केरल ने रोज़गार गारंटी योजनाओं के तहत कामगारों के लिए पहला 'वेलफेयर बोर्ड' गठित किया
चेन्नई: भारत में पहली बार, केरल सरकार ने रोजगार गारंटी योजना के श्रमिकों के लिए 'केरल रोजगार गारंटी श्रमिक कल्याण निधि बोर्ड' का गठन किया है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) और अय्यंकाली शहरी रोजगार गारंटी योजना (AUEGS) के तहत एनरोल हुए 18-55 वर्ष की आयु के लगभग 30 लाख श्रमिक कल्याण बोर्ड के लिए पंजीकरण के पात्र हैं।
वेलफेयर बोर्ड, पेंशन, बच्चों के लिए शैक्षिक सहायता, चिकित्सा सहायता और परिवार पेंशन सहित सामाजिक कल्याण के उपायों को सुनिश्चित करेगा। श्रमिकों को 60 वर्ष की आयु पूरी होने पर पेंशन मिलेगी।
बोर्ड के गठन की घोषणा पिछली लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) सरकार ने केरल विधानसभा में की थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसमें देरी हुई।
कल्याणकारी उपायों के लिए विशेष बोर्ड
केंद्र सरकार द्वारा संचालित मनरेगा योजना के तहत केरल में 26,72,369 सक्रिय श्रमिक हैं और राज्य सरकार द्वारा संचालित AUEGS के तहत लगभग 2.5 लाख कर्मचारी हैं।
बोर्ड के गठन के लिए विधानसभा में पेश किए गए विधेयक में कहा गया है कि "सरकार ने मनरेगा और एयूईजीएस(AUEGS) के तहत श्रमिकों को कल्याणकारी लाभ पहुंचाने के लिए एक वेलफेयर फंड का गठन करना ज़रूरी समझा है।"
सीटू से जुड़े मनरेगा वर्कर्स यूनियन के नेता एस राजेंद्रन को बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
न्यूज़क्लिक से बात करते हुए, राजेंद्रन ने कहा, "एलडीएफ सरकार के वादे के मुताबिक, रोजगार गारंटी योजनाओं के श्रमिकों के लिए कल्याणकारी उपायों का विस्तार सुनिश्चित करने के लिए बोर्ड का गठन किया गया है।"
बोर्ड का लक्ष्य 60 वर्ष की आयु पूरी होने पर श्रमिकों के लिए पेंशन सुनिश्चित करना, कर्मचारी की मृत्यु या गंभीर बीमारी की स्थिति में वित्तीय सहायता प्रदान करना और नामांकित सदस्य के बच्चों की शिक्षा के लिए इंसेंटिव प्रदान करना है।
राजेंद्रन ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि बोर्ड द्वारा सुनिश्चित किए गए लाभ को देखते हुए कम से कम 26 लाख कर्मचारी खुद को पंजीकृत करेंगे।"
कर्मचारियों को पेंशन की पात्रता के लिए 55 वर्ष की आयु तक बोर्ड में पंजीकरण हेतु हर महीने 50 रुपये का भुगतान करना होगा।
महिलाओं को मिलेगा अधिक लाभ
मनरेगा और एयूईजीएस(AUEGS) में नामांकित महिलाओं की अधिक संख्या को देखते हुए, ये महिलाएं कल्याण बोर्ड द्वारा शुरू किए गए इन उपायों के अधिक से अधिक प्रतिशत का दावा कर सकती हैं।
वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान, केरल में सृजित कुल 7,00,95,28,800 व्यक्ति दिवसों में से 89.1% का योगदान इस योजना के तहत पंजीकृत महिलाओं द्वारा किया गया है। इसके अलावा, लगभग 25% कार्य दिवसों का योगदान अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के सदस्यों द्वारा किया जाता है।
मेटरनिटी लाभ सहित योजनाओं के विस्तार से महिला श्रमिकों और सामाजिक रूप से उत्पीड़ित समुदायों को मदद मिलेगा। पेंशन और शिक्षा सहायता जैसे लाभ भी लंबे समय में सभी कर्मचारियों को मदद करेंगे।
राजेंद्रन ने कहा, “सदस्यों के योगदान के अलावा, बोर्ड को केरल सरकार के संबंधित विभाग से भी धन प्राप्त होगा। बोर्ड पंजीकृत सदस्यों को लाभ का विस्तार सुनिश्चित करने के लिए फंड सृजन करने के तरीके भी खोजेगा।"
बिल के अनुसार, सरकार योगदान या अनुदान के रूप में धन प्रदान करेगी, जो श्रमिकों की संख्या और कार्य दिवसों के अनुसार निर्धारित किया जाएगा। सरकार, निदेशक के रूप में आठ गैर-सरकारी सदस्यों के साथ बोर्ड में पांच सदस्यों को नॉमिनेट करेगी और बोर्ड के चेयरमैन के रूप में निदेशकों में से किसी एक को नॉमिनेट किया जाएगा।
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