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हिमाचल चुनाव:  कभी भाजपा कभी कांग्रेस... सीटों का गणित

चुनाव आयोग ने हिमाचल प्रदेश के चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया है, ऐसे में देखना होगा कि क्या बदलती सत्ता का पैटर्न जारी रहेगा या भाजपा यहां भी इतिहास रचेगी।
bjp and congress
फ़ोटो साभार: पीटीआई

बर्फीली पहाड़ियों से ढके राज्य हिमाचल की ठंडी हवाएं आम तौर पर नवंबर-दिसंबर के महीनें में हड्डियां जकड़ लेती हैं, लेकिन साल 2022 के ये महीने यहां ज़रा गर्म रहने वाले हैं, क्योंकि सभी राजनीतिक दलों की ज़बरदस्त सक्रियता ने यहां तापमान बहुत ज़्यादा बढ़ा दिया है।

हिमाचल की पहाड़ियां पिछले तीन दशकों से यही सोचकर हर पांच साल पर सरकार बदल रही हैं, कि इस बार तो कोई हमें भीतर से देखेगा, हमारा हाल जानेगा, हमारे विकास के लिए भागीदार होगा। लेकिन हर बार हिमाचल और हिमाचल के लोग खाली हाथ ही रह जाते हैं।

ख़ैर... उत्तर प्रदेश में 37 सालों का इतिहास दोहराकर भाजपा का आत्मविश्वास सातवें आसमान पर है, यही कारण है कि चुनावों से पहले ही पार्टी हिमाचल में भी जीत का दावा ठोक रही है, जो, फिलहाल भाजपा के लिए इतना आसान होने वाला नहीं है, क्योंकि यहां भाजपा को कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी से भी टक्कर मिलने वाली है, जो पंजाब जीतने के बाद ख़ुद को देश का सबसे बड़ा विपक्ष बताने लगी है।

हालांकि इतिहास को देखते हुए कांग्रेस ने भी अपने मोहरे सेट कर दिए हैं, क्योंकि उसे मालूम है कि भाजपा से पहले वो ही सत्ता में थे। पिछले कुछ सालों में भाजपा और कांग्रेस को बारी-बारी से हिमाचल की जनता ने कितने सीटों पर जिताया है इसका गणित भी बेहद दिलचस्प है, आंकड़ों से समझते हैं...

हिमाचल विधानसभा— कुल सीटें 68, बहुमत 35

विधानसभा चुनाव 2017:

भाजपा 44, कांग्रेस 21, सीपीएम 1 और अन्य ने 2 सीटें जीतीं।

विधानसभा चुनाव 2012:

भाजपा 26, कांग्रेस 36, एचएलपी 1 और अन्य के हाथ 5 सीटें लगीं।

विधानसभा चुनाव 2007:

भाजपा 41, बीएसपी 1, कांग्रेस 23 और अन्य 3 सीटें जीतीं।

विधानसभा चुनाव 2003:

भाजपा 16, कांग्रेस 43, एचवीसी 1, एलजेएनएसपी 1, एलएमएचपी 1 और अन्य 11

सत्ता के इसी बदलते क्रम को भाजपा और कांग्रेस अपने-अपने फायदे के लिए सेट करना चाहती हैं, जिसमें फिलहाल भाजपा का पलड़ा ज्यादा भारी दिखाई पड़ रहा है, क्योंकि मौजूदा वक्त में सरकार उनकी है और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी हिमाचल प्रदेश से हैं, तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पार्टी के ख़िलाफ बग़ावती तेवर अपनाए हुए हैं। इसके अलावा विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव 2019 में भी भाजपा के हाथ सभी चार सीटें लगी थीं। हालांकि, इस बार सियासी समीकरण बदले हैं और चुनाव दो ध्रुवी होने के बजाय त्रिकोणीय बनता नजर आ रहा है। ऐसे में देखना है कि सत्ता की जंग कौन जीत पाता है?

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