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‘गेंहूँ आपूर्ति युद्ध’ में रूस ने मारी बाजी

रुसी रक्षा मंत्रालय ने स्नेक आइलैंड से वापसी की घोषणा करते हुए अपनी ओर से इसे “सद्भावना संकेत” करार दिया है, और इस पहल को खाद्य सुरक्षा के संकट से जोड़ा है। 
Russia
फ्रुन्जेंस्काया तटबंध, मास्को में स्थित रूसी रक्षा मंत्रालय 

गुरुवार को सैन्य कूटनीति में एक मास्टर स्ट्रोक के तौर पर रुसी विदेश मंत्रालय ने घोषणा की है कि वह स्नेक आइलैंड से अपनी सैन्य टुकड़ी को “वापस” ले रहा है। जैसा कि सभी को पता है कि मास्को के निर्देश पर विशेष सैन्य अभियान के शुरूआती दिनों के दौरान मार्च महीने में काला सागर जैसी अत्यंत विवादास्पद संपत्ति से यूक्रेनी सैन्य बलों को बेदखल कर दिया गया था। यह फैसला यूक्रेन के हालात के बीच खाद्य सुरक्षा की स्थिति पर बुधवार को विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एन्टोनियो गुटेर्रेस के बीच हुई फोन वार्ता के एक दिन बाद लिया गया है। रुसी कथन में कहा गया है की लावरोव ने “इस बात पर जोर दिया कि यूक्रेनी खाद्य के निर्यात में कीव के द्वारा काला सागर में की गई खुदाई मुख्य व्यवधान है, जो इसे रोक रही है।“ 

इसके साथ ही लावरोव ने “पश्चिमी देशों के द्वारा अवैध एकतरफा प्रतिबंधों को थोपने और कोविड महामारी के चलते वैश्विक उत्पादन एवं रिटेल चैन में व्यवधान से बेहद जटिल स्थिति उत्पन्न हो जाने की वजह से उनके द्वारा निभाए जाने वाले दायित्वों पर महत्वपूर्ण रूप से बाधा उत्पन्न होने के बावजूद, रूस की ओर से खाद्य एवं उर्वरकों के निर्यात पर अपने दायित्वों के निर्वहन के लिए पूरी तरह से तत्पर रहने के बारे में आश्वस्त किया है। 

यहाँ पर यह महत्वपूर्ण है कि लावरोव ने गुटेरेस को “संयुक्त राष्ट्र के साथ सहयोग के साथ-साथ खाद्य संकट के खतरों को कम करने के लिए और भी अन्य कदम उठाने के इरादे” के बारे में मास्को के इरादे से अवगत कराया है।

स्नेक आइलैंड से अपनी सैन्य टुकड़ियों की वापसी की घोषणा करते हुए रुसी रक्षा मंत्रालय ने इसे एक “सद्भावना संकेत” कहा है और इसे खाद्य सुरक्षा पर मंडरा रहे संकट के साथ जोड़ा है। इसमें आगे कहा गया है, “रुसी संघ ने अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित कर दिया है कि यूक्रेन से कृषि उत्पादों की आवाजाही के लिए मानवीय गलियारे को स्थापित करने के संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों के लिए किसी भी प्रकार की कोई बाधा नहीं है।” 

“उम्मीद है कि यह समाधान अब कीव को रूस के द्वारा काला सागर के उत्तर-पश्चिमी हिस्से पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित करने लेने की वजह से खाद्यान्नों के निर्यात में असमर्थता का हवाला देने की अटकलबाजी करने से रोकने के काम आएगा।

अब यह यूक्रेनियाई पक्ष पर निर्भर करता है कि वह इसके बावजूद भी काला सागर तट सहित बंदरगाह क्षेत्र को खाली करता है या नहीं।“

प्रभावी तौर पर रूस ने कीव को अपने हिस्से के बन्दरगाहों की राह में की गई खुदाई को हटा लेने की चुनौती पेश कर दी है। इस बात की पूरी संभावना है कि कीव इस वापसी को एक “सैन्य विजय” के तौर पर जश्न मनायेगा।

हालाँकि, देखने पर लग सकता है कि मास्को एक जुआ खेल रहा है-  एक चतुराईपूर्ण कार्रवाई जो पश्चिमी दुष्प्रचार की हवा निकालने में सक्षम है जिसमें रूस पर खाद्य वस्तुओं की कमी के लिए दोषी ठहराया जाता है, जैसे कि यह स्थिति रूस के द्वारा फरवरी से चार महीने से चलाए जा रहे अभियान का परिणाम है, जबकि इस संकट के लिए पिछले चार या पांच वर्षों के दौरान अमेरिका और पश्चिमी देशों के द्वारा तैयार किये गए हालात जिम्मेदार हैं।

