आज़मगढ़ : जबरन धर्मांतरण के आरोप में 6 दलित-ईसाई महिलाएं जेल में बंद, वीएचपी ने की थी शिकायत
30 जुलाई को आज़मगढ़ ज़िले के महाराजगंज कस्बे में महिलाएं बर्थडे पार्टी कर रही थीं। विश्व हिन्दू परिषद से जुड़े लोगों ने उन पर अन्य महिलाओं के धर्म परिवर्तन का आरोप लगाते हुए एफ़आईआर दायर की जिसके बाद पुलिस ने महिलाओं को गिरफ़्तार कर लिया।
यह 6 महिलाएं - इंद्रकला, सुभागी देवी, साधना, सविता, अनीता और सुनीता, महाराजगंज के विष्णुपुरा थाने की दलित बस्ती में इंद्रकला के घर उनके बेटे का 8वां जन्मदिन मनाने के लिए इकट्ठा हुई थीं।
बता दें कि जमा हुई सब महिलाएं दलित थीं।
न्यूज़क्लिक को मिली एफ़आईआर नंबर 286/22 के अनुसार पुलिस ने इन महिलाओं पर आईपीसी की धारा 504, 506 और उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2021 की धारा 3 और 5(1) के तहत मामला दर्ज किया है।
धारा 504 यानी शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना और धारा 506 यानी आपराधिक धमकी देना है।
वहीं धर्मांतरण विरोधी क़ानून के तहत 1 से 5 साल की जेल और 15,000 रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
यह एफ़आईआर विश्व हिन्दू परिषद के प्रखंड संयोजक आशुतोष सिंह ने दर्ज करवाई थी।
इंद्रकला के पति महेंद्र ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए बताया, "हम 30 जुलाई को अपने बेटे का 8वां जन्मदिन मना रहे थे, अपने नाते-रिशतेदारों को बुलाया था। जैसे ही म्यूजिक शुरू हुआ, यह(विश्व हिन्दू परिषद) लोग आ गए और भद्दी-भद्दी बातें करने लगे। हमने उनको समझाया कि हमारे बेटे का जन्मदिन है, मगर वह गालियां देने लगे और बोले कि रुको अभी तुमको बताते हैं।"
महेंद्र ने बताया कि उसके बाद कई लोगों की भीड़ आई और वहाँ मौजूद लोगों के साथ हाथापाई करने की भी कोशिश की।
आशुतोष सिंह ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा, "हमें सूचना मिली थी कि इस जगह पर बर्थडे पार्टी की आड़ में जबरन धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है। वहाँ जा कर हमने देखा तो ये महिलाएं येशु की तरह हाथ ऊपर कर के बैठी थीं और उनके सामने कई महिलाएं बैठी थीं। वह भजन गा रहे थे और झाड़-फूँक जैसा कुछ कर रहे थे। हमने प्रशासन को सूचित किया और पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया।"
गिरफ़्तार हुई 6 महिलाओं पर आरोप लगाया गया है कि वह पैसे का प्रलोभन देकर बाक़ी महिलाओं को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने की कोशिश कर रही थीं।
आशुतोष ने यह भी दावा किया कि जब उनके संगठन के लोगों ने इसे रोकने की कोशिश की तो उनके साथ गाली-गलौज की गई।
महिलाओं की तरफ़ से वकीलों ने 31 जुलाई को ज़मानत याचिका दायर की थी जिसे ख़ारिज कर दिया गया है। अब इस मामले में 16 अगस्त को सुनवाई होनी है।
महिलाओं के साथ कार्यकर्ता दीनानाथ जैसवार अदालत पहुंचे थे।
याचिका में वकीलों ने कहा है कि यह एफ़आईआर झूठी, भ्रामक और मनगढ़ंत तथ्यों पर आधारित है।
याचिका में कहा गया है कि यह एफ़आईआर सस्ती लोकप्रियता और राजनीतिक लाभ के लिए दर्ज की गई है। याचिका में बताया गया है कि इन महिलाओं में से कोई विधवा है, किसी के छोटे बच्चे हैं, किसी के बच्चे विकलांग हैं, जिन्हें देखभाल के लिए अपनी माँओं की ज़रूरत है।
याचिका में कहा गया था कि घटनास्थल पर बर्थडे पार्टी की जा रही थी और किसी भी तरह का धर्म परिवर्तन नहीं किया जा रहा था।
वकीलों ने याचिका में यह भी कहा था कि महिलाओं को 2 बजे से ही थाने में बंद कर लिया गया था, जबकि एफ़आईआर 6 बजे दायर की गई थी।
आपको बता दें कि आज़मगढ़ ज़िले में 2022 में ही 3 से ज़्यादा मामलों में ईसाई समुदाय के लोगों को जबरन धर्मांतरण करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया है। इन सभी मामलों में शिकायत हिन्दुत्ववादी संगठनों द्वारा ही की गई थी।
आंकड़ों के अनुसार 2021 में ईसाई समुदाय के लोगों के ख़िलाफ़ हिंसा की 300 से ज़्यादा घटनाएँ सामने आई थीं। इनमें से ज़्यादातर हिंसा हिन्दुत्ववादी संगठनों द्वारा की गई थीं। पीड़ितों में से ज़्यादातर लोग दलित और आदिवासी ईसाई थे।
इंद्रकला के पति महेंद्र ने बताया कि वह महाराजगंज में एक छोटा सा जनरल स्टोर चलाते हैं। उन्होंने कहा, "मैं कल अपनी पत्नी से मिला था, जिसने कभी ऐसा कुछ नहीं देखा है। हमारी हालत ख़राब है।"
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