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‘हर घर तिरंगा’: अभियान तो ख़त्म, अब तिरंगे का क्या करें?

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर करोड़ों देशवासियों ने तिरंगा लगाकर अपनी देशभक्ति का सुबूत तो दे दिया। लेकिन इसके बाद तिरंगे का क्या करना है ये सरकार ने नहीं बताया।
tiranga

हमें आज़ाद हुए 75 बरस हो गए। भारत सरकार ने इस अवसर को अमृत महोत्सव घोषित कर दिया। क्योंकि बात आज़ादी की है, हमारे शहीदों के सम्मान की है, क्रांतिकारियों को याद करने की है, तो देशवासियों का उत्साह भी सातवें आसमान पर दिखा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से 13, 14 और 15 अगस्त को अपने घरों में दफ्तर में झंडा लगाने की अपील की। भारत के संस्कृति मंत्रालय ने दूसरे मंत्रालयों और राज्य सरकार के साथ मिलकर इसके लिए खास व्यवस्था भी की और इसे हर घर तिरंगा अभियान का नाम दे दिया।

हालांकि ये कोई नई बात नहीं कि जब स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस पर देशवासी झंडा न लगाते हों, लेकिन 75वें स्वतंत्रता दिवस को बहुत ज्यादा खास बनाने की भरपूर कोशिश की गई।

जिसके बाद कई सवाल भी खड़े हुए। जैसे– जिसके पास घर नहीं है वो तिरंगा कहां लगाएगा15 अगस्त के बाद उन तिरंगों का क्या होगा जो लोगों ने अपने घरों में, गाड़ियों में बांधे हुए थे?

ख़ैर... लोगों के पास घरों की तो बात तमाम रिपोर्ट्स में पढ़ने को मिल ही जाती है, बात रही तिरंगों का होगा क्याइसकी फिलहाल सरकार ने कोई तैयारी नहीं की थीं। न अभी तक की गई है।

इस पर बात करने से पहले आपको ये बताते हैं कि तिरंगा लगाने के पीछे आख़िर सरकार की दलीलें क्या थीं?

·तिरंगे के साथ भारत के नागरिकों का व्यक्तिगत से ज्यादा औपचारिक और संस्थागत रिश्ता है।

·नागरिकों के भीतर देशभक्ति की भावना और ज्यादा प्रबल होगी।

वैसे देशभक्ति की कोई ग़िनती नहीं होती है, लेकिन फिर भी सरकार की ओर से कहा गया कि लोग झंडा हाथ में लेकर सेल्फी खींचे और वेबसाइट पर अपलोड कर दें। आपको बता दें कि ऐसा करने वालों को सर्टिफिकेट भी दिया गया।

15 अगस्त बीत जाने के बाद संस्कृति मंत्रालय ने बकायदा सेल्फी अपलोड करने वालों की गिनती की और बताया कि 16 अगस्त दोपहर 12 बजे तक 6 करोड़ लोगों ने हर घर तिरंगा अभियान के तहत वेबसाइट पर अपनी सेल्फी अपलोड की है।

सरकार के इसी कदम को लेकर आप साल 2019 के लोकसभा चुनाव से थोड़ा पहले चले आईए। आपको याद आएगा कि भाजपा ने एक नंबर जारी किया था, और कहा था कि सदस्य बनने के लिए मिस्ड कॉल कीजिए, आपको एक सर्टिफिकेट दिया जाएगा। इस दौरान न जाने कितने ही लोगों ने नंबर की सच्चाई जानने के लिए मिस्ड कॉल कर दी और सरकार ने उन सभी को सर्टिफिकेट जारी कर दिए।

कहने का अर्थ ये है कि हर बार देशवासियों की भावनाओं को हथियार बनाकर बेहद शातिराना तरीके से भाजपा सरकार अपने वोटर गिन ले जाती है।

ख़ैर... संस्कृति मंत्रालय सिर्फ वेबसाइट पर अपलोड किए गए झंडों को ही गिनने में कामयाब रहा, हालांकि लोगों की गाड़ियों पर, दफ्तरों में और घरों में तिरंगा लगाने वालों की संख्या भी करोड़ों में थी।

जिसको लेकर कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स(सीएआईटी) ने एक रिपोर्ट जारी की। जिसके मुताबिक 15 अगस्त के मौके पर देशभर के व्यापारियों ने अगल-अलग साइज़ के 30 करोज़ झंडे बेचे। जिसमें झंडे का कुल व्यापार लगभग 500 करोड़ का हुआ।

ज़ाहिर सी बात है कि अगर इतनी ज्यादा झंडों की बिक्री हुई है, तो लोगों ने पूरी ईमानदारी से सरकार की बात भी मानी, और देश के सम्मान में बढ़चढ़ कर हिस्सा भी लिया। इसके अलावा ये कहना भी ग़लत नहीं होगा कि इन्हें सहेज कर रख पाना भी सबसे लिए आसान नहीं है। सही मायने में झंडे को सही से और सम्मान से रखना हर किसी की ज़िम्मेदारी भी है।

यही कारण है कि इस वक्त सबसे बड़ा सवाल यही है कि आख़िर इन झंडो का अब क्या होगा?

इसके जवाब में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने एक ट्वीट कर बताया कि-- ''15 अगस्त के बाद झंडे का क्याघबराने की ज़रूरत नहीं है, ला मार्टिनियर गर्ल्स कॉलेजलखनऊ कॉलेज के पास इसका समाधान है। हम राज्य भर के अलग-अलग शहरों के रिहायशी इलाकोंघरोंदूसरे संस्थानोंसड़कों से जमा किए झंडे इकट्ठा कर रहे हैं, आप चाहें तो इस्तेमाल किए हुए झंडे डाक से भेज सकते हैं और चाहें तो उनके कॉलेज के गेट पर भी जमा कर सकते हैं।''

 

अखिलेश ने अपने ट्वीट में वो पोस्टर भी लगाया जो लामार्टीनियर की ओर से जारी किया है।

लखनऊ के लामार्टीनियर के अलावा मुंबई में स्थित माई ग्रीन सोसाइटी नाम से एक एनजीओ ने भी झंडा इकट्ठा करने के लिए मुहिम शुरु की है।

green poster

इसके अलावा इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के मुंबई डिवीज़िनल ऑफिस की ओर से भी तिरंगे को इकट्ठा करने की पहल की गई है। इंडियान ऑयल की ओर से जारी किए गए पोस्टर्स में कहा गया है कि झंडे का इस्तेमाल नहीं करने पर उन्हें पास के किसी भी पेट्रोल पंप पर जमा करा सकते हैं।

indian oil

हालांकि सोचने वाली बात ये है कि ये चुनिंदा संस्थान सरकारी नहीं बल्कि निजी हैं। जब इन संस्थानों से ज्यादा सरकार का दायित्व बनता है कि झंडों का अब क्या करना है।

जिस तरह से प्रधानमंत्री ने झंडे लगाने का आह्वान किया था, अगर उसी तरह से 15 अगस्त के बाद उनका करना क्या है, ये भी बता देते तो ये राजनीति से थोड़ा इतर हो सकता था।

वैसे आम इंसान के पास ये हक मौजूद है कि तिरंगे को अपने घर का या दफ्तर स्थाई हिस्सा बना सकता है, हर किसी को छूट है कि वो झंडे का इस्तेमाल एक दिन के लिए करता है या एक साल के लिए। हालांकि ये हक आम इंसान को 2004 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले के बाद मिला था।

वहीं अगर झंडा हवा की वजह से कट-फट गया हो या फिर किसी कारण गंदा हो गया हो तो फ़्लैग कोड 2022(भारतीय झंडा संहिता) के मुताबिक़ नष्ट किया जा सकता है। जिसमें आप तिरंगे को जला भी सकते हैं, किसी नदी में बहा भी सकते हैं। या फिर दफनाया भी जा सकता है।

इस नियम को बताने के पीछे का मकसद सिर्फ ये है कि अगर सरकार की ओर से तिरंगा ले जाने में आपको कोई मदद नहीं मिलती तो इस तरह से भी आप तिरंगे को सम्मान के साथ नष्ट कर सकते हैं।

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