Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

पंजाब के फ़िरोज़पुर में हमले के बाद बोले किसान : 'हमने दूसरा लखीमपुर होने से बचाया'

किसानों ने शिरोमणि अकाली दल के दो नेताओं की गिरफ़्तारी की मांग के साथ विरोध प्रदर्शन करते हुए कई घंटों तक सड़क जाम रखी।
kisan

पंजाब के फ़िरोज़पुर जिले में गुरुवार को जिला आयुक्त कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया गया और आसपास की सड़कों पर ब्लॉकेड लगाया गया। यह प्रदर्शन शिरोमणि अकाली दल के नेता वरदेव सिंह मान और जोगिंदर सिंह जिंदू के खिलाफ़ आपराधिक मामला दर्ज किए जाने की मांग के साथ किया गया था। 

इस शहर के किसान एक घटना पर नाराज हैं, जहां शिरोमणि अकाली दल के कुछ नेताओं ने उन "किसानों को कुचलने" की कोशिश की, जो पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन के लिए इकट्ठा हुए थे। किसानों ने इसे लखीमपुर खीरी घटना के दोहराव की कोशिश बताया। 

प्रदर्शन में हिस्सा लेने लुधियाना से पहुंची हरजिंदर कौर ने न्यूज़क्लिक को बताया कि सम्युक्त किसान मोर्चा के स्थानीय नेता हरसिमरत कौर से उस योजना के बारे में जानकारी लेना चाह रहे थे, जिसके ज़रिए वे राज्य को संकट से बाहर निकालेंगी। बता दें हरसिमरत कौर आने वाले चुनावों के लिए मतदाताओं से यही वायदा कर रही हैं। 

"पहले हमारे नेताओं को भरोसा दिलवाया गया कि हरसिमरत कौर उनसे मिलेंगी और उनके सवालों का जवाब देंगी। बाद में जिला प्रशासन के अधिकारियों ने हमें बताया कि वे हमसे मिलेंगी। लेकिन वे हमसे बिना मिले ही वापस चली गईं। उनके जाने के आधे घंटे बाद अकाली दल के नेता आए और किसानों को वाहनों कुचलने की कोशिश करने लगे। हमारे नेता हरनेक सिंह मेहमा को दो युवाओं को बचाने के लिए वाहन के बोनट पर चढ़कर उन्हें पकड़ना पड़ा। उन्होंने गाड़ी रोकने की मांग भी की, लेकिन गाड़ी नहीं रोकी गई। उन्हें एक किलोमीटर से ज़्यादा दूर तक घसीटा गया। यहां तक कि हवा में फायर भी किए गए।   

घटना से नाराज कौर कहती हैं, "क्या हम उनसे सवाल नहीं पूछ सकते? वे चुनावों के पहले प्रचार कर रही हैं और एक जन अधिकारी होने के नाते उनसे सवाल पूछे जा सकते हैं। लेकिन उन्होंने जो किया वह कायराना था और हमें प्रदर्शन करने से नहीं रोका जा सकता। कई महीनों तक यह लोग कहते रहे कि तीन कृषि कानून किसानों के लिए फायदेमंद हैं। अगर ऐसा है, तो उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया? वे धड़ल्ले से जारी रेत खनन को रोकने और बेरोज़गारी को कम करने के लिए क्या करने वाली हैं?

अपने हरे झंडे को मजबूती से उठाए जसविंदर कौर बीच में कहती हैं, "वे हमें दशकों से बरगला रहे हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। यह तथ्य है कि यह पार्टी आरएसएस और उसकी राजनीतिक शाखा की मजबूत सहयोगी रही है। पहले जनसंघ, बाद में बीजेपी। गोधरा दंगों के बाद भी उन्होंने बीजेपी के साथ सहयोग जारी रखा, जबकि वहां हज़ारों की संख्या में मुस्लिमों को मारा गया था। पंजाब में उन्होंने हमारे बच्चों को मारने के लिए ड्रग्स का इस्तेमाल किया। उन्होंने अपना साम्राज्य हमारे शवों पर बनाया है। आज हर परिवार में मां अपने बच्चे के लिए रोती है।"

एक घायल पैर के साथ बैठे हरनेक सिंह मेहमा ने न्यूज़क्लिक को बताया कि उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि पंजाब में ऐसा होगा। उनके मुताबिक यह किसान नेताओं को मारने की "साज़िश" थी। मेहमा कहते हैं, "यह साजिश थी। जिन नेताओं की बात हो रही है वे अधे घंटे पहले ही संबंधित जगह से वापस गए थे। अगर वे हमारे सवालों का जवाब देना नहीं चाहते, तो उन्हें सीधे वापस चला जाना चाहिए था। वे लौटकर सिर्फ हमें नुकसान पहुंचाने के लिए आए।

जब हमने पूछा कि वो हरसिमरत कौर बादल से क्या पूछने वाले थे, तो उन्होंने कहा, "वे अपनी पार्टी के लिए कैंपेन कर रही हैं और राज्य के पुनरुत्थान की बात कर रही हैं। देश को विश्व व्यापार संगठन से बाहर निकालने के लिए उनके पास क्या योजना है। राज्य को इसलिए नुकसान उठाना पड़ा क्योंकि भारत ने संगठन के गैर वाजिब नीतियों को माना। दिक्कत इस विचार से है की पूरी दुनिया एक बाज़ार है।"

मेहमा ने कहा कि सरकार की निजीकरण नीतियों के चलते, सरकार ने सार्वजनिक निवेश से हाथ खींच लिए और इसे निजी क्षेत्र को सौंप दिया। अब पंजाब में बेरोजगारी दर सबसे ज्यादा है। राज्य अब क्षत विक्षत अवस्था में है, जहां हर दिन तीन किसान आत्महत्या करते हैं, जबकि राज्य इतना अनाज पैदा करता है कि एक साल के उत्पादन में पूरा देश तीन साल तक अपनी आपूर्ति कर सकता है।

उन्होंने कहा कि कंपनियां ट्रैक्टर और दूसरे कृषि मशीनों के लिए अनाप शनाप पैसा ले रही हैं। वह कहते हैं, "उनके लिए कीमतें तय करने के लिए कोई ऑडिट कमेटी नहीं है। बीजों में मोंसंटो, कॉर्टेवा एग्रिसांइस और सिजेंटा का प्रभुत्व हैं। यहां लूट का कोई अंत ही नहीं है। टमाटर और मिर्च के बीज की कीमत 70 हजार और एक लाख साठ हजार रूपए प्रति किलोग्राम है।  जबकि उनको किसान कौड़ियों के मूल्य में बेचते हैं। उनके पास इसका कोई जवाब नहीं है। उन्होंने जानबूझकर अवैध रेत खनन को बढ़ावा दिया। क्योंकि इसका पैसा सीधा  विधायकों तक पहुंचता है और वे इससे अरबों रुपए कमाते हैं। जब हम सवाल पूछते हैं, तो वे हमें चुप कराने की कोशिश करते हैं।"

जब हमने उनसे एसकेएम के राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश की कार्रवाई के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, "यह सही वक़्त पर लिया गया फैसला है। हम दिल्ली जाएंगे। हर लड़ाई में बलिदान जरूरी होता है और हम इसके लिए तैयार हैं।" इस क्षेत्र के किसान गृह मंत्रालय के हालिया फैसले से भी नाराज है, जिसमें  बीएसएफ को सीमा के 50 किलोमीटर के भीतर सभी लोगों को बिना वारंट के तलाशी लेने का अधिकार दिया गया है।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Punjab: ‘We Averted Second Lakhimpur’ Allege Farmers After Alleged Attack in Firozpur

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest