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ब्रिटेन में हड़ताल की लहर, पूरे यूरोप में हलचल 

यह एक ऐसा संकट है जिसमें देखा गया कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार व्यवस्था बनाए रखने के लिए हड़ताली श्रमिकों को नियंत्रित करने के लिए रॉयल ब्रिटिश सेना को तैनात कर दिया गया है।
Uk strike
फ़ोटो साभार: द गार्डियन

यूनाइटेड किंगडम (यूके) में ये सर्दी का मौसम नाराज़ श्रमिक वर्गों का है और पूरे देश में हड़ताल की एक लहर जैसी है। और ब्रिटेन का ये सर्दी का मौसम इसी के साथ नए साल में प्रवेश करेगा।

ब्रिटिश पूंजीपति वर्ग की सबसे प्रामाणिक आवाज़, फाइनेंशियल टाइम्स (Financial Times) ने इसे हाल के वर्षों में सबसे ‘‘विघटनकारी हड़ताल की लहर’’ कहा। सच है, हड़तालों की चल रही यह लहर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के युग में एक सबसे विकसित पूंजीवादी देश में हड़तालों की सबसे तीव्र लहर मानी जाएगी।

पर यह भी सच है कि ये हड़ताल बहुत ही प्रारंभिक और स्वतःस्फूर्त अवस्था में हैं और अभी इसे राजनीतिक समर्थन हासिल करना बाक़ी है। लेकिन उसके व्यापकतम संभावित चरित्र, श्रमिक वर्ग के व्यापक वर्गों को आकर्षित करने को लेकर और भविष्य की क्रांतिकारी क्षमता के विषय में कोई संदेह नहीं है।

ये नियमित हड़ताल की कार्रवाईयां नहीं हैं। ये गुणात्मक रूप से एक उच्च क्रम में हैं, क्योंकि वे ब्रिटिश पूंजीवाद के एक बहुत गहरे संकट के उत्पाद हैं, एक ऐसा संकट जो एक क्लासिक क्रांतिकारी संकट की सीमा पर है, जहां शासक अब पुराने तरीक़े से शासन नहीं कर सकते।

यह एक ऐसा संकट है जिसमें देखा गया कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार व्यवस्था बनाए रखने के लिए हड़ताली श्रमिकों को नियंत्रित करने के लिए रॉयल ब्रिटिश सेना को तैनात कर दिया गया है।

हड़ताल के ‘लहर’ जैसे चरित्र पर भी कोई संदेह नहीं है। निम्नलिखित विवरण पर एक नज़र डालें-

* 15 निजी रेलवे कंपनियों में रेलवे कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले ब्रिटिश रेल कर्मचारियों के अग्रणी संघ ASLEF ने 5 जनवरी 2023 को 24 घंटे की हड़ताल का आह्वान किया है। जुलाई 2022 के बाद से ASLEF की यह छठी हड़ताल है। यह 3-4 जनवरी और 6-7 जनवरी को RMT नामक रेल कर्मचारियों के एक और संघ द्वारा दो प्रस्तावित 48 घंटों की हड़तालों के दरम्यान है-, जिसका मतलब है कि इंग्लैंड, उत्तरी आयरलैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स में 2023 की शुरुआत में लगातार 5 दिनों तक रेल यातायात ठप रहेगा। ओवरटाइम कार्य प्रतिबंध और क्रिसमस की पूर्व संध्या पर 60 घंटे के वाकआउट के ख़िलाफ़ यूके के रेल कर्मचारियों द्वारा पूर्वघोषित कई हड़तालों के कारण रेलवे की यह स्ट्राइक वेव चार सप्ताह के रेल यातायात में व्यवधान पैदा करेगी। जब ASLEF ने हड़ताल को लेकर मतदान किया, उसमें 85% रेल कर्मचारियों ने भाग लिया और भाग लेने वाले 93% श्रमिकों ने हड़ताल के पक्ष में मतदान किया।

