चेन्नई क्लब मामला : LGBTQ समुदाय पर हमलों की एक और कहानी
29 जुलाई को चेन्नई की एक महिला, रसिका गोपालकृष्णन ने The Slate Hotels पर इल्ज़ाम लगाया कि होटल ने उन्हें और उनकी प्रेमिका शिवांगी सिंह को होटल से ये कह कर निकाल दिया कि वो होटल में मौजूद अन्य लोगों को "असहज" कर रही थीं। रसिका और शिवांगी ने इस घटना को queer community (LGBTQ) पर हमला बताया है।
क्या है पूरा मामला?
ये घटना The Slates Hotel के क्लब की है। रसिका के फ़ेसबुक पोस्ट के मुताबिक़ वो, और उनकी प्रेमिका शिवांगी 28जुलाई, शनिवार को चेन्नई के The Slate Hotels में गई थीं। वे दोनों डांस फ्लोर पर थीं, और 4-5 मर्द उन्हें घूर रहे थे और उनको असहज महसूस करवा रहे थे। उन मर्दों का ये घूरना जब वो बाथरूम गईं तब तक जारी रहा। जब वो दोनों बाथरूम में थीं, तब 4 मर्द बाउंसर और एक महिला बाउंसर, आए और उन्हें बाथरूम से बाहर निकाला। दोनों महिलाओं से पूछा गया कि वो बाथरूम में क्या कर रही थीं, और कहा गया कि वो "कुछ और" कर रही थीं। होटल के स्टाफ़ ने कहा कि उनके पास दोनों महिलाओं के ख़िलाफ़ कई शिकायतें आई हैं। उसके बाद उनसे क्लब से जाने को कहा गया, और वो दोनों चली गईं।
रसिका ने अपने फ़ेसबुक पोस्ट में सवाल किया है, कि उनकी ग़लती क्या थी? क्या उन्होंने किसी को नुक़सान पहुंचाया?क्या किसी को चोट पहुंचाई?
इसके बाद जब होटल के मैनेजर से बात की गई, तो मैनेजर ने कहा कि वो दोनों डांस फ्लोर पर "makeout” कर रही थीं और लोगों को "असहज" कर रही थीं। जब मैनेजर से फुटेज दिखाने को कहा गया, तो उसने इंकार कर दिया। रसिका और शिवांगी का कहना है, कि फुटेज वाली बात ही झूठ थी, और ये कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया था। शिवांगी ने अपने पोस्ट में ये भी लिखा है कि जब मैनेजर से बात की गई और उसने फुटेज दिखाने की धमकी दी, तो उन्होंने कहा कि वो नीचे आ कर फुटेज देख सकती हैं, और तब मैनेजर ने मना कर दिया।
रसिका की प्रेमिका शिवांगी सिंह ने एक फ़ेसबुक पोस्ट में लिखा है कि जब "स्ट्रेट" लोग डांस फ्लोर पर एक दूसरे को चूम रहे थे, तब किसी को दिक़्क़त क्यों नहीं हुई? एक ही लिंग के दो लोगों को देख कर ही लोग असहज क्यों हो जाते हैं?
हम यहाँ आपको रसिका और शिवांगी के फ़ेसबुक पोस्ट दिखा रहे हैं।
रसिका और शिवांगी के ये सवाल जितने जायज़ हैं, उतने ही परेशान करने वाले भी हैं। आज देश में धारा 377 हट चुकी है,और कोई भी अपनी मर्ज़ी से किसी भी लिंग के व्यक्ति के साथ रह सकता है। लेकिन इस घटना को देखते हुए हमारा ध्यान उस तरफ़ जाना चाहिए कि आज भी देश भर में LGBTQ समुदाय के लोगों पर किस क़दर हिंसा की जा रही है।
हम जिस समाज को सहिष्णु मान कर चल रहे हैं, वो समाज दो प्यार करने वालों को भी चैन से जीने नहीं देना चाहता!
हाल ही में 22 जुलाई को पश्चिम बंगाल में ट्रांस समुदाय की एक महिला को एक भीड़ ने पीट पीट कर मार डाला था। उस पर बच्चा चोरी का इल्ज़ाम लगाया गया था।
इसके अलावा, दो मर्दों, दो महिलाओं को एक साथ देख कर इस समाज का "असहज" हो जाना भी कोई नई बात नहीं है।
इसी कड़ी में हाल ही में कैबिनेट के सामने "ट्रान्सजेंडर बिल" भी पेश हो चुका है, जिसको लेकर ट्रांस समुदाय के लोगों में पहले से ही ग़ुस्सा है।
हालांकि 377 हट चुकी है, लेकिन फिर भी हमारे आदर्श का समाज की ऐसे मुद्दों को ले कर "असहजता" कब दूर होगी, ये बात सोचने वाली है।
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