बृजभूषण के क़रीबी संजय सिंह बने कुश्ती संघ के अध्यक्ष, साक्षी मलिक ने छोड़ी पहलवानी
भारतीय कुश्ती संघ का चुनाव आज 21 दिसंबर, 2023 को पूरा हुआ जिसमें बृजभूषण शरण सिंह के क़रीबी माने जाने वाले संजय सिंह ने एकतरफा जीत हासिल की और वे भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के नए अध्यक्ष चुने गए हैं। नए अध्यक्ष के चुनाव के बाद कई बड़े मंचों पर भारत का नाम रौशन करने वाली 31 वर्षीय महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती से अपने संन्यास का ऐलान कर दिया। आपको बता दें, साक्षी 2016 रियो ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान थीं, लेकिन अब आगे वे ऐसी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेती नज़र नहीं आएंगी। बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह के भारतीय कुश्ती संघ का अध्यक्ष बनने के तुरंत बाद ही उन्होंने यह फैसला लिया।
ओलंपिक के अलावा साक्षी मालिक ने 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था, उन्होंने साल 2018 में ब्रॉन्ज़ और 2014 में सिल्वर मेडल अपने नाम किया था। एशियन चैंपियनशिप में उन्होंने चार बार देश का नाम रौशन किया था और मेडल जीतने में सफलता हासिल की थी।
आज गुरुवार को कुश्ती संघ के चुनाव परिणाम के बाद बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ कथित यौन शोषण को लेकर मोर्चा खोलने वाले पहलवानों ने दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक प्रेस वार्ता की। इस प्रेस वार्ता मे पहलवान बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक शामिल हुई। पहलवानों ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया।
साक्षी ने रोते हुए कहा, ‘नई पीढ़ी यौनशोषण के लिए तैयार रहे’
प्रेस वार्ता के दौरान साक्षी मलिक ने रोते हुए कहा, “आज जो महासंघ का अध्यक्ष बना है...हमें पता था वही बनेगा। वह बृजभूषण शरण सिंह के लिए बेटे से भी प्यारा है। जो कुछ अब तक परदे के पीछे से होता था अब खुलेआम होगा, हम अपनी लड़ाई में कामयाब नहीं हो पाए। हमने हर किसी को अपनी बात बताई है। पूरे देश को पता होते हुए भी सही इंसान अध्यक्ष नहीं बना। मैं अपने आने वाली पीढ़ियों से कहना चाहती हूं कि शोषण के लिए तैयार रहिए।”
इसके बाद साक्षी मलिक ने रोते हुए अपने संन्यास का ऐलान किया और जूते टेबल पर ही रखकर प्रेस कॉन्फ्रेंस से चली गईं।
वहीं, रेसलर विनेश फोगाट ने कहा कि "मैं युवा एथलीट्स से कहना चाहती हूं कि अन्याय का सामना करने के लिए तैयार रहें। कुश्ती का भविष्य अंधकार में है।"
बजरंग पूनिया ने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार अपनी इस बात पर कायम नहीं रही कि बृजभूषण का कोई भी वफादार डब्ल्यूएफआई चुनाव नहीं लड़ेगा। खेल मंत्रालय ने वादा किया था कि फेडरेशन में डब्ल्यूएफआई से अलग कोई आदमी नहीं आएगा। जिस तरह पूरे तंत्र ने काम किया उससे मुझे नहीं लगता कि बेटियों को न्याय मिलेगा। हमारे देश में कोई न्याय नहीं बचा है वह केवल कोर्ट में मिलेगा, हमने जो लड़ाई लड़ी वो आने वाली पीढ़ी को और लड़नी पड़ेगी। सरकार ने हमसे वादाखिलाफी की।
इससे पहले बृजभूषण शरण सिंह ने भी ये दावा किया था कि कुश्ती संघ के अध्यक्ष संजय सिंह ही बनेंगे। नए अध्यक्ष संजय सिंह को ‘बबलू’ नाम से भी जाना जाता है। वह उत्तर प्रदेश के कुश्ती संघ और राष्ट्रीय कुश्ती संघ दोनों में पदाधिकारी रहे हैं।
आपको बता दें कि संजय सिंह सबसे पहले 2008 में वाराणसी कुश्ती संघ के जिला अध्यक्ष बने थे। उसके बाद जब यूपी में साल 2009 में कुश्ती संघ बना तो बृजभूषण शरण सिंह प्रदेश अध्यक्ष बने थे और संजय सिंह ने उपाध्यक्ष की ज़िम्मेदारी संभाली थी। साल 2019 में संजय सिंह भारतीय कुश्ती संघ की कार्यकारी कमेटी में संयुक्त सचिव चुने गए थे। वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के चंदौली के रहने वाले हैं।
गौरतलब है कि कुश्ती की वैश्विक संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग ने अगस्त 2023 में निर्धारित समय सीमा के भीतर चुनाव कराने में विफल रहने के कारण WFI को निलंबित कर दिया था और भारत के पहलवानों ने पिछले कुछ महीनों में वैश्विक प्रतियोगिताओं में तटस्थ एथलीट्स के रूप में प्रतिस्पर्धा की थी। आज संपन्न हुए चुनावों से WFI पर लगे प्रतिबंध को हटाने का रास्ता साफ होगा। अध्यक्ष सहित कुल 15 पदों पर चुनाव हुए हैं, जिसमें संजय सिंह ने 13 पदों पर जीत हासिल की। इस चुनाव के बाद कई जानकारों का मानना है कि कुश्ती संघ में अप्रत्यक्ष रूप से बृजभूषण शरण सिंह का दबदबा बरकरार रहेगा।
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