Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

लगातार दुविधा पैदा कर रहा है निज्जर मामला

निज्जर मामले ने भारत की विदेश नीतियों में व्यक्तित्व 'कल्ट' और अवसरवाद पर आधारित विरोधाभासों पर से पर्दा उठा दिया है।
Nijjar Case
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान के क्वाड विदेश मंत्रियों (बाएं से दाएं) ने 22 सितंबर, 2023 को न्यूयॉर्क में मुलाकात की

सुदूर कनाडा में सिख-धार्मिक कार्यकर्ता तथा पेशे रहे पल्न्बर हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार की कथित संलिप्तता पर विवाद बढ़ता जा रहा है। यह जानते हुए भी कि हमारे देश का अभिजात वर्ग पश्चिमी आलोचना के बारे में अति संवेदनशील हैं, कनाडा, मजबूत अमेरिकी समर्थन के साथ, विवाद के चक्र को तेजी से बढ़ा रहा है जो बढ़ने के साथ-साथ अपने दायरे से बाहर निकलता जा रहा है।

प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने गुरुवार को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के इतर अपनी दिलचस्प प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान निज्जर की हत्या से पड़े प्रभावों पर आधारित तीन नए बिन्दु पेश किए:

* पहला, उन्होंने मोदी के साथ हुई अपनी "सीधी और स्पष्ट बातचीत" का हवाला देकर भारतीय प्रधानमंत्री को विवादों में डाल दिया है;

* दूसरा, उनका दावा कि कनाडा "नियम-आधारित शासन का पक्षधर है"; और,

* तीसरा, अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत कनाडा की संप्रभुता के भारत के कथित उल्लंघन और यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बीच एक सामान्य संबंध प्रणाली खोजने पर ट्रूडो ने (पहली बार) उसके अनुरूप तर्क पेश किया है।

ट्रूडो ने सोचने-समझने के लिए बहुत कुछ छोड़ दिया है। मुख्यतः, ओटावा और वाशिंगटन सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर रहे हैं कि वे मिलकर आगे बढ़ रहे हैं। (हाल ही में, ट्रूडो ने यूक्रेन में अमेरिका के छद्म युद्ध के सबसे मजबूत समर्थक के रूप में बोरिस जॉनसन की जगह ले ली है)। 

इतना ही नहीं, ओटावा में अमेरिकी दूत डेविड कोहेन ने इस बात का भी खुलासा किया है कि निज्जर की हुई हत्या में भारतीय एजेंटों की संलिप्तता के बारे में "फाइव आईज़ साझेदारों के बीच जो खुफिया जानकारी साझा की गई है" उसके आधार पर ट्रूडो ने सोमवार को आक्रामक आरोप लगाए हैं। 

कोहेन ने कहा: "कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच इस बारे में काफी संवाद हुआ है... हम इस मुद्दे पर अपने कनाडाई सहयोगियों के साथ बहुत करीबी सलाह कर रहे हैं - और न केवल सलाह कर रहे हैं, बल्कि उनके साथ समन्वय भी कर रहे हैं। और हमारे दृष्टिकोण से, यह बात महत्वपूर्ण है कि कनाडाई जांच आगे बढ़े, और यह महत्वपूर्ण होगा कि भारत इस जांच पर कनाडाई लोगों के साथ काम करे। हम जवाबदेही देखना चाहते हैं, और यह महत्वपूर्ण है कि जांच अपना काम करे और किसी नतीजे पर पहुंचे।''

हमें ट्रूडो की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद लगातार व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन और राज्य सचिव एंटनी ब्लिंकन की नपी-तुली टिप्पणियों के निहितार्थों पर सावधानीपूर्वक विचार करना चाहिए।

सुलिवन की प्रेस कॉन्फ्रेंस का एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी था कि उनसे निज्जर मामले में मोदी सरकार के दृष्टिकोण पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया था, जो हाउन ल की भारतीय नीतियों के जिसमें दिल्ली अमेरिका के महत्वपूर्ण हितों को चुनौती दे रही है – या "आर्थिक आक्रामकता अपना रहा है... उन्होने [मोदी सरकार" ] व्यापार के लिए डॉलर का इस्तेमाल नहीं करने के लिए 18 देशों के साथ एक समझौता किया है... भारत, अमेरिकी कंपनियों की बौद्धिक संपदा चोरी के मामले में अमेरिकी निगरानी सूची में है। भारत ब्रिक्स का हिस्सा रहा है।''

