भारतीय पहलवानों का विरोध प्रदर्शन तेज़, अनुराग ठाकुर के आश्वासन से नहीं बनी बात
भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ भारतीय पहलवानों का विरोध प्रदर्शन आज तीसरे दिन 20 जनवरी को भी जंतर-मंतर पर जारी है। ऐसा शायद ही पहले कभी देखा गया हो कि ओलंपिक्स, एशियन गेम्स और राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को कई पदक दिलाने वाली महिला कुश्ती खिलाड़ी विनेश फोगाट, साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया समेत देश के 30 से अधिक दिग्गज पहलवान धरने पर बैठे हों और संघ पर यौन शोषण, अत्याचार और साजिश का आरोप लगाया लगा रहे हों। फ़िलहाल केंद्रीय खेल मंत्रालय और मंत्री अनुराग ठाकुर से इन खिलाड़ियों की बातचीत बेनतीजा रही है और न्याय के सरकारी आश्वासन के बावजूद पहलवानों ने अपना संघर्ष जारी रखने का फ़ैसला करते हुए कहा कि जब तक कुश्ती महासंघ को भंग कर बृजभूषण सिंह का इस्तीफा नहीं हो जाता, तब तक वे धरने पर बैठे रहेंगे।
बता दें कि इससे पहले खेल मंत्रालय ने बुधवार, 18 जनवरी को कुश्ती महासंघ से इस मामले पर स्पष्टीकरण मांगते हुए 72 घंटों के अंदर जवाब देने का निर्देश दिया था। वहीं, 18 जनवरी से लखनऊ में शुरू होने वाले महिला पहलवानों का कैंप भी रद्द कर दिया गया था। हालांकि महिला पहलवानों के गंभीर आरोप के बाद भी अब तक सरकार बृजभूषण सिंह का इस्तीफा नहीं ले पाई है, जो उन्हें और पूरी भारतीय जनता पार्टी को सवालों के घेरे में खड़ा करता है।
मीडिया खबरों के मुताबिक इस समय गोंडा में चल रही राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता से हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के छह खिलाड़ी बिना खेले ही लौट गए हैं। इन खिलाड़ियों का कहना है बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरना दे रहे पहलवानों का समर्थन करेंगे। इसके अलावा भारी संख्या में पहलवानों के परिजन और खाप भी उनके समर्थन में दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहुंचे हैं।
वैसे राजधानी के जंतर मंतर पर भारतीय पहलवानों का जो संघर्ष दिख रहा है वो कई मायनों में अभूतपूर्व है। ये लोग ना केवल कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह पर "तानाशाही रवैये" का आरोप लगा रहे हैं, बल्कि उनके ख़िलाफ़ यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप भी लगाए गए हैं। इन आरोपों को लगाने वालों में साक्षी मालिक का नाम भी शामिल है, जो खुद फेडरेशन की उस समिति की पांच सदस्यों में से एक हैं, जो यौन शोषण जैसे मुद्दों को देखती है।
क्या है पहलवानों की मांग?
प्रदर्शन कर रहे पहलवानों ने भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी ऊषा को भी पत्र लिखकर बृज भूषण सिंह को हटाने समेत चार मुख्य मांगें रखी हैं। पहलवानों की तरफ से विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक, रवि दहिया और दीपक पूनिया ने ये पक्ष लिखा है और खिलाड़ियों के अधिकारों को सुनिश्चित करने की बात कही है। पहलवानों ने यौन उत्पीड़न की शिकायत पर कमेटी गठित करने के साथ ही कुश्ती महासंघ को भंग करने और अध्यक्ष का इस्तीफा लेने समेत कुश्ती महासंघ को चलाने के लिए पहलवानों की देख-रेख में एक नई कमेटी बनाने की मांग की है।
खेल मंत्रालय से बातचीत के बाद बजरंग पूनिया और पहलवानों ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि अभी तक उन्हें सरकार और खेल मंत्रालय से कोई ठोस जवाब नहीं मिला है और अगर उनकी मांग नहीं मानी जाती तो वह धरने पर बैठे रहेंगे। इसके अलावा पहलवानों ने कहा कि वह कानून का सहारा भी लेंगे।
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बृज भूषण शरण सिंह का क्या कहना है?
बृजभूषण शरण सिंह ने इन सभी आरोपों का खंडन करते हुए खिलाड़ियों के आरोपों को मनगढ़ंत बताया है। उन्होंने प्रदर्शन कर रहे पहलवानों को कटघरे में खड़ा करते हुए मीडिया से कहा कि हरियाणा के खिलाड़ी एसोसिएशन में अपने पसंद के लोगों को जगह नहीं मिलने से नाराज़ हैं। बृजभूषण शरण सिंह ने ये भी कहा कि देश के 97 फीसदी पहलवान उनके साथ हैं सिर्फ तीन फीसदी पहलवान विरोध में हैं।
बृजभूषण सिंह ने अपना पक्ष रखने के लिए आज, शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस भी रखी। हालांकि इसका समय पहले 12 , फिर चार और अब और आगे के लिए टाल दिया गया है। खबर लिखे जाने तक उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं हुई है। लेकिन उन्होंने गोंडा में अपने ऊपर लगे सभी आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि वह किसी की दया से अध्यक्ष नहीं बने है और वह इस्तीफ़ा नहीं देंगे।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने महासंघ के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे खिलाड़ियों का समर्थन किया। उन्होंने एक प्रेस नोट में कहा कि यह बड़े दुर्भाग्य और शर्म की बात है कि देश के गौरव खिलाड़ियों को सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करना पड़ रहा है। उनके मुताबिक देश का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ियों को धरने पर बैठने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा सरकार पर भी निशाना साधते हुए यौन उत्पीड़न के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जब एक महिला कोच ने हरियाणा के मंत्री संदीप सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे तो राज्य सरकार ने भी चुप्पी साध ली थी।
ध्यान रहे कि पहलवानों के ये आरोप हरियाणा के मंत्री संदीप सिंह के खिलाफ लगे यौन उत्पीड़न के आरोप के बाद सामने आया है। संदीप सिंह पर हालही में एक महिला कोच ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था, जिसके चौतरफा दबाव के चलते संदीप सिंह को खेल मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था हालांकि वो अभी भी राज्य मंत्रिमंडल में बने हुए हैं।
इस पूरे मामले को लेकर इंडियन नेशनल लोक दल के नेता अभय सिंह चौटाला ने भी बीजेपी को घेरते हुए आरोप लगाया कि सरकार अपने सांसद को बचाने में लगी है। उनके द्वारा जारी एक प्रेस नोट के अनुसार, चौटाला ने डब्ल्यूएफआई प्रमुख सिंह और संदीप सिंह दोनों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है।
राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा ने भी मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने मीडिया के सामने इस पूरे मामले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि इस मामले में भारत सरकार को भारतीय कुश्ती महासंघ को निलंबित कर तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय वॉलीबॉल खिलाड़ी और अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जगमती सांगवान ने मीडिया कर्मियों के साथ साझा किए गए एक रिकॉर्डेड संदेश में कहा कि पहलवानों के आरोपों से पता चलता है कि सत्ता के पदों पर बैठे कुछ लोग महिला एथलीटों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं। इन महिला पहलवानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए 22 जनवरी को चंडीगढ़ में 15 से अधिक संगठनों के साथ प्रदर्शन का आह्वान किया है।
जगमति का कहना है कि वो बीते 15 दिन से हरियाणा राज्य में बीजेपी के नेता संदीप सिंह को गिरफ़्तार करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रही हैं लेकिन मुख्यमंत्री समेत पूरी सरकारी मशीनरी उन्हें बचाने में लगी है। उन्होंने कहा कि यह हरियाणा व देश की महिला खिलाड़ियों के साथ खड़े होने का समय है।
खेल संगठनों का नेतृत्व राजनेताओं के हाथ में होना कितना सही?
गौरतलब है कि साल 1991 में पहली बार गोंडा से सांसद बने बृज भूषण भारतीय जनता पार्टी के दबंग नेताओं में गिने जाते हैं। वे साल 2011 से ही कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष भी हैं। 2019 में वे कुश्ती महासंघ के तीसरी बार अध्यक्ष चुने गए। बृज भूषण शरण सिंह ने अपनी छवि एक हिंदूवादी नेता के तौर पर बनाई है और वो अयोध्या के बाबरी मस्जिद ढांचे को गिराने के अभियुक्त भी रहे हैं। अपने विवादित बयानों के चलते वे हमेशा सुर्ख़ियों में रहे हैं। अतीत में उन पर हत्या, आगज़नी और तोड़-फोड़ करने के भी आरोप लग चुके हैं। पिछले दिनों झारखंड में अंडर-19 नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप के दौरान एक रेसलर को मंच पर ही थप्पड़ मार दिया था। वर्तमान में वो प्रदर्शन कर रहे खिलाड़ियों को ही उल्टा कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।
वैसे लंबे समय से आलोचक खेल संगठनों का नेतृत्व राजनेताओं के हाथ में होने को लेकर सवाल उठाते रहे हैं। नेताओं, मंत्रियों और नौकरशाहों या उनके परिवार के लोगों को स्पोर्ट्स बॉडी का नेतृत्व सौंपने के आधार पर कई बार देश में सवाल भी उठे हैं। इसका सबसे बढ़िया उदाहरण आपको देश के सबसे लोकप्रिय और कमाऊ खेल क्रिकेट की गवर्निंग बॉडी में दिखेगा, जहां वर्तमान सचिव जय शाह, गृह मंत्री अमित शाह के बेटे हैं। बहरहाल, इस पूरे मामले में खिलाड़ियों के यौन शोषण के अलावा एक मुख्य पहलू खेल संगठनों का नेतृत्व भी है। ऐसे में अब देखना होगा कि राजनीति और खेल के इस मसले का कोई समाधान निकलता भी है या नहीं।
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