* यूके में सीमा शुल्क (Customs) कर्मचारियों को सीमा बल कहा जाता है। हीथ्रो (Heathrow), गैटविक (Gatwick), बर्मिंघम (Birmingham), कार्डिफ (Cardiff), ग्लासगो (Glasgow) और अन्य हवाई अड्डों में सीमा बल के कर्मचारी 23 दिसंबर 2022 से वेतन वृद्धि की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए, जिससे कम से कम 10,000 उड़ानें प्रभावित होंगी। हवाई यात्रियों ने आनन-फानन में अपनी यात्रा की तिथियां बदलनी शुरू कर दी हैं और एयरलाइन कंपनियों ने हड़ताल के दिनों में बुकिंग कम करनी शुरू कर दी है। अमेरिकी सरकार ने सीमा चौकियों का प्रबंधन करने के लिए 1200 सैनिकों को तैनात किया है, लेकिन, विद्रोह के एक असामान्य संकेत में, ब्रिटेन के सशस्त्र बलों के प्रमुख, एडमिरल सर टोनी राडाकिन ने मीडिया को बताया कि “शस्त्र बल व्यस्त रहेंगे” और उन्हें “देश की रक्षा करने की उनकी प्राथमिक भूमिका पर ध्यान केंद्रित करना है”, यात्री पासपोर्ट की जांच पर नहीं! मीडिया रिपोर्टों में अनुमान लगाया गया है कि यात्रियों को हवाई अड्डे के टरमैक में ही घंटों तक अपने विमानों में बैठना होगा क्योंकि उनके पासपोर्ट की जांच में अत्यधिक समय लगेगा।

* नवंबर 2022 से लंदन मेट्रो के कर्मचारी और यूके के अन्य शहरों में ट्यूब कर्मचारी पहले से ही अलग-अलग हड़ताल पर चले गए हैं, जिससे मेट्रो सेवाएं बाधित हुई हैं।

* रेलकर्मियों और हवाई अड्डे की चौकी के कर्मचारियों के अलावा, सड़क कर्मचारी भी हड़ताल पर रहेंगे। यूके में बस सेवाओं के ड्राइवर पहले ही 17 दिसंबर 2022 को 48 घंटे की हड़ताल पर जा चुके हैं और क्रिसमस की छुट्टियों के दौरान फिर से हड़ताल करने की उम्मीद है क्योंकि उनकी मांगें पूरी नहीं हुई हैं। ब्रिटेन में राजमार्गों की देखरेख करने वाले राजमार्ग कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल हो रहे हैं। टैक्सी कर्मचारी यूनियनों ने भी छुट्टियों के मौसम में हड़ताल की घोषणा की है। समुद्री सेवा के श्रमिकों द्वारा हड़ताल की घोषणा - यानी, जलमार्गों में फेरी सेवाओं के कर्मचारी, परिवहन सेवाओं को पूर्ण रूप से बंद कर देंगे।

* सार्वजनिक सेवाओं के कर्मचारी भी हड़ताल पर रहेंगे। 1,00,000 नर्सें पहली बार 15 दिसंबर को हड़ताल पर गईं, 106 वर्षों में उनकी पहली राष्ट्रव्यापी हड़ताल है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (NHS) के 10,000 एंबुलेंस कर्मचारी अपनी तीन यूनियनों Unison, GMB और UNITE के नेतृत्व में 21 दिसंबर को हड़ताल पर रहेंगे। GMB ने 28 दिसंबर 2022 को फिर से हड़ताल का आह्वान किया है। स्वास्थ्य सचिव ने श्रमिकों से बात करने से भी इनकार कर दिया और सरकार ने घोषणा की है कि सैनिक एंबुलेंस सेवा संचालित करेंगे।

* प्रारंभिक समाचार रिपोर्टों से पता चलता है कि 21 दिसंबर 2022 को जूनियर डॉक्टर और स्वास्थ्य क्षेत्र के अन्य अस्पताल कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल हो गए हैं।

* सार्वजनिक क्षेत्र के स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षकों के लिए एक वेतन समीक्षा बोर्ड ने शिक्षकों के लिए 5% से 8.9% वेतन वृद्धि की सिफारिश की थी, लेकिन खुदरा मुद्रास्फीति दो अंक पार कर गई। लेकिन शिक्षा मंत्रालय फंड की कमी बता रहा है। शिक्षक संघों ने हड़ताल को लेकर मतदान शुरू कर दिया है। जल्द ही यूके में शिक्षकों के भी हड़ताल में शामिल होने की संभावना है।

* 71,000 ब्रिटिश टेलीकॉम कर्मचारी जुलाई में हड़ताल पर चले गए, 36 वर्षों में पहली बार! दिसंबर के अंत में वे फिर से हड़ताल पर चले जाएंगे क्योंकि उनकी मांगें पूरी नहीं हुई हैं।

CMW, यूके का डाक कर्मचारी संघ भी 23 और 24 दिसंबर 2022 को हड़ताल पर जा रहा है। नवंबर 2022 के बाद से रॉयल मेल कर्मचारियों की यह छठी हड़ताल होगी।

* यूके सरकार के कर्मचारियों की सबसे बड़ी सिविल सर्विस यूनियन, पब्लिक एंड कमर्शियल सर्विसेज यूनियन ने 10% वेतन वृद्धि की अपनी मांग को लेकर सफल हड़ताल मतदान आयोजित किए हैं। प्रॉस्पेक्ट, सार्वजनिक सेवा कर्मचारियों का एक अन्य संघ भी हड़ताल पर जाने के बारे में अपने सदस्यों के बीच “परामर्शी मतदान” कर रहा है।

* निजी क्षेत्र की कंपनियों में कई अन्य छोटी हड़तालें जारी हैं।

अचानक हड़ताल की यह लहर क्यों?

यूक्रेन युद्ध ने यूरोप, विशेष रूप से ब्रिटेन में ईंधन और खाद्य मुद्रास्फीति के गंभीर संकट को जन्म दिया है। रूस से गैस की आपूर्ति बाधित होने से ऊर्जा की क़ीमतों में छह गुना से अधिक की वृद्धि हुई है और एक गंभीर ऊर्जा संकट पैदा हो गया है। महंगाई, जो एक साल पहले 4.6% थी, जुलाई तक 10% को पार कर गई। सिर्फ़ मज़दूर वर्ग ही नहीं, ब्रिटेन में मध्यम वर्ग की भी, जो आबादी का 50% से अधिक हिस्सा है, परेशानी बढ़ने लगी है।

यह सिर्फ़ महंगाई का संकट नहीं है। यह जीवन संकट की एक आभासी समस्या है। भोजन के ख़र्च से लेकर परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और मनोरंजन तक के ख़र्च- सब कुछ महंगे हो गए हैं। लेकिन स्वत: वेतन वृद्धि की कोई इनबिल्ट व्यवस्था नहीं है। नियोक्ताओं को भी भारी राजस्व संकट का सामना करना पड़ रहा है।

सरकार ने मितव्ययिता कार्यक्रम शुरू किया है और चांसलर ऑफ़ ट्रेजरी (यूके के वित्त मंत्री) से मितव्ययिता बजट की उम्मीद है।

सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारी 20% वेतन वृद्धि की मांग कर रहे थे। लेकिन चांसलर अच्छे प्रदर्शन के लिए 1% की अतिरिक्त वृद्धि के साथ केवल 2.1% वृद्धि की पेशकश करने के लिए तैयार थे। सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारी ग़ुस्से से उबल रहे हैं। निजी क्षेत्र के कामगारों को वेतन में कटौती का सामना करना पड़ रहा है या वेतन में कमी नहीं तो सामान्य रूप से वेतन फ्रीज का सामना करना पड़ रहा है।

ब्रिटेन ने 1980 और 1990 के दशक में आर्थर स्कारगिल के नेतृत्व में साल भर खनिकों की हड़ताल सामना किया था। अब उसी सेक्टर के मज़दूर छोटी अवधि के भीतर बार-बार छोटी हड़तालें करते हैं। लंबी अवधि के वेतन समझौते और वेतन स्थिरता अब पुरानी बात हो गई है।

