेव राम, विधायक संदीप सौरभ, मनोज मंजिल तथा वीरेन्द्र गुप्ता ने संबोधित किया। किसान महासभा नेता राजाराम, ऐपवा महासचिव मीना तिवारी व बिहार सचिव शशि यादव के अलावा मासस नेता हलधर महतो समेत कई अन्य नेताओं ने भी अपनी बातें रखीं।

रैली की अध्यक्षता वरिष्ठ पार्टी नेता कृष्णदेव यादव ने की। संचालन पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेन्द्र झा तथा रैली में आये लोगों का स्वागत बिहार सचिव कुणाल ने किया।

रैली से पारित राजनीतिक प्रस्तावों के माध्यम से मोदी शासन और फ़ासीवाद के खिलाफ आगे के संघर्ष के मुद्दों की भी घोषणा की गयी। तीर धनुष और पारम्परिक पहनावे के साथ पहुंचे झारखण्ड से आये आदिवासी समुदाय की भागीदारी व जन संस्कृति टीम की संघर्ष गीत-नृत्य की भव्य प्रस्तुति ने सबको आकर्षित किया। वहीं आंध्र प्रदेश कि जन संस्कृति मंडली, पश्चिम बंग जन संस्कृति परिषद् व जन सकृति मंच के कलाकारों की प्रस्तुतियों ने रैली में विशेष समां बांध दिया।

माले का 11 वां महाधिवेशन आगामी 20 फ़रवरी तक चलेगा। जिसमें कई सत्रों में फ़ासीवाद की चुनौतियों से कारगर मुकाबले के सटीक समझदारी व ठोस कार्य योजना के पर विमर्श होना है। साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक एकता को लेकर एक विशेष विमर्श सत्र आयोजित किया जाएगा जिसमें महाधिवेशन में पहुंचे विदेशी प्रतिनिधियों के विचार व सुझाव सुने जायेंगे।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और संस्कृतिकर्मी हैं।)

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest