अलवर मॉब लिंचिंग : एक हत्या कई सवाल ?
पूरे गांव में मातमी सन्नाटा पसरा था। एक अजीब सी ख़ामोशी छाई थी। कच्ची मिट्टी पर चलते-चलते एक राह बनी हुई थी जिस पर चलते हुए हम वहां जाकर रुके जहां कुछ कुर्सियां लगी थी। गांव के कुछ लोग बैठे बातचीत कर रहे थे। बातचीत में शामिल एक शख़्स पर निगाह जाती है, वो तैयब ख़ान थे जिनकी आंखें रो-रोकर सूजी हुई थी। आंखों में अब भी एक अजीब सी बेचैनी तैर रही थी।
ये राजस्थान के अलवर में पड़ने वाला हिस्सा है जिसके टपूकड़ा क्षेत्र में मूसारी गांव में तैयब ख़ान अपने भरे-पूरे कुनबे के साथ पीढ़ियों से रह रहे हैं। लेकिन 17-18 अगस्त की रात उन पर कयामत बनकर टूटी। कथित तौर पर उनका बड़ा बेटा वसीम ख़ान (उम्र 28) मॉब लिंचिंग का शिकार हो गया। जबकि वसीम के साथ दो और लड़कों को बुरी तरह से पीटा गया।
क्या है मामला ?
17-18 अगस्त की रात वसीम के साथ क्या हुआ था, ये बहुत ही पेचीदा मामला है। मृतक वसीम के पिता बताते हैं कि उनके गांव से क़रीब 70 किलोमीटर दूर रामपुर (बानसुर) में वे पिछले 12 महीने से लकड़ी का काम कर रहे थे। और लकड़ियों से जुड़ा ये काम वो पीढ़ियों से करते आए हैं। वे बताते हैं कि वे पैसे देकर पेड़ खरीदते हैं और उसे उठाकर बेचते हैं। जिसके बारे में वन विभाग के कर्मचारियों को भी जानकारी है। इसके अलावा वो खेती-बाड़ी कर अपना परिवार पालते हैं।
17 अगस्त की रात को क्या हुआ था?
जब हमने उनसे घटना की रात के बारे में पूछा तो वे बताते हैं कि चूंकि उनकी वन विभाग से जुड़े कर्मचारी से पहले से बात हो रखी थी तो वे रात क़रीब 10 बजे, सात लोग लकड़ी लोड करने रामपुर (बानसुर) पहुंचे थे। लेकिन तभी उनके पास कॉल आई की लकड़ी लोड मत करो वन विभाग के लोग आ रहे हैं, तो उन्हें लगा कि वन विभाग के लोग पहले से हुई बात भूल गए इसलिए उन्होंने उस वक़्त वहां से चले जाना ही बेहतर समझा। जिस वक़्त वे वहां से निकल रहे थे तभी उनका पीछा वन विभाग की गाड़ी भी करने लगी।
वसीम के पिता तैयब बताते हैं कि जब वे लोग रामपुर (बानसुर) से घर के लिए निकले तो दो अलग-अलग गाड़ी में थे। एक गाड़ी (पिकअप वैन) में वसीम के साथ आसिफ और अज़हरुद्दीन थे। ये गाड़ी वसीम चला रहा था जबकि आसिफ और अजहरुद्दीन पीछे बैठे थे। इसी गाड़ी को जेसीबी लगा कर रोका गया। वसीम के पिता तैयब का आरोप है कि इस जेसीबी को मोहित नाम के किसी लड़के ने लगवाई थी। जबकि तैयब अपने दूसरे बेटे के साथ दूसरी गाड़ी में निकले थे।
वे आगे बताते हैं कि ''फिर मोहित आया गाड़ी में। उसकी गाड़ी में आठ लोग थे और चार-पांच लोग जेसीबी में थे। जैसे ही वसीम की गाड़ी रुकी वे हमारे वसीम पर टूट गए। चार-पांच एक खिड़की की तरफ से और चार-पांच दूसरी खिड़की पर थे। फिर उसे गाड़ी से निकाला पीटा और छुरी मार दी। उसे (वसीम) कोई अंदाज़ा नहीं था कि ऐसी घटना हो सकती है। जब कोई धारदार हथियार उसको मार दिया तो वो गिर गया। ये जो दो बच्चे (आसिफ और अजहरुद्दीन) पीछे थे फिर उनके ऊपर पड़ गए। इन्हें भी ख़ूब मारा। मार-मारकर बेहोश कर दिया। इतने में पुलिस आ गई।'' जिस जगह ये घटना हुई वे नारोल गांव बताया जा रहा है। ये कोटपूतली-बहरोड़ में पड़ता है।
इस बीच एक सवाल खड़ा होता है कि पुलिस किसने बुलाई? जिसके बारे में कई तरह के जवाब मिले, कुछ ने कहा कि जिन्होंने वसीम पर हमला किया उन्हीं लोगों ने पुलिस को ये बोल कर कॉल की थी कि ''एक गाड़ी आ रही है उसे रोको उसमें गाय है।'' जबकि जहां ये मामला दर्ज हुआ कोटपूतली, अलवर के एडिशनल एसपी विद्या प्रकाश ने इंडिया टीवी पर दी बाइट में कहा कि ''फोन पर सूचना मिली थी कि जंगल से कुछ लोग लकड़ियां काट कर फरार हो रहे हैं।'' जबकि एक स्थानीय अख़बार में छपा है कि ''पुलिस को सूचना मिली कि एक पिकअप वैन जिसमें लकड़ियां भरी है एक्सीडेंट करके आई है, वन विभाग की टीम उसका पीछा कर रही है।''
वसीम के पिता तैयब का आरोप है कि जब पुलिस घायल वसीम, आसिफ और अज़हरुद्दीन को ले गई तो वहां से फरार मोहित ने उन्हें (तैयब को) घेर लिया। तब तक उन्हें अपने बेटे के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। और उन्हें भी घेर कर पीटना शुरू कर दिया गया था तभी उसके (मोहित) पास किसी का फोन आया और वे हमें छोड़कर भाग गए। तैयब को लगा उनकी जान बच गई। वो सीधा घर की तरफ भागे। सुबह सात बजे के क़रीब उन्हें पता चला कि उनके बेटे की मौत हो चुकी है।
गाय के नाम पर पीटा
तैयब बताते हैं कि जिस वक़्त वे हमें पीट रहे थे तो कह रहे थे कि ''तुम गाय चोरी करते हो, काटते हो। उसने ये भी कही थी कि कट्टा ले आ, इनको कट्टा लगा''।
''उन्होंने हमें बहुत पीटा''
तैयब के साथ उस वक़्त परिवार का एक लड़का भी था। हमने उससे मुलाक़ात की। उसकी आंख के नीचे अभी भी नीला निशान था। हालांकि सूजन कुछ कम हो गई थी। वो कुछ भी बोलने की हालत में नहीं लग रहा था। वो कुछ डर-डर कर कह रहा था। ''उन्होंने हमें पीटा, बहुत पीटा'' और इतना ही कहकर वो उठकर चला गया।
परिवार के लोगों का ये भी आरोप है कि वसीम को इतनी बुरी तरह से मारा गया था कि शरीर के कुछ ऑर्गन बाहर आ गए थे।
यहां ये भी आरोप लगाया जा रहा है कि मोहित किसी फॉरेस्ट गार्ड का रिश्तेदार है।
अब तक पुलिस कार्रवाई क्या हुई ?
पुलिस ने FIR दर्ज कर ली है, कोटपूतली-बहरोड़ की SP रंजीता शर्मा ने आज तक को दी बाइट में कहा कि ''10 लोगों को हिरासत में लिया है जिसमें वन विभाग के कर्मचारी, गांव के निवासी और जेसीबी का चालक शामिल है। उन्हें हिरासत में ले कर गहन पूछताछ की जा रही है।'' वहीं 20 अगस्त को एक स्थानीय अख़बार में छपी ख़बर के मुताबिक वनकर्मी समेत 6 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
गिरफ़्तारी पर परिवार ने क्या कहा ?
वसीम के पिता तैयब ने कहा कि ''पुलिस जो कार्रवाई कर रही है वो सही है लेकिन जो वन विभाग का मुख्य आरोपी है उसे और मोहित नाम के शख़्स को गिरफ़्तार नहीं किया गया है।'' वे सवाल उठाते हैं कि ऐसा क्यों?
वहीं कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस इसे 'मॉब लिंचिंग' का मामला भी नहीं मान रही है, जबकि वहीं मौजूद दो लड़कों के मुताबिक़ उन्हें घेरकर पीटा गया और वसीम पर किसी धारदार हथियार से हमला किया गया था।
गांव में अब तक कोई नहीं पहुंचा
इन सबके बीच हैरानी की बात है जिस गांव में इतनी बड़ी घटना हो गई वहां अभी तक कोई पहुंचा नहीं (सिवाए कुछ एक लोकल मीडिया के)। हमने गांव के लोगों से इस बारे में सवाल पूछा तो उनका कहना था कि ''संदीप यादव यहां के विधायक हैं जो गांव से कुछ ही दूरी पर रहते हैं, यहां आना तो दूर हमने उन्हें इतनी बार फोन किया लेकिन वो तो हमारा फोन भी नहीं उठा रहे।''
वसीम का घर
घटना से पूरा गांव सदमे में है, परिवार के बड़े बेटे की खौफनाक मौत के बारे में सुन कर मां बेहोश हुई जा रही है। बेसुद मां बार-बार अपने बेटे को एक बार देख लेने की रट लगाए बैठी है। घर में औरतों का हुजूम लगा है। हर कोई मां और वसीम की पत्नी को दिलासा देने की कोशिश करती दिखाई दे रही है। गेट की तरफ नज़र लगाए मां को बस यही उम्मीद है कि उनका बेटा अभी घर लौट आएगा। वे रोती हुई कहती हैं, ''अगर मेरे बेटे ने कोई गलती की थी तो पीट लेते, हाथ पैर तोड़ देते लेकिन जिंदा तो छोड़ देते। अब मैं कहां से लाऊं अपना बेटा। वसीम का सिर्फ नाम ही नाम रह गया अब तो।'' और ये कहते-कहते उनकी सांस तेज़ चलने लगी।
पत्नी का आरोप मुसलमान होने की वजह से पीटा
इस भीड़ में वसीम की पत्नी जाहिदा एक कमरे से निकली। वो आठ महीने की प्रेग्नेंट हैं और छोटे-छोटे चार बच्चे हैं। वो रोते-रोते ख़ामोश हो चुकी है। इतनी ख़ामोश की कई बार बुलाने पर हां या ना में जवाब दे पा रही थी। हमने कुछ पूछने की कोशिश की तो बहुत ही धीमी आवाज़ में कहने लगी, ''वे (वसीम) घर से निकल रहे थे तो कहा बच्चों को नहला कर दुकान पर भेज दो चीज दिला दूंगा। मैंने बच्चों को तैयार करके दुकान पर भेजा लेकिन वो निकल चुके थे।'' और ये कहते-कहते सुबक-सुबक कर रोने लगी। वे सुबकते हुए आगे कहती हैं कि ''जब उन्हें (वसीम को) पीट रहे थे तो वे अल्लाह-अल्लाह कह रहे थे, इसपर उन लोगों ने कहा कि ये मेवड़ा (मेव मुसलमान) है मारो इसे''।
आख़िर इस हत्या की असली वजह क्या थी ये तो जांच के बाद ही साफ हो पाएगा। लेकिन वहां मौजूद चश्मदीद जो बता रहे हैं उसी आधार पर घर की औरतें बातें कर रही थीं।
पुलिस मामले की जांच कर रही है। गांव इंसाफ की मांग कर रहा है और परिवार का बच्चा-बच्चा बस यही कह रहा है कि वसीम को वापस ला दो।
ये मामला 'मॉब लिंचिंग' का है या फिर पीट-पीट कर हत्या का। ये टेक्निकल बारीकी कैसे तय की जाए ये पुलिस ही बता सकती है। लेकिन हत्या में वन विभाग के लोगों पर आरोप लग रहे हैं जो बहुत ही गंभीर है। दूसरा अगर कोई गुनहगार है तो किसने ये तय किया कि सज़ा यूं सड़क पर दी जाएगी?
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