यह स्थिति ब्रिटेन तक ही सीमित नहीं है। वर्ष 2006 में फ़्रांस में अस्थायी कर्मचारियों द्वारा एक आभासी विद्रोह देखा गया। 2018 में, 80 से अधिक कंपनियों के धातु कर्मचारी सामूहिक हड़ताल पर चले गए। 2012 के बाद से इटली में कई हड़तालें 2014 में एक आम हड़ताल के रूप में समाप्त हुईं। बेल्जियम में 2015 और 2016 में आम हड़तालें हुईं। स्पेन और पुर्तगाल में 2012 में लंबे समय तक मितव्ययिता विरोधी हड़तालें हुईं। लेकिन ब्रिटेन में हड़ताल की वर्तमान लहर को ‘सभी हड़तालों की जननी’ कहा गया है।

सरकार द्वारा हड़ताल-तोड़ने की हताशापूर्ण रणनीति

टोरीज़ सरकार ने जनता के लिए व्यवधान पैदा करने के मक़सद से यूनियनों को दोषी ठहराते हुए एक विज्ञापन जारी किया। यूके में दो अलग-अलग प्रकार के मतदान देखे गए। एक हिस्सा हड़ताल पर जाने या न जाने के बारे में कर्मचारियों की राय मांगने वाले यूनियनों द्वारा हड़ताल मतदान है। यह श्रम क़ानून के तहत एक क़ानूनी आवश्यकता है। केवल उस स्थिति में जब अधिकांश कर्मचारी हड़ताल के पक्ष में मतदान करते हैं, तो यूनियनें हड़ताल शुरू कर सकती हैं। दूसरी ओर, कॉरपोरेट द्वारा वित्तपोषित मीडिया और ग़ैर-सरकारी संगठनों ने हड़ताल के लिए जनता के समर्थन की सीमा को सत्यापित करने के लिए आम जनता के बीच एक अलग प्रकार का मतदान- एक जनमत सर्वेक्षण- किया है। हालांकि इस संबंध में कोई क़ानूनी शर्त नहीं है, लेकिन इसका इस्तेमाल हड़ताली कर्मचारियों के ख़िलाफ़ एक शक्तिशाली प्रचार के रूप में किया जाता है। उदाहरण के लिए, कई सरकारी एजेंसियों ने प्रचार किया कि NHS स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल के लिए जनता का समर्थन कम हो गया है और बहुमत रेल हड़ताल का समर्थन नहीं करता।

आख़िरकार, अंतिम हथियार सेना ही बनी। एंबुलेंस चलाने के लिए और आने वाले यात्रियों के पासपोर्ट की जांच करने के लिए भी सेना तैनात की गई थी। लेकिन घेराबंदी में आई सरकार ने हड़ताली श्रमिकों के ख़िलाफ़ कोई सीधी अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं की और वह आपातकाल घोषित कर हड़ताल पर रोक लगाने की स्थिति में नहीं है।

यूनियनों ने भी सबक़ सीख लिया है और अपनी हड़तालों के समर्थन में आम जनता से एकजुटता हासिल करने की सोचने लगी हैं। स्वास्थ्य कर्मियों ने आपातकालीन सेवाओं, बाल स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं आदि को हड़ताल से छूट दी है। चूंकि सामान्यीकृत मुद्रास्फीति सभी वर्गों को परेशान करती है, हड़तालों का औचित्य बहुमत द्वारा महसूस किया जा रहा है।

ब्रिटेन की हड़तालों ने कई मिथकों को तोड़ दिया

बुर्जुआ प्रचारक यह प्रचार कर रहे हैं कि इंग्लैंड में यूनियनों की सदस्यता में गिरावट आ रही है और वे अब लेबर पार्टी के मज़बूत चुनावी स्तंभ के रूप में नहीं रह गए हैं। उन्होंने इस विचार को भी प्रचारित किया कि ट्रेड यूनियन श्रमिक अभिजात वर्ग के संगठन बन गए हैं। और यह भी फैलाया कि सेवा क्षेत्र के कर्मचारी और तकनीकी कर्मचारी अब हड़ताल नहीं करेंगे। वर्तमान हड़ताल की लहर ने इन सभी बातों को ख़ारिज कर दिया है। इन सबके अलावा, बुर्जुआ विचारकों ने ‘इतिहास का अंत’ और ‘पूंजीवाद के स्थायित्व’ की घोषणा की थी। लेकिन ब्रिटेन ने दिखाया है कि पूंजीवाद के इतिहास में ऐसे संकट अपवाद के बजाय आदर्श (norm) बन गए हैं।