लेकिन जैसा कि किसी भी दांव के साथ देखने को मिलता है, इस दांव में भी फिलवक्त जोखिम शामिल है क्योंकि स्नेक आइलैंड से रूसियों की वापसी को कीव के द्वारा काले सागर में अपने रियल एस्टेट के रणनीतिक हिस्से के तौर पर फिर से कब्जे में लिया जा सकता है। यह कुछ ऐसा है जिसके लिए अमेरिकी एवं ब्रिटिश सैन्य सलाहकारों के द्वारा काफी लबे अर्से से यूक्रेन पर दबाव बनाया जा रहा था। मास्को ने इस घोषणा के साथ यह आवश्यक सावधानी बरती है कि गेंहू के मालवाहक जहाज़ों के साथ यदि पश्चिमी युद्धक पोतों या ड्रोन की आवाजाही होती है तो इसे वह स्वीकार नहीं करने जा रहा है, और जहाज़ों का निरीक्षण करने के अधिकार को वह अपने पास रखेगा और सुनिश्चित करेगा कि वे अपने साथ कोई सैन्य उपकरण तो नहीं ले जा रहे हैं।

अभी तक अमेरिकीयों और ब्रिटिश सलाहकारों की अपरोक्ष तौर पर भागीदारी के साथ कीव के द्वारा दो प्रमुख अभियानों के जरिये स्नेक आइलैंड को बलपूर्वक अपने कब्जे में करने की कोशिश की गई है, जिन्हें रुसी सैन्य बलों ने पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया था। पश्चिमी सैन्य विश्लेषकों के अनुमान के मुताबिक स्नेक आइलैंड पर रुसी उपस्थिति पड़ोस में स्थित रोमानिया में नाटो की धरोहर के लिए खतरा बनी हुई है। (इसके लिए 22 जून, 2022 को इंडियन पंचलाइन में मेरे ब्लॉग साउथ यूक्रेन इज द प्रायोरिटी इन नाटो’ज प्लानिंग को देख सकते हैं।) 

हालाँकि, इस बार की रुसी पहल की एक निश्चित राजनीतिक प्रतिध्वनि भी है क्योंकि इसे यूक्रेन के गेंहूँ निर्यात से जुड़े मुद्दे से परे माना जा सकता है। निश्चित रूप से ब्लैक सी में “मानवीय गलियारे” को मुहैय्या कराने के लिए किसी भी पश्चिमी हस्तक्षेप की आवश्यकता को इसने खत्म कर दिया है, जैसा कि 28 जून को जर्मनी एल्मौ में जारी वैश्विक खाद्य सुरक्षा पर जी7 के वक्तव्य में निहित है, जिसमें “काला सागर के जरिये एक सुरक्षित समुद्रतटीय गलियारे के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों” का समर्थन किया गया था।” यह पहली वजह है। 

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि रूस के पास वैश्विक गेंहूँ के निर्यात में 16% की हिस्सेदारी है, और यूक्रेन के पास 10% हिस्से की जिम्मेदारी है, लेकिन ये एकमात्र गेंहूँ के प्रमुख वैश्विक निर्यातक नहीं हैं। उदाहरण के लिए, अमेरिका और कनाडा क्रमशः 2.60 और 2.50 करोड़ टन (या वैश्विक निर्यात के करीब 25% हिस्से) गेंहूँ का निर्यात करते हैं। इसके अलावा, अन्य प्रमुख पश्चिमी उत्पादकों में फ़्रांस (1.9 करोड़ टन) और जर्मनी (92 लाख टन) वैश्विक निर्यात के अन्य 12% हिस्से के लिए जिम्मेदार हैं। लेकिन हाल के वर्षों में अपनी खुद की खाद्य सुरक्षा के मद्देनजर जरूरतमंद देशों को अपने हिस्से को साझा करने के प्रति ये देश अनिच्छुक बने हुए हैं। 

यह बात सही है कि इन धनी पश्चिमी देशों के पास ईंधन की बढ़ती कीमतों, उत्पादन लागत और महंगाई से जुड़ी अनेकों कठिनाइयों से दो-चार होना पड़ रहा है। ऐसे में उनके द्वारा अपनी-अपनी अर्थव्यवस्थाओं को और भी ज्यादा संभावित मुद्रास्फीति से बचाने के लिए अपने कच्चे माल को बचाकर रखना चाहते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो वर्तमान में जारी मुद्रा अस्थिरता के घटनाक्रम में, या वास्तव में किसी भी प्रकार की आर्थिक या राजनीतिक अस्थिरता की सूरत में, नकदी की तुलना में कच्चे माल का होना हमेशा ज्यादा समझदारी भरा कदम रहा है, क्योंकि मुद्रा की तुलना में इसमें मूल्यह्रास इतनी तेजी से नहीं होता है। 

