क्या मयंक को मिलेगा इंसाफ़: पुलिस और स्कूल प्रबंधन ख़ामोश, माता-पिता आहत, छात्र आंदोलित
बनारस के काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के सेंट्रल स्कूल में 9वीं के छात्र मयंक यादव (14) ने ख़ुदकुशी कर ली। आरोप है कि स्कूल प्रबंधन ने उसे मानसिक रूप से इस कदर प्रताड़ित किया कि वह बुरी तरह टूट गया और फांसी लगाकर अपनी जान दे दी।
छात्र का कुसूर सिर्फ इतना था कि 28 जुलाई को वह अपने बैग में मोबाइल फोन लेकर चला आया था। परिजनों का आरोप है कि एक कर्मचारी ने उसे फोन चलाते हुए पकड़ लिया और पिटाई की। फिर वाइस प्रिंसिपल ने उसे कई थप्पड़ जड़े।
सुसाइड करने वाला छात्र मयंक (फाइल फोटो)
मयंक के पिता संतोष कुमार यादव बताते हैं, " वाइस प्रिंसिपल विनीता सिंह ने घटना के फौरन बाद हमें स्कूल में तलब किया और छात्र-छात्राओं के सामने ही के समाने ही हमारे साथ बदसलूकी की गई। साथ ही हमें बेटे के निलंबन की नोटिस भी थमा दी गई। इस दौरान हमारा बेटा भविष्य में कभी भी ऐसी गलती नहीं करने के वादे के साथ रोता-गिड़गिड़ाता रहा, मगर वाइस प्रिसिंपल टस से मस नहीं हुईं। अगले दिन मेरी पत्नी मुन्नी यादव को बुलाया गया। उन्होंने भी निर्दोष बेटे का निलंबन रद करने के लिए प्रिंसिपल दिवाकर सिंह और वाइस प्रिंसिपल विनीता सिंह से गुहार लगाई, लेकिन मिली झिड़कियां और बदसलूकी।"
बेसुध पड़ीं मयंक की मां मुन्नी देवी
मयंक की मां मुन्नी यादव डिप्रेशन की मरीज हैं। बेटे के खोने के गम में रो-रोकर उनका बुरा हाल है। उन्हें जब भी होश आता है, अपनी छाती पीटने लग जाती हैं। वह बताती हैं, "एक अगस्त को स्कूल में पैरेंट्स मीटिंग थी, जिसमें हम दोनों को तलब किया था। शायद मयंक को इस बात की आशंका थी कि कहीं पैरेंट्स मीटिंग में हमें दोबारा जलील न होना पड़े। वो इस कदर टूट गया कि 31 जुलाई की रात अपनी इहलीला खत्म करने के लिए फांसी के फंदे पर झूल गया।"
महज 14 साल की उम्र में ही सुसाइड करने वाला छात्र मयंक यादव बीएचयू से सटे सीर गोवर्धनपुर के चौधरियाना गली का निवासी था। पिता बीएचयू के एग्रोनामी विभाग में ड्राइवर पद पर कार्यरत हैं। मां मुन्नी देवी रविदास मंदिर के पास एक छोटे से कमरे में दुकान चलाती हैं। स्कूल से लौटने के बाद मुन्नी के उनके दोनों बच्चे मयंक और तनीषा भी दुकान में मां का हाथ बंटाया करते थे। सिर्फ मयंक के माता-पिता ही नहीं, समूचा मुहल्ला गमगीन है।
छात्र की मौत के बाद कई घरों में चूल्हे तक नहीं जले। वह ऐसा लड़का था जो हर किसी के काम-काज में हाथ बंटाता रहता था। सीरगोवद्धनपुर में संतोष यादव के पड़ोसी जयमंगल, रविदास, श्रीराम यादव, रामजनम कहते हैं, "मयंक जैसा लड़का बिरले घर में पैदा होते हैं। हमें तो उम्मीद ही नहीं थी कि हर किसी को अपना समझने वाले नौनिहाल की जिंदगी का अंत इस तरह होगा। मयंक की यादें सालों साल तक हम सभी को सालती रहेंगी।"
पहली अगस्त की शाम पोस्टमार्टम के बाद देर रात मयंक के शव का हरिश्चंद्र घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया। लंका थाना पुलिस को घटना की सूचना और तहरीर रात में ही दे दी गई थी, लेकिन अभी तक रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई है। मयंक के घर पहुंचे पुलिस अधिकारियों ने परिजनों का बयान दर्ज किया और यह कहकर लौट गए कि पहले मामले की पड़ताल खुद बीएचयू प्रशासन करे।
मयंक के सुसाइड मामले में लंका थाने की पुलिस पर बड़ा सवालिया निशान लगा है। तहरीर देने के बावजूद पुलिस ने अभी तक रिपोर्ट दर्ज नहीं की है। पुलिस अभी तक इस बात का इंतजार कर रही है कि स्कूल प्रबंधन पहले आंतरिक जांच करे। उसकी रिपोर्ट में जब कोई दोषी होगा तभी पुलिस रपट दर्ज करेगी और जांच शुरू करेगी।
काशी क्षेत्र के डीसीपी आरएस गौतम
काशी जोन के डीसीपी आरएस गौतम कहते है, "केंद्रीय विद्यालय के चेयरपरसन से अनुरोध किया गया है कि संपूर्ण मामले की जांच करा लें, जिससे पुलिस एक्शन ले सके। जांच से पता चला है कि मयंक के परिवार के लोगों ने उसे फंदे से उतारा था और अस्पताल लेकर गए थे।"
ख़बर है कि बीएचयू प्रशासन ने एक अलग से जांच कमेटी बनाई है। यह कमेटी कब तक रिपोर्ट पेश करेगी, यह बात स्पष्ट नहीं की जा रही है।
न्याय के लिए आवाज उठाते छात्र
गुस्से में छात्र
बनारस के नरिया के पास बीएचयू स्थित केंद्रीय विद्यालय के छात्र मयंक की आत्महत्या के मामले को लेकर सिर्फ स्कूल के पैरेंट्स ही नहीं, स्टूडेंट्स भी गुस्से में हैं। मंगलवार की सुबह केंद्रीय विद्यालय के बाहर मयंक की बहन तनीषा यादव के साथ दर्जनों स्टूडेंट्स स्कूल के गेट पर बैनर के साथ पहुंचे और प्रदर्शन किया।
धरने पर बैठे इंटर के एक छात्र ने "न्यूज़क्लिक" से कहा, "मयंक के मां-पिता को सभी बच्चों के सामने वाइस प्रिंसिपल ने जलील किया। पिता के सामने उसकी थप्पड़ों से पिटाई की गई। मयंक मरा नहीं, उसके सामने ऐसा हालात पैदा किया गया कि वह जान दे दे। मयंक को न्याय तभी मिलेगा जब सेंट्रल स्कूल के प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल को तत्काल निलंबित कर उन्हें गिरफ्तार किया जाए। इनके पद पर बने रहते उसे कतई न्याय नहीं मिलेगा। सबसे पहले सभी आरोपितों की गिरफ्तारी हो। जब से नए प्रिंसिपल आए हैं तब से स्टूडेंट्स का उत्पीड़न चरम पर पहुंच है। वो आए दिन प्रार्थना सभाओं में स्टूडेंट्स को धमकाते हैं। स्टूडेंट्स को छह-छह महीने के लिए रिस्टीकेट करने की धमकी भी देते हैं।"
धरने पर बैठे छात्रों को स्कूल के कुछ शिक्षकें ने समझाने की कोशिश की, लेकिन वह अपनी मांग पर अड़े रहे। बाद में स्कूल प्रबंधन ने धरने पर बैठे स्टूडेंट्स के परिजनों के घर फोन कर सख्त लहजे में बात की। काफी देर बाद दबाव बनाकर स्कूल प्रबंधन ने स्टूडेंट्स के धरने के खत्म करा दिया। सेंट्रल स्कूल के स्टूडेंट्स ने संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक खत लिखा है, जिसमें उन्होंने दोनों शिक्षकों रवैये पर रोष का इजहार करते हुए समूचे घटनाक्रम का हवाला दिया है और उन्हें की मयंक की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
पीएम को भेजा गया खत
स्टूडेंट्स का आरोप है कि प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल सामंती विचारधारा के पोषक हैं। स्कूल के स्टूडेंट्स ही नहीं, तमाम अभिभावक भी इनके जुल्म और ज्यादती के शिकार हो रहे हैं।
बहन ने कहा, ग़लती से ले गया था मोबाइल
सेंट्रल स्कूल के सामने मंगलवार को आंदोलन-प्रदर्शन के दौरान मयंक की बहन तनीषा यादव ने मीडिया के सामने रो-रोकर घटना की जानकारी दी। बताया, "मेरा इकलौता भाई बहुत सरल स्वभाव का था। वह कभी भी स्कूल में मोबाइल नहीं ले जाता था। 28 जुलाई को स्कूल जाने की जल्दी में गलती से उसकी जेब में मोबाइल रह गया। लंच ब्रेक के दौरान वह मेरे पास आया और कहा कि, दीदी गलती से मैं मोबाइल ले आया हूं, इसे आप रख लो। हमने कहा, क्लास में मेरे बैग की जांच होगी। मोबाइल स्विच ऑफ करके तुम अपने पास बैग में रख लो। इस बीच स्कूल की लाइब्रेरी में कोई बड़ा विवाद हो गया। कुछ लड़के मारपीट करने लगे। मौके पर मौजूद मयंक ने साक्ष्य जुटाने के लिए वीडियो बनाना शुरू कर दिया। इस दौरान लाइब्रेरियन ने उसे वीडियो बनाते हुए देख लिया। शायद लगा होगा कि वह वीडियो वायरल हो सकता है। मयंक को उन्होंने पकड़ा और कई तमाचे जड़ दिए। बाद में उसे लेकर वह वाइस प्रिंसिपल विनीता सिंह के पास गईं।"
तनीषा यादव
तनीषा कहती है, "मयंक को वाइस प्रिंसिपल ने भी पीटा और खूब डांट पिलाई। साथ ही एक सप्ताह तक स्कूल न आने का फरमान सुना दिया। इस बीच हमारा भाई दोबारा गलती नहीं करने के वादे के साथ रोता-गिड़गिड़ाता रहा, मगर वह टस से मस नहीं हुईं। कुछ ही देर बाद मेरे पिता को बुलाया गया और सभी स्टूडेंट्स के सामने ही उन्हें भी जलील किया गया। बाद में मेरी मां को बुलाया गया और फिर उनकी भी छात्रों के सामने ही बेइज्जती की गई। दोनों घटनाओं से हमारा भाई विचलित हो गया था। वह इस कदर टूट गया कि घर में ही फांसी का फंदा बनाया और उस पर लटक गया।"
बेटे के गम में पिता संतोष कुमार यादव
पुलिस भी चुप, बीएचयू प्रशासन भी
मयंक के पिता संतोष कुमार यादव कहते हैं, "हर कोई यही पूछ रहा है कि मेरा बेटा मरा कैसे? हम क्या बताएंगे। पुलिस ने अभी एफआईआर तक दर्ज नहीं की है। बस लीपापोती की जा रही है। हम पुलिस को तहरीर दे चुके हैं और पुलिस मीडिया को बता रही है कि तहरीर ही नहीं मिली है तो रिपोर्ट दर्ज कैसे करें? गजब का खेल चल रहा है। मेरा इकलौता बेटा चला गया और पुलिस प्रशासन मामले को रफा-दफा करने में जुटे हैं। कोई यह तो बताए कि दोषियों के पद पर बने रहते हुए भला हमें न्याय कैसे मिलेगा? "
"हम चाहते हैं कि दोषी लोग गिरफ्तार हों और उन्हें कठोर सजा भी मिले, ताकि कोई दूसरा मयंक फांसी पर चढ़ने के लिए मजबूर न हो सके। सबसे बड़ी बात यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बच्चों को मोबाइल और टेबलेट बांट रहे हैं। ऑनलाइन पढ़ाई भी मोबाइल से हो रही है। ऐसे में सेंट्रल स्कूल में मोबाइल फोन गलती से ले जाना आखिर गुनाह कैसे हो गया? हम अच्छी तरह से जानते हैं कि हमारा बेटा बेगुनाह था। वह अपने शिक्षकों का उत्पीड़न और मानसिक दबाव बर्दाश्त नहीं कर सका। हमारे बेटे का मोबाइल भी स्कूल प्रबंधन ने रख लिया है। अगर वो मिला होता तो बहुत कुछ राज खुल जाता। स्कूल प्रबंधन ने फोन को कहीं छिपा रखा है।"
क्या कहती है लंका पुलिस?