यूके को रेलवे के निजीकरण के मॉडल के रूप में पेश किया जाता रहा है। ब्रिटिश रेल को अलग-अलग वेतनमान और काम की स्थिति वाली 15 निजी कंपनियों में विभाजित किया गया था, लेकिन संकट की स्थिति में, सभी 15 निजी कंपनियों के कर्मचारियों ने संयुक्त हड़ताल की कार्रवाई शुरू कर दी है।

एक और विचार जो हाल-फ़िल्हाल प्रचारित किया गया, वह यह था कि क्रांतियां इतिहास की बातें रह गई हैं और 19वीं और 20 वीं शताब्दी की परिघटना थीं। लेकिन पहले श्रीलंका, उसके बाद पाकिस्तान और फिर नाइजीरिया ने क़रीब-क़रीब क्रांति जैसी स्थिति देखी हैं। सर्वहारा वर्ग की एक सचेत पार्टी की उपस्थिति आसानी से उन क्रांतिकारी उभारों को एक आभासी क्रांति में बदल सकती थी, जो शासन को उखाड़ फेंकने के बाद प्रणालीगत परिवर्तन लाती। हालांकि ऐसी क्रांतिकारी लहरें मुख्य रूप से केवल विकासशील देशों में ही फूट पड़ीं, अब उन्होंने विकसित पूंजीवादी देशों में भी अपनी शुरुआती गतिशीलता दिखाई है- पहले 2015 में ग्रीस में और अब 2022 में यूके में।

कम ही लोग जानते हैं कि फ्रांस, बेल्जियम, इटली और यहां तक कि जर्मनी में भी नवंबर 2022 से मिनी स्ट्राइक वेव्स देखी जा रही हैं। 1848, यानी कम्युनिस्ट घोषणापत्र के वर्ष से, यूरोपीय महाद्वीप में एक संयुक्त मज़दूर वर्ग का उत्थान चरम क्रांतिकारियों (तंकपबंसे) का सपना रहा है। वह क्षितिज पर दिखाई दे रहा है। अफसोस की बात है कि अब तक भारतीय ट्रेड यूनियनों को एकजुटता का ऐसे एक हाई-प्रोफाइल शो में आना बाकी है।

अक्टूबर क्रांति के बाद, यूरोपीय पूंजीपति वर्ग ने श्रमिक आंदोलन के एक वर्ग को शामिल किया और जानबूझकर समाजवादियों और कम्युनिस्टों के ख़िलाफ़ दक्षिणपंथी ‘सामाजिक- जनवाद’ की ताक़तों का समर्थन किया। USSR के पतन के बाद समाजवाद को ज़ोर-शोर से मृत घोषित कर दिया गया। विडंबना यह है कि समाजवाद ने हाल ही में उदार विपक्ष के भीतर लेबर पार्टी के रूप में सिर उठाया और जेरेमी कॉर्बिन आर्थर स्कारगिल के नक्शेक़दम पर चलते हुए प्रमुखता हासिल किये। इसी तरह की घटना कुछ अन्य यूरोपीय देशों में भी देखी जा रही है।

विडंबना यह है कि समाजवादी सोवियत संघ नहीं, बल्कि पूंजीवादी रूस ने अब पूंजीवादी यूरोप को एक क्रांतिकारी स्थिति के क़रीब धकेल दिया है और अगले कुछ वर्षों में यूरोपीय नीति में वामपंथी बदलाव की उम्मीद है। जैसा कि वैश्विक मंदी अभी भी चल रही है, यूरोप में क्रांतिकारी स्थिति कैसे विकसित होगी, अभी इसका अंदाज़ा भर लगाया जा सकता है।

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