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दिल्ली सरकार के विश्वविद्यालय के सफ़ाई कर्मचारियों ने कपड़े उतार कर मुख्यमंत्री आवास पर किया प्रदर्शन!

सफाई कर्मचारियों ने कहा कि वो दिल्ली सरकार की बर्बर उदासीनता के खिलाफ आज यानी गुरुवार को दलित महिला कर्मचारी सूर्यास्त के समय मुख्यमंत्री आवास पर अपने बाल मुंडवा कर उनका त्याग करेंगी। विश्वविद्यालय के सफाई कर्मचारियों ने जीविका के लिए अपने संघर्ष को जारी रखने का प्रण लिया है, चाहे कितना भी भीषण पुलिस दमन और विश्वविद्यालय की उदासीनता का सामना करना पड़े।
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इंदिरा गांधी दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर विमेन (आईजीडीटीयूडबल्यू) के सफाई कर्मियों ने आज मुख्यमंत्री के घर के बाहर कपड़े उतार कर विरोध प्रदर्शन किया और अपनी नौकरियां वापस पाने के लिए मांग उठाई और इस मामले में मुख्यमंत्री से मिलना चाहा। उन्हें जबरन पुलिस ने गिरफ्तार कर के उन्हें बेरहमी से पीटा और उनके विरोध प्रदर्शन को रोक दिया।

यह ज्ञात हो कि कल यानी बुधवार को कर्मचारियों को विश्वविद्यालय के प्रो वाइस चान्सलर और रजिस्ट्रार द्वारा मीडिया के सामने मौखिक आश्वासन दिया गया था। मगर जब कर्मचारियों ने अपनी भूख हड़ताल को जारी रख कर लिखित आश्वासन की मांग रखी, तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने नौकरी में केवल 2 महीने की अवधि बढ़ाने का काम किया। विश्वविद्यालय प्रशासन और दिल्ली सरकार ने लगातार कर्मचारियों की न्यायसंगत मांगों को अनदेखा कर के पुलिस दमन से विरोध प्रदर्शन खत्म करने की कोशिश की है।

सफाई कर्मचारियों ने कहा कि वो दिल्ली सरकार की बर्बर उदासीनता के खिलाफ आज यानी गुरुवार को दलित महिला कर्मचारी सूर्यास्त के समय मुख्यमंत्री आवास पर अपने बाल मुंडवा कर उनका त्याग करेंगी। विश्वविद्यालय के सफाई कर्मचारियों ने जीविका के लिए अपने संघर्ष को जारी रखने का प्रण लिया है, चाहे कितना भी भीषण पुलिस दमन और विश्वविद्यालय की उदासीनता का सामना करना पड़े।

इंदिरा गांधी दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर विमेन (आईजीडीटीयूडबल्यू) के सफाई कर्मचारियों ने कल यानी बुधवार से  विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा नौकरी से निकाले जाने के खिलाफ वाल्मीकि जयंती के अवसर पर विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर भूख हड़ताल पर बैठे हैं। कर्मचारियों ने अपनी पूरी रात भी खुले आसमान के नीचे बिताई। ज्ञात हो कि सफाई कर्मचारियों को लगातार दिल्ली सरकार द्वारा आश्वासन दिए गए थे कि उन्हें नौकरी से नहीं निकाला जाएगा। परंतु कर्मचारियों के मुताबिक विश्वविद्यालय प्रशासन और ठेकेदार की मिलीभगत से सफाई कर्मियों को उनकी नौकरियों से निकाल दिया गया है। 

यह ज्ञात हो कि 14 सितंबर 2021 को सफाई कर्मचारियों को उनकी नौकरी से निकाल दिया गया था और वे तब से लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। दिल्ली सरकार के झूठे आश्वासनों के विपरीत नए ठेकेदार को लाया जा चुका है।

ज्ञात हो कि कर्मचारियों के दावे के अनुसार नए ठेकेदार ने सफाई कर्मियों को वापस नौकरी देने के लिए 5000 रुपए की मांग की थी। साथ ही, हर महीने वेतन में से कम-से-कम 2000 रुपए काटने की शर्त रखी थी। इसी ठेकेदार ने कुछ अन्य कर्मचारियों से 20,000 रुपए तक की मांग की थी।