बनारस के लंका थाने के इंस्पेक्टर बृजेश सिंह कहते हैं, "छात्र के शव के पास से बरामद सुसाइड नोट मिला है, जिसमें इस घटना के लिए उसने किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया है। हालांकि उसके परिवारजनों का आरोप है कि स्कूल में मोबाइल ले जाने और एक वीडियो बनाने के आरोप में उसे प्रताड़ित किया गया, जिससे वो काफी क्षुब्ध हो गया था। अवसाद में आने के कारण उसने अपनी जीवन लीला ही समाप्त कर ली। पोस्टमार्टम रिपोर्ट अभी नहीं मिली है। पुलिस मामले की तफ्तीश में जुटी है। संतोष की बड़ी बेटी तनीषा भी उसी स्कूल में 10वीं कक्षा में पढ़ती है। घर वालों का कहना है कि मयंक रविवार की रात घर की छत गया और लोहे के एंगल के सहारे नारियल की रस्सी का फंदा बना कर फांसी पर झूल गया।"
कैप्शन- आरोपों की ज़द मे प्रिंसिपल दिवाकर सिंह।
सेंट्रल स्कूल के प्रिंसिपल दिवाकर सिंह खुद को बेकुसूर बताते हैं। वह कहते हैं, "स्टूडेंट के सुसाइड करने की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। घटना का मूल कारण क्या है, हमारी तरफ से कोई दोषी होगा तो हम जरूर एक्शन लेंगे। मोबाइल प्रयोग करने से हमने किसी को नहीं रोका है। हमने अपनी जांच रिपोर्ट पुलिस और उच्चाधिकारियों को दे दी है।"
मयंक सुसाइड केस के मामले में आरोपों के बाबत स्कूल की वाइस प्रिंसिपल विनीता सिंह से संपर्क करने की कोशिश की गई पर उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया। साथ ही फोन भी रिसीव नहीं किया।
पुलिस की नीयत पर सवाल
लंका थाना पुलिस का हाल यह है कि उसने अभी तक सीसीटीवी कैमरे का डीवीआर तक अपने कब्जे में नहीं लिया है। यह वही साक्ष्य है जिसके जरिए मयंक की आत्महत्या के लिए जिम्मेदार लोगों तक पुलिस पहुंच सकती है। लंका थाना पुलिस कार्यप्रणाली संदिग्ध बनी हुई है। वह अभी तक यह नहीं बता पा रही है कि मयंक का मोबाइल कहां है, जिसकी वजह से स्कूल में वितंडा खड़ा हुआ।
दूसरी ओर, बीएचयू के कुलपति सुधीर जैन मीडिया कर्मियों को बुलाकर सफाई दे रहे हैं कि हम जांच कर रहे हैं। मयंक के मामले में न्याय जरूर होगा। हालांकि कुलपति की बातों पर छात्र के परिजनों को तनिक भी भरोसा नहीं है।
बीएचयू के स्टूडेंट और सीरगोवद्धनपुर गांव के लोग मयंक के लिए इंसाफ़ मांगने के लिए आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। मयंक के गांव के युवा नेता अमन यादव कहते हैं, "आरोपितों के पद पर बने रहते हुए कोई भी निष्पक्ष जांच कैसे संभव है। अगर स्टूडेंट ने सुसाइड नोट में किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया है तो पुलिस ने उसे गोपनीय क्यों रखा है? घटना के बाद सुसाइड नोट पुलिस अपने साथ ले गई, मगर परिजनों को उसकी कापी तक नहीं दी। तहरीर मिलने के बाद रिपोर्ट दर्ज करने में विलंब क्यों किया जा रहा है? "
(बनारस स्थित विजय विनीत वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
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