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दिल्ली की सिंघू और टिकरी सीमा पर डटे किसान, बुराड़ी में तय प्रदर्शन स्थल पर जाने से इनकार किया

कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली कूच कर रहे किसानों को शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी में दाखिल होने की अनुमति दे दी गई थी। इससे पहले हरियाणा में कई स्थानों पर पुलिस ने किसानों को रोकने के प्रयास के तहत पानी की बौछार और आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किया।
कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन

दिल्ली: केंद्र द्वारा लागू कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान भारी पुलिस बल की मौजूदगी में शनिवार को लगातार तीसरे दिन भी सिंघू और टिकरी सीमा पर डटे रहे। हालांकि किसानों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए उत्तर दिल्ली में एक स्थान की पेशकश की गयी थी। सिंघू सीमा पर पहले से मौजूद किसानों के अलावा पंजाब और हरियाणा के किसान भी यहां पहुंच गए जिससे यहां एकत्र किसानों की संख्या बहुत बढ़ गई। उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी के सबसे बड़े मैदानों में से एक संत निरंकारी ग्राउंड की तरफ जाने से इनकार कर दिया।

संयुक्त पुलिस आयुक्त (उत्तर रेंज) सुरेंद्र सिंह यादव ने सिंघू सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया और उसके बाद संवाददाताओं को बताया कि उत्तर दिल्ली के मैदान में करीब 600 से 700 किसान पहुंचे हैं। यादव ने बताया कि पुलिस और प्रशासन ने निर्दिष्ट प्रदर्शन स्थल पर किसानों के लिए पर्याप्त इंतजाम किए हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि और किसान वहां पहुंचेंगे। शनिवार को सुबह, पंजाब और हरियाणा के प्रदर्शनकारी किसान सिंघू सीमा पर एकत्रित हो गए और आगे की कार्रवाई पर फैसला करने के लिए उन्होंने बैठक की।

एक किसान नेता ने बताया कि पंजाब से दिल्ली प्रवेश करने के प्रमुख रास्ते सिंघू बॉर्डर पर किसानों की बैठक में फैसला लिया गया कि वे वहां से नहीं हटेंगे और प्रदर्शन जारी रखेंगे। उन्होंने कहा, ‘हम यहीं (सिंघू बॉर्डर पर) प्रदर्शन जारी रखेंगे। हम घर वापस नहीं जाएंगे। पंजाब और हरियाणा से हजारों किसान प्रदर्शन में शामिल होने के लिए आए हैं।’

एक अन्य किसान ने कहा, ‘हम प्रदर्शन स्थल पर नहीं जाएंगे और अपना प्रदर्शन राष्ट्रीय राजमार्ग पर ही जारी रखेंगे।’ शुक्रवार को सैकड़ों किसानों ने संत निरंकारी ग्राउंड पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश किया था। शुक्रवार शाम से टिकरी सीमा पर डेरा डाले बैठे सुखविंदर सिंह ने कहा, ‘हम अपना प्रदर्शन यहीं पर जारी रखेंगे। हम यहां से नहीं हटेंगे। हरियाणा से अभी और भी किसान यहां आने वाले हैं, वे रास्ते में हैं।’

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यह पूछे जाने पर कि दिल्ली पुलिस द्वारा इजाजत देने के बावजूद वे दिल्ली में प्रवेश क्यों नहीं कर रहे, इस पर सिंह ने कहा, ‘बुराड़ी में उन्होंने जो मैदान दिया है, हम वहां नहीं जाना चाहते।’ उन्होंने कहा, ‘हम जंतर मंतर जाकर वहां शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना चाहते हैं। बैठकें चल रही हैं और जब तक अगले कदम का फैसला नहीं हो जाता, तब तक हम यहां सीमा पर ही शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते रहेंगे।’

टिकरी सीमा पर तो किसान भोजन पकाने के लिए बर्तन समेत रूकने की अन्य व्यवस्था भी करके आए हैं। टिकरी सीमा पर एक अन्य किसान जगतार सिंह भागविंदर ने भी यही दोहराया कि वे आगे नहीं बढ़ेंगे और अपने अधिकारों की लड़ाई राष्ट्रीय राजमार्ग से ही जारी रखेंगे।

उन्होंने कहा, ‘हम बुराड़ी की ओर नहीं जाएंगे। कल दिल्ली में प्रवेश की इजाजत मिलते ही हमसे 50-50 के समूहों में आगे बढ़ने को कहा गया लेकिन हमने इनकार कर दिया। यह हमें अलग करने का प्रयास है। अलग-अलग सीमाओं को पार करके हम एक साथ आए हैं और एक साथ ही रहेंगे।’ किसान मजदूर संघर्ष समिति के बैनर तले शनिवार को और किसान हरियाणा से राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च कर सकते हैं।