सफाई कर्मचारी यूनियन के ने कहा कि सफाई कर्मियों ने इस गैरकानूनी वसूली का वीडियो प्रमाण उप-मुख्यमंत्री व श्रम मंत्री को भी दिया, परंतु उप-मुख्यमंत्री और उनके अफसरों ने इस पर कुछ भी कार्रवाई नहीं की। ऐसे में, ज़ाहिर है कि विश्वविद्यालय प्रशासन और ठेकेदार की मिलीभगत से हो रही धोखाधड़ी को सरकार का संरक्षण मिल रहा है। ठेकेदार के खिलाफ सख्त कदम लेने के बजाय सफाई कर्मचारियों को गिरफ्तार करके उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कर्मचारियों ने उप-मुख्यमंत्री से इस बाबत मिलने की कोशिश की, जबकि वे उन्हें जानबूझ कर अनदेखा कर तेजी से गाड़ी में निकल गए। इस संदर्भ में यह जानना जरूरी है कि ठेकेदार ने नए सफाई कर्मियों को नौकरी देने के लिए 20,000 रुपए वसूले हैं।

सफाई कर्मचारी यूनियन के हरीश गौतम ने अपने बयाना में बताया कि कई सफाई कर्मी विश्विद्यालय में पिछले 16-17 सालों से काम कर रहे हैं, जिस दौरान कई ठेकेदार बदलते रहे हैं। यह कर्मचारी समाज के सबसे दबे हुए तबके से आते हैं और शहर के सबसे निम्नस्तरीय काम में फंसे हैं। कई मौकों पर उन्हें विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा गटर साफ करने को भी मजबूर किया गया है और वे गरीबी, जातिगत भेदभाव और उत्पीड़न के चक्र में फंसे हुए हैं। यहां तक कि इन सफाई कर्मचारियों को महामारी के दौरान भी काम करने पर मजबूर किया गया और इन्हें सुरक्षा उपकरण और यातायात सुविधाएं तक नहीं दी गईं। एक महिला सफाई कामगार ने कोरोना के समय अपनी जान भी गंवा दी जिसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनके परिवार को कोई मुआवजा नहीं दिया है। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी इन कर्मचारियों ने निरंतर काम किया है, पर इन्हें नौकरी से निकालते समय विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसके बारे में ज़रा भी फिक्र नहीं की।

ज्ञात हो कि आम आदमी पार्टी ने 2020 के अपने चुनावी घोषणापत्र में वादा किया था कि ठेका कामगारों को नियमित किया जाएगा। साथ ही, पूर्व श्रम मंत्री गोपाल राय ने कई प्रेस कान्फ्रेसों में कहा था कि ठेका कंपनियां ठेकाकृत मजदूरों के वेतन से पैसा लूटकर और उनका शोषण करके भारी मुनाफा कमा रही हैं। उन्होंने सुझाव भी दिया था कि सरकारी विभागों और संस्थानों में ठेका प्रणाली में काम करने वाले सभी मजदूरों को सरकार सीधे तौर पर नौकरी दे। साथ ही, राय ने आईजीडीटीयूडबल्यू से लगे हुए अंबेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली (एयूडी) के मामले में 2019 में हस्तक्षेप किया था जब वहां से सभी सफाई कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया था और उन्होंने सुनिश्चित किया कि सभी कर्मचारियों को उनकी नौकरी वापस मिले।

सफाई कर्मचारियों की मांग है कि आम आदमी पार्टी अपने चुनावी वादे को पूरा करे और ठेका प्रणाली में काम कर रहे सभी कामगारों को नियमत नियुक्ति दे। कर्मचारियों ने आम आदमी पार्टी सरकार को चेतावनी दी है कि अगर वाल्मीकि सफाई कर्मियों की नौकरी उन्हें वापस नहीं दी गई तो आने वाले एमसीडी और पंजाब व दिल्ली के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को बेहद प्रतिकूल परिणाम दिखाई देंगे। सफाई कर्मचारियों ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगे नहीं पूरी की जाती हैं, तो वे आने वाले समय में दिल्ली सरकार के सभी कार्यक्रमों में काले झंडे दिखाएंगे।

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