लखीमपुर हिंसा: अजय मिश्रा की बर्ख़ास्तगी और गिरफ़्तारी की मांग को लेकर पीलीभीत में ‘न्याय महापंचायत’
लखनऊ: लखीमपुर खीरी कांड की निष्पक्ष जांच एवं केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को उनके पद से बर्खास्त किये जाने की मांग को दोहराते हुए उत्तरप्रदेश के पीलीभीत जिले की पूरनपुर तहसील के हरसिंगपुर गांव में रविवार की दोपहर को संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के बैनर तले ‘न्याय महापंचायत’ का आयोजन किया गया था।
केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ संघर्ष की अगुआई कर रहे किसान यूनियनों के प्रमुख संगठन के तौर पर एसकेएम ने इस नरसंहार की निष्पक्ष जांच पर अपना संदेह व्यक्त किया है।
एसकेएम नेता गुरनाम सिंह चढूनी, जिनके द्वारा इस महापंचायत की अध्यक्षता की गई, ने कहा, “हम चार किसानों और एक पत्रकार की नृशंस हत्या की गहन जांच की अपनी मांग को दोहरात्ते हैं। इस मामले में निष्पक्ष जांच और न्याय को हासिल कर पाना तब तक संभव नहीं है जब तक अजय मिश्रा ‘टेनी’ को केंद्रीय मंत्री के तौर पर उनके पद पर बने रहते है। एसकेएम एक बार फिर से त्वरित न्याय की मांग करता है और इस बात को दोहराता है कि यह तभी संभव है जब अजय मिश्रा ‘टेनी’ को बर्खास्त किया जाये और गिरफ्तार कर लिया जाये।”
बुधवार को लखीमपुर खीरी मामले में सर्वोच्च न्यायालय में जारी सुनवाई का जिक्र करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि घटना के समय मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों को दर्ज नहीं किया गया है।
किसानों की आर्थिक संकट के बारे में बात करते हुए उन्होंने अपने बयान में कहा “जब अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान विश्व व्यापार संगठन की शर्तों को लागू किया जा रहा था, तब मैंने इसका विरोध किया था, लेकिन इसे अनसुना कर दिया गया। डब्ल्यूटीओ की शर्तों का सीधा-सीधा लाभ अमेरिका के बिचौलियों ने उठाया। जब यहां के किसानों द्वारा दलहन और तिलहन का उत्पादन किया जाता है, लेकिन इसके बावजूद इनका विदेशों से आयात किया जाता है। इसके साथ ही तेल, दाल एवं अन्य वस्तुओं के उत्पादन के बावजूद किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है।
चढूनी और किसान नेता तेजिंदर सिंह विर्क, जो लखीमपुर खीरी हिंसा के दौरान घायल हो गये थे, ने तिकुनिया में शहीद किसानों को अपनी श्रृद्धांजलि अर्पित की और चेतावनी दी कि यदि खीरी कांड में न्याय नहीं मिला तो पीलीभीत, लखीमपुर सहित तराई का समूचा इलाका किसानों के विरोध के मुख्य केंद्र के रूप में तब्दील हो जायेगा।
किसानों को संबोधित करते हुए अपने भाषण में चढूनी ने कहा “राज्य के प्रत्येक जिले के प्रशासनिक मुख्यालयों के सामने प्रदर्शनों का आयोजन किया जायेगा। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को उनके पद से बर्खास्त किये जाने की मांग के साथ सरकार को एक ज्ञापन सौंपा जायेगा।” उन्होंने आगे कहा कि योगी सरकार ने “बाहुबल” का इस्तेमाल करते हुए अपनी धृष्टता को प्रदर्शित करने का काम किया है।
चढूनी ने दावा किया “तिकुनिया घटना में सरकार ने अभी तक गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त नहीं किया है, जबकि हमारा समझौता उन्हें बर्खास्त किये जाने की मांग पर हुआ था। यदि हालात ऐसे ही बने रहे तो राज्य को मिश्रा की बर्खास्तगी और गिरफ्तारी की मांग पर निरंतर विरोध प्रदर्शनों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। इसके अलावा सरकार ने किसानों के साथ छल किया है। पहले कहा गया था कि किसी भी किसान के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जायेगा, लेकिन मामला दर्ज होने के बाद से चार किसानों को गिरफ्तार किया जा चुका है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि किसानों पर मंत्री के बेटे को जेल से बाहर निकाले जाने पर समझौता करने के लिए दबाव बनाया जा सके। लेकिन किसान तब तक शांत नहीं बैठने वाले हैं जब तक कि तिकुनिया कांड के सभी दोषियों को गिरफ्तार करके उन्हें जेल नहीं भेज दिया जाता है।”
सभा को संबोधित करते हुए किसान नेता तेजिंदर सिंह विर्क ने कहा कि एक तरफ तो “केंद्र किसानों को हैरान-परेशान करने पर तुली हुई है और उनकी जायज मांगों को पूरा करने में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं है” वहीँ दूसरी तरफ “उत्तर प्रदेश सरकार और इसके मंत्री विरोध कर रहे किसानों को पीछे से कुचलकर मार डालने का काम कर रहे हैं। केंद्र को किसी भ्रम में रहने की जरूरत नहीं है कि किसान अपनी मांगों से पीछे हट जायेंगे। हम यहां पर तब तक डटे रहेंगे जबतक कि हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं।”
उत्तर प्रदेश में केंद्रीय मंत्री के पैतृक निवास लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया इलाके में 3 अक्टूबर को एक एसयूवी के द्वारा कथित तौर पर कुचले जाने से चार किसानों की मौत हो गई थी। बाद में भीड़ ने भाजपा कार्यकर्ताओं सहित चार अन्य लोगों को पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। इस मामले की जांच कर रही विशेष जांच दल (एसआईटी) के द्वारा अभी तक मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा समेत एक दर्जन से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
इस बीच, संयुक्त किसान मोर्चा ने, जो कि 40 से अधिक किसान यूनियनों का सामूहिक स्वरूप है, जिसकी अगुआई में दिल्ली की सीमाओं पर तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के विरोध प्रदर्शन चल रहा है, ने 22 नवंबर को लखनऊ में ‘किसान महापंचायत’ करने की घोषणा की है।
लखनऊ महापंचायत के बारे में खबर साझा करते हुए भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा है, “22 नवंबर को होने जा रही किसान महापंचायत अपने आप में ऐतिहासिक होगी। यह किसान विरोधी सरकार और तीन काले कानूनों के ताबूत में आखिरी कील साबित होने जा रही है। अब पूर्वांचल में भी किसानों का आंदोलन तेज होने जा रहा है।”
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Lakhimpur Violence: 'Nyay Mahapanchat' Held in Pilibhit to Demand Dismissal, Arrest of Ajay Mishra
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