उत्तराखंड: लॉकडाउन में भी नहीं थमे बलात्कार के मामले, हरिद्वार की बेटी की मौत पर ग़म और गुस्सा
गंगा में डुबकी लगाने के इरादे से जिस शहर में लाखों की तादाद में श्रद्धालु पहुंचते हैं, उस शहर हरिद्वार की छोटी बच्चियों की माएं उतना ही असुरक्षित महसूस कर रही हैं। पूजा-पाठ, मंदिरों-घंटियों, महा-आरतियों वाला ये शहर अपनी बेटियों को सुरक्षित माहौल देने में कितना सफल है? 11 साल की मासूम बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या के बाद लोग बेबस महसूस कर रहे हैं। गुस्से में हैं। विरोध जता रहे हैं। दोषियों को फांसी की सज़ा की मांग कर रहे हैं। तीर्थनगरियों में भी एक सुरक्षित समाज की कल्पना मुश्किल है।
सुशासन दिवस पर महिलाओं की सुरक्षा की मांग
25 दिसंबर को, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन के मौके पर भाजपा सुशासन दिवस मना रही थी। लड़कियों के साथ बढ़ते अपराध को देखते हुए हरिद्वार के आम लोग सुशासन की मांग कर रहे हैं। राजधानी देहरादून में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने इसी दिन से राज्य सरकार के खिलाफ़ हल्ला-बोल का एलान किया। मासूम बच्ची के साथ हुई दरिंदगी और हत्या के मुद्दे पर कांग्रेस ने प्रदेशभर में पुतला दहन किया। प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि हमने महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर राज्यभर में आंदोलन शुरू करने का फैसला किया है। उनका कहना है कि जब तक पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिल जाता, कांग्रेस प्रदेश भर में आंदोलन जारी रखेगी।
सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि भाजपा शासित राज्यों में महिलाओं पर हिंसा के मामले बेतहाशा बढ़े हैं। न तो बेटियों की अस्मत सुरक्षित है और न ही बेटियों की जान सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि उत्तरप्रदेश में स्वामी चिन्मयानंद का मामला हो, कुलदीप सिंह सेंगर का, या हरदोई में मनीषा कांड हो, सब में भाजापा नेताओं का संरक्षण अपराधियों को मिल रहा है और सरकार के दबाव में पुलिस मूक दर्शक की भूमिका में रही। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में नाबालिग लड़की के साथ रेप और हत्या का मामला हो, पौड़ी में जवान युवती को जिंदा जलाने का मामला हो, बीजेपी के संगठन महामंत्री संजय कुमार द्वारा युवती का यौन शोषण का मामला हो, या अब बीजीपी विधायक महेश नेगी पर एक महिला के आरोप, यह साबित करता है कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा भी कोरा जुमला साबित हुआ है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने भी महिलाओं से बढ़ती हिंसा के विरोध में हरिद्वार में सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय के बाहर धरना दिया।
हरिद्वार की बेटी
20 दिसंबर को हरिद्वार कोतवाली क्षेत्र के ऋषिकुल कॉलोनी में नाबालिग बच्ची के साथ बलात्कार के बाद हत्या का मामला सामने आया। दोपहर के समय बच्ची अपने घर के बाहर खेलते हुए लापता हुई। काफी तलाश के बाद मां-बाप को जब बच्ची नहीं मिली तो उन्होंने पुलिस को ख़बर की। सीसीटीवी कैमरे खंगालने, पड़ोसियों से बातचीत करने के बाद पुलिस को पड़ोस के ही घर में उसका शव मिला। तीन मंज़िला इमारत के एक कमरे में रस्सियों से बांधकर आलमारी में रखा बच्ची का शव बरामद किया गया। हरिद्वार पुलिस ने बताया कि खिलौने से खेलने के बहाने दरिंदो ने बच्ची को घर पर बुलाया था। उसके शरीर पर जख्म के निशान भी पाए गए। पोस्टमार्टम के बाद दो लोगों के खिलाफ़ बलात्कार, हत्या और अपहरण का केस दर्ज किया गया।
महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग कर रहे सामाजिक संस्था और स्थानीय जनता
सदन से सड़क तक ग़म और गुस्सा
दिल दहलाने वाली इस वारदात ने एक बार फिर लोगों को झकझोर दिया। विधानसभा से लेकर सड़क तक लगातार विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। आम लोग एक बार फिर सड़कों पर उतर रहे हैं और महिलाओं की सुरक्षा की मांग की जा रही है।
महिला सुरक्षा की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं हरिद्वार में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की ब्रांड एम्बेसडर मनु शिवपुरी का कहना है “एक अभिवावक के तौर पर हम डरे हुए हैं। कहीं बच्चियों को खेलने नहीं भेज सकते। कहीं बच्चियों को पढ़ने नहीं भेज सकते। इंस्टीट्यूट में भी ऐसी घटनाएं हो रही हैं। बच्चियों की सुरक्षा पर तो बहुत बड़ा सवाल है। हम पुलिस अधिकारियों से लगातार इस मुद्दे पर बात कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि दोषियों को फांसी मिले और जल्दी मिले। लंबी कानूनी प्रक्रिया न हो। तभी लोगों के बीच डर बनेगा”।
