BHU: बदसलूकी से नाराज़ डॉक्टर्स हड़ताल पर, मरीज़ परेशान
उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के सर सुंदरलाल चिकित्सालय में कथित तौर पर जूनियर डॉक्टरों के साथ मारपीट और इमरजेंसी विभाग में तोड़फोड़ करने वाले छात्रों की गिरफ्तारी नहीं होने से पिछले पांच दिनों से जारी हड़ताल तूल पकड़ती जा रही है। जूनियर डॉक्टर आरोपी छात्रों की गिरफ्तारी पर अड़े हैं और कमिश्नरेट पुलिस डॉक्टरों को आश्वासन देकर विवाद को ठंडा करने की कोशिश कर रही है। नतीजा, हड़ताल के गतिरोध टूटने की कोई राह नहीं नज़र आ रही है। जूनियर डॉक्टरों ने अल्टीमेटम दिया है कि "जब तक 'हमलावरों' की गिरफ्तारी नहीं होगी, तब तक आईसीयू, इमरजेंसी समेत सभी सेवाएं ठप रहेंगी। सोमवार को दोपहर बाद बड़ी संख्या में मेडिकल स्टूडेंट्स ने अस्पताल परिसर में पहुंचकर प्रदर्शन किया और नारेबाजी की।"
घटनाक्रम के मुताबिक, बीएचयू स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल के सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में 20 सितंबर 2023 की देर रात भूतल पर इमरजेंसी डॉक्टर इलाज में लगे थे। इसी बीच लिफ्ट से बीएचयू के कुछ छात्र इमरजेंसी में आए और अपने परिजनों का इलाज जल्द कराने का दबाव बनाने लगे। बाद में दोनों पक्षों में कहासुनी होने लगी। सुरक्षाकर्मियों ने शांत कराने का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं बनी। सुरक्षाकर्मियों से भी उनकी नोक-झोंक होने लगी। आरोप है कि "इमरजेंसी में इलाज कर रहे जूनियर डॉक्टरों ने आपत्ति जताई और वहां मौजूद युवकों से बाहर जाने को कहा। इससे नाराज युवकों ने कई जूनियर डॉक्टरों पिटाई शुरू कर दी।" आरोप के मुताबिक़ "इस वारदात में दो महिलाओं के अलावा पांच जूनियर डॉक्टर घायल हो गए। प्रॉक्टोरियल बोर्ड की टीम सभी को ट्रॉमा सेंटर ले गई, जहां इमरजेंसी में उनका इलाज किया गया।"
इमरजेंसी में हुई मारपीट को लेकर बीएचयू प्रशासन ने जांच कमेटी गठित कर दी है, जिसमें आईएमएस बीएचयू के दो सदस्य शामिल हैं। बीएचयू आईक्यूएसी के वाइस चेयरमैन प्रो. एवैशंपायन को कमेटी का चेयरमैन बनाया गया है। जांच कमेटी से यथाशीघ्र जांच रिपोर्ट देने को कहा गया है। जूनियर डॉक्टरों ने कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग उठाई है। इस बीच आईएमएस बीएचयू के निदेशक प्रो. एसके सिंह और अस्पताल के कार्यवाहक एमएस प्रो. अंकुर सिंह ने जेआर (जूनियर रेजिडेंट) और एसआर (सीनियर रेजिडेंट) से काम पर लौटने की अपील की है। बीएचयू प्रशासन की ओर से कहा गया है कि रेजिडेंट डॉक्टरों की मांग पर प्राथमिकता के आधार पर कार्रवाई के लिए पुलिस और जिला प्रशासन को चिट्ठी भेजी गई है।
आश्वासन पर नहीं मान रहे जेआर
हड़ताल की वजह से ओपीडी में मरीज़ों और उनके तीमारदारों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। हड़ताल के चलते रोजाना हज़ारों लोगों को लौटना पड़ रहा है। बीएचयू अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर के जूनियर डॉक्टर 21 सितंबर 2023 से हड़ताल पर हैं। वो सारा कामकाज छोड़कर आईएमएस निदेशक के दफ्तर पर बैठ रहे हैं। वह कई दिनों से ओपीडी का बायकाट कर रहे हैं। राहत की बात यह है कि नर्सिंग छात्र इमरजेंसी के साथ ही अस्पताल के वार्डों में मरीज़ों के इलाज में लगे है।
जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल खत्म कराने के लिए भेलूपुर के एसीपी प्रवीण सिंह आईएमएस के निदेशक प्रो.एसएन सिंह, ट्रॉमा सेंटर प्रभारी प्रो. सौरभ सिंह, डॉ. अभिषेक पाठक, डॉ. ललित अग्रवाल से मिलकर कई मर्तबा अफसरों से बातचीत कर चुके हैं। पुलिस अफसर आरोपी छात्रों के ख़िलाफ़ जल्द ही कार्रवाई का भरोसा दिलाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अभी तक सहमति नहीं बन पाई है। आईएमएस निदेशक की मौजूदगी में जूनियर डॉक्टरों से वार्ता के बाद एसीपी प्रवीण सिंह ने कहा है कि बहुत जल्द ही इस पर कार्रवाई होगी। जूनियर डॉक्टर हमलावर छात्रों की तत्काल गिरफ्तारी, पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था की मांग पर अड़े हुए हैं। मांग पूरी होने तक उन्होंने हड़ताल को जारी रखने का निर्णय लिया है।
बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल की इमरजेंसी में आए दिन होने वाली मारपीट, तोड़फोड़ की घटना से क्षुब्ध जूनियर डॉक्टरों ने अस्पताल की इमरजेंसी में पुलिस चौकी स्थापित करने और प्रॉक्टोरियल बोर्ड की ओर से हर चार घंटे में पेट्रोलिंग, इमरजेंसी में सुरक्षा व्यवस्था को और दुरुस्त करने की मांग उठाई है। डिप्टी चीफ प्रॉक्टर प्रो. ललित मोहन अग्रवाल ने पेट्रोलिंग के मुद्दे पर अलग से व्यवस्था बनाए जाने पर सहमति जताते हुए इसे जल्द ही लागू कराने की बात कही है। भेलूपुर के एसीपी प्रवीण सिंह कहते हैं, "इमरजेंसी में लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज से आरोपियों की पहचान हो गई है। उनके संभावित ठिकानों पर दबिश दी जा रही है। घटना को अंजाम देने वाले जल्द ही पकड़ में आ जाएंगे।"
निकाला कैंडल मार्च
बीएचयू अस्पताल में मारपीट की घटना के विरोध में जूनियर डॉक्टर कई दिनों से हर शाम कैंडल मार्च निकाल रहे हैं। रविवार की देर शाम को आईएमएस बीएचयू गेट से वीसी आवास तक कैंडल मार्च भी निकाला। इससे पहले उन्होंने आईएमएस गेट के पास नुक्कड़ नाटक का मंचन किया। नाटक में अस्पताल की इमरजेंसी में घटित घटना के दृश्य का मंचन किया गया।
जूनियर डॉक्टर विजय कुमार ने न्यूज़क्लिक से कहा, "डॉक्टरों पर हमला करने के मामले में बीएचयू के सात छात्र चिन्हित किए गए हैं। हम चाहते हैं कि हमलावरों को सज़ा मिले। कई बार हमें 36-36 घंटे काम करना पड़ता है। बीएचयू में जेआर और एसआर की संख्या करीब 550 से 600 है। हर रोज पांच-छह हज़ार मरीज़ों का इलाज करना पड़ता है। हम भी इंसान हैं। हमारी मुश्किलों को कोई समझने वाला नहीं है। बीएचयू में कई ऐसे गैंग संचालित किए जा रहे हैं जो मरीज़ों के तीमारदारों से सुविधा शुल्क लेकर डॉक्टरों पर दबाव बनाकर काम कराते हैं। छात्रों को पहले हेल्थ डिस्पेंसरी से रेफर कराने के बाद अस्पताल में इलाज कराने आना चाहिए, लेकिन वो सीधे आते हैं और डॉक्टरों के साथ ज़ोर-ज़बरदस्ती करते हैं। यह सिलसिला सालों से चल रहा है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। इस घटना से साफ़ हो गया है कि जूनियर डॉक्टरों के लिए काम-काज का माहौल कितना असुरक्षित है और सरकार को उनकी कितना चिंता है।"
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, "बीएचयू में इमरजेंसी, अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर को मिलाकर करीब 350 से अधिक सर्जरी टालनी पड़ी है। बीएचयू अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर में मिलाकर हर दिन औसतन 150 से अधिक सर्जरी होती है, लेकिन चार दिन से महज़ 50 से 55 मरीज़ों की सर्जरी हो पा रही है। सामान्य ऑपरेशन को टाल दिया जा रहा है। जूनियर डॉक्टरों ने बताया कि जब सब कुछ सीसीटीवी फुटेज में कैद है तो पुलिस क्यों नहीं गिरफ्तारी कर रही है, यह समझ से परे हैं। बिना सुरक्षा के इस माहौल में काम करना भी ठीक नहीं है।"
तड़प रहे मरीज़
जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल से मरीज़ों और उनके तीमारदारों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ट्रामा सेंटर में भी सिर्फ एक्सीडेंट के केस लिए जा रहे हैं। सोमवार की सुबह अपने मरीज़ों को दिखाने के लिए विभिन्न राज्यों से तमीरदार बीएचयू अस्पताल पहुंचे, लेकिन अस्पताल की ओपीडी में सिर्फ सीनियर डॉक्टर ही बैठ रहे हैं। काफी मरीज़ों को निराश होकर लौटना पड़ रहा है। अस्पताल के साथ ही सुपर-स्पेशियलिटी ब्लॉक में ओपीडी सहित कई विभागों में तो सीनियर डॉक्टर भी नहीं बैठे। कुछ नए मरीज़ों ने भी हाथ में पर्चा कटवाकर उसे जमा कर दिया। वे इस उम्मीद में बैठे रहे कि सीनियर डॉक्टर आकर देखेंगे, लेकिन जब उन्हें पता चल रहा कि डॉक्टर नहीं देखेंगे तो उन्हें निराश होकर लौटना पड़ रहा है।
जूनियर डॉक्टर्स ने 24 सितंबर 2023 को खुद को जनरल ओपीडी से भी अलग कर लिया था, जिसके बाद सीनियर डॉक्टर्स ने मोर्चा संभाला लिया है। भर्ती मरीज़ों की ज़िम्मेदारी नर्सिंग स्टूडेंट्स के हवाले की गई है। यहां से रोजाना पांच से छह हज़ार मरीज़ अस्पताल से वापस लौटाए जा रहे हैं। मरीज़ों को लेकर बीएचयू आने वाले लोग परेशान हैं। कुछ को प्राइवेट अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ रहा है। बीएचयू अस्पताल में दिखाने के लिए झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार और मध्य प्रदेश से आए मरीज़ हड़ताल खत्म होने की उम्मीद में यहां ठहरे हुए हैं।
इमरजेंसी में बुखार से पीड़ित चंदौली से आए एक मरीज़ शिवपाल ने बताया, "हम स्ट्रेचर पर कई घंटे पड़े रहे। बाद में हमें कुछ दवाएं देकर लौटा दिया गया। कहा गया कि सिर्फ गंभीर मरीज़ों को ही देखा जा रहा है।"
डेंगू से पीड़ित अभिषेक कुमार गुप्ता ने बताया कि हम दिल्ली गए थे। वहीं हमें बुखार आ गया। बनारस लौटे तो हालत खराब हो गई। इमरजेंसी में पहुंचे, लेकिन हमें भर्ती नहीं किया गया। प्लेटलेट्स की जांच लिखी गई है। रिपोर्ट मिलने के बाद सही स्थिति का पता चल पाएगी। फिलहाल हम चल-फिर नहीं पा रहे हैं। स्थिति कब सुधरेगी, पता नहीं।"
गाजीपुर से अपने मरीज़ को लेकर बीएचयू अस्पताल लेकर आए राम कुमार ने बताया, "मेरे मरीज़ को तेज़ बुखार और पैर में दर्द था। उन्हें इमरजेंसी में भर्ती कराया। जांच लिखी गई। बाद में यह कह दिया गया कि डॉक्टरों का हड़ताल चल रही है। अपने मरीज़ को किसी दूसरे अस्पताल में ले जाइए।"
जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल कब ख़त्म होगी, कुछ पता नहीं लेकिन जल्द से जल्द इसका समाधान निकलना ज़रूरी है क्योंकि इसके कारण बड़ी संख्या में मरीज़ परेशान हो रहे हैं, इनमें वो मरीज़ भी शामिल हैं जो गंभीर रूप से पीड़ित हैं।
(लेखक बनारस स्थित वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
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