कोरोना के दौरान सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं ले पा रहें है जरूरतमंद परिवार - सर्वे
दिल्ली की बस्तियों में वंचित समूहों की महिलाओं एवं बच्चों की देखरेख और सुरक्षा पर राज्य स्तरीय परिचर्चा का आयोजन नींव, दिल्ली फोर्सेस द्वारा 4 मार्च 2022 को दिल्ली में किया गया।
नींव दिल्ली फोर्सेस प्रतिनिधि चिराश्री घोष ने जमीनी स्तर पर कोरोना के दौरान प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के कार्यन्वयन की वर्तमान स्थिति के आंकड़ों को साझा किया। यह सर्वे कोरोना की तीसरी लहर के दौरान भारत के 5 राज्यों (दिल्ली, झारखंड, छत्तीसगढ, मध्य प्रदेश, ओडिशा) में 488 प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना हेतु पात्र महिलाओं तक योजना के लाभ और चुनौतियों को जानने के लिए किया गया था।
दिल्ली में 107 पात्र महिलाओं के साथ साक्षात्कार में मुख्य आंकड़े निकलेः
88 प्रतिशत परिवारों की मासिक आय न्यूनतम आय से कम है, 93 प्रतिशत महिलाओं को प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना की जानकारी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से मिली।
55 प्रतिशत महिलाओं को तीनों किस्त मिली है। 48 प्रतिशत महिलाओं को इस योजना की जानकारी भी नहीं है। 42 प्रतिशत महिलाएं दस्तावेज पूरे ना होने के कारण आवेदन नहीं कर पाई।
दिल्ली में सरकारी आंकड़े (एन.एफ.एच.एस.-5) भी दर्शाते हैं कि आधे से अधिक 6 वर्ष से छोटे बच्चों में खून की कमी है और हर पांचवा बच्चा अपनी आयु अनुसार कम वजन का है। 24 बच्चे अपना पहला जन्म दिन भी नहीं मना पाते है।
नींव दिल्ली फोर्सेस प्रतिनिधि विमला ओर सुभद्रा ने परिचर्चा में विभिन्न बस्तियों से आए समुदाय के लोगों को अपने अनुभव एवं मांगों को हितधारकों के समक्ष रखने के लिए आमंत्रित किया।
श्वेता, जनता मजदूर कलोनी, जाफराबाद दिल्ली से, ‘‘6 माह पहले मेरी पहली गर्भावस्था के दौरान मैंने सभी दस्तावेज के साथ आंगनवाड़ी केन्द्र में प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के लिए आवेदन किया था। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने कहा कि आपके पति का आधार कार्ड ना होने की वजह से आपका फार्म आगे नहीं भेजा गया है। श्वेता ने बताया कि आवेदन के समय मुझसे मेरे पति का आधार कार्ड नहीं मांगा गया। अब 6 माह बाद उनका आधार कार्ड मांगा जा रहा है। अब जब मैं आंगनवाड़ी में फॉर्म जमा करवाने गई तो पता चला कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हड़ताल पर है।इस कारण मेरे पति का आधार कार्ड जमा नहीं हुआ है और अभी तक मुझे इस योजना का कोई लाभ नहीं मिला है"।
संगीता, होलम्बी कला पुनर्वास कलोनी, ‘‘मैंने अपनी नजदीकी आंगनवाड़ी केन्द्र में पहली गर्भावस्था के सातवें माह में सभी दस्तावेज के साथ आवेदन किया था और अब मेरा बच्चा 18 माह का हो गया है पर अभी तक मुझे इस योजना का कोई लाभ नहीं मिला है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता का कहना है कि कोरोना की वजह से पैसा नहीं आ रहा है और आपके सभी दस्तावेज सही है आपका पैसा भविष्य में आ जाएगा"।
शहजादी, मदनपुर खादर पुनर्वास कालोनी, ‘‘मैं अपने पति से अलग माता पिता के साथ मदनपुर खादर में रहती हूं। मेरी पहली गर्भावस्था के दौरान नजदीक के आंगनवाड़ी केन्द्र में प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना येाजना हेतु आवेदन के लिए गई, पर मेरा फार्म नहीं भरा गया। मेरे पास सारे दस्तावेज होते हुए भी मेरे पति का आधार कार्ड मांगा गया जो कि मेरे से अलग रहते है और मेरे बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र भी नहीं बन पा रहा है"।
पूजा, शाहबाद डेरी, एक वर्ष पूर्व जब मैं कोठी में काम के लिए गई थी तो मेरे तीन वर्ष के बच्चे को कुत्ते ने काट लिया था और उसकी अकाल मृत्यु हो गई थी। मैं चाहती हूं कि समुदाय में छोटे बच्चों की पूरे दिन देखरेख की व्यवस्था हो ताकि मेरे बच्चे के साथ जो हुआ है वह किसी और के साथ ना हो।
मनीष, लक्ष्मी नगर, कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मेरे परिवार में पति और जेठ की अकाल मृत्यु हो गई थी। दोनो परिवारों के 4 बच्चे हैं। दिल्ली सरकार की ओर से 50 हजार रूपये मिल गये हैं और मेरी विधवा पेंशन शुरू हो गई है पर अभी तक मेरे बच्चों कि शिक्षा हेतु सरकार की ओर से कोई सहयोग नहीं मिला है, अतः मैं चाहती हूं कि बच्चों की शिक्षा के लिए सहयोग मिले।
नींव, दिल्ली फोेर्सेस प्रतिनिधि श्री अशोक शाह ने समुदाय की मांगें मंच पर रखी:
1. मातृत्व लाभ का सर्वव्यापीकरण होः खाद्य सुरक्षा कानून 2013 के आधार पर मातृत्व लाभ का क्रियान्वयन हो ताकि शिशुओं का ध्यान रखा जाए एवं शिशु का स्तनपान संभव हो सकेे।
2. सभी बच्चों के लिए सरकारी क्रैच की व्यवस्था होः दिल्ली में छोटे बच्चों की पूरे दिन देखरेख एंव सुरक्षा के लिए क्रैच/झुलाघर/ आंगनवाडी के साथ क्रैच की व्यवस्था।
3. कोविड-19 से प्रभावित बच्चों को सरकारी योजना का लाभ मिले: कोविड-19 से प्रभावित एवं इस दौरान अन्य कारणों से प्रभावित हुए सभी बच्चों और उनके परिवारों को सरकारी योजना का लाभ सुनिश्चित किया जाये।
4. आंगनवाड़ी सेवाओं का गुणवत्तापूर्ण क्रियान्वयन एवं सभी बच्चों तक पहुँच होः आंगनवाड़ी (समेकित बाल विकास परियोजना) के तहत 0-6 वर्ष तक के सभी बच्चों, गर्भवती एवं धात्री माताओं से संबन्धित सभी 6 सेवाऐं उनके रहने वाले क्षेत्र में गुणवत्तापुर्ण मुहैया कराई जाएं जैसे- स्वास्थ्य, पोषाहार, शालापूर्व तैयारी, सुरक्षा एवं गर्भवती व धात्री महिलाओं की देखरेख व पोषाहार संबन्धित परामर्श इत्यादि को सुनिश्चित किया जाये।
5. मूलभूत बुनियादी सुविधाओं की आपूर्ति होः शहरी बस्तियों में मूलभूत बुनियादी सुविधाओं (पानी, शौचालय, बच्चों आधारित शौचालय, साफसफाई) के आपूर्ति की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये ताकि इस महामारी से बचाव संबंधी नियमों का पालन कर पाने में मदद मिल सके।
6. मुख्यमंत्री आंगनवाड़ी निगरानी समिति को मान्यता एवं सशक्तिकरणः दिल्ली सरकार द्वारा बनाई गयी समिति की मान्यता एवं इसका सशक्तिकरण किया जाए।
7. संकट हेल्पलाइन होः छोटे बच्चों, गर्भवती एवं धात्री महिलाओं के टीकाकरण और बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं तथा काउन्सलिंग इत्यादि को हेल्पलाइन से जोड़ा जाये।
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