सुलिवन ने जवाब दिया कि "भारत के साथ हमारी जो भी चिंताएं हैं, चाहे वह उसी निगरानी सूची से संबंधित मुद्दों की बात हो जिसका आप वर्णन कर रहे हैं या अन्यथा, हम उन चिंताओं को स्पष्ट कर रहे हैं। और हम अमेरिकी हितों की रक्षा करते हैं, जैसा कि हम दुनिया के हर देश के साथ करते हैं।

“अब, भारत रूस नहीं है, और चीन की अपनी चुनौतियाँ हैं जिनसे हम अपने संदर्भ में निपट रहे हैं। तो, निःसंदेह, हम एक-एक करके देशों के साथ कैसे व्यवहार करते हैं, इसमें मतभेद होंगे।

"लेकिन विचार – जो हमारे प्रशासन का नॉर्थ स्टार है: वह यह यदि आप अमेरिकी लोगों की सुरक्षा, समृद्धि, या निष्पक्षता की बुनियादी भावना के लिए खतरा बनते हैं, तो हम उसकी रक्षा के लिए कार्रवाई करेंगे। मुझे लगता है कि उस पर हमारा रिकॉर्ड - कई देशों में... बिल्कुल स्पष्ट है... देश चाहे कोई भी हो, हम खड़े होंगे और अपने बुनियादी सिद्धांतों की रक्षा करेंगे। और हम कनाडा जैसे सहयोगियों के साथ भी निकटता से सलाह करेंगे क्योंकि वे अपनी कानून प्रवर्तन और राजनयिक प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहे हैं।

सीधे शब्दों में कहें तो बाइडेन प्रशासन वास्तव में मोदी सरकार की विदेश नीति पर समग्र दृष्टिकोण लेकर चल रहा रहा है।

ब्लिंकन ने इस बात की भी पुष्टि की है कि अमेरिका कनाडा के साथ "समन्वय" कर रहा है और "जवाबदेही" की मांग कर रहा है, जबकि इस बात पर जोर दिया कि "यह महत्वपूर्ण है कि जांच अपना काम करे और उस परिणाम तक ले जाए।" दिलचस्प बात यह है कि ब्लिंकन ने इसे "अंतरराष्ट्रीय दमन" का मामला बताया है, जिसे अमेरिका "बहुत ही गंभीरता से" लेता है और यह "अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली" से भी संबंधित है।

ब्लिंकन में न्यूयॉर्क में विदेश मंत्री एस. जयशंकर सहित अपने क्वाड समकक्षों के साथ हुई दिन भर की एक बैठक के बाद बोल रहे थे। यह दो कारणों से महत्वपूर्ण हो जाता है। सबसे पहले, आम तौर पर भारतीयों के बीच एक गलत धारणा है कि भारत को अपने इंडो-पैसिफिक बैंडवैगन में शामिल करने की अमेरिका की उत्सुकता को देखते हुए, वाशिंगटन भारत को नाराज नहीं करेगा, जो बदले में कनाडा को अलग-थलग कर देगा। इस प्रकार, हमारे चीयरलीडर्स कनाडा पर हमला कर रहे हैं।

इसके विपरीत, बाइडेन प्रशासन ने अब जो किया है वह यह सुनिश्चित करना है कि संपूर्ण फाइव आईज सुरक्षा गठबंधन - ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा, न्यूजीलैंड और अमेरिका - ट्रूडो के साथ एक ही पन्ने पर हैं। यह एक कठोर संदेश है और अत्यधिक परिणामदायक भी है।

दूसरा, ब्लिंकेन की प्रेस कॉन्फ्रेंस "चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग के साथ स्पष्ट और रचनात्मक चर्चा के बाद हुई है - जिसमें दिखाया गया कि हम [अमेरिका और चीन] अपनी प्रतिस्पर्धा को जिम्मेदारी से प्रबंधित करते हुए उन मुद्दों पर एक साथ काम करने के तरीकों की तलाश जारी रखेंगे जहां प्रगति हमारे सामान्य प्रयासों की मांग करती है।" ”

