न्यूज़क्लिक के खातों पर रोक लगाने व मीडियाकर्मियों के उत्पीड़न की पत्रकारों के संगठनों ने कड़ी आलोचना की
छह पत्रकार संगठनों ने आयकर विभाग द्वारा समाचार पोर्टल न्यूज़क्लिक के खातों को फ्रीज करने की निंदा की है, जिससे करीब सौ मीडियाकर्मी और उनके परिवार आय के स्थिर स्रोत से वंचित हो गए हैं।
इंडियन वुमेंस प्रेस कॉर्प्स में 20 दिसंबर 2023 को जारी एक बयान में पत्रकार संगठनों ने वेब समाचार पोर्टल न्यूज़क्लिक के खातों को फ्रीज करने की कड़े शब्दों में निंदा की है। इन संगठनों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि, "बिना किसी चेतावनी के आईटी विभाग के इस कदम ने एक ही झटके में लगभग सौ मीडियाकर्मियों और उनके परिवारों को आय के स्थिर स्रोत से वंचित कर दिया है। सहायक कर्मचारियों सहित सभी कर्मचारियों का वेतन वितरित नहीं किया जा सकता है जिसमें दिसंबर महीने में 19 दिनों के काम भी शामिल है। आईटी विभाग की यह कार्रवाई प्राकृतिक न्याय और श्रम कानूनों के बुनियादी मानदंडों का भी उल्लंघन है। पोर्टल के अनुसार उसने हमेशा कर नियमों का अनुपालन किया है और आईटी विभाग के पास उसके खातों को फ्रीज करने का कोई आधार नहीं है।"
जिन पत्रकार संगठनों इनकम टैक्स विभाग के प्रति आक्रोश व्यक्त किया है उनमें प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, इंडियन वुमेंस प्रेस कॉर्प्स, देलही यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स, प्रेस ऐसोशिएशन, केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स और दि वर्किंग न्यूज कैमेरामेंस एसोशिएशन प्रमुख हैं।
पत्रकार संगठनों ने जारी बयान में कहा कि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मौजूदा घटनाक्रम 2021 में ईडी छापे और आईटी सर्वेक्षणों के रूप में निरंतर उत्पीड़न और इस साल अक्टूबर में न्यूज़क्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और प्रशासनिक अधिकारी अमित चक्रवर्ती की गिरफ्तारी के बाद हुआ है।
इन संगठनों ने कहा कि "पुरकायस्थ और चक्रवर्ती दोनों पर कठोर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। यह देखा गया है कि मीडियाकर्मियों की ऐसी गिरफ़्तारियां अपवाद के बजाय सामान्य बात बन गई हैं।"
जारी बयान में कहा गया कि "चिंता की बात है कि जांच के बहाने मोबाइल फोन और कंप्यूटर जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बड़े पैमाने पर जब्ती की गई है। साथ ही अन्य स्वतंत्र मीडिया को भी इस तरह की ज्यादतियों का सामना करना पड़ा है और उपकरणों को महीनों तक जब्त किया गया है। अक्टूबर में पहली बार, न्यूज़क्लिक के पत्रकारों, पूर्व कर्मचारियों और यहां तक कि कन्ट्रीब्यूटरों के मोबाइल फोन और लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण ऑपरेशन के दिन सुबह-सुबह जब्त कर लिए गए। यह ऑपरेशन अपने आप में अभूतपूर्व था। बहुत से लोग, जो अकेले कमाने वाले हैं, उन्हें काम जारी रखने के लिए नए उपकरण खरीदने पड़े क्योंकि उनके जब्त किए गए उपकरण एक निश्चित समय सीमा में और बिना छेड़छाड़ की स्थिति में वापस मिलने का कोई आश्वासन नहीं मिला। इसके अलावा, जांच के बहाने न्यूज़क्लिक कर्मचारियों और पत्रकारों को कई दिनों तक 'तलब करना' और 'पूछताछ' करना दिल्ली पुलिस के विशेष सेल द्वारा निरंतर उत्पीड़न का एक और तरीका रहा है।"
पत्रकार संगठनों द्वारा मांग की गई है कि छापे के रूप में मीडिया और मीडियाकर्मियों का उत्पीड़न, गैर-जमानती कठोर धाराओं के तहत गिरफ्तारी, बिना पूर्व सूचना के खातों को फ्रीज करना और बिना किसी दिशानिर्देश या पैरामीटर के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जब्त करना तुरंत बंद होना चाहिए। इन संगठनों ने कहा कि "चूंकि ऐसे उपकरण मीडिया क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्तियों के लिए जीवन रेखा होती हैं, इसलिए ऐसी जब्ती प्रभावी रूप से आजीविका को लक्षित करती है। जिस प्रकार हमारे लोकतंत्र के अन्य स्तंभों को स्वतंत्र रूप से कार्य करने की अनुमति दी जानी चाहिए उसी प्रकार मीडिया को भी स्वतंत्र रूप से कार्य करने की अनुमति दी जानी चाहिए। स्वतंत्र मीडिया लोकतंत्र को मजबूत करता है इसे हतोत्साहित करने और दबाने से लोकतंत्र पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।"
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