सिंघू और टिकरी बॉर्डर बंद, दिल्ली में अहम मार्गों पर यातायात प्रभावित

केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन के मद्देनजर सिंघू और टिकरी बॉर्डर बंद कर दिये जाने से शनिवार को दिल्ली में अहम मार्गों पर यातायात प्रभावित रहा। दिल्ली यातायात पुलिस ने ट्वीट किया कि आजादपुर और बाहरी रिंगरोड से सिंघू बार्डर के लिए यातायात की अनुमति नहीं है। उसने ट्वीट किया ‘‘टिकरी बॉर्डर को बंद कर दिया गया है। हरियाणा जाने के लिए झड़ौदा, दौराला, झटीकरा, बदुसारी, कापसहेड़ा, राजोकड़ी एनएच 8, बिजवासन/बाजघेरा, पालम विहार और डौंडाहेरा बॉर्डर खुले हैं। ’’

यातायात पुलिस ने कहा कि सिंघू बॉर्डर अब भी दोनों ओर से बंद है। उसने कहा, ‘‘कृपया, वैकल्पिक मार्ग लें। मुकरबा चौक और जीटीके से यातायात का मार्ग बदल दिया गया है। बहुत अधिक यातायात है। कृपया सिग्नेजर ब्रिज से रोहिणी और इसी मार्ग पर वापसी के रास्ते, जीटीके रोड, एनएच 44 एवं सिंघू बॉर्डर से परहेज करें।’’

संयुक्त पुलिस आयुक्त (यातायात) मीनू चौधरी ने कहा, ‘‘ हम यात्रियों से सिंघू बॉर्डर एवं टिकरी बॉर्डर, मुकरबा चौक, एनएच 44, जीटी करनाल रोड और बाहरी रिंगरोड की ओर यात्रा करने से परहेज करने की अपील करते हैं।’’ उन्होंने कहा कि शनिवार को कार्यालय जाने वाले अधिकतर लोगों के लिए छुट्टी का दिन होने के कारण शुक्रवार की तुलना में अन्य हिस्सों में यातायात बेहतर रहा। शुक्रवार को दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए ढांसा, झड़ौदा कलां, टिकरी, गुरूग्राम और चिल्ला समेत कई स्थानों पर यातायात पर रोक लगा दी थी।

बाहरी रिंगरोड के कुछ खंड, मुकरबा चौक, जी टी करनाल रोड, एनएच 44 भी बंद थे। इन पाबंदियों के चलते अफरा-तफरी की स्थिति पैदा हो गई और यात्री भ्रम में पड़ गये थे। वे घंटों जाम में फंस गये थे। जब पुलिस ने किसानों को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने की अनुमति दी तब स्थिति संभली।

तीस से अधिक किसान संगठनों से संबद्ध किसानों ने लालरू, शंभू, पटियाला- पहोवा, पाटरन-खनौरी, मूनक-टोहाना, रतिया-फतेहाबाद और तलवंडी-सिरसा जैसे विभिन्न मार्गों से ‘दिल्ली चलो’ मार्च का आह्वान किया था। ये किसान मांग कर रहे हैं कि केंद्र सरकार नये कृषि कानून निरस्त करे और उनके स्थान पर संबंधित पक्षों से चर्चा कर नये कानून बनाए।

राहुल और प्रियंका ने सरकार पर निशाना साधा

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली पहुंचने से रोके जाने के प्रयास को लेकर शनिवार को सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अहंकार’ ने जवान को किसान के खिलाफ खड़ा कर दिया है।

पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने दावा किया कि दिल्ली आने वाले पूंजीपतियों के लिए लाल कालीन बिछाई जाती है, जबकि किसानों के आने पर रास्ते खोदे जा रहे हैं।

राहुल गांधी ने एक सुरक्षाकर्मी द्वारा किसान पर लाठी भांजने संबंधी एक तस्वीर साझा करते हुए ट्वीट किया, ‘‘बड़ी ही दुखद फ़ोटो है। हमारा नारा तो ‘जय जवान जय किसान’ का था लेकिन आज प्रधानमंत्री मोदी के अहंकार ने जवान को किसान के ख़िलाफ़ खड़ा कर दिया। यह बहुत ख़तरनाक है।’’

प्रियंका गांधी ने ट्वीट के माध्यम से दावा किया, ‘‘भाजपा सरकार में देश की व्यवस्था को देखिए जब भाजपा के खरबपति मित्र दिल्ली आते हैं तो उनके लिए लाल कालीन डाली जाती है। मगर किसानों के लिए दिल्ली आने के रास्ते खोदे जा रहे हैं।’’

उन्होंने सवाल किया, ‘‘दिल्ली किसानों के खिलाफ कानून बनाए वह ठीक, मगर सरकार को अपनी बात सुनाने किसान दिल्ली आए तो वह गलत?’’

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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