हिमाचल के सामने ‘पहाड़-सी’ चुनौती, बुनियादी ढांचा फिर से खड़ा करने में 1 साल लगेगा: सुक्खू
शिमला: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुधवार को कहा कि इस मानसून के दौरान राज्य में हुई भारी बारिश के कारण तबाह हुए बुनियादी ढांचे को फिर से खड़ा करने में एक वर्ष लग जाएगा।
सुक्खू ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा कि भारी बारिश के कारण हुआ अनुमानित नुकसान 10 हजार करोड़ रुपये है।
इस सप्ताह राज्य में बारिश के चलते भूस्खलन की घटनाएं हुईं, जिनके चलते सड़कें बंद हो गईं और घर ढह गए। लगभग 60 लोगों की मौत हो गई तथा कुछ और लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है। इससे पहले जुलाई में भी राज्य में भारी बारिश हुई थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़कों और जल परियोजनाओं के पुनर्निर्माण में समय लगता है। लेकिन सरकार इस प्रक्रिया में तेजी ला रही है।
उन्होंने कहा, “हमें एक वर्ष में बुनियादी ढांचे को पूरी तरह से बहाल करना होगा। मैं इसी को ध्यान में रखकर काम कर रहा हूं। यह एक बड़ी चुनौती है, पहाड़ जैसी चुनौती है। लेकिन हम पीछे हटने वाले नहीं हैं।''
STORY | 'Mountain-like challenge' before Himachal, state needs a year to rebuild infrastructure: CM Sukhu
READ: https://t.co/fBCWmnHuK7
(PTI Photo) #HimachalPradesh #ShimlaLandslide pic.twitter.com/17DrqNmyp3
— Press Trust of India (@PTI_News) August 16, 2023
सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार चार वर्ष में हिमाचल प्रदेश को "आत्मनिर्भर" और 10 वर्ष में देश का "सबसे समृद्ध" राज्य बनाने के अपने दृष्टिकोण के तहत काम करती रहेगी।
आपको बता दें हिमाचल प्रदेश में पिछले दिसंबर सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी थी।
उन्होंने भारी क्षति के लिए रविवार से हो रही तेज बारिश को ज़िम्मेदार ठहराते हुए कहा कि यह "पहली बार" है कि एक ही दिन में लगभग 50 लोगों की मौत हो गई। उन्होंने कहा कि राज्य में "ढाचांगत डिजाइनिंग" की कमी है।
उनके मुताबिक़ जगह-जगह इमारतें जल प्रवाह के प्राकृतिक मार्ग को बाधित करती हैं, और संरचनाओं को तैयार करने पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “नदी घरों में नहीं घुसती, घर नदी के रास्ते में आते हैं।”
उन्होंने इस बात से इनकार कर दिया कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा सड़कों को चौड़ा किया जाना इस तबाही में एक महत्वपूर्ण कारण है। सुक्खू ने कहा कि अधिकांश भूस्खलन सड़कों के किनारे नहीं हुए। मुख्यमंत्री के मुताबिक़ जलवायु परिवर्तन एक भूमिका निभा सकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि लाहौल-स्पीति में पहले कभी ऐसी बारिश नहीं हुई।
सुक्खू ने साक्षात्कार के दौरान संकेत दिया कि नए दिशानिर्देश जारी करके भवन निर्माण नियमों का सख्त कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जाएगा।
उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने वाले राज्यों की मदद के लिए केंद्र सरकार के मानदंडों में बदलाव की अपील भी की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहाड़ी राज्यों और पूर्वोत्तर के लोगों को और अधिक मदद मिलनी चाहिए। वह कहते हैं कि "एक किलोमीटर क्षतिग्रस्त सड़क की मरम्मत के लिए केंद्र सरकार 1.5 लाख रुपये देती है। ये कुछ नहीं है।” सुक्खू आरोप लगाते हैं कि हिमाचल प्रदेश को नजरअंदाज कर दिया जाता है क्योंकि संसद में इसका प्रतिनिधित्व कम है।
मुख्यमंत्री मांग करते हैं कि केंद्र सरकार को राज्य को विशेष पैकेज देना चाहिए क्योंकि यह “उत्तर भारत का फेफड़ा” है।
सुक्खू ने पर्यटकों से हिमाचल प्रदेश की यात्रा जारी रखने का आग्रह करते हुए कहा कि शिमला और कांगड़ा घाटी की टूटी सड़कों को बहाल किया जाएगा।
उन्होंने पर्यटकों से दीवाली और नववर्ष राज्य में मनाने का अनुरोध करते हुए कहा, “मानसून के बाद, कभी भी आएं।”
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।