जाहिर है, दिल्ली की उस सरल धारणा के साथ आगे बढ़ रहा है, कि अमेरिका भारत को चीन के मुकाबले "प्रतिकारक" मानता है, ब्ला, ब्ला, यह कुछ और नहीं बड़ी शक्ति की राजनीति का एक गहरा त्रुटिपूर्ण अनुमान है, जो भोलेपन की सीमा पर है, जिसे पश्चिमी टिप्पणीकारों ने बढ़ावा दिया है।

जनवरी में गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बाइडेन को आमंत्रित करके और साथ ही उसी समय हाल्ट को ठंडा करने के लिए दिल्ली में क्वाड शिखर सम्मेलन आयोजित करके वाशिंगटन को खुश करने के हमारे अनाड़ी कदम में भोलापन अपने चरम पर पहुंच गया है!

हम इससे अधिक मूर्ख नहीं बन सकते हैं। बाइडेन प्रशासन आजकल राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अमेरिका का दौरा करने और बाइडेन के साथ एक शिखर बैठक के लिए सहमत करने के उद्देश्य से चीन के साथ बातचीत कर रहे हैं, जिसे वे नवंबर 2024 के चुनाव को ध्यान में रखते हुए उत्सुकता से चाह रहे हैं। 

यह यूक्रेन पर वार्ता प्रक्रिया को चालू करने के लिए रूस को राजी करने की चीन की हताश कोशिश है ताकि अगले साल जुलाई में वाशिंगटन में नाटो की 75वीं वर्षगांठ के जश्न के दौरान नाटो की सैन्य हार को रोका जा सके, जिसे व्हाइट हाउस बाइडेन के राष्ट्रपति पद के ट्रान्साटलांटिक नेतृत्व के लिए एक विजयी पल के रूप में प्रस्तुत कर रहा है। 

कुल मिलाकर, निज्जर मामला भारत की विदेश नीतियों में आए तीव्र विरोधाभासों पर से पर्दा उठा रहा है। विदेश नीति के चीन-केंद्रित जोर को चलाने वाली धारणाएं भ्रामक साबित हो सकती हैं; "पश्चिमी" रास्ता एक चरम सीमा पर पहुंच गया है; भारत का खुद को विश्व में बड़ा खिलाड़ी साबित करने की मेहनत एक मृगतृष्णा साबित हो सकती है; संक्रमणकालीन दुनिया के अनुरूप तर्कसंगत और सुसंगत सिद्धांतों के बजाय व्यक्तित्व पंथ और अवसरवाद पर बनी विदेश नीति पस्त हो गई; और, सबसे महत्वपूर्ण, भारत की कूटनीति में घमंड चरम पर पहुंच गया है।

निज्जर मामला अस्तित्व संबंधी दुविधा पैदा कर रहा है। अमेरिका के आदेश के आगे समर्पण करने से भारत वैश्विक दक्षिण में एक सरोगेट राज्य और हंसी का पात्र बन जाएगा। भारतीय इसे स्वीकार नहीं करेंगे। 

इसके उलट, आदेश की अनदेखी करना भारी परिणामदायी होगा। कोई गलती न हो, फ़ाइव आइज़ का सोवियत संघ के विरुद्ध रक्तरंजित इतिहास रहा है; शीत युद्ध के बाद के युग में, इसने हांगकांग को पूरी तरह से अस्थिर कर दिया था, और आज यह भारत के पड़ोस में म्यांमार और थाईलैंड में एक सक्रिय खिलाड़ी है। उपमहाद्वीप में इसका प्रवेश अशुभ है।

एक सप्ताह पहले ही, जो सिर्फ एक हत्या की जांच लग रही थी, वह "नियम-आधारित आदेश" और "अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली" - और ब्रिक्स के कामकाज में उलझ गई है। यह सरकार के प्रति असंतोष का संकेत देने वाली एक नाटकीय वृद्धि है।

वास्तव में, अमेरिका "जवाबदेही" से जो अपेक्षा करता है, वह उस राष्ट्रीय सुरक्षा राज्य को खत्म करने से कम नहीं है जिसे भारत पिछले नौ साल की अवधि में बदल चुका है।

एमके भद्रकुमार एक पूर्व राजनयिक हैं। वे उज्बेकिस्तान और तुर्की में भारत के राजदूत रह चुके हैं। व्यक्त विचार निजी हैं। 

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest