जम्मू-कश्मीर: परिसीमन आयोग ने प्रस्तावों को तैयार किया, 21 मार्च तक ऐतराज़ दर्ज करने का समय
श्रीनगरः जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों का पुनर्गठन करने के लिए गठित परिसीमन आयोग ने अपने प्रस्तावों को अंतिम रूप दे दिया है और लोगों से इस बाबत अपनी कोई आपत्ति या सुझाव 21 मार्च की शाम पांच बजे तक देने को कहा है।
आयोग ने सोमवार को भारत के राजपत्र और जम्मू-कश्मीर में अपने अंतिम प्रस्ताव को प्रकाशित करा दिया है। इसमें यह जानकारी दी गई है कि आयोग 28 और 29 मार्च को लोगों के साथ बैठकों के लिए केंद्र शासित प्रदेश का दौरा करेगा।
आयोग ने एक बयान में कहा है कि प्रस्ताव की प्रतियां जम्मू-कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी और केन्द्रशासित प्रदेश के सभी जिलों के निर्वाचन अधिकारियों के पास संदर्भ के लिए उपलब्ध हैं।
इस वक्तव्य में कहा गया है कि इन, “प्रस्तावों पर कोई आपत्ति और सुझाव 21 मार्च, 2022 (सोमवार) को 17.00 बजे तक या उससे पहले सचिव, परिसीमन आयोग, अशोका होटल, 50-बी, नीति मार्ग, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली-110021 तक पहुंच जाना चाहिए।”
आयोग ने कहा कि लोगों की आपत्तियों और सुझावों पर केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में होने वाली सार्वजनिक बैठकों में विचार किया जाएगा। इन बैठकों की जगह और वक्त के बारे में अलग से अधिसूचित किया जाएगा।
न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाले आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) सुशील चंद्रा और राज्य चुनाव आयुक्त (एसईसी) केके शर्मा शामिल हैं। इस आयोग ने अपने सदस्यों, जो जम्मू एवं कश्मीर संसदीय क्षेत्रों से सांसद भी हैं,उनके विरोधी विचारों को भी अपने प्रस्तावों में शामिल किया है।
इन सांसदों में नेशनल कॉन्फ्रेंस के सदस्य फारूक अब्दुल्ला, हसनैन मसूदी और अकबर लोन शामिल हैं। इन लोगों ने अपनी विस्तृत असहमति में इस क्षेत्र में परिसीमन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए इसे जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन का हिस्सा बताया था, जो अभी न्यायिक समीक्षा के दायरे में है।
प्रस्तावित जम्मू-कश्मीर विधानसभा 90 सदस्यीय होगी, जिसमें से सात सीटें अनुसूचित जाति (एससी) और नौ सीटें अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित होगी। जम्मू मंडल में उधमपुर जिले के रामनगर, कठुआ जिले के कठुआ दक्षिण, सांबा जिले के रामगढ़, बिशनाह, सुचेतगढ़, मरह और अखनूर सीटें शामिल हैं।
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों में जम्मू संभाग के राजौरी जिले के राजौरी, दरहल और थन्ना मंडी, पुंछ जिले के सुरनकोट और मेंढर और रियासी जिले के महोर और कश्मीर संभाग के बांदीपोरा जिले के गुरेज, गांदरबल जिले के कांगन और अनंतनाग जिले के कोकरनाग विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं।
आयोग के अनुसार केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में लोकसभा की कुल पांच सीटें ही रहेंगी जबकि जम्मू एवं कश्मीर दोनों संभागों में लोकसभा की दो-दो सीटें रहेंगी। एक निर्वाचन क्षेत्र-अनंतनाग-पुंछ दोनों डिवीजनों में फैला हुआ है, जिस पर सहयोगी सदस्यों ने भी अपना विरोध दर्ज कराया था। आयोग ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए कोई संसदीय निर्वाचन क्षेत्र आरक्षित नहीं रखा है।
अपने पहले मसौदे में, जम्मू प्रांत में छह नए निर्वाचन क्षेत्र और कश्मीर डिवीजन में एक सीट जोड़ने के लिए परिसीमन आयोग के सुझाव ने क्षेत्र के मुख्यधारा के राजनीतिक परिदृश्य में हलचल पैदा कर दी थी, जिसने मसौदे को “पक्षपातपूर्ण” और “अस्वीकार्य” कहकर खारिज कर दिया था।
नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के कार्यकर्ताओं ने परिसीमन आयोग के प्रस्ताव के खिलाफ जनवरी में श्रीनगर में प्रदर्शन किया था। उनका आरोप था कि इस प्रस्ताव को अगले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को सत्ता दिलाने में मदद करने की गरज से बनाया गया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जनवरी में ही कहा था कि परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे। परिसीमन रिपोर्ट को अंतिम रूप दिए जाने के साथ ही कई राजनीतिक दलों ने अपना चुनावी अभियान शुरू कर दिया है। उनकी उम्मीद है कि आने वाले महीनों में चुनाव हो सकते हैं।
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