नवोदय और केंद्रीय विद्यालयों में हज़ारों शिक्षकों के पद ख़ाली, ऐसे कैसे पढ़ेगा और बढ़ेगा इंडिया?
विश्वगुरु बनने की चाहत रखने वाले भारत में गुरुओं की इतनी कमी है कि हजारों की संख्या में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के पद खाली हैं। देश में जहां रोज़गार की मार है वहीं शिक्षा के क्षेत्र में रिक्त पदों की भरमार है और ये सरकार खुद कह रही है। लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में सरकार ने बताया है कि केंद्रीय विद्यालयों में टीचर्स के 12 हजार से ज्यादा पद खाली हैं। वहीं अगर नवोदय विद्यालय की बात करें, तो यहां 2021 में टीचर्स के कुल 3158 पद खाली हैं।
बता दें कि कैटेगरी के आधार पर खाली पदों को देखा जाए तो केंद्रीय विद्यालय में सबसे ज्यादा 457 पद ओबीसी यानी अन्य पिछड़ा वर्ग के टीचर्स के खाली हैं। तो वहीं अनुसूचित जाति कैटेगरी में 337, अनुसूचित जनजाति में 168 और ईडब्लूएस कैटेगरी में 163 पद खाली हैं। नवोदय विद्यालयों में सबसे ज्यादा 676 पद अन्य पिछड़ा वर्ग कैटेगरी में खाली हैं। एससी कैटेगरी में 470, एसटी में 234 और ईडब्लूएस कैटेगरी में 194 पद खाली हैं।
क्या है पूरा मामला?
संसद के मौजूदा मानसून सत्र में तमिलनाडु से एआईएडीएमके सांसद पी रविन्द्रनाथ ने केंद्रीय विद्यालयों में टीचिंग और नॉन-टीचिंग की खाली सीटों का मुद्दा उठाया था। उन्होंने पूछा था कि देश भर के केंद्रीय विद्यालयों में टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ के कितने पद खाली हैं और सरकार की ओर से इन्हें भरने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
इसके जवाब में सरकार की ओर से ये जानकारी दी गई कि केंद्रीय विद्यालय संगठन में टीचिंग स्टाफ के कुल 12,044 पद खाली हैं। जबकि 1322 पद नॉन टीचिंग स्टाफ के खाली हैं। ये आंकड़ा 30 जून 2022 तक का है। केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक केंद्रीय विद्यालयों में टीचिंग स्टाफ की सबसे ज्यादा कमी तमिलनाडु में है। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने बताया कि तमिलनाडु में 1162, मध्यप्रदेश में 1066, कर्नाटक में 1006 और पश्चिम बंगाल में 964 टीचर्स के पद खाली हैं।
इससे पहले कटक से लोकसभा सांसद भर्तृहरि महताब के एक सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्रालय ने नवोदय विद्यालयों में खाली टीचर्स के पदों का ब्यौरा भी दिया था। शिक्षा मंत्रालय ने बताया था कि साल 2019 में नवोदय विद्यालयों में टीचर्स के कुल 3160 पद, 2020 में 3414 पद खाली थे। नवोदय विद्यालयों में टीचर्स के सबसे ज्यादा खाली पद झारखंड में हैं। जहां 230 टीचर्स के पद खाली हैं। इसके बाद नंबर आता है मध्यप्रदेश का, जहां खाली पदों की संख्या 224 हैं।
इन खाली पदों को लेकर केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी का कहना है कि शिक्षकों की भर्ती एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। अलग-अलग वजहों जैसे- टीचर्स का रिटायरमेंट या छात्रों की संख्या में इजाफा होने से शिक्षकों की सीट पर वैकेंसी आती रहती है। शिक्षकों की भर्ती एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है और सरकार इसके संबंध में प्रयास कर रही है। हालांकि मंत्री जी का जवाब कितनों को संतुष्ट करेगा, ये तो कहना मुश्किल है लेकिन इतना जरूर तय है कि ये खाली शिक्षकों के पद बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हैं।
बेरोज़गारी चरम पर, लेकिन नियुक्ति एकदम नरम
गौरतलब है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में जहाँ एक और बेरोजगारी इतनी अधिक हैं, कोई नई नौकरिया नहीं हैं, वहीं दूसरी और जो सरकारी पद पहले से स्वीकृत हैं उन पर भी नियुक्ति नहीं हो रही हैं। केंद्र तथा राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों के आंकड़ों पर किये गए अध्ययन से पता चलता है कि रिक्त पदों कि संख्या लाखों में है। बीजेपी के नेतृत्व वाली नरेंद्र मोदी सरकार और राज्य सरकारों का रवैया इन नौकरियों को लेकर बहुत ही उदासीनता वाला रहा है। नौकरी देने कि बजाय सारा ध्यान इस और है कि कैसे इन आंकड़ों को छुपाया जाए।
अलग-अलग रिपोर्ट्स की मानें तो, उच्च शिक्षा के अंतर्गत केंद्रीय विश्वविद्यालयों, IIT/IIIT/IIM/NIT और केंद्र सरकार के दूसरे शिक्षण संस्थानों में करीब 37 हजार पद, केंद्रीय विद्यालयों (KV), जवाहर नवोदय विद्यालयों और राज्यों के प्राथमिक शिक्षा के स्कूलों में 8.5 लाख पद रिक्त हैं। Rural Health Statistics के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक पूरे देश में हेल्थ सेक्टर में 1.68 लाख पद और आंगनबाड़ी में 1.76 लाख पद रिक्त हैं।
देश के पब्लिक सेक्टर बैंकों में 2 लाख पद, रक्षा क्षेत्र में इंडियन आर्मी में 1.07 लाख पद, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल में करीब 92 हजार पद, इसके साथ ही राज्यों के पुलिस विभाग में 5.31लाख पद खाली हैं, वहीं देश भर की अदालतों जिनमें उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय और निचली अदालतें शामिल हैं, में पांच हजार से अधिक पद खाली हैं।
बहरहाल, देश में करोड़ों युवा काम न मिल पाने के कारण रोजगार को लेकर हताश हैं। तो वहीं इस तरह से बड़ी संख्या में पदों का खाली होना निराशानजनक है। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली नरेंद्र मोदी सरकार और राज्य सरकारें रोजगार को लेकर कितना चिंतित है उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता हैं कि रिक्त पदों कि संख्या में लगातार वर्ष-दर-वर्ष बढ़ोत्तरी हो रही है, परन्तु इसके बावजूद इन पदों पर नियुक्ति करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाये जा रहे हैं।
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