यूपी: बहराइच में मूर्ति विसर्जन के दौरान दो समुदायों में विवाद, एक व्यक्ति की मौत, शव रखकर प्रदर्शन
उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में मूर्ति विसर्जन को लेकर विवाद का मामला सामने आया है। महसी तहसील के महराजगंज कस्बे में रविवार की शाम डीजे पर बज रहे गाने को लेकर विवाद हुआ। आरोप है कि डीजे पर गाना बजाने के विरोध में एक अन्य समुदाय के युवकों ने गाली-गलौज की और छत से पत्थर फेंके। बताया जाता है कि पत्थर से मां दुर्गा की प्रतिमा विखंडित हो गई। इससे आक्रोशित दूसरे समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया।
अमर उजला की रिपोर्ट के अनुसार, आरोप है कि प्रदर्शन के दौरान दूसरे समुदाय के लोग एक युवक को घर के अंदर खींच ले गए और गोली मार दी, जिससे रेहुवा मंसूर निवासी रामगोपाल मिश्रा (24) की मौत हो गई। वहीं, उसे बचाने पहुंचे राजन (28) भी गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके अलावा, लगभग एक दर्जन अन्य लोगों के घायल होने की बात कही जा रही है। स्थिति को काबू में करने के लिए मौके पर छह थानों की पुलिस और पीएसी तैनात की गई है। एसपी वृंदा शुक्ला समेत अन्य आला अधिकारी महराजगंज में कैंप कर रहे हैं।
इस घटना को लेकर प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि महसी तहसील की प्रतिमा शांति पूर्वक विसर्जन के लिए जा रही थी। महराजगंज कस्बे में पहुंचने पर कस्बा निवासी सोनार अब्दुल हमीद अपने बेटे सबलू, सरफराज और फहीम के साथ मौके पर पहुंचे और गाली-गलौज शुरू कर दी। मूर्ति के साथ चल रहे लोगों ने जब इसका विरोध किया, तो छतों से पत्थरबाजी कर दी, जिसमें मां दुर्गा का हाथ खंडित हो गया। इसके बाद विसर्जन रोककर लोगों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। आरोप है कि इस दौरान हमीद और उनके साथ मौजूद हजारों की भीड़ मौके पर पहुंची और उपद्रव शुरू कर दिया, जिससे भगदड़ मच गई।
घटना की जानकारी मिलने के बाद, एसपी वृंदा शुक्ला पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचीं और स्थिति को संभालने का प्रयास किया। उन्होंने मीडिया को बताया कि मौके पर दो प्लाटून पीएसी तैनात की गई हैं और छह थानों की पुलिस भी मौजूद है। मामले की जांच की जा रही है।
विसर्जन जुलूस में शामिल लोगों ने आरोप लगाया कि भगदड़ के दौरान दूसरे समुदाय के लोग रामगोपाल मिश्रा (24) को खींचकर अपने घर ले गए। आरोप है कि वहां उसकी बर्बरता से पिटाई करते हुए उसके पैर के नाखून उखाड़ लिए गए और उसे कई गोलियां मारी गईं, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। उसे बचाने पहुंचे उसके गांव के राजन (28) भी गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां इमरजेंसी में तैनात चिकित्सक भरत पांडेय ने उसे मृत घोषित कर दिया। वहीं, राजन का इलाज जारी है और राजन के अलावा करीब एक दर्जन लोग घायल बताए जा रहे हैं, जिनका अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चल रहा है।
इस घटना के बाद पूरे जिले में तनाव फैल गया। आक्रोशित विसर्जन समिति के लोगों ने बहराइच-सीतापुर हाईवे पर चहलारी घाट पुल के पास प्रदर्शन किया, वहीं फखरपुर कस्बे में बहराइच-लखनऊ हाईवे जाम कर दिया। यही नहीं, शहर के घंटाघर पर दुर्गा पूजन महासमिति ने भी विसर्जन रोक दिया और सैकड़ों मूर्तियां कतार में खड़ी हो गईं। पूजन समिति के पदाधिकारियों समेत हजारों की संख्या में लोग प्रदर्शन करने लगे।
शव रखकर प्रदर्शन:
रामगोपाल की मौत के बाद मेडिकल कॉलेज में भी प्रदर्शन किया गया और नारेबाजी की गई। आक्रोशित लोग शव लेकर मेडिकल कॉलेज के बाहर पहुंचे और सड़क पर शव रखकर प्रदर्शन किया। इतना ही नहीं, विसर्जन के लिए मेडिकल कॉलेज के पास से गुजर रही मूर्तियां भी रोक दी गईं और प्रदर्शन किया गया।
महराजगंज की घटना के विरोध में सड़क जाम करने के साथ-साथ कुछ जगहों पर आगजनी भी हुई। इससे देर रात तक तनाव बना रहा। तेजवापुर, फखरपुर, रिसिया ब्लॉक, नानपारा और इटहा में पूजा समितियों ने प्रतिमाओं का विसर्जन रोक दिया।
देर रात महसी विधायक सुरेश्वर सिंह मौके पर पहुंचे। उन्होंने परिजनों को समझाकर शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा। इसके बाद लोगों की भीड़ पीएम हाउस पर जुट गई, जहां भी देर रात तक नारेबाजी होती रही। स्थानीय लोगों ने पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन भी किया।
मामला बढ़ने पर, एसपी वृंदा शुक्ला भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचीं। उन्होंने कहा कि इसमें शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। अगर स्थानीय पुलिस की लापरवाही भी सामने आई, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कानून व्यवस्था के साथ खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा। हालात पर नियंत्रण के लिए पुलिस पूरी रात सक्रिय रही और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापे मारे जा रहे हैं।
पूजा समिति के सदस्यों पर लाठीचार्ज:
महराजगंज की घटना के बाद सबसे ज्यादा आरोप पुलिस और प्रशासन पर लगे। घटना के बाद लोगों ने आरोप लगाया कि गाने को लेकर जब दूसरे समुदाय की ओर से गाली-गलौज की गई, तो पुलिस और प्रशासन मूकदर्शक बने रहे। आरोप है कि जब पथराव हुआ और पूजा समितियों के लोगों ने प्रदर्शन किया, तो पुलिस ने उन पर ही लाठीचार्ज कर दिया, जिससे भगदड़ मच गई और दूसरे समुदाय के लोग रामगोपाल को घर में उठा ले गए, जहां उनकी बर्बरता से पिटाई के बाद गोली मार दी गई।
घटना के प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, रामगोपाल के शरीर पर छर्रे के 20 से अधिक निशान थे। आशंका है कि उन्हें पांच से छह गोलियां मारी गईं, जिससे छर्रे उसके पूरे सीने में धंस गए हैं।
पुलिस पर गंभीर आरोप, एसओ रहे नदारद:
घटना के बाद लोगों ने आरोप लगाया कि जब गाली-गलौज की गई, तब पुलिस और प्रशासन मूकदर्शक बने रहे। यही नहीं, आरोप है कि मौके पर एसओ मौजूद नहीं थे। लोगों ने आरोप लगाया कि जब पत्थरबाजी हुई और लोगों ने प्रदर्शन किया, तो पुलिस ने विसर्जन में शामिल लोगों पर ही लाठीचार्ज कर दिया, जिससे भगदड़ मच गई और दूसरे समुदाय के लोग रामगोपाल को उठा ले गए और उसे गोली मार दी।
साभार : सबरंग
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