गेंहूँ जैसी व्यापक रूप से उत्पादित की जाने वाली वस्तु की आपूर्ति के साथ जो समस्या उत्पन्न हो रही है, का समाधान उसी सूरत हो सकता है यदि अमेरिका और यूरोपीय संघ विश्व में गेंहूँ के सबसे बड़े निर्यातक देश रूस को प्रतिबंधों को हटाने के बदले में आपूर्ति को साझा करने की इजाजत दें। पश्चिमी प्रतिबंधों ने अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों को लंबे समय से चले आ रहे व्यापारिक रिश्तों को तोड़ने और रूस छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया है, जिसके चलते आपूर्ति बाधित हुई है। एक उदाहरण में इसे देखें तो, पिछले माह यूरोपीय संघ ने काला सागर के नोवोरोस्सिय्स्क बन्दरगाह के साथ सहयोग को प्रतिबंधित कर दिया था, जिसके जरिये रूस से आधे से अधिक खाद्यान का निर्यात किया जाता रहा है।

पश्चिम की सबसे बड़ी चिंता अफ्रीका की रुसी गेंहूँ की आपूर्ति पर भारी निर्भरता को लेकर बनी हुई है जिसका एक रणनीतिक आयाम है, जो उस महाद्वीप में मास्को के प्रभाव को मजबूत करता है। अफ्रीका में रुस की तेजी से बढ़ती उपस्थिति यूरोपीय देशों की पश्चिमी नव-औपनिवेशिक परियोजनाओं के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। साहेल क्षेत्र में यह बात पहले से ही स्पष्ट है। रूस किसी भी सूरत में काला सागर पर अभी भी अपने प्रभुत्व को कायम रखने जा रहा है और क्रीमिया पर किसी भी प्रकार के खतरे को बर्दाश्त नहीं करेगा। स्नेक आइलैंड पर सद्भावना के संकेत के अलावा, दक्षिण यूक्रेन में भी रुसी विशेष सैन्य अभियान में कोई कमी नहीं की गई है। 

इस संदर्भ में, बुधवार को राष्ट्रपति पुतिन के द्वारा अश्गाबात में की गई टिप्पणियों में वे बिंदु हैं जब उनसे मीडिया के द्वारा रुसी अभियान के “वर्तमान लक्ष्य” के बारे में सवाल किये गये थे। पुतिन ने कहा: “बेशक, कोई बदलाव नहीं है। मैंने इस बारे में 24 फरवरी की सुबह तड़के बात की थी। इसके बारे में मैंने प्रत्यक्ष और सार्वजनिक तौर पर समूचे देश और दुनिया को सुनने के लिए अपनी बात रखी थी। मुझे इसमें और कुछ भी नहीं जोड़ना है। कुछ भी नहीं बदला है... मुझे पेशेवरों पर भरोसा है। वे उन्हीं कामों को अंजाम दे रहे हैं जिन्हें वे समग्र लक्ष्य को हासिल करने के लिए आवश्यक समझते हैं। मैंने समग्र लक्ष्य को तैयार किया था, जिसका मकसद डोनबास को आजाद कराना, अपने लोगों की रक्षा और उन स्थितियों को तैयार करना जो स्वयं रूस की सुरक्षा की गारंटी करे। बस इतना ही लक्ष्य है। हम बेहद शांतचित्त और निरंतरता के साथ काम कर रहे हैं। जैसा कि आप देख सकते हैं, हमारी सेना आगे बढ़ रही है और उन लक्ष्यों को हासिल करती जा रही है जो उनके लिए निश्चित अवधि में पूरे करने के लिए तय किये गए थे। हम योजना के मुतबिक आगे बढ़ रहे हैं। [शब्दों पर जोर हमारा है।]

“हम किसी समय-सीमा के बारे में नहीं बात कर रहे हैं। मैंने कभी भी इस बारे में बात नहीं की है, क्योंकि यही जिंदगी है और यही वास्तविकता है। चीजों को किसी ख़ास ढाँचे में फिट करना गलत होगा, क्योंकि जैसा कि मैंने पहले भी कहा था, हमारे सामने मुद्दा मुकाबले की तीव्रता से संबंधित है, जोकि प्रत्यक्ष रूप से संभावित नुकसान से जुड़ा हुआ है। और हमें सभी चीजों से ऊपर अपने लोगों की जान बचाने के बारे में विचार करना चाहिए।“

यहाँ पर, प्रभावशील शब्द हैं: “उन स्थितियों को तैयार करना जो रूस की सुरक्षा की गारंटी करे।“ क्योंकि कुल-मिलाकर यदि देखें तो आप पायेंगे कि क्रीमिया में रुसी नौसैनिक अड्डे सेवस्तोपोल से स्नेक आइलैंड महज 175 मील की दूरी पर ही है।

अंग्रेजी में प्रकशित इस मूल आलेख को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें: 

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