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‘काली’ निर्देशक लीना को धमकी, कब गिरफ़्तार होंगे अयोध्या के महंत राजू दास?

अयोध्या में हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास ने डॉक्यूमेंट्री फिल्म काली की निर्देशक लीना को सर काटने की धमकी दी है...
RAJU

संत राजूदास कौन हैं? सुप्रीम कोर्ट के जज, या फिर देश के राष्ट्रपति या फिर प्रधानमंत्री या गृह मंत्री... कौन हैं संत राजूदास? महज़ एक मंदिर के पुजारी। लेकिन उनकी भाषा देखिए...वे कह रहे हैं, कि अगर गृह मंत्रालय की ओर से कार्रवाई नहीं की गई तो आपका सर तन से अलग हो सकता है, वो ये भी कह रहे हैं कि हम देश में ऐसी स्थिति पैदा कर सकते हैं कि आपको हिंदुस्तान छोड़कर जाना पड़ सकता है।

देश और समाज के लिए एक तथाकथित संत के मुंह से निकले ये बोल डॉक्यूमेंटी फिल्म ‘काली’ की निर्देशक लीना मणिमेकलाई के खिलाफ हैं।

आपको बता दें कि देशभर में इनदिनों ‘काली’ के विवादित पोस्टर को लेकर विवाद चल रहा है, जिसे सुलझाने के लिए संविधान है, कानून है, गृह मंत्रालय है, अदालतें हैं, लेकिन संत राजू दास कौन हैं जो खुलेआम इस तरह की धमकी दे रहे हैं।

ऐसे नफरती बयान के बाद बावजूद अगर इनपर कार्रवाई नहीं होती है तो उत्तर प्रदेश पुलिस और प्रशासन की नीयत पर सवाल तो खड़े होते ही हैं साथ ही समाज के दो पक्षों से अलग-अलग तरह बर्ताव को भी दर्शाते हैं।

और फिर अगर मामला देशव्यापी हो जाए तो गृह मंत्रालय पर भी सवाल खड़े करते हैं।

हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि संत राजू दास की तरह ही अजमेर दरगाह के खादिम सलमान चिश्ती ने भी समाज में आग लगाने वाला बयान दिया था, जिन पर कार्रवाई करते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। दरअसल ख़ादिम सलमान चिश्ती ने भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के ख़िलाफ भड़काऊ बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि नूपुर शर्मा के सिर को कलम करने वाले को अपना मकान दें देंगे।

अब बयान चाहे ख़ादिम सलमान चिश्ती का हो या फिर संत राजू दास का.. किसी भी सूरत में समाज के शांतिप्रिय लोगों को बर्दाश्त नहीं होने चाहिए तो फिर अब तक संत राजू दास की गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई।

इसका जवाब अगर ढूंढे तो शायद इसलिए कि वो अयोध्या में हनुमान गढ़ी के महंत हैं और हर कोई जानता है कि अयोध्या भारतीय जनता पार्टी के किसी ईवीएम मशीन से कम नहीं है। कहने मतलब ये कि भाजपा की पूरी राजनीति ही अयोध्या पर जाकर टिक गई है। ऐसे में अगर संत राजू दास को गिरफ्तार किया जाता है तो भाजपा को अपने वोटर्स के नाराज़ होने का डर है। साथ ही भाजपा की कथित हिंदू छवि को भी थोड़ी-बहुत ठेस ज़रूर पहुंचेगी।

क्या है मामला?

भारत की लीना मणिमेकलाई कनाडा में पढ़ाई कर रही हैं, वो पेशे से निर्देशक, डॉयरेक्टर और पोयट  भी हैं। हाल ही में उन्होंने अपनी आने वाली डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘काली’ का मोशन पोस्टर रिलीज़ किया था, जिसमें काली स्मोक करती देखी जा सकती है। वहीं पोस्टर में ये भी दिख रहा है कि देवी काली के दूसरे हाथ में समलैंगिक प्राइड फ्लैग है, जो कई रंगों से मिलकर बना होता है। बस इसी पोस्टर के बाद देशभर में विवाद फैल गया। इस फिल्म को बैन करने की मांग उठने लगी।

इस विवाद ने तब और ज्यादा तूल पकड़ा जब तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने इसका समर्थन कर दिया। उन्होंने एक टीवी चैनल के कॉन्क्लेव में कहा कि काली के कई रूप हैं। लोगों की अलग-अलग राय होती है, मुझे इस पोस्टर को लेकर कोई परेशानी नहीं है। कई जगह देवताओं को शराब चढ़ाई जाती है। कुछ स्थानों पर इसे ईशनिंदा माना जाता है। 

हिंदुस्तान जैसे देश में जहां धर्म और धर्म के भीतर धर्म का इतना ज्यादा विस्तार है, कि शायद इन धर्म के स्वयंभू ठेकेदारों को इसके बारे में समझ पाना मुमकिन नही है।

इन तमाम विवादों के बीच लीना मणिमेकलाई ने एक ट्वीट के ज़रिए कहा था कि ‘’मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं है। मैं हमेशा उन लोगों के साथ आवाज उठाऊंगी, जो निडर होकर बोलते हैं। अगर इसकी कीमत मेरी जिंदगी है, तो मैं वह भी दे दूंगी।‘’

इन दिनों देश में धार्मिक नफरत जिस तरह से बह रही है, हमें हर एक चीज़ को बारीकी से समझने की ज़रूरत है, कि कोई विवाद क्यों पैदा किया जा रहा है।

आपको बता दें कि ट्विटर इंडिया ने विवाद होने पर लीना के ट्विटर हैंडल से काली का पोस्टर हटा दिया है।

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