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देवभूमि उत्तराखंड : मंदिर में प्रवेश पर ‘दलित युवक’ को जलती लकड़ी से जलाया

उत्तराखंड में एक दलित युवक उस वक़्त सवर्णों का शिकार हो गया, जब वो माथा टेकने मंदिर गया था। सवर्ण युवकों ने उसे जलती लकड़ी से प्रताड़ित किया।
attack on dalits
प्रतीकात्मक तस्वीर।

कहने को तो हम 21वीं सदी में सांस ले रहे हैं, जाति-धर्म से बहुत ऊपर उठकर इंसानियत पर विश्वास करने लगे हैं, ऊंच-नीच की परिभाषा विकास की बयार में बहकर कहीं दूर जा चुकी है..... लेकिन ये सब महज़ नेताओं के भाषण और वक्तव्यों में फिट बैठता है, क्योंकि ज़मीनी हक़ीकत तो अब भी वहीं है जो आज़ादी से पहले अंग्रेज़ों की गुलामी के वक्त या उससे पहले थी। जहां एक ओर अंग्रेज़ पूरे देश पर शासन करते थे, तो सवर्ण दलितों पर। आज भी वही हाल है।

आज भी धर्म के असली मालिक कुछ सवर्ण ख़ुद को ही कहना चाह रहे हैं, औऱ दिखाना चाह रहे हैं कि रियासतें ख़त्म हो गईं लेकिन राजा अभी ज़िंदा हैं। इस बात को प्रमाण के साथ सच कर दिखाया उत्तराखंड के कुछ युवाओं ने, जहां एक दलित युवक को मंदिर के अंदर जाने की ऐसी सज़ा मिली, जिसने हैवानियत की सारी हदें पार दीं।

दलित युवक को नंगा कर रातभर जलती लड़की से पीटा गया, दावा है कि जब इतनी सज़ा से भी उन सवर्ण युवकों का मन नहीं भरा तब उन्होंने उसे जला कर मार देने की भी कोशिश की।

इतना ही नहीं जब बीच-बचाव करने पीड़ित युवक के पिता आए तब उन्हें नीचा दिखाने के लिए युवक की फिर से पिटाई गई। आरोपी युवकों ने पीड़ित को उसी मंदिर के अंदर करीब 16 घंटे बंधक बनाए रखा जहां वो माथा टेकने के लिए गया था। फिलहाल पीड़ित युवक का इलाज देहरादून के अस्पताल में चल रहा है।

बंधकों से ख़ुद को किसी तरह छुड़ा पाने के बाद पीड़ित आयुष जिसकी उम्र करीब 22 साल है, ने अपने पिता के साथ मोरी थाने में पांच लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।

जहां पीड़ित आयुष ने ख़ुद गवाही दी और कहा ‘’ 9 जनवरी की शाम करीब 7 बजे वो कौल मंदिर में दर्शन के लिए गया था, जहां कुछ युवकों ने उसपर अचानक हमला कर दिया, और बाद में बंधक लिया। इस दौरान आयुष को जातिसूचक शब्दों से बेइज्जत किया गया फिर जलती लकड़ी से पिटाई की गई। पीड़िता युवक ने बताया कि जब अगली सुबह उसे होश आया तब उसके शरीर पर एक भी कपड़े नहीं थे। आपको बता दें कि ये पूरी घटना मोरी क्षेत्र के सालरा गांव में घटी है।

वहीं इस मामले में जब हमने एसपी अर्पण यदुवंशी से बात की, तब उन्होंने कहा कि पांचो युवकों पर एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करते हुए ग़िरफ्तार कर लिया गया है। हालांकि एसपी ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि आरोपी युवकों द्वारा पिटाई का असली मकसद पिछड़ा होकर मंदिर में घुसना ही था या फिर कुछ और।

पीड़ितों का आरोप ये भी था कि घटना के बाद उनकी शिकायत लिखने में देरी हुई है, जिसको लेकर सीपीआई(एम) की ओर से मुख्यमंत्री के नाम ज़िलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया। जिसमें कहा गया कि आरोपियों को गिरफ्तार नहीं होना बेहद दुखद है।

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सीपीआई(एम) के हस्तक्षेप और उच्चाधिकारियों की ओर से दबाव बनाए जाने के बाद मामला दर्ज कर किया गया, और पांच सवर्ण आरोपियों भग्यान सिंह, चैन सिंह, जयवीर सिंह, ईश्वर सिंह और आशीष सिंह को गिरफ्तार किया गया।

इस मामले पर ‘द दलित वाइस’ नाम के ट्विटर हैंडल से पीड़ित युवक की तस्वीरें शेयर की गई हैं।

हेट डिटेक्टर नाम से एक ट्वीटर हैंडर है, यहां से भी इस ख़बर को शेयर किया गया है।

चंदा तो देते हैं, प्रवेश पर पाबंदी

पीड़ित युवक के पिता के मुताबिक बैनोल गांव से क़रीब आठ किलोमीटर दूर सालरा के पास कौल महाराज का मंदिर है, इस मंदिर में जब कोई निर्माण होता है तो अनुसूचित जाति के लोग भी चंदा देते हैं, लेकिन उनके प्रवेश पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। ग़लती से उनका बेटा मंदिर में चला गया तो सवर्ण युवकों ने उसे बंधक बना लिया।

बड़ी बात तो ये है कि ये पूरी घटना उस राज्य की है जिसे लोग देवभूमि कहते हैं, इतना ही नहीं ये घटना 9 जनवरी को हुई थी, लेकिन सत्तादल की ओर से अबतक किसी तरह का कोई बयान नहीं दिया गया है, न ही इस घटना की निंदा की है।

फिलहाल ये कोई पहली घटना नहीं है, और दलितों पर शोषण आम बात हो गई है, इसके वाबजूद दलितों के आरक्षण पर हमारी सरकारें दबे मुंह ही सही लेकिन कुंडली मारे बैठी रहती हैं।

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