बनारसः योजनाओं के लिए 'ज़मीन अधिग्रहण' के ख़िलाफ़ किसानों का प्रदर्शन
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में आधा दर्जन आवासीय योजनाओं के लिए हजारों एकड़ ज़मीन अधिग्रहित करने के लिए नोटिस भेजे जाने से किसान गुस्से में हैं। भूमि अधिग्रहण के विरोध में किसानों ने बनारस जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। कड़ाके की ठंड के बावजूद शास्त्री घाट पर सभा हुई। बाद में कई गांवों से आए किसानों ने जुलूस निकाला और नारेबाजी करते हुए जिलाधिकारी कार्यालय पर पहुंचे और कैंट के एसीपी, वाराणसी कमिश्नर व मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश को संबोधित ज्ञापन सौंपा।
आवास एवं विकास परिषद ने बनारस में विभिन्न योजनाओं के लिए हजारों एकड़ ज़मीन के अधिग्रहण के लिए दर्जनों गांवों के किसानों को डाक विभाग के जरिये बड़े पैमाने पर नोटिस जारी किया है। किसानों को निर्देश दिए गए हैं कि एक महीने के अंदर आवास विकास परिषद के दफ्तर में नाम और पता सही करा लें। कुछ किसानों की ज़मीन का ब्योरा खतौनी में सही ढंग से दर्ज नहीं है। काशी द्वार योजना के लिए पिंडरा तिराहे के पास चकइंदर, जद्दूपुर, पिंडरा, पिंडराई, बहुतरा, बसनी, बेलवां, पुरारघुनाथपुर, कैथौली, समोगरा आदि गांवों में ज़मीनों का अधिग्रहण किया जाना है। दूसरी ओर, वैदिक सिटी के लिए सारनाथ के हसनपुर, पतेरवा, सिंहपुर, सथवां और हृदयपुर के किसानों को ज़मीन अधिग्रहित करने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं।
आवास एवं विकास परिषद ने वर्ल्ड सिटी के लिए बझियां, विशुनपुर, देवनाथपुर, हरहुआ, इदिलपुर, मिर्जापुर, प्रतापपट्टी, रामसिंहपुर, सिंहपुर, वाजिदपुर में आवासीय योजना का खाका खींचा है। वरुणा विहार एक और दो के लिए रिंग रोड फेज-दो के दोनों तरफ कैलहट, भगतपुर, कोईराजपुर, गोसाईपुर, अठगांवा, लोहरापुर, गोसाईपुर, वीरसिंहपुर, सरवनपुर, वाजिदपुर, सहाबुद्दीनपुर, रामसिंहपुर, सिंगापुर, देवनाथपुर, प्रतापपट्टी में ज़मीनों का अधिग्रहण किया जाना है। काशी द्वार हाईटेक आवासीय योजना के लिए दस गांवों की करीब 957 एकड़ ज़मीन, वैदिक सिटी के लिए सारनाथ के आसपास के पांच गांवों की 109 हेक्टेयर (269 एकड़) ज़मीन का अधिग्रहण किया जाना है। दोनों टाउनशिप परियोजना में होटल, रिजॉर्ट, आवासीय भवन, कमर्शियल भवन, शॉपिंग मॉल, कन्वेंशन सेंटर, योग केंद्र के अलावा विभिन्न देशों के धार्मिक स्थल बनाए जाएंगे। किसानों का कहना है कि "बनारस जिले का आकार पहले से ही छोटा हो गया है। किसानों के पास कुछ ही जमीनें बची हैं। ये जमीनें छिन गईं तो लोगों के पास कुछ भी नहीं बचेगा। किसानों के हजारों बच्चे और महिलाएं बेरोजगार हो जाएंगे।"
योजनाओं का विरोध क्यों?
शास्त्री घाट पर आयोजित सभा में सीपीएम के प्रदेश सचिव डॉ. हीरालाल ने कहा कि, "उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद ने काशी द्वार योजना के लिए उस इलाके के किसानों की ज़मीनों के अधिग्रहण की योजना बनाई है जिनकी जोत बहुत छोटी हैं। इस योजना का खाका इस तरह से खींचा गया है ताकि सिर्फ दलित और पिछड़ी जाति के लोग इसके जद में आएं। किसान जान दे देंगे, लेकिन ज़मीन नहीं देंगे। काशी द्वारा योजना, वैदिक सिटी, वर्ल्ड सिटी आदि योजनाओं के जरिये सरकार किसानों को बर्बाद करने पर उतारू है। कई पीढ़ियों से खेती-किसानी कर रहे अन्नदाताओं को बेदखल करना अन्यायपूर्ण और विनाशकारी है। ज़मीन ही किसानों की जीविका और जीवन का मुख्य आधार है।"
किसान न्याय मोर्चा के प्रदेश संयोजक एडवोकेट महेंद्र यादव ने कहा, "डबल इंजन की सरकार ने जिन गांवों में ज़मीनों के अधिग्रहण की योजना बनाई है वहां कई उच्च जातियों के बड़े किसान भी हैं लेकिन उनकी जमीनें जानबूझकर छोड़ दी गई हैं। हाईवे के किनारे बड़े किसानों की जमीनें आखिर क्यों अधिग्रहीत नहीं की जा रही हैं? पहले से गरीब लोगों को और गरीब बनाने की यह योजना किसी के गले से नीचे नहीं उतर रही है। काशी द्वारा और दूसरी योजनाओं के अंतर्गत ली जाने वाली ज़मीन बहुफसली और बहुत उपजाऊ हैं। यहां किसानों व गांवों को उजाड़ कर कॉलोनी बनाना और नए बाजार स्थापित करना विवेकहीन कदम है।"
"जान दे देंगे, ज़मीन नहीं"
किसानों की जनसभा को संबोधित करते हुए सीपीआई(एम) जिला मंत्री नंदलाल पटेल ने कहा, "काशी द्वार योजना के लिए आखिर बड़े किसानों की ज़मीन का अधिग्रहण क्यों नहीं किया जा रहा है। ज़मीन के छोटे टुकड़े से ही किसानों की आजीविका चलती है। बेलवां गांव में मुसहर और नट समुदाय की ज़मीन के अधिग्रहण की योजना क्यों बनाई गई है?"
आंदोलनकारी किसानों का नेतृत्व कर रहे किसान सभा के अध्यक्ष रामजी सिंह ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा, "किसान अपनी ज़मीन कतई नहीं देंगे क्योंकि अधिग्रहण होने के बाद उनके पास एक इंच ज़मीन नहीं बचेगी। इस योजना से पहले इलाके के तमाम किसानों की जमीनें बाबतपुर एयरपोर्ट के विस्तारीकरण और सांस्कृतिक संकुल के लिए अधिग्रहित की जा चुकी हैं। ऐसे में एक ही इलाके में ज़मीनों का अधिग्रहण न्यायोचित नहीं है।"
किसानों के इस प्रदर्शन को कांग्रेस के जिला अध्यक्ष राजेश्वर सिंह, पूर्व एमएलसी अरविंद सिंह, सपा नेता अतहर जमाल लारी, सीपीआई के जिला मंत्री जयशंकर सिंह समेत कई लोगों ने अपना समर्थन देते हुए कहा कि "अगर दो सप्ताह में योजना रद्द नहीं की गई तो किसान अपने आंदोलन को तेज़ करेंगे।"
बनारस के शास्त्री घाट पर जनसभा के बाद किसानों ने जुलूस निकाला। जुलूस में शामिल लोग नारेबाजी कर रहे थे। आवास एवं विकास परिषद की आवासीय योजनाओं को रद्द कराने की मांग उठाते हुए बड़ी संख्या में बनारस जिला मुख्यालय पहुंचे किसानों ने जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। इसके बाद वाराणसी कमिश्नर व मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश को मांग-पत्र भेजा।
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