23 दिसंबर को राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य राजुलबेन देसाई भी दिल्ली से देहरादून और फिर हरिद्वार पहुंचीं। महिला सुरक्षा को लेकर उन्होंने राज्य के डीजीपी अशोक कुमार से मुलाकात की। महिला हेल्पलाइन, 112 और 1090, महिला कॉउंसलिंग सेल, महिला हेल्पडेस्क, महिला चीता, महिला सिटी पेट्रोल यूनिट जैसी जानकारियां उन्हें दी गई।
23 दिसंबर को रेप और हत्या के मामले में मुख्य अभियुक्त को गिरफ्तार कर लिया गया और घटना में फरार चल रहे सह अभियुक्त कपड़ा व्यापारी और प्रॉपर्टी डीलर राजीव की गिरफ्तारी पर उत्तराखंड पुलिस ने 20 हजार के ईनाम की घोषणा की।
उधर, हरिद्वार में भारी जनाक्रोश देखते हुए डीआईजी गढ़वाल रेंज नीरू गर्ग भी देर रात हरिद्वार पहुंच गईं।
24 को ही विधानसभा के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन कांग्रेस ने सदन के अंदर इस मुद्दे पर हंगामा किया। जनता और विपक्ष के तेवर देखते हुए राज्य सरकार ने भी मांगे मानी। साथ ही विरोध करने वालों का मुंह बंद कराने के लिए ताबड़तोड़ मुकदमे भी ठोक दिए।
जब लोग अपनी बेटी के लिए इंसाफ़ की मांग कर रहे थे। हरिद्वार पुलिस ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं समेत 700 स्थानीय लोगों पर भड़काने, सड़क जाम करने जैसे मामले दर्ज कर दिए।
डीजीपी अशोक कुमार ने भी इस मामले की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि मामले में फ़रार चल रहे दूसरे अभियुक्त की तलाश में पुलिस टीमें लगी हैं। लेकिन लोग अगर सड़क पर उतरेंगे, शांति व्यवस्था तोड़ेंगे तो पुलिस को इससे मुश्किल होगी।
हरिद्वार में गंगा घाट पर मासूम बच्ची को दी गई श्रद्धांजलि
फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई, एक लाख का इनाम
गुरुवार को सदन के बाद कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने कहा “सरकार ने इस घटना में पहले से ही एक मुलजिम को पकड़ा हुआ है। संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जो अपराधी है, दहशत फैलाने वाला दरिंदा है, कानून के अनुरूप उसको फांसी की सजा दिलवाना है। डीआईजी गढ़वाल की अगुवाई में इस प्रकरण की जांच के लिए टीम का गठन किया गया है। जो फांसी की सजा दिलाने तक की पैरवी करेगा। बीस हजार का इनाम रखा था उसे बढ़ाकर एक लाख रुपया किया गया है। फास्ट ट्रैक में इस मामले को लेकर कार्रवाई करने को कहा गया है”।
डीजीपी अशोक कुमार से मिली राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य राजुलबेन देसाई
सिर्फ़ दिखावे के लिए है सखी वन स्टॉप सेंटर
उधर, महिला आयोग की सदस्य राजुलबेन हरिद्वार में महिला सुरक्षा के लिए बने सखी वन स्टॉप सेंटर पहुंचीं। सेंटर की अव्यवस्थाओं से वो बेहद नाराज़ हुईं। उन्होंने कहा “यहां के अधिकारियों का कहना है कि पहले किसी कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिया था लेकिन उस एजेंसी का कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो गया है, तभी से सेंटर की हालत खराब है। लेकिन इसके लिए केंद्र सरकार से सेंटर को 50 लाख तक की राशि मिलती है। ताकि वो अपनी खुद की बिल्डिंग बना सकें। यहां काम कर रही महिलाओं को बिलकुल जानकारी नहीं है। यहां स्टाफ कम है और प्रशिक्षित नहीं है। इनका काम भी अच्छा नहीं है। इस पर मैंने काफी सारे प्रश्न उठाए हैं। मैंने अपनी नाराजगी भी जतायी है”।
लॉकडाउन में भी बढ़े बलात्कार के मामले
देश की अर्थव्यवस्था की विकास दर में गिरावट आ रही है, लोगों की आमदनी में गिरावट आ रही है, रोज़गार में गिरावट आ रही है, गिरावट भरे इस दौर में महिलाएं से अपराध के मामले में कोई गिरावट नहीं आई है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के रिकॉर्ड के मुताबिक वर्ष 2018 से 2019 के बीच महिलाओं के साथ अपराध के मामलों में 7.3 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। जबकि उत्तराखंड में महिलाओं से अपराध के मामले 22 प्रतिशत तक बढ़े हैं।
उत्तराखंड पुलिस में दर्ज आंकड़ों के मुताबिक इस वर्ष एक जनवरी से 30 नवंबर तक महिलाओं के साथ अपराध की कुल 2518 मामले सामने आए हैं। इनमें हत्या के 32, बलात्कार के 515, दहेज हत्या के 60, नाबालिग अपहरण के 208, शीलभंग के 446, दहेज प्रताड़ना के 563 (498ए आईपीसी) मामले शामिल हैं।
सिर्फ बलात्कार के मामलों की बात करें तो 2019 में ये संख्या 493 और वर्ष 2018 में 472 थी। यानी लॉकडाउन के दौरान भी महिलाओं से अपराध के मामले घटे नहीं बल्कि बढ़े हैं। दहेज प्रताड़ना जैसे मामलों में इजाफा हुआ है।
हरिद्वार की इस बच्ची की मौत पर जब सदन से सड़क तक आक्रोश देखा जा रहा था, उत्तराखंड पुलिस दूसरे आरोपी को गिरफ़्तार करने में पूरा ज़ोर लगा रही है, सुशासन दिवस पर पौड़ी में एक दिव्यांग नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म की घटना सामने आ जाती है। एक समाज के तौर पर हम बेहतरी के रास्ते पर बदलने को तैयार ही नहीं हैं।
(देहरादून स्थित वर्षा